मुहावरे और लोकोक्ति में अंतर (लोकोक्ति और मुहावरे में अंतर)

मुहावरे और लोकोक्ति में अंतर (लोकोक्ति और मुहावरे में अंतर)

मुहावरे और लोकोक्ति में अंतर (लोकोक्ति और मुहावरे में अंतर) : मुहावरे क्या होते हैं, मुहावरों की विशेषताएं, लोकोक्तियां क्या होती हैं, लोकोक्तियों की विशेषताएं आदि यहाँ दिए गए हैं।

मुहावरे क्या होते हैं

मुहावरे वह कथन होते हैं जो सामान्य अर्थ को प्रकट ना करके किसी विशेष अर्थ को प्रकट करते हैं। यह ऐसे वाक्यांश होते हैं जो सामान्य अर्थ की तुलना में विशेष अर्थ को व्यक्त करने का कार्य करते हैं। मुहावरे के प्रयोग के कारण भाषा में विशेष प्रकार का बदलाव आता है जिससे भाषा जीवंत मुख्य रूप से प्रभावशाली होता है। इनके प्रयोग से भाषा में रोचकता, रंजकता, लालित्य एवं प्रवाह का गुण पैदा होता है। यह साधारण पदबंद से बहुत अलग होते हैं एवं इनके प्रयोग से भाषा की अभिव्यंजना शक्ति में वृद्धि होती है।

मुहावरे मुख्य रूप से भाषा एवं वाक्य को स्पष्ट एवं चित्रमय बनाते हैं। यह विशेष रूप से वाक्य को प्रभावशाली बनाने का कार्य करते हैं। मुहावरे किसी व्यक्ति के जीवन के अनुभव पर आधारित होते हैं। मुहावरों में प्रयुक्त होने वाले शब्द मुख्य रूप से शब्दों की खूबसूरती को प्रदर्शित करते हैं। यह ऐसे संगठित शब्दों का समूह होता है जिसका अर्थ व्यंगात्मक भी हो सकता है। मुहावरे किसी भी भाषा को रंगीन, सरस एवं जीवंत बनाने में सक्षम होते हैं। मुहावरों के माध्यम से भाषा गतिशील, प्रभावशाली एवं रोचक बन जाती है। ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी के अनुसार किसी भाषा की अभिव्यंजना के विशिष्ट रूप को मुहावरा कहा जाता है।

मुहावरों की विशेषताएं

मुहावरों की विशेषताएं निम्नलिखित हैं:-

  • मुहावरे स्वतंत्र वाक्य के रूप में प्रयुक्त नहीं किए जा सकते यह सदैव वाक्यांश के रूप में ही प्रयुक्त होते हैं।
  • प्रत्येक मुहावरे का अर्थ प्रसंग के अनुसार ही होता है।
  • मुहावरे के स्वरूप को किसी भी परिस्थिति में बदला नहीं जा सकता है। जैसे किसी वाक्य में ‘पानी पीने’ के स्थान पर ‘जल ग्रहण’ करना प्रयुक्त नहीं किया जा सकता।
  • मुहावरे के शब्दार्थ के कारण संपूर्ण वाक्य को ग्रहण किया जा सकता है।
  • मुहावरों के अर्थ में कभी भी परिवर्तन नहीं होता अतः उसका स्वरूप सदैव स्थिर रहता है।
  • मुहावरों का उपयोग सर्वदा संदर्भ में प्रसंग के अनुकूल ही किया जाता है।
  • मुहावरों के स्वरूप में समय एवं परिस्थिति के साथ-साथ हमेशा परिवर्तन होते रहता है।
  • अधिकतर मुहावरों का सीधा संबंध मानव शरीर या दैनिक चर्या से होता है।
  • मुहावरों में उपयोग किये जाने वाले शब्दों का अर्थ सीधा एवं सरल नहीं होता यह सदैव जटिल होता है।
  • मुहावरे हमारे कथन को रोचक बनाने का कार्य करते हैं।

20 प्रसिद्ध मुहावरे

  • “आग बबूला होना” अर्थात अत्यंत गुस्सा होना।
  • “अंगारे उगलना” अर्थात अत्यधिक क्रोधित होना।
  • “अंगूठा दिखाना” अर्थात किसी कार्य को करने से साफ इनकार करना।
  • “अक्ल पर पत्थर पड़ना” अर्थात बुद्धि से काम ना लेना।
  • “अगर मगर करना” अर्थात किसी कार्य को करने से बहाना बनाना।
  • “अंग अंग ढीला होना” अर्थात बहुत अधिक थक जाना।
  • “अंक भरना” या “अंग लगाना” अर्थात गले लगना या आलिंगन करना।
  • “अंधे की लकड़ी” अर्थात किसी व्यक्ति के जीने का एकमात्र सहारा।
  • “अक्ल घास चरने जाना” अर्थात बुद्धि का काम ना करना।
  • “अंत पाना” अर्थात किसी का भेद जानना।
  • “अपना सा मुंह लेकर रह जाना” अर्थात लज्जित होना।
  • “जहर का घूंट पीना” अर्थात क्रोध को अपने अंदर ही दबा देना।
  • “अपने मुंह मियां मिट्ठू पकाना” अर्थात अपनी प्रशंसा स्वयं करना।
  • “अपने पांव पर कुल्हाड़ी मारना” अर्थात अपनी हानि स्वयं करना।
  • “आंखें चुराना” अर्थात देख कर अनदेखा करना या सुन कर अनसुना करना।
  • “आंखें बिछाना” अर्थात लंबे समय से किसी का इंतजार करना।
  • “अपनी खिचड़ी अलग पकाना” अर्थात स्वार्थी होना या अलग रहना।
  • “आंखें दिखाना” अर्थात किसी को क्रोध की भावना से देखना।
  • “आंखों का तारा” अर्थात बहुत प्रिय होना।
  • “आंच ना आने देना” अर्थात हानि ना होने देना।

लोकोक्तियां क्या होती हैं

लोगों एवं समाज में प्रचलित कथन या उक्ति जो व्यापक लोक अनुभव पर आधारित होती हैं उन्हें लोकोक्तियां कहा जाता है। लोकोक्तियों में मुख्य रूप से लौकिक सामाजिक जीवन का अंत विद्यमान होता है। लोकोक्ति लोक + उक्ति शब्दों से मिलकर बना है। लोकोक्तियों की रचना कहानियों या चीर सत्य के आधार पर की जाती है। यह पूर्ण वाक्य होते हैं जिनमें अनेक प्रकार के सत्य निहित होते हैं। लोकोक्तियां जीवन यापन का एक महत्वपूर्ण अंग माने जाते हैं।

लोकोक्तियों की विशेषताएं

लोकोक्तियों की विशेषताएं निम्नलिखित हैं:-

  • लोकोक्तियों का प्रयोग मुख्य रूप से कथन की पुष्टिकरण करने के लिए किया जाता है।
  • लोकोक्तियां पूर्ण वाक्य कहलाती हैं।
  • यह मुख्य रूप से जीवन के अनुभव पर आधारित होती हैं।
  • इसका क्षेत्र सीमित होता है।
  • लोकोक्तियों की रचना आमतौर पर सीधे-सीधे शब्दों में या विलक्षण शब्दों में किया जाता है।
  • इसका प्रयोग समाज को सही मार्ग दिखाने के उद्देश्य से किया जाता है।
  • लोकोक्तियां धार्मिक एवं नैतिक उपदेश रूपी प्रवृत्ति के होते हैं जिसमें हादसे एवं मनोरंजन का भी उचित उपयोग किया जाता है।
  • लोकोक्ति के माध्यम से किसी जटिल वाक्य को भी सरलता एवं सहजता से कहा जा सकता है।
  • लोकोक्तियां समाज में धर्म एवं नैतिकता की राह को प्रसस्त करता है जिससे समाज में स्थिरता बनी रहती है। इसके अलावा यह समाज के प्रत्येक वर्ग को जोड़ने का भी कार्य करता है।
  • लोकोक्तियों में मुख्य रूप से सरल एवं समास शैली का प्रयोग किया जाता है।

20 प्रसिद्ध लोकोक्तियां

  • “अकेली मछली सारे तालाब को गंदा कर देती है” अर्थात एक दुष्ट व्यक्ति है पूरे समाज को दूषित कर देता है।
  • “अंधों में काना राजा” अर्थात गुणहीन व्यक्तियों में अधिक कम गुण वाला व्यक्ति।
  • “अब पछताए क्या होत जब चिड़िया चुग गई खेत” अर्थात उचित समय निकल जाने पर पछताने से कोई लाभ नहीं होता।
  • “अपनी गली में कुत्ता भी शेर होता है” अर्थात अपने घर में निर्बल व्यक्ति भी बलवान होता है।
  • “आ बैल मुझे मार” अर्थात जानबूझकर स्वयं के लिए मुसीबत मोल लेना।
  • “आम के आम गुठलियों के दाम” अर्थात दोहरा लाभ होना या अधिक लाभ होना।
  • “इधर कुआं उधर खाई” अर्थात दोनों ओर से संकट।
  • “एक हाथ दे एक हाथ ले” अर्थात लेना और देना।
  • “ईश्वर की माया कहीं धूप कहीं छाया” अर्थात विधाता की विचित्रता।
  • “ऊंची दुकान फीका पकवान” अर्थात प्रदर्शन अधिक एवं वास्तविकता कम।
  • “उल्टा चोर कोतवाल को डांटे” अर्थात अपराधी का निर्दोष व्यक्ति पर हावी होना।
  • “एक अनार सौ बीमार” अर्थात वस्तु का कम होना एवं मांग की अधिकता होना।
  • “एक हाथ से ताली नहीं बजती” अर्थात लड़ाई झगड़ा केवल एक पक्ष से नहीं होता।
  • “एक तो चोरी ऊपर से सीना जोरी” अर्थात अपराधी होकर भी अकड़ना।
  • “एक म्यान में दो तलवार नहीं रह सकती” अर्थात एक ही स्थान पर दो समान गुणों वाले व्यक्ति नहीं रह सकते।
  • “रस्सी जल गई मगर बल नहीं गया” अर्थात कुछ ना होकर भी घमंड करना।
  • “कहां राजा भोज कहां गंगू तेली” अर्थात दो व्यक्तियों के बीच में गहरा अंतर होना।
  • “काठ की हांडी बार-बार नहीं चढ़ती” अर्थात चालाकी से केवल एक ही बार काम निकाला जा सकता है।
  • “कौवा चला हंस की चाल” अर्थात दूसरों की नकल करना।
  • “एक पंथ दो काज” अर्थात एक ही कार्य से दोहरा लाभ होना।

मुहावरे और लोकोक्तियां में अंतर

मुहावरे और लोकोक्तियां में निम्न प्रकार के अंतर देखे जा सकते हैं:-

  • मुहावरे वाक्यांश होते हैं जिसके कारण इनका स्वतंत्र रूप से उपयोग नहीं किया जा सकता परंतु लोकोक्तियां वाक्यांश नहीं होती हैं जिसके कारण इनका प्रयोग स्वतंत्र रूप से किया जा सकता है।
  • किसी वाक्य में मुहावरे का उपयोग केवल गद्य के रूप में ही किया जाता है परंतु लोकोक्तियों में गद्य एवं पद्य दोनों के रूप निहित हो सकते हैं।
  • मुहावरों में उपयोग किए जाने वाले वाक्य लाक्षणिक एवं व्यंग्यात्मक शैली के होते हैं जबकि लोकोक्तियों में लाक्षणिक एवं व्यंग्यात्मक शैली का उपयोग नहीं किया जाता है।
  • मुहावरे अपने रूढ़िवाद अर्थ के लिए प्रसिद्ध होते हैं परंतु लोकोक्तियां लोक में प्रचलित उक्ति होती है जो प्राचीन काल का अनुभव कराती है।
  • मुहावरों में शब्दों की प्रबलता होती है जिसके कारण उसे रूपांतरित नहीं किया जा सकता है परंतु लोकोक्तियों का रूपांतरण किसी भी भाषा में किया जाना संभव होता है।
  • मुहावरे वाक्यांश होते हैं अर्थात इनमें उद्देश्य एवं विधेय की उपस्थिति होना अनिवार्य नहीं होता परंतु लोकोक्तियां पूर्ण वाक्य होती है जिसमें उद्देश्य एवं विधेय की उपस्थिति अनिवार्य रूप से होती है।

पढ़ें – मुहावरे और कहावतें