नगर पालिका क्या है - नगर पालिका किसे कहते हैं

नगर पालिका क्या है – नगर पालिका किसे कहते हैं

नगर पालिका क्या है (नगर पालिका किसे कहते हैं), नगर पालिका के कार्य, नगर निगम और नगर पालिका में अंतर, नगर पालिका में कितने विषय हैं, नगर पालिका के नियम, नगर पालिका के अधिकार, नगर पालिका और नगर पंचायत में अंतर आदि प्रश्नों के उत्तर यहाँ दिए गए हैं।

नगर पालिका क्या है (नगर पालिका किसे कहते हैं)

नगरपालिका वह प्रशासनिक इकाई होती है जिसमें एक परिभाषित क्षेत्र एवं उस क्षेत्र की जनसंख्या अंकित होती है। नगर पालिका को आमतौर पर एक शहर या कस्बे के रूप में जाना जाता है। एक नगर पालिका का निर्माण बीस हज़ार या उससे अधिक आबादी वाले क्षेत्रों को मिलाकर किया जाता है। नगरपालिका मुख्य रूप से एक शहर, गांव एवं छोटे समूह के रूप में होती है। हर नगर पालिका में एक प्रशासनिक अधिकारी की नियुक्ति होती है जो नगर परिषद एवं नगर पालिका परिषद को नियंत्रित करने का कार्य करते हैं।

नगर पालिका के कार्य

नगर पालिका का मुख्य कार्य समय-समय पर सार्वजनिक सेवाओं की आपूर्ति करना होता है जैसे जल आपूर्ति, बिजली आपूर्ति, अग्नि सुरक्षा, स्वास्थ्य सेवाएं आदि। इसके अलावा नगर पालिका की राज्य के प्रति कई और जिम्मेदारियां भी होती हैं जो कुछ इस प्रकार हैं:-

  • नगर पालिका का प्रथम कार्य शिक्षा से संबंधित सभी कार्यक्रमों को व्यवस्थित करना होता है। यह नगर में प्राथमिक शिक्षा का उचित प्रबंध करने का कार्य भी करता है जिसके माध्यम से प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था को बेहतर ढंग से स्थापित किया जाता है। इसके अलावा नगरपालिका पर जूनियर हाई सेकेंडरी विद्यालयों एवं प्राथमिक विद्यालयों की स्थापना करने का दायित्व भी होता है। इसके अलावा नगर पालिका विद्यालय, बगीचों एवं मनोरंजन की भी व्यवस्था करता है जिससे विद्यार्थियों को प्रोत्साहन मिलता है।
  • नगर पालिका का दूसरा प्रमुख कार्य सार्वजनिक स्थानों, सड़कों एवं गलियारों की साफ-सफाई करना भी होता है। नगर पालिका को यह अधिकार होता है कि वह नगर की स्वच्छता हेतु नियमों को लागू कर सकते हैं।
  • नगरपालिका का दायित्व होता है कि वह प्रदेश में स्वास्थ्य हेतु चिकित्सालयों की व्यवस्था करें। चिकित्सालय के माध्यम से नगर में मुफ्त दवाओं का वितरण भी किया जाता है जिससे प्रदेश में स्वास्थ्य व्यवस्था सुचारू रूप से स्थापित हो सके। इसके अलावा नगरपालिका का यह भी दायित्व होता है कि वह संक्रामक रोगों की रोकथाम हेतु टीकाकरण की व्यवस्था समय पर पूर्ण करें। केवल इतना ही नहीं नगर पालिका द्वारा किसी बीमारी के रोकथाम हेतु समय-समय पर टीकाकरण अभियान भी चलाया जाता है जिससे संक्रमण को रोका जा सकता है।
  • शहर में शुद्ध पेयजल की उपलब्धि कराने का कार्य भी नगरपालिका का ही होता है। पेयजल की व्यवस्था करने से शहर के विभिन्न स्थानों में समय-समय पर पानी की आपूर्ति की जाती है।
  • नगरपालिका का कार्य होता है कि वह एक शहर, नगर या कस्बे की जनसंख्या की पूरी निगरानी करें। इसके अंतर्गत जन्म-मरण का पूरा लेखा-जोखा रखा जाता है जिससे शहर की जनसंख्या की गणना की जाती है।
  • नगर पालिका शहर में भवन के निर्माण की अनुमति प्रदान करता है। नगरपालिका का कार्य होता है कि वह भवनों के नव निर्माण का निरीक्षण एवं परीक्षण करें जिससे भवन का निर्माण सही ढंग से हो सके एवं नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।
  • नगरपालिका का यह भी दायित्व होता है कि वह मंडी एवं बाजार हेतु बेहतर व्यवस्था करें। मंडी की व्यवस्था करने का मुख्य उद्देश्य किसानों को आर्थिक रुप से लाभ पहुंचाने एवं बाजार के व्यवस्था को बनाए रखने का होता है।

नगरपालिका उपरोक्त सभी कार्य करके अपने शहरों का विकास करती है जिससे राज्य की व्यवस्था बनी रहती है। साथ ही साथ किसी आकस्मिक परिस्थिति में भी नगर पालिका अपनी भूमिका बेहतर ढंग से निभाती है जिसके द्वारा नागरिकों की जान-माल की सुरक्षा होती है।

नगर निगम और नगर पालिका में अंतर

नगर निगम एवं नगर पालिका के अंतर निम्नलिखित हैं:-

नगर निगम

  • नगर निगम का संबंध उन क्षेत्रों से है जहां की जनसंख्या लगभग दस लाख के आसपास होती है। भारत में जनसंख्या के स्तर में वृद्धि होने के कारण शहरीकरण करने हेतु नगर निगम की आवश्यकता होती है। यह एक ऐसी इकाई होती है जो राज्य सरकार को आर्थिक रूप से लाभ पहुंचाने का कार्य करती है।
  • भारत में नगर निगम बड़े स्तर पर शहरीकरण करके नागरिकों को विभिन्न प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध कराने का कार्य करती हैं। इसके अंतर्गत आवश्यक सेवाएं, चिकित्सालय, आवासीय परिवहन आदि की सुविधा को आम जनता तक मुहैया कराए जाने का प्रावधान किया जाता है।

नगर पालिका

  • नगर पालिका एक शहरी स्थानीय निकाय है जिसके अंतर्गत लगभग एक लाख वाले आबादी के क्षेत्रों की व्यवस्था की जाती है। जिन शहरों की जनसंख्या एक लाख से अधिक होती है तो उन शहरों को नगर पालिका घोषित किया जाता है। ध्यान देने योग्य बात है कि नगर पालिका के अंतर्गत कुछ ऐसे शहर भी हैं जिनकी जनसंख्या एक लाख से कम होती है।
  • एक लाख से कम आबादी वाले शहरों के जिन क्षेत्रों में पंचायती राज व्यवस्था होती है अथवा जिनका शहरीकरण पहले से ही हो चुका हो तो ऐसे क्षेत्रों को भी नगरपालिका के अधीन माना जाता है।
  • नगर पालिका का संबंध मुख्य रूप से राज्य सरकार से होता है। इसके अंतर्गत हर प्रशासनिक मामलों में राज्य सरकार की भी परस्पर भूमिका होती है। भारत का संविधान हर राज्य को यह अधिकार प्रदान करता है कि वह एक लाख से कम या अधिक आबादी वाले क्षेत्रों में नगरपालिका का निर्माण करें।

नगर पालिका में कितने विषय हैं

भारत के संविधान की 12वीं अनुसूची में नगरपालिका के 18 विषय दिए गए हैं जिन पर विधि बनाने हेतु नगर पालिकाओं को अनेकों शक्तियां प्रदान की गई है। नगरपालिका के 18 विषय कुछ इस प्रकार हैं:-

  • नगर पालिका का सर्वप्रथम कार्य होता है कि वह नगर के विकास हेतु नई योजनाओं का निर्माण करें एवं उसे समय पर लागू करें।
  • नगर पालिका समाज के निम्न वर्ग के लोगों के हितों की रक्षा करने का कार्य करती हैं।
  • यह शहर में बिजली व्यवस्था, पेयजल व्यवस्था, सड़कों आदि को सुचारू रूप से चलाने का कार्य करती है।
  • नगर पालिका का दायित्व होता है कि वह शहर में विद्यालय, चिकित्सालय, पार्क, खेल के मैदान आदि की सुविधा उपलब्ध कराएं।
  • यह जनगणना हेतु जन्म एवं मृत्यु से संबंधित सभी जानकारियों को एकत्रित करने का कार्य करती है।
  • नगर पालिका का कार्य होता है कि वह सार्वजनिक भवनों का सही ढंग से निर्माण कराएं एवं भूमि पर अनधिकृत कब्जे की रोकथाम करें।
  • नगरपालिका का सड़क, पाइपलाइन, एवं पुल का निर्माण कराने में भी एक बड़ी भूमिका होती है।
  • नगरपालिका का कार्य होता है कि वह शहर में बूचड़खानों एवं शोधनालयों का समय-समय पर निरीक्षण करें।
  • नगर पालिका सार्वजनिक भवनों की देखरेख करने का भी कार्य करती हैं। इसके अलावा यह शहर से उत्सर्जित हुए कूड़े का भी उचित प्रबंधन करती हैं।
  • नगरपालिका का दायित्व होता है कि वह मलिन बस्तियों एवं वंचित लोगों के बीच स्वास्थ्य सेवाओं को सुचारू रूप से पहुंचाए एवं उनका विकास करें।
  • यह शहर में अग्निशमन (Firefighting) सेवाओं को उपलब्ध कराने का कार्य भी करती है जिसके द्वारा समय पर आग पर नियंत्रण पाकर एक बड़े हादसे को टाला जा सके।
  • नगरपालिका शहर में आवारा पशुओं के लिए आवास की व्यवस्था करती है जिसका उद्देश्य आवारा पशुओं की देखरेख करना होता है।
  • नगरपालिका शहर की सामाजिक एवं आर्थिक विकास की योजना बनाने का कार्य करती है जिसके माध्यम से कमजोर वर्ग के नागरिकों को सहायता मिलती है।
  • यह शहर में जल व्यवस्था को दुरुस्त करने का कार्य करती है जिसके माध्यम से पेयजल को शहर के हर क्षेत्र में पहुंचाया जाता है।
  • नगर पालिका विभिन्न योजनाओं का निर्माण करके शहरी गरीबी को खत्म करने की दिशा में कार्य करती है।
  • नगरपालिका शवदाह हेतु विद्युत शवदाह गृह एवं शव हेतु जमीन की उचित व्यवस्था कराने का कार्य भी करती है।
  • नगरपालिका का दायित्व होता है कि वह शहर में पर्यावरण संरक्षण हेतु पेड़-पौधे लगवाए एवं उनको बढ़ावा दें।
  • नगरपालिका शहर में शिक्षा व्यवस्था, सांस्कृतिक एवं सुंदरीकरण के कार्यों को बढ़ावा देने का कार्य भी करती है।

नगर पालिका का गठन

भारत में नगरपालिका की शुरुआत सन 1687 में हुई थी। माना जाता है कि भारत में नगर पालिका की नींव वाइसराय ‘लॉर्ड रिपन’ ने रखी थी। नगर पालिका का गठन सर्वप्रथम मद्रास में हुआ था जिसके बाद सन 1726 में मुंबई एवं कोलकाता में भी नगर पालिका का गठन किया गया था। 19 वीं सदी के प्रारंभिक काल में भारत के लगभग सभी राज्यों में नगर पालिका की स्थापना पूर्ण की जा चुकी थी।

भारत में प्रत्येक नगरपालिका क्षेत्रों को अलग-अलग वार्ड में विभाजित किया जाता है जिसमें हर एक वार्ड के लिए एक प्रतिनिधि का चुनाव किया जाता है। इस प्रक्रिया के माध्यम से पार्षद का चयन किया जाता है। वार्ड का प्रतिनिधित्व करने वाले व्यक्ति को पार्षद या सभासद के नाम से जाना जाता है। यह वार्ड प्रतिनिधि आपसी सहयोग द्वारा सभा की आवश्यकता हेतु एक अध्यक्ष का चयन करते हैं जिसे चेयरमैन या महापौर (मेयर) कहा जाता है।

नगर पालिका के अधिकार

शहर के विकास हेतु नगर पालिका के पास विभिन्न प्रकार के अधिकार होते हैं। माना जाता है कि नगर पालिका देश के संविधान के सिद्धांतों पर आधारित है। नगर पालिका के अधिकार सीधे तौर पर नागरिकों से जुड़े हुए होते हैं। इनके पास सभी सरकारी योजनाओं को स्वीकृति देने का अधिकार होता है जिसका लाभ देश के हर नागरिक को सामान्य रूप से मिलता है। नगर पालिका देश की नीतियों का निर्माण करने एवं निर्वाहन करने का कार्य बड़ी कुशलता से करते हैं। नगर पालिका शहर में बिजली, पेयजल, सड़क, भवन के निर्माण आदि कार्यों की निगरानी कर उन्हें स्वीकृति प्रदान करते हैं। यह देश के साथ-साथ ग्रामीण इलाकों को भी विकसित करने में एक बड़ी भूमिका निभाते हैं।

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नगर पालिका और नगर पंचायत में अंतर

जैसा कि हमने आपको ऊपर बताया कि नगरपालिका एक स्थानीय स्वशासन की मध्यम श्रेणी होती है जो नगर पंचायत से बड़ी एवं नगर निगम से छोटी होती है। नगर पंचायत के अंतर्गत उन क्षेत्रों में परिवर्तन किए जाते हैं जिनकी जनसंख्या तीस हज़ार से कम होती है। इसके अलावा नगर पंचायत वाले क्षेत्रों में परिवर्तन करके नगर पालिका परिषद की स्थापना की जाती है। यह परिवर्तन मुख्य रूप से पंचायती राज प्रशासनिक व्यवस्था के अंतर्गत किया जाता है।