उत्तराखंड का भूगोल व भोगोलिक संरचना
उत्तराखंड (Uttarakhand) के 86 प्रतिशत भाग पर पहाड़ एवं 65 प्रतिशत भाग पर जंगल पाए जाते हैं। स्वतंत्रता के समय भारत में केवल एक ही हिमालयी राज्य 'असम' (Assam) था। Keep Reading
उत्तराखंड (Uttarakhand) के 86 प्रतिशत भाग पर पहाड़ एवं 65 प्रतिशत भाग पर जंगल पाए जाते हैं। स्वतंत्रता के समय भारत में केवल एक ही हिमालयी राज्य 'असम' (Assam) था। Keep Reading
उत्तराखंड (Uttarakhand) को एक अलग राज्य का दर्ज देने की मांग भारत की आजादी से पहले भी उठती रही थी। अंग्रेज शासन में भी कई जगह अधिवेशन करके अलग राज्य की मांग उठाई गयी थी। Keep Reading
आजदी से पहले भारत में कई स्वतंत्रता आंदोलन (Freedom Movements) हुए, जिस से उत्तराखंड (Uttarakhand) भी अछूता नहीं रहा। कुली बेगार और डोला पालकी जैसे बड़े आंदोलन भी उत्तराखंड में हुए। साथ ही कई बार भारत की स्वतंता का स्वर भी उत्तराखंड में उठता रहा। Keep Reading
समय-समय पर उत्तराखंड राज्य में कई आन्दोलन (Uttarakhand Movement) हुए है। जिनमे से कुछ का मक़सद अपना अधिकार पाना था, तो कुछ का मक़सद उत्तराखंड (Uttarakhand) को एक अलग राज्य का दर्जा दिलाना था। Keep Reading
कत्यूरी शासक (Katyuri Shasak) मध्यकाल में कत्यूरी शासक की जानकारी हमें मौखिक रूप से लोकगाथाओ और जागर के माध्यम से मिलती हैं। कत्यूरी का आसंतिदेव वंश, अस्कोट के रजवार तथा डोटी के मल्ल इन की शाखाएं थी। Keep Reading
आधुनिक काल का तात्पर्य उत्तराखंड में गोरखाओं के शासन काल से माना जाता है, वेसे तो इतिहासकारों की मानें तो आधुनिक काल को भारत में 1857 के क्रांति के बाद से माना जाता है। लेकिन Keep Reading
उत्तराखंड (Uttarakhand) का इतिहास पौराणिक काल जितना पुराना हैं । उत्तराखंड का उल्लेख प्रारम्भिक हिन्दू ग्रंथों में भी मिलता हैं, जहाँ पर केदारखंड (Kedarkhand) (वर्तमान गढ़वाल) और मानसखंड (Manaskhand) (वर्तमान कुमाऊॅ) का जिक्र किया गया हैं। Keep Reading
उत्तराखंड (Uttarakhand) राज्य में अनेक स्थानों से प्राप्त हुए पाषाण काल के उपकरण, गुफा, चित्र-शेली, कंकाल, और धातुओं के उपकरणों से प्रागैतिहासिक काल में मानव निवास की पुष्टि हुई हैं। Keep Reading
उत्तराखंड (Uttarakhand) भारत का एक उत्तरीय राज्य है। यह भारत का 27वाँ और हिमालिय क्षेत्र का 11वाँ राज्य हैं। इसे देवभूमि (Devbhomi) के नाम से भी जाना जाता हैं क्योंकि यहाँ पर हिन्दू देवी-देवताओँ के कई सारे मंदिर स्थित हैं। राज्य को दो हिस्से गड़वाल और कुमाऊं में बंटा गया है। Keep Reading