मसूरी गोली कांड

मसूरी गोली कांड

मसूरी गोली कांड : मसूरी गोली कांड (Mussoorie Goli Kand) की घटना 2 सितम्बर, 1994 को देहरादून जिले के मसूरी में हुई थी। खटीमा गोली कांड के ही प्रतिफल में मसूरी गोली-काण्ड हुआ। मसूरी गोली कांड की घटना खटीमा गोली-काण्ड 1 सितम्बर, 1994 के दुसरे दिन 2 सितम्बर, 1994 को मसूरी में हुई। इस घटना में भी पुलिस ने खटीमा गोली कांड की तरह अपनी बर्बरता का परिचय दिया।

2 सितम्बर, 1994 को मंसूरी में खटीमा गोली काण्ड के विरोध प्रदर्शन करने के लिए लोग एकत्रित हुई। जो शांतिपूर्ण तरीकें से खटीमा गोली काण्ड का विरोध कर रहे थे। प्रशासन से बातचीत करने गई दो सगी बहनों को पुलिस ने गोली मार दी।

इस क्रूर घटना का विरोध करने पर पुलिस द्वारा अंधाधुंध फायरिंग कर दी गई, जिसमें कई लोगों को गोली लगी और इसमें से तीन आन्दोलनकारियों की अस्पताल में मृत्यु हो गई। लेकिन जनता ने भी इसका विरोध प्रदर्शन जारी रखा और जनता भी हिंसक हो गई।

इस जनसेलाव को रोकने के लिए पुलिस को पी.ए.सी. बुलानी पड़ी, लेकिन जनता ने पुलिस व पी. ए. सी. भी हमला कर दिया। जिसमे कई पुलिसकर्मी घायल भी हुए और पुलिस उपाधीक्षक उमाकांत त्रीपाठी की मौत हो गई।

मसूरी गोलीकांड में शहीद हुए आंदोलनकारी

  • अमर शहीद स्व० बेलमती चौहान
  • अमर शहीद स्व० हंसा धनई
  • अमर शहीद स्व० बलबीर सिंह
  • अमर शहीद स्व० धनपत सिंह
  • अमर शहीद स्व० मदन मोहन ममगई
  • अमर शहीद स्व० राय सिंह बंगारी

इन दो घटनाओं ने देश के सम्मुख उत्तराखंड को पृथक राज्य बनाने की मुहीम में, आग में घी डालने का काम किया। इन घटनाओ के विरोध में उत्तराखंड से लेकर दिल्ली तक काफी जनसभाए आयोजित हुईं। इन शहीदों के लहू से ही आज उत्तराखंड को एक पृथक् राज्य का दर्जा प्राप्त हुआ है।

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