सोवियत संघ के विघटन का क्या कारण था

सोवियत संघ के विघटन का क्या कारण था ?

सोवियत संघ के विघटन का क्या कारण था : सोवियत संघ का औपचारिक नाम ”सोवियत समाजवादी गणतंत्रों का संघ” था जो संवैधानिक रूप से 15 स्वशासित गणतंत्रों का संघ था परन्तु वास्तव में इन 15 स्वशासित गणतंत्र संघों के प्रशासन और अर्थव्यवस्था पर केंद्रीय सरकार का नियंत्रण था। सोवियत संघ यूरेशिया के एक बड़े भू-भाग पर विस्तृत देश था जिसने 1922 से 1991 ई. तक अपना अस्तित्व बनाए रखा। स्थापना से 1990 ई. तक सोवियत संघ साम्यवादी पार्टी द्वारा शासित था।

‘सोवियत’ एक रूसी शब्द है जिसका शाब्दिक अर्थ परिषद, असेम्बली, सलाह या सद्भाव होता है। सोवियत संघ एक एकल पार्टी प्रणाली थी जिसमें मार्क्सवादी-कम्युनिस्ट के दर्शन पर शासन किया जाता था, इसे जातीयताओं, संस्कृतियों एवं परम्पराओं के संघ के रूप में भी जाना जाता था। बोल्शेविक क्रांति होने के बाद ज़ार निकोलस द्वितीय को सत्ता से बहार निकालकर रुसी साम्राज्य को समाप्त कर दिया गया। जिसके बाद 1917 ई. में सोवियत संघ बना था।

1922 ई. में व्लादिमीर लेनिन के नेतृत्व दूरवर्ती राज्यों को रूस में शामिल कर दिया गया। जिसके पश्चात आधिकारिक तौर पर यूएसएसआर (USSR) की स्थापना हुई। 15 गणतांत्रिक गुटों का समूह सोवियत संघ रातों रात बिखर गया। जिसके बुरे परिणाम वर्तमान में भी देखे जाते हैं। 20वीं सदी का इतिहास, अर्थव्यवस्था, विचारधारा एवं तकनीकों को प्रभावशाली बनाने वाले सोवियत संघ का विघटन एक रात में ही समाप्त हो गया। ऐसे अनेक कारण थे जिनकी वजह से सोवियत संघ का विघटन हो गया था, वे सभी कारण निम्नलिखित हैं –

सोवियत संघ के विघटन के कारण (Reasons for the disintegration of the Soviet Union)

  • साम्यवादी तानाशाही

सोवियत संघ में एक ही राजनीतिक दल यानि साम्यवादी दल था और इस दल के अलावा कोई अन्य दल स्थापित नहीं किया जा सकता था और न ही कोई उस दल की आलोचना कर सकता था। अर्थात एक ही शक्तिशाली दल होने की वजह से शासन ने अपनी शक्तियों का दुरूपयोग करना आरम्भ कर दिया। सोवियत संघ के नागरिकों के पास कोई भी मौलिक अधिकार नहीं थे और इस वजह से नागरिक राजनीतिक रूप से अंदर ही अंदर शासन के विरुद्ध होने लगे। सोवियत संघ के नागरिकों को अपने विचारों को अभिव्यक्त करने की स्वतंत्रता भी प्राप्त नहीं थी उनके विचारों में लगातार नियंत्रण की वजह से नागरिकों में क्रोध उत्पन्न होने लगा। इसके अलावा नागरिक शासन के कार्यों में भी भागीदारी नहीं ले सकते थे वे केवल शासन की बनाई गई नीतियों पर ही कार्य कर सकते थे। धीरे-धीरे इन सभी विपरीत स्थितियों ने बड़ा रूप धारण कर लिया जो सोवियत संघ के विघटन का प्रमुख कारण था।

  • गिरती हुई अर्थव्यवस्था

70 के दशक के अंत तक सोवियत संघ का सकल घरेलु उत्पाद बहुत कम होने लगा था अर्थात सोवियत संघ की विकास दर बहुत कम हो गई। सोवियत संघ के कृषि एवं औद्योगिक उत्पादन में तेजी से गिरावट आने लगी तथा जिन वस्तुओं का सोवियत संघ निर्यात करता था। अब उसे वे सब आयात करना पड़ रहा था। साम्यवादी देशों को आर्थिक एवं सैन्य रूप से सहायता करने का बोझ सोवियत संघ पर ही था। इसके अलावा सोवियत संघ का एकमात्र लक्ष्य पश्चिमी देशों से आगे निकलना था। जिसकी वजह से उसने अंधाधुंध सैन्य खर्च किए। अंततः इन सभी कारणों की वजह से सोवियत संघ का विघटन हो गया।

  • अन्य देशों के साथ प्रतिस्पर्धा

सोवियत संघ की सबसे बड़ी गलती यह रही की उसने स्वयं सुरक्षित रखने की अपेक्षा दूसरे देशों के साथ प्रतिस्पर्धा करना आरंभ कर दिया। उसने शास्त्रों एवं अंतरिक्ष अनुसंधानों में इतना अधिक धन व्यय किया की वह कुछ समय पश्चात स्वयं ही कमजोर पड़ गया। इसके अलावा जो सोवियत संघ सबसे अधिक शक्तिशाली हुआ करता था 80 के दशक में आने तक वह पश्चिमी देशों से सूचना एवं तकनीकी के क्षेत्र में बहुत पिछड़ गया था और यह खबर संपूर्ण नागरिकों व विश्व में फ़ैल गई, अंततः सोवियत संघ का विघटन हो गया।

  • नौकरशाही का बोलबाला

नौकरशाही वो स्थाई कर्मचारी या अधिकारी होते हैं जो सरकार के लिए कार्यरत होते हैं। इन कर्मचारी एवं अधिकारियों को सरकारी नीतियों को नागरिकों में लागू करने का अधिकार प्राप्त था परन्तु कुछ समय बाद यह अधिकारी गैर जिम्मेदार होने लगे वे अपनी जिम्मेदारियों, कर्तव्यों एवं नागरिकों के प्रति पूरी तरह से गैर जिम्मेदार होने लगे और अंत में लोगों के बीच भी अधिकारियों और शासन के प्रति क्रोध तो उत्पन्न हुआ ही साथ में सोवियत संघ प्रशासन में भ्रष्टाचार ने बहुत बड़ा रूप धारण कर लिया था, यही वजह सोवियत संघ के विघटन का कारण था।

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