नवजागरण क्या है : नवजागरण क्या है, भारतीय नवजागरण का जनक, भारतीय नवजागरण का इतिहास, भारतीय नवजागरण की विशेषताएं बताइए, नवजागरण की समस्या, नवजागरण आंदोलन, नवजागरण और पुनर्जागरण में अंतर, नवजागरण पुनर्जागरण एवं आधुनिकता में अंतर आदि प्रश्नों के उत्तर यहाँ दिए गए हैं।
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नवजागरण क्या है
19 वीं सदी में भारत में एक नवचेतना का आरंभ हुआ जिससे देश में धार्मिक, आर्थिक व सामाजिक जीवन शैली अत्यधिक प्रभावित हुई। इस नवीन चेतना को ‘नवजागरण’ या ‘रेनेसां’ (Renaissance) के नाम से जाना जाता है। गौरतलब है कि भारत एवं यूरोपीय देशों में नवजागरण शब्द की धारणा अलग–अलग है। यूरोपीय देशों में नवजागरण का तात्पर्य कला, साहित्य एवं ज्ञान को पुनः जागृत करने से है। मगर भारत में नवजागरण का अर्थ प्राचीन भारत को दोबारा जागृत करने से है।
नवजागरण के कारण भारत के निवासियों में देशप्रेम एवं समाज सुधार की भावना ने जन्म लिया जिसके कारण भारत की जनता में आंदोलन की मांग उठने लगी। नवजागरण ने भारत में सामाजिक, धार्मिक एवं राजनीतिक परिवर्तन किए, जिसके परिणामस्वरूप भारत में शिक्षा के क्षेत्र सुगम हुए एवं भारत को स्वतंत्रता प्राप्त हुई।
भारत में नवजागरण का मुख्य कारण भारतीय संस्कृति और सभ्यता का प्रसार एवं प्रचार करना था। मुस्लिम आक्रांताओं और ब्रिटिश शासन के कारण भारतीय संस्कृति और सभ्यता का काफी ह्रास हुआ, जिस कारण भारतीयों में नवजागरण की धारणा का जन्म हुआ। नवजागरण के अंतर्गत भारत में कई स्वतंत्रता आंदोलनों का संचार हुआ जिसके परिणामस्वरूप लगभग 200 वर्षों (1757–1947) के बाद भारत देश अंग्रेजों की गुलामी से मुक्त हो सका।
भारतीय नवजागरण का जनक
राजा राममोहन राय को भारतीय नवजागरण का जनक माना जाता है। राजा राम मोहन राय सच्चे देशभक्त होने के साथ-साथ उच्च कोटि के विद्वान भी थे। उनका जन्म 22 मई सन् 1772 में बंगाल में हुगली जिले में हुआ था। राजा राम मोहन राय ने सर्वप्रथम भारतीय समाज में धर्म की स्थापना एवं सामाजिक बुराइयों को दूर करने के लिए बहुत संघर्ष किए थे। राजा राम मोहन राय को धार्मिक पुनर्जागरण का भी जनक कहा जाता है। उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम एवं पत्रकारिता के क्षेत्र में भी कुशल योगदान दिया, जिसके कारण उनकी ख्याति और अधिक बढ़ गई। राजा राम मोहन राय ने सन् 1828 में कलकत्ता में ब्रह्म सभा नामक संस्था की स्थापना की जिसे बाद में ब्रह्म समाज के नाम से जाना जाने लगा।
भारतीय नवजागरण का इतिहास
भारत में सन् 1857 में हुए स्वतंत्रता संग्राम के बाद से ही नवजागरण की शुरुआत हो गई थी। भारतीय नवजागरण ने एक नैतिक शक्ति के रूप में कार्य किया जिसके कारण भारतीय समाज में धर्म की स्थापना हुई। भारतीय नवजागरण के कारण शिक्षा, भाषा, व्याकरण, कला, आदि के क्षेत्र में भी बदलाव आने शुरू हो गए, जिसके बाद भारतीय नवजागरण को भारतेंदु युग नाम से भी जाना जाने लगा। धीरे-धीरे भारत में नवजागरण का प्रभाव बढ़ता गया जिसके कारण देश की आर्थिक क्षेत्र में भी परिवर्तन आने लगे। इस कारण भारत को राजनीतिक स्वतंत्र भी प्राप्त हुई।
भारतीय नवजागरण की विशेषताएं बताइए
- भारतीय नवजागरण की मुख्य विशेषता देश की जनता में स्वतंत्रता की भावना को जागृत करना था। इससे लोगों में राष्ट्र के प्रति प्रेम की भावना विकसित हो पायी जिसके फलस्वरूप लोगों ने स्वतंत्रता आंदोलन में बढ़-चढ़ के हिस्सा लिया और देश को आजाद कराया। इसके अलावा नवजागरण के कारण सामाजिक व धार्मिक क्षेत्र में तरह-तरह के आंदोलन भी हुए जिसके कारण लोगों को जागरूक करने में मदद मिली।
- भारतीय नवजागरण के कारण ब्रिटिश शासन का प्रभाव सभी वर्ग के लोगों के लिए बेहद प्रलयकारी बन गया था। दरअसल, ब्रिटिश सरकार ने भारत की व्यापार नीति का खण्डन कर देशी उद्योग एवं कारखानों पर अंकुश लगा दिया था, जिससे अचानक ही हजारों की संख्या में लोग बेरोजगार हो गए। इसके परिणामस्वरूप भारत की जनसंख्या में ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध असंतोष की भावना ने जन्म लिया। यह भारतीय नवजागरण के दृष्टिकोण से एक सकारात्मक बदलाव था।
- भारतीय नवजागरण के कारण अंग्रेजी हुकूमत की भेदभावपूर्ण नीति का अंत हुआ। ब्रिटिश सरकार भारतीय मूल निवासियों के साथ पूर्ण रूप से पक्षपात किया करती थी। यही नहीं ब्रिटिश प्रशासन में कार्यरत अंग्रेजों को उच्च वेतन प्रदान किया जाता था परंतु इसके विपरीत भारतीय कर्मचारियों को कम वेतन दिया जाता था। ब्रिटिश सरकार की इस कृतियों से भारतीय लोगों में असंतोष की भावना उत्पन्न हो गई जिसका उन्होंने विद्रोह शुरू कर दिया।
- ब्रिटिश सरकार ने अपनी सुविधा हेतु भारत में रेल मार्ग, डाक सेवा, बिजली एवं पानी के संचार के साधनों में विकास किया था। इसके अलावा अंग्रेजों ने यातायात के साधनों का भी मार्ग प्रशस्त किया जो आगे चलकर राष्ट्र को प्रगति की ओर ले गया। भारत में नवजागरण के कारण सम्पूर्ण देशवासियों को इसका लाभ मिला।
- भारतीय नवजागरण ने भारत में पश्चिमी शिक्षा के प्रचार एवं प्रसार को महत्व दिया। ब्रिटिश सरकार ने अपनी निजी स्वार्थ के लिए भारत में पाश्चात्य शिक्षा का प्रसार किया था। परंतु नवजागरण के बाद भारत के लोगों में शिक्षा के प्रति मनोवृत्ति में भी परिवर्तन आने लगा। भारतीय नवजागरण के कारण भारत में अंग्रेजी शिक्षा के महत्व को बढ़ावा मिला जो आगे चलकर भारत की शिक्षा प्रणाली के लिए एक वरदान साबित हुआ।
नवजागरण की समस्या
19वीं सदी के आरंभ में नवजागरण ने समाज में शोषण एवं अन्याय पर आधारित वर्ण व्यवस्था की अनैतिक संस्कृति को जन्म दिया, जिसके कारण राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्र प्रभावित हुए। नवजागरण के कारण जहां एक और समाज में व्यवस्थित नीतियों को अपनाया जाता था तो वहीं दूसरी ओर धर्म, जाति एवं संप्रदाय के क्षेत्र में भेदभाव की भावना का विकास भी होने लगा था। नवजागरण में भेदभाव की समस्या में वृद्धि होती गई जिसके कारण समाज में सांस्कृतिक परंपरा का मूल्यांकन करना और भी कठिन हो गया।
नवजागरण आंदोलन
नवजागरण आंदोलन में बंगाल एवं महाराष्ट्र विशेष रूप से नवजागरण आंदोलन के केंद्र रहे, जहां स्त्रियों और दलितों की स्थिति में सुधार के लिए अनेक सामाजिक आंदोलन चलाए गए। कई समाज सुधारकों ने स्त्रियों की स्थिति में सुधार के लिए शिक्षा, विधवा विवाह एवं पैतृक संपत्ति में स्त्री के कानूनी अधिकार का समर्थन किया। विवाह संस्कार को बुरा बनाने वाले कुरीतियों जैसे बाल विवाह, दहेज प्रथा, कुलीन विवाह एवं बहु विवाह का भी डटकर विरोध किया गया। दलितों की स्थिति के सुधार के लिए ज्योतिबा फूले एवं अंबेडकर का योगदान अविस्मरणीय रहा। ज्योतिबा फुले ने ब्राह्मणवाद के विरोध में ना केवल सत्यशोधक समाज की स्थापना की, बल्कि अपनी पत्नी सावित्रीबाई फुले के साथ मिलकर बाल विधवाओं एवं परिवार से तिरस्कृत स्त्रियों को चेतन एवं आत्मनिर्भर बनाने के लिए सन 1853 में ‘बाल विधवा प्रसूति गृह’ एवं सन 1863 में अनाथालय की नींव भी रखी।
नवजागरण आंदोलन के अंतर्गत स्त्री मुक्ति की विचारधारा को समर्थन दिया गया परंतु सामाजिक दृष्टि से इसके परिणाम में कोई बदलाव नहीं आ सका। कई समाज सुधारक मुक्ति के नाम पर स्त्रियों को केवल सहानुभूति दिया करते थे जिसके फलस्वरूप स्त्रियों की स्थिति में कोई बदलाव नहीं आया। नवजागरण आंदोलन का मुख्य कारण समाज में स्त्रियों को शिक्षित करना था। समाज सुधारकों एवं साहित्यकारों के बीच स्त्री शिक्षा के मुद्दे को लेकर कई बार बहस छिड़ी परंतु इसका कोई निष्कर्ष नहीं निकल सका।
सन 1870 में रची गई देवरानी जेठानी की कहानी एवं सन 1887 में रची गई उपन्यास भाग्यवती की कहानियों के अनुसार स्त्रियों को केवल सिलाई-बुनाई-कढ़ाई, गृह विज्ञान, छंद रचना, पाठ्य कला, भूगोल एवं प्रारंभिक गणित विषयों की ही स्वीकृति दी गई। यह विषय स्त्रियों को देश का चेतन नागरिक बनाने के लिए पर्याप्त नहीं है।
नवजागरण और पुनर्जागरण में अंतर
नवजागरण का अर्थ होता है नई चेतना एवं पुनर्जागरण का अर्थ होता है पुनर्जन्म। नवजागरण का संबंध धार्मिक, सांस्कृतिक, सामाजिक एवं राजनीतिक जागरण से है जिसमें धार्मिक प्रगति या आंदोलन के कारण नई चेतना जागृत हुई हो। पुनर्जागरण का संबंध एक सभ्यता से है जो किसी देश की धार्मिक सभ्यता के पुनर्जन्म को दर्शाता है।
नवजागरण, पुनर्जागरण एवं आधुनिकता में अंतर
नवजागरण से तात्पर्य एक नई चेतना या नए विचार से है जिसके कारण देश में आर्थिक, धार्मिक राजनीतिक एवं सामाजिक बदलाव लाया जा सकता हो। नवजागरण को नई चेतना का उदय भी कहा जा सकता है जो सामाजिक जीवन को अत्यधिक प्रभावित करता है।
धार्मिक, सांस्कृतिक, आंदोलन एवं युद्ध में प्रगति करने को पुनर्जागरण कहते हैं। पुनर्जागरण के कारण प्रत्येक क्षेत्र में नई चेतना का आगमन होता है। पुनर्जागरण के युग में शिक्षा, कला, विज्ञान, साहित्य आदि के क्षेत्र को विकसित किया जा सकता है जिसके कारण राष्ट्र में नए-नए अनुसंधान एवं ज्ञान प्राप्ति के लिए कई मार्गों की खोज की गई।
आधुनिकता का संबंध उस व्यवस्था से है जिसके अंतर्गत औद्योगिक क्रांति के परिणाम स्वरूप कुछ ऐसे तत्व सम्मिलित होते हैं जिनके कारण प्राचीन परंपराओं में परिवर्तन आता है। आधुनिकता एक सामाजिक व्यवस्था है जिसमें प्राचीन परंपराओं को खत्म कर नवीन विचारधारा को मान्यता दी जाती है एवं उसके अनुरूप राष्ट्र की नीतियों को बनाया जाता है।
नवजागरण, पुनर्जागरण एवं आधुनिकता यह तीनों एक युग की पहचान है जिनके कारण समाज में कई तरह के सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास किया जाता रहा है।
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