मौलिक कर्तव्य क्या है (मौलिक कर्तव्य का अर्थ)

मौलिक कर्तव्य क्या है (मौलिक कर्तव्य का अर्थ)

मौलिक कर्तव्य क्या है (मौलिक कर्तव्य का अर्थ), मौलिक कर्तव्य कितने हैं, मौलिक कर्तव्यों का महत्व, 11 मौलिक कर्तव्य कौन-कौन से हैं, मौलिक कर्तव्य की आलोचनाएं आदि प्रश्नों के उत्तर यहाँ दिये गए हैं। fundamental duties in hindi, fundamental duties upsc in hindi, what are the 11 fundamental duties in hindi.

मौलिक कर्तव्य क्या है (मौलिक कर्तव्य का अर्थ)

मौलिक कर्तव्य वह आधारभूत कर्तव्य होते हैं जो व्यक्ति की उन्नति एवं देश व समाज की प्रगति के लिए अत्यंत आवश्यक होते हैं। साधारण शब्दों में कहा जाए तो किसी कार्य को करने के दायित्व को मौलिक कर्तव्य कहा जाता है। मौलिक कर्तव्य मुख्य रूप से व्यक्ति के विकास आदि कार्य से संबंधित होते हैं। भारतीय संविधान में जिस प्रकार सभी नागरिकों के लिए एक समान अधिकार का प्रावधान किया गया है ठीक उसी प्रकार नागरिकों के मौलिक कर्तव्य की भी विवेचना की गई है। यह देश के विकास के लिए बेहद जरूरी माना जाता है। मौलिक कर्तव्य देश की एकता एवं अखंडता की सुरक्षा करने के साथ-साथ देश के नागरिकों में राष्ट्रप्रेम की भावना को भी बढ़ावा देता है। भारतीय संविधान में मौलिक कर्तव्यों को मुख्य रूप से सोवियत संघ से लिया गया है। इसे भारतीय संविधान में सर्वप्रथम वर्ष 1976 में संविधान के 42 वें संशोधन अधिनियम के तहत जोड़ा गया था। भारत के संविधान में मौलिक कर्तव्यों का विवरण भाग अनुच्छेद 51 के भाग 4 में मिलता है।

मौलिक कर्तव्य कितने हैं

शुरुआत में अनुच्छेद 51 भाग (अ) के तहत कुल 10 मौलिक कर्तव्य को भारतीय संविधान में जोड़ा गया था। जिसके बाद वर्ष 2002 में 86 वें संविधान संशोधन अधिनियम की सूची में एक और मौलिक कर्तव्य को जोड़ा गया था। इस प्रकार भारतीय संविधान में कुल 11 मौलिक कर्तव्य शामिल है।

मौलिक कर्तव्यों का महत्व

भारतीय संविधान में अधिकारों एवं कर्तव्य में एक गहरा संबंध होता है। यह दोनों एक ही सिक्के के दो पहलू माने जाते हैं क्योंकि कर्तव्यों के बिना अधिकारों की मांग करना न्याय संगत नहीं होता है। महात्मा गांधी के विचार धाराओं के अनुसार व्यक्ति के अधिकारों का एकमात्र स्रोत वास्तव में कर्तव्य ही होते हैं और यदि कोई व्यक्ति अपने कर्तव्य का पालन नहीं करता है तो उसे किसी भी प्रकार के अधिकार की मांग करने की आवश्यकता नहीं होती। मौलिक कर्तव्य प्रत्येक नागरिकों के लिए प्रेरणा का स्रोत है जिससे नागरिकों में अनुशासन प्रियता को बढ़ावा मिलता है। इसके अलावा मौलिक कर्तव्यों को विभिन्न कार्यों में बेहद सहायक माना गया है जो कुछ इस प्रकार हैं:-

  • देश की प्रगति में सहायक
  • लोकतंत्र को सफल बनाने में सहायक
  • देश की संस्कृति की रक्षा एवं संरक्षण करने हेतु सहायक
  • देश की संप्रभुता एवं अखंडता की रक्षा करने में सहायक
  • नारियों का सम्मान
  • विश्व-बंधुत्व की भावना का विकास

देश की प्रगति में सहायक

मौलिक कर्तव्य देश के नागरिकों में देश प्रेम की भावना को जागृत करने का कार्य करते हैं जिससे देश की प्रगति की राह प्रशस्त होती है। मौलिक कर्तव्य के माध्यम से देश के नागरिकों से यह उम्मीद की जाती है कि वह संकट के समय में देश की सुरक्षा अपने पूरे तन-मन-धन से करें।

लोकतंत्र को सफल बनाने में सहायक

भारतीय संविधान में लोकतंत्र की एक अहम भूमिका होती है। भारतीय लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था मौलिक कर्तव्य के आधार पर सुदृढ़ होती है। माना जाता है कि मौलिक अधिकारों का लोकतंत्र को सफल बनाने में एक विशेष भूमिका होती है। जब देश के नागरिक लोकतांत्रिक संस्थाओं के आदर्शों का पालन करते हैं तो इससे लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था को बढ़ावा मिलता है।

देश की संस्कृति की रक्षा एवं संरक्षण करने हेतु सहायक

भारत देश में संयुक्त संस्कृति होने के कारण लगभग सभी राज्यों में विभिन्न प्रकार की प्रतिभाशाली परंपराओं का पालन किया जाता है। मौलिक कर्तव्य का पालन करने से देश में विभिन्न प्रकार की परंपरा को स्थापित करने एवं उनका संरक्षण करने में सहायता प्राप्त होती है जिससे देश की संस्कृति की रक्षा होती है। इसके अलावा मौलिक कर्तव्य का निर्वहन करने से देश की सांस्कृतिक एकता को भी बढ़ावा मिलता है।

देश की संप्रभुता एवं अखंडता की रक्षा करने में सहायक

माना जाता है कि मौलिक कर्तव्यों के कारण देश की संप्रभुता एवं अखंडता की रक्षा होती है। भारतीय संविधान में मौलिक कर्तव्यों द्वारा देश के नागरिकों को यह निर्देश दिया जाता है कि वह मुख्य रूप से देश की संप्रभुता एवं अखंडता की रक्षा करें एवं सच्ची निष्ठा से उसका पालन भी करें।

नारियों का सम्मान

देश के नागरिकों द्वारा मौलिक कर्तव्य का निष्ठापूर्वक निर्वाहन करने से समाज में महिलाओं को सम्मान प्राप्त होता है। केवल इतना ही नहीं मौलिक कर्तव्यों के कारण स्त्रियों की गरिमा में भी वृद्धि होती है। इससे समाज में लिंग संबंधी भेदभाव का अंत होता है जिससे देश में समानता का स्तर स्थापित होता है।

विश्व-बंधुत्व की भावना का विकास

मौलिक कर्तव्यों में देश के नागरिकों को सद्भावना के आदर्शों को बनाए रखने का निर्देश दिया गया है जिससे देश एवं विश्व में बंधुत्व की भावना का विकास होता है। इसके साथ ही मौलिक कर्तव्य में अहिंसा के मार्ग पर चलने का परामर्श भी दिया गया है।

11 मौलिक कर्तव्य कौन-कौन से हैं

भारतीय संविधान में 11 मौलिक कर्तव्य कुछ इस प्रकार हैं:-

  1. प्रत्येक नागरिक का यह कर्तव्य होगा कि वह भारत की संप्रभुता, एकता एवं अखंडता की रक्षा करके उसे अटूट बनाए रखें।
  2. देश के नागरिक भारतीय संविधान के सभी नियमों का पालन करें एवं उसके आदर्शों, संस्थाओं, राष्ट्रीय ध्वज एवं राष्ट्रगान का आदर करें।
  3. स्वतंत्रता हेतु राष्ट्रीय आंदोलनों को प्रेरित करने वाले उच्च आदर्शों का आंतरिक रुप से सम्मान करके राष्ट्रगान का आदर करें।
  4. प्रत्येक नागरिक का यह कर्तव्य होगा कि वह हर परिस्थिति में देश की रक्षा करने हेतु सदैव तत्पर रहें।
  5. प्रत्येक नागरिक सामाजिक संस्कृति की प्रतिभाशाली परंपराओं के महत्व को समझे एवं उसका निर्माण करें।
  6. भारत के सभी नागरिकों में समरसता भ्रातृत्व की भावना का निर्माण एवं विकास हो सके।
  7. वैज्ञानिक दृष्टिकोण से मानववाद एवं ज्ञानार्जन तथा सुधार की भावना का विकास करें।
  8. भारत के नागरिक प्राकृतिक पर्यावरण की रक्षा एवं उसको बढ़ावा देने का निरंतर प्रयास करें।
  9. प्रत्येक नागरिक का मुख्य रूप से यह कर्तव्य होगा कि वह सार्वजनिक संपत्ति को सुरक्षित रखने की चेष्टा करें।
  10. भारतीय संविधान के 86 वें संशोधन के अंतर्गत माता-पिता आपने 6 से 14 वर्ष के बच्चों को प्राथमिक शिक्षा प्रदान करें।
  11. व्यक्तिगत एवं सामूहिक गतिविधियों के लगभग सभी क्षेत्रों में प्रगति करने का निरंतर प्रयास करते रहें।

मौलिक कर्तव्य की आलोचनाएं

मौलिक कर्तव्यों की आलोचनाएं कुछ इस प्रकार की गई हैं:-

  • कुछ लोगों का मानना है कि मौलिक कर्तव्य केवल देश के नागरिकों के लिए है ना कि विदेशी मूल के नागरिकों के लिए।
  • मौलिक कर्तव्य में कई कार्य नैतिक कर्तव्य एवं नागरिक कर्तव्य होते हैं। जैसे स्वतंत्रता संग्राम के आदर्शों का सम्मान करना एक नैतिक कर्तव्य होता है परंतु राष्ट्रीय ध्वज एवं राष्ट्रीय गान का सम्मान करना एक नागरिक कर्तव्य है।
  • मौलिक कर्तव्य मुख्य रूप से भारतीय परंपराओं, धर्म, पौराणिक कथाओं आदि से संबंधित है।

पढ़ें – मौलिक अधिकार किसे कहते हैं

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