मंगोल कौन थे - मंगोल जाति का इतिहास, संस्थापक एवं अंत

मंगोल कौन थे – मंगोल जाति का इतिहास, संस्थापक एवं अंत

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मंगोल कौन थे

मंगोल पूर्वी व मध्य एशिया में पाए जाने वाली एक जनजाति है जिसने विश्व के इतिहास में अपनी नई पहचान बनाई। प्राचीन काल में मंगोल जाति के लोग अर्गून नदी के पूर्वी क्षेत्रों में गुजर बसर किया करते थे। धीरे-धीरे मंगोल जाति के लोगों की जनसंख्या पूरे विश्व में असामान्य गति से बढ़ने लगी। आज के समय में अधिकतर मंगोलियन चीन, रूस एवं मंगोलिया जैसे देशों में निवास करते हैं। मंगोलियन के बारे में ऐसा कहा जाता है कि यह जाति सामान्य लोगों की तुलना में बहुत अलग थी। अधिकतर मंगोलियन खूंखार व अत्याचारी होने के साथ-साथ अत्यंत कुशल लड़ाकू भी हुआ करते थे। इसके अलावा मंगोल जाति के लोग अधिकतर घुड़सवारी, तीरंदाजी एवं शिकार करने में भी माहिर हुआ करते थे। मंगोलियन लोगों ने बड़े-बड़े कारनामों को अंजाम दिया, जिससे पूरे विश्व में उनका वर्चस्व कायम हुआ।

मंगोल साम्राज्य के बारे में बताएं

13 वीं से 14 वीं शताब्दी के मध्य मंगोल साम्राज्य का उदय हुआ, जिससे विश्व में मंगोल जाति को एक अलग पहचान मिली। मंगोल साम्राज्य विश्व के इतिहास का एक विशाल एवं कुशल साम्राज्य माना जाता था। यह साम्राज्य मध्य एशिया से लेकर दक्षिण में भारतीय उपमहाद्वीप तक फैला हुआ था। यह विश्व के इतिहास एवं भू-भाग की दृष्टि से दूसरा सबसे बड़ा साम्राज्य था।

मंगोल जाति का इतिहास

चंगेज खान ने मंगोलिया के घुमंतू एवं अन्य पिछड़ी जनजातियों का एकीकरण कर मंगोल साम्राज्य की स्थापना की थी। मंगोल जाति के लोगों को समतल मैदानों में तंबू बनाकर रहने एवं कष्ट झेलने की आदत थी जिसके कारण उनके शारीरिक बल एवं कष्ट झेलने की क्षमता में वृद्धि हुई। मंगोल जाति के लोगों को शहर का रहन-सहन पसंद नहीं था जिसके कारण वे लंबे-चौड़े मैदानों में तंबू बनाकर रहा करते थे। मंगोल जाति के लोगों ने कला एवं ज्ञान के क्षेत्र में काम किया, जिसके फलस्वरूप वे बेहद कम समय में प्रसिद्ध हुए।

मंगोल साम्राज्य का संस्थापक कौन था

मंगोल साम्राज्य की नींव चंगेज़ खान ने रखी थी। चंगेज खान का जन्म 1162 ईसा पूर्व में मंगोलिया के उत्तरी भाग में हुआ था। चंगेज खान ने मंगोल कबीलों को एकजुट कर मंगोल साम्राज्य की स्थापना की एवं एक बड़े इलाके पर शासन किया। मंगोल साम्राज्य को विश्व के इतिहास में सबसे बड़ा सन्निहित साम्राज्य भी कहा जाता है। मंगोल साम्राज्य 6000 मील (9700 किमी) तक फैला हुआ था एवं 33,000,000 वर्ग कि॰मी॰ (12,741,000 वर्ग मील) तक फैला हुआ था। यह उस समय के पृथ्वी पर कुल भू-क्षेत्रफल के लगभग 22 प्रतिशत हिस्से में फैला हुआ था।

मंगोलों का धर्म क्या था

शुरुआती दौर में मंगोल शासक बौद्ध थे परंतु बाद में मंगोल जाति के लोगों ने इस्लाम को अपनाकर अपना धर्म परिवर्तन कर लिया। कई इतिहासकारों का मानना है कि मंगोल शासक द्वारा अफगानिस्तान पर आक्रमण करने के पश्चात उन्होंने अपना धर्म परिवर्तन किया। इस दौरान उन्होंने मुस्लिम सिद्धांतों को अपनाकर मंगोल जाति के लोगों को अपने सिद्धांतों पर चलने पर मजबूर भी किया।

मंगोल साम्राज्य का अंत कैसे हुआ (मंगोल साम्राज्य का पतन)

मंगोल साम्राज्य का अंत मध्यकालीन विश्व के इतिहास की एक महत्वपूर्ण घटना है। मंगोल साम्राज्य का संस्थापक चंगेज खान इतिहास का सबसे खूंखार एवं निर्दयी शासक था, जिसने अपने साम्राज्य के कई क्षेत्र में आश्चर्यजनक रूप से विकास किया। मंगोल साम्राज्य के क्षेत्र विश्व के कई देशों में फैले हुए थे। 1227 ईसा पूर्व में चंगेज खान की मृत्यु के बाद मंगोल साम्राज्य कई भागों में विभाजित हो गया। इसके बाद 1271 ईसा पूर्व में चंगेज खान के वंशज ने मंगोल साम्राज्य को और आगे बढ़ा कर युवान वंश की स्थापना की। यह एक पहला विदेशी वंश था जिसने पूरे चीन पर अपना कब्जा कर शासन किया। जिसके बाद 1368 ईसा पूर्व में युवान वंश का भी अंत हो गया। इस घटना के बाद मंगोल जाति के लोग अपनी मातृभूमि पर वापस लौट आए। जिसके बाद मंगोल जाति के एकीकरण का धीरे-धीरे अंत हो गया।

मंगोलों के सैनिक संगठन का वर्णन कीजिए

मंगोल साम्राज्य के पास एक बेहद शक्तिशाली सेना थी, जिसकी गणना विश्व के शक्तिशाली सेनाओं में की जाती थी। यह सेना बेहद शक्तिशाली एवं अनुशासित थी जिसका मुकाबला करने वाला कोई नहीं था। मंगोलों के सैनिक संगठन में चंगेज खान की एक अहम भूमिका रही है। चंगेज खान ने सेनापति के तौर पर कई ऐसे कार्य किए जिसके कारण एक खूंखार व शक्तिशाली सेना का संगठन संभव हो सका। मंगोलों के सैनिक संगठन का जासूसी विभाग अत्यंत कुशल एवं चतुर था जिसकी मदद से सैनिक प्रशासन अपने शत्रुओं से हमेशा एक कदम आगे रहता था। यह जासूसी विभाग मंगोलों को युद्ध आरंभ होने से पूर्व ही शत्रु के संबंध में हर जानकारी उपलब्ध कराते थे। जिसके परिणाम स्वरूप मंगोलों की जीत निश्चित हो जाती थी। केवल इतना ही नहीं मंगोलों के पास एक कुशल घुड़सवारी और एक तीरंदाजी सेना भी थी जिसके कारण शत्रु मंगोलों के आगे घुटने टेक देते थे। इसके अलावा मंगोलियन मनोवैज्ञानिक युद्ध की महत्ता को भी भली-भांति जानते थे।

मंगोलों की हरकारा पद्धति को समझाइए

मंगोलों ने कई राज्यों में आपसी संपर्क बनाने हेतु हरकारा पद्धति अपना रखी थी जिसकी मदद से वे दुश्मन देश के राज्यों की पूर्ण गतिविधियों की जानकारी हासिल किया करते थे। हरकारा पद्धति एक संचार की व्यवस्था थी जो बेहद फुर्तीली हुआ करती थी। इसके द्वारा एक राज्य की गुप्त जानकारियों को अन्य राज्यों में तेजी से पहुंचाया जा सकता था। हरकारा पद्धति के संचालन हेतु मंगोल अपने-अपने घोड़ों या अन्य पशुओं का दसवां भाग मंगोलियन साम्राज्य को प्रदान किया करते थे जिसे वे ‘कुबकुर’ कह कर संबोधित करते थे।

चंगेज खान द्वारा स्थापित नोयान व्यवस्था को समझाइए

नोयान एक मध्य एशियाई अधिकार की व्यवस्था का शीर्षक था जो मध्य एशियाई में रहने वाले महान वंश के सैन्य नेताओं के लिए प्रयुक्त किया जाता था। नोयान शब्द का प्रयोग चंगेज खान अपनी सेना में युद्ध के दौरान किया करता था। नोयान एक ऐसी व्यवस्था थी जो केवल सैन्य नेताओं पर लागू होती थी। यह एक ऐसी व्यवस्था थी जिसके द्वारा सैन्य नेताओं की योग्यता को सेना के बीच दर्शाया जाता था। नोयान एक ऐसा नाम है जिसका उपयोग ‘प्रभु’ या ‘रक्षक’ के स्थान पर किया जाता था।

चंगेज खान की मृत्यु के बाद मंगोल साम्राज्य की स्थिति पर प्रकाश डालिए

चंगेज खान के मृत्यु 25 अगस्त 1227 में हुई थी जिसके पश्चात मंगोल साम्राज्य दो भागों में विभाजित हो गया। पहले भाग 1236-1242 के दौरान मंगोल साम्राज्य को स्टेपी-क्षेत्र, कीव, पोलैंड एवं हंगरी में भारी सफलता प्राप्त हुई तथा दूसरे भाग 1255-1300 में चीन, ईरान, सीरिया एवं इराक जैसे देशों पर विजय प्राप्त हुई। इसके पश्चात मंगोल साम्राज्य की परिसीमाओं में स्थिरता आयी जिसके कारण मंगोल सेनाओं को काफी संघर्ष करना पड़ा। सन 1260 के दशक के बाद मंगोल साम्राज्य को अपनी सैन्य अभियानों पर रोक लगानी पड़ी जिसके बाद धीरे-धीरे मंगोल साम्राज्य सिमटने लगा।

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