मार्क्सवाद क्या है - परिभाषा, सिद्धांत, विशेषताएं, आलोचना

मार्क्सवाद क्या है – परिभाषा, सिद्धांत, विशेषताएं, आलोचना

मार्क्सवाद क्या है – परिभाषा, सिद्धांत : मार्क्सवाद क्या है (मार्क्सवाद की परिभाषा), मार्क्सवाद सिद्धांत क्या है (मार्क्सवाद के आधारभूत सिद्धांत), मार्क्सवाद की प्रमुख विशेषताएं, मार्क्सवाद की आलोचना, मार्क्सवादी इतिहास आदि प्रश्नों के उत्तर यहाँ दिए गए हैं।

मार्क्सवाद क्या है (मार्क्सवाद की परिभाषा)

कार्ल मार्क्स के विचारों के समूह को मार्क्सवाद (Marxism) के नाम से जाना जाता है। कार्ल मार्क्स एक जर्मन दार्शनिक व क्रांतिकारी थे जिन्होंने अपने जीवन काल में कई आंदोलन किये। कार्ल मार्क्स का जन्म सन 1818 में उत्तरी यूरोप के राइन प्रांत के ट्रियर नामक नगर में हुआ था। कार्ल मार्क्स की साम्यवादी विचारधारा के कारण उन्हें एक कुशल समाजवादी विचारक के रूप में भी जाना जाता है। कई इतिहासकारों का मानना है कि कार्ल मार्क्स हीगेल (जार्ज विल्हेम फ्रेड्रिक हेगेल) के विचारों से काफी प्रभावित थे। कार्ल मार्क्स की प्रारंभिक शिक्षा एक स्थानीय विद्यालय जिमनेजियम में हुई थी। इसके बाद बोन नामक विश्वविद्यालय से उन्होंने कानून की शिक्षा ग्रहण की, जिसके बाद उन्होंने बर्लिन विश्वविद्यालय से दर्शन एवं इतिहास का अध्ययन किया। तत्पश्चात कार्ल मार्क्स ने जेना विश्वविद्यालय से डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की।

मार्क्सवाद वास्तव में एक आर्थिक एवं राजनीतिक सिद्धांतों का समुच्चय है। कार्ल मार्क्स ने अपना पूरा जीवन मजदूर आंदोलन एवं अन्य क्रांतिकारी आंदोलन के समर्थन में बिता दिया। मार्क्सवादी विचारधारा सरकार व शासन वर्ग के लोगों के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण थी, जिसके परिणाम स्वरूप कई देश की सरकारों ने कार्ल मार्क्स को देश से निकाल दिया था। केवल इतना ही नहीं कार्ल मार्क्स द्वारा लिखे गए लेखों व विचारों पर भी पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगा दिया गया था। कार्ल मार्क्स ने अपना संपूर्ण जीवन बेहद गरीबी में बिताया था। मार्क्सवाद सिद्धांत के अनुसार सामाजिक संरचना की वह आर्थिक व्याख्या होती है जिसके द्वारा समाज में हो रहे भेदभाव को समझा जा सकता है।

मार्क्सवाद क्रांतिकारी समाजवादी का एक स्वरूप है जो पूर्ण रूप से आर्थिक एवं सामाजिक समानता में दृढ़ विश्वास रखता है। मार्क्सवाद सभी नागरिकों की समानता का एक दर्शन है। मार्क्सवाद की उत्पत्ति स्वतंत्र व्यापार पूंजीवाद में होने वाली खुली प्रतियोगिता के विरोध के कारण हुई थी।

मार्क्सवाद सिद्धांत क्या है (मार्क्सवाद के आधारभूत सिद्धांत)

मार्क्सवाद सिद्धांत द्वन्द्वात्मक भौतिकवाद के विचारों पर आधारित है। कार्ल मार्क्स ने द्वन्द्वात्मक प्रणाली को हीगल के विचारों से ग्रहण किया था। इस सिद्धांत के अंतर्गत पूरे विश्व में निरंतर परिवर्तन होता रहता है जिसके कारण संसार में विभिन्न प्रकार की ऐतिहासिक घटनाओं का क्रम चलता रहता है। मार्क्सवाद के अंतर्गत सामाजिक विकास में वाद, प्रतिवाद एवं संवाद का पूर्ण सहयोग होता है। कार्ल मार्क्स ने हीगल के द्वन्द्वात्मक विचारों का पूर्ण समर्थन किया जिसके अंतर्गत समाज में होने वाले परिवर्तन के क्रम को व्यवस्थित किया जा सकता है। गौरतलब है कि कार्ल मार्क्स ने एक ओर जहां हीगल के द्वन्द्वात्मक विचारों का समर्थन किया तो वहीं दूसरी ओर हीगल के मूल सिद्धांतों को अस्वीकार भी किया। मार्क्स का मानना था कि हीगल के मूल विचार केवल द्वंद्वात्मक भौतिक तत्वों के लिए ही उपर्युक्त थे।

मार्क्सवाद की प्रमुख विशेषताएं

मार्क्सवाद के कारण विश्व के स्वरूप में कई क्रांतिकारी परिवर्तन आए। मार्क्सवाद पूंजीवाद के विरोध की एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके अंतर्गत पूंजीवाद की नीतियों का खंडन होता है। यह पूंजीवाद व्यवस्था को पूर्ण तरीके से समाप्त करने हेतु हिंसात्मक साधनों का प्रयोग करता है। केवल इतना ही नहीं मार्क्सवाद के कारण दलित, निम्न वर्गीय लोगों एवं श्रमिकों को समानता का अधिकार प्राप्त होता है जिससे समाज में उनके साथ हो रहे शोषण का अंत होता है। मार्क्सवाद समाज में पूर्ण रूप से धर्म विरोधी तत्व की भांति कार्य करता है जो मानव जाति के लिए बेहतर माना जाता है।

मार्क्सवाद की आलोचना

मार्क्सवाद की आलोचना विभिन्न लोकतांत्रिक समाजवादी एवं सामाजिक लोकतंत्र द्वारा अलग-अलग समय में की गई। कई राजनीतिक विचारधारा एवं अकादमिक विषयों द्वारा मार्क्सवाद में आंतरिक सामंजस्य की कमी एवं ऐतिहासिक भौतिकवाद को दर्शाया गया। मार्क्सवाद में व्यक्तिगत अधिकारों में होने वाले खंडन, सामाजिक एवं आर्थिक मुद्दों में कुछ कमियां पायी गई जिसके कारण मार्क्सवाद की समालोचना भी की गई। इसके अलावा मार्क्सवाद में होने वाले ऐतिहासिक भौतिकवाद एवं मूल्य के श्रम सिद्धांतों में भी कमी पाई गई जिसके कारण सामाजिक रुप से मार्क्सवाद को अस्वीकार किया गया।

मार्क्सवादी इतिहास

मार्क्सवादी इतिहास मजदूर वर्ग एवं उत्पीड़ित राष्ट्र की कार्यप्रणाली को दर्शाता है। मार्क्सवाद को ऐतिहासिक सिद्धांतों के अनुरूप एक उपकरण के रूप में देखा जा सकता है। मार्क्सवादी इतिहास मुख्यतः पांच सूत्रों पर आधारित है तथ्य, तिथियां, घटनाएं, साम्राज्य एवं मनोगत प्रभाव। मार्क्सवाद की पद्धति में ऐतिहासिक विकास के नियमों एवं वैज्ञानिक नियमों का पालन नहीं किया जा सकता है जिसके कारण इसे भाववाद के नाम से भी जाना जाता है। मार्क्सवाद में कई साम्राज्य के उत्थान एवं पतन का वर्णन होता है जो समाज में घटना के स्थान एवं तिथियों के एक क्रम प्रस्तुत करता है। मार्क्सवाद ने दुनिया के इतिहास को कई चरणों में विकसित होते हुए दर्शाने का कार्य किया है जिसके कारण मार्क्सवाद को भौतिकवादी इतिहास के दृष्टिकोण से भौतिकवाद भी कहा जाता है। कार्ल मार्क्स ने अपने सिद्धांतों द्वारा इस बात को दर्शाने का प्रयास किया है कि विश्व में विकास ना तो सम्राटों के शौर्य से हुआ है और ना ही महापुरुषों के सिद्धांतों से।

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