मध्य प्रदेश में पंचायतीराज व्यवस्था

मध्य प्रदेश में पंचायतीराज व्यवस्था

मध्य प्रदेश में पंचायती राज व्यवस्था ( madhya pradesh me panchayti raj vyavstha) : भारत के संविधान के 73वें संशोधन में मध्य प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था को पंचायती राज अधिनियम 1993 के तहत स्थापित किया गया था जिसमें ग्रामीण स्तर पर ग्राम पंचायत, ब्लॉक स्तर पर जनपद पंचायत एवं जिला स्तर पर जिला पंचायत शामिल है। इस प्रदेश में मौजूद ग्राम सभा को पंचायत राज व्यवस्था की आधारभूत इकाई माना जाता है। मध्य प्रदेश में पंचायती राज व्यवस्था का प्रस्ताव सर्वप्रथम 30 दिसंबर वर्ष 1993 को रखा गया था जिसे 25 जनवरी वर्ष 1994 को पारित किया गया था और इसे 20 अगस्त वर्ष 1994 को पूरे प्रदेश में लागू किया गया था। जैसा कि हमने आपको ऊपर बताया कि मध्य प्रदेश में पंचायती राज व्यवस्था के तीन स्तर हैं जिनके सभी स्तरों का कार्यकाल 5 वर्ष का होता है।

ग्राम पंचायत 

वर्तमान समय में मध्य प्रदेश में कुल 23169 ग्राम पंचायत में मौजूद हैं। प्रत्येक ग्राम पंचायत में एक सरपंच को मुखिया के रूप में चुना जाता है। ग्राम पंचायत का मुख्य कार्य ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छता, बिजली की व्यवस्था, सड़कों की व्यवस्था, अस्पताल, कुएं आदि का निर्माण कराना होता है। मध्य प्रदेश के साथ-साथ पूरे भारत में ग्राम पंचायत के सरपंच को प्रत्यक्ष रूप से जनता के द्वारा चुना जाता है। ग्राम पंचायत राज संस्था एक स्वायत्त निकाय है जो स्थानीय स्वशासन की एक संस्था है। यह मुख्य रूप से ग्राम स्वराज के लिए कार्य करती है। ग्राम पंचायत (Gram Panchayat) की सदस्य संख्या न्यूनतम 10 व अधिकतम 20 हो सकती है।

ग्राम पंचायत की समितियां

ग्राम पंचायत की समितियां कुछ इस प्रकार हैं:-

  • शिक्षा समिति
  • प्रशासनिक समिति
  • नियोजन एवं विकास समिति
  • निर्माण कार्य समिति
  • जल प्रबंधन समिति
  • स्वास्थ्य एवं कल्याण समिति

ग्राम पंचायत के कार्य

राज्य सरकार ने प्रत्येक ग्राम पंचायत के कार्यों को निम्नलिखित रूप से परिभाषित किया है:-

  • ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छता की व्यवस्था करना।
  • कृषि संबंधित क्षेत्रों का विकास करना।
  • विभिन्न बीमारियों एवं संक्रमण की रोकथाम करने हेतु उचित व्यवस्था करना।
  • सार्वजनिक भूमि की व्यवस्था करना।
  • जन्म एवं मृत्यु से संबंधी लेखा-जोखा रखना।
  • ग्रामीण क्षेत्रों में उद्योग धंधों एवं व्यवसाय की उन्नति करना।
  • बाजार, मेलों एवं चरागाहों की व्यवस्था करना।
  • प्राथमिक विद्यालय, उच्च प्राथमिक विद्यालय एवं अनौपचारिक शिक्षा की व्यवस्था करना।
  • महिला एवं बाल विकास संबंधी कार्य को संचालित करना।
  • पशुधन विकास संबंधी कार्य करना।

जनपद पंचायत 

वर्तमान समय में मध्य प्रदेश में कुल 313 जनपद पंचायतें मौजूद हैं। भारत में जनपद पंचायत का गठन केवल 5 हजार से अधिक आबादी वाले क्षेत्र में ही किया जाता है। जनपद पंचायत का गठन विकासखंड स्तर पर होता है जिसके सदस्यों का चुनाव जनता के द्वारा प्रत्यक्ष रूप से किया जाता है। जनपद पंचायत का मुख्य कार्य जिले के अंतर्गत सभी पंचायत समितियों एवं ग्राम पंचायतों की कार्यप्रणाली को दुरुस्त करना होता है। इसके अलावा यह जिले के विभिन्न कल्याण कार्यक्रमों को भी संचालित करने का कार्य करता है। जनपद पंचायत (Janpad Panchayat)
की सदस्य संख्या न्यूनतम 10 व अधिकतम 25 हो सकती है।

जनपद पंचायत की समितियां

जनपद पंचायत की स्थाई समितियां कुछ इस प्रकार है:-

  • आर्थिक एवं वित्तीय समिति
  • समाज कल्याण समिति
  • शिक्षा विभाग समिति
  • लघु सिंचाई, कृषि, सहकारिता एवं पशुपालन समिति
  • सार्वजनिक साफ-सफाई समिति
  • स्वास्थ्य समिति

जनपद पंचायत के कार्य

जनपद पंचायत के निम्नलिखित कार्य होते हैं जैसे:-

  • जनपद में पर्याप्त कृषि संसाधनों की व्यवस्था करना।
  • सामाजिक विकास करना
  • तकनीकी एवं व्यवसाय क्षेत्र में विकास करना
  • अल्प बचत को बढ़ावा देना आदि।

जिला पंचायत 

जिला पंचायत या जिला परिषद पंचायती राज व्यवस्था की तीसरी महत्वपूर्ण श्रेणियों में से एक है। यह एक निर्वाचित निकाय है जिसका प्रतिनिधित्व मुख्य रूप से ब्लॉक प्रमुख (अध्यक्ष) के द्वारा किया जाता है। भारत सरकार के द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार मध्य प्रदेश में वर्तमान समय में लगभग 51 जिला पंचायत मौजूद हैं। प्रत्येक जिला पंचायत का गठन यथासंभव 50 हजार की जनसंख्या वाले क्षेत्र में किया जाता है जिसका प्रधान मुखिया कहलाता है। जिला पंचायत के सदस्यों की संख्या न्यूनतम 10 एवं अधिकतम 35 तक हो सकती है। इसमें महिलाओं के लिए एक तिहाई स्थान आरक्षित होता है। जिला पंचायत का कार्यकारी अधिकारी एक आईएएस अफसर होता है जिसे स्वयं राज्य सरकार के द्वारा नियुक्त किया जाता है। जिला पंचायत (Jila Panchayat) की सदस्य संख्या न्यूनतम 10 व अधिकतम 35 हो सकती है।

जिला पंचायत की समितियां

जिला पंचायत की प्रमुख समितियां कुछ इस प्रकार हैं:-

  • शिक्षा समिति
  • स्वास्थ्य एवं जन कल्याण समिति
  • नियोजन एवं वित्त समिति
  • कार्यकारी समिति
  • उद्योग एवं निर्माण कार्य समिति
  • जल प्रबंधन समिति

जिला पंचायत के कार्य

राज्य सरकार के अनुसार जिला पंचायत के प्रमुख कार्य कुछ इस प्रकार हैं:-

  • जिले में जनपद पंचायतों के बजट की जांच करना।
  • जनपद पंचायतों के कार्य का निरीक्षण करना।
  • ग्राम एवं जनपद पंचायतों से सांख्यिकी एकत्रित करना।
  • जन पंचायतों का उचित मार्गदर्शन करना।
  • जिले में सभी विकास कार्य से संबंधित विविध विषयों में राज्य शासन को सलाह देना।
  • किसी भी स्थानीय प्राधिकारी से उसकी कार्यप्रणाली के संबंध में जानकारी प्राप्त करना।
  • विभिन्न जनपद पंचायत की योजनाओं में समन्वय स्थापित करना।

पंचायत सचिव

पंचायत सचिव को ग्राम सेवक के नाम से भी जाना जाता है जिसका प्रमुख कार्य ग्रामीण क्षेत्रों में सभी विकास कार्यों की गतिविधियों को संचालित करना होता है। पंचायत सचिव को पंचायत द्वारा नियुक्त किया जाता है परंतु वह एक शासकीय कर्मचारी होता है। पंचायत सचिव ग्राम पंचायत में होने वाले सभी कार्यों एवं आय से संबंधित लेखा-जोखा रखने का कार्य करता है। केवल इतना ही नहीं ग्राम पंचायत का प्रस्ताव बनाने में भी पंचायत सचिव की एक महत्वपूर्ण भूमिका होती है।

1 फरवरी 1994 को मध्य प्रदेश निर्वाचन आयोग का गठन किया गया था जो तीनों स्तरों के चुनाव का कार्य करवाता है। मध्य प्रदेश निर्वाचन आयोग के प्रथम अध्यक्ष M. B. लौहानी थे।

Info Source : https://prd.mp.gov.in

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