Preserved ancient Memorial and heritage in Uttarakhand

उत्तराखंड में संरक्षित प्राचीन स्मारक और धरोहर – देहरादून मंडल द्वारा

Table of Contents

पिथौरागढ़ जनपद में स्थित संरक्षित प्राचीन स्मारक

1. प्राचीन मन्दिरों के अवशेष एवं अभिलिखित नौला, गंगोलीहाट जनपद – पिथौरागढ़

यहां 6 मन्दिर, साधुओं की 6 समाधियां एवं एक अभिलिखित नौला है। इनमें से चार मन्दिर एक ही परिसर में है जबकि शेष दो मन्दिर तथा समाधि अलग से एक चारदीवारी के भीतर हैं। मन्दिर सामान्यतः त्रि-रथ आकार है जिनमें एक आगे की ओर एक छोटा आंगन निकला हुआ है। रेखा शिखर वाले ये मन्दिर भगवान विष्णु, शिव और सूर्य को समर्पित है। यह समाधियां सम्भवतः यहां निवास करने वाले साधुओं की रही होगी जो कालान्तर में बनायी गयी।

स्थानीय मन्दिरों के अलंकृत पत्थरों से निर्मित नौला अवस्थित है। नौले को ऊपर से एक सपाट छत वाले मंडप से ढका गया है, जिसके दोनों तरफ स्तंभ है। प्राप्त अभिलेख से तीन तिथियों का बोध होता है जो सम्वत् 1321 (1264 ई0), शक 1289 (1276ई0) तथा शक 1197 (1275 ई0) की हैं।

2. पाताल भुवनेश्वर गुफा, जनपद – पिथौरागढ़

यह प्राकृतिक गुफा भुवनेश्वर गांव से पहाड़ की ढाल पर 500 मीटर दूरी पर स्थित है। इस गुफा का धार्मिक महत्व स्कंदपुराण के ‘मानसखण्ड’ में किया गया है। मान्यता है कि आदि शंकराचार्य यहां आये थेे। गुफा के तल पर पहुंचने के लिए एक संकरे रास्ते से 20 मीटर नीचे घुटनों पर झुककर जाना पड़ता है। प्राकृतिक गुफा के भीतर कई संरचनाऐं बनी हुई हैं। इन संरचनाओं ने अलग-अलग आकार लिये हैं, जो स्थानीय लोगों द्वारा विभिन्न देवी-देवताओं से जोड़े गये हैं। यहां के मुख्य अराध्य भगवान भुवनेश्वर रूपी शिव हैं। कालांतर में यहां कुछ अन्य मूर्तियां स्थापित की गयी। गुफा के भीतर फर्श पर एक चैकोर तालाब काटा गया है जो कि सम्पूर्ण गुफा में एकमात्र मानवीय हस्तक्षेप क्रिया-कलाप है शेष गुफा प्राकृतिक है। गुफा के द्वार पर 14वीं शताब्दी ई0 का अभिलेख अंकित है।

ऊधमसिंह नगर जनपद में स्थित संरक्षित प्राचीन स्मारक

1. गोविषाण टीला, काशीपुर, जनपद – ऊधम सिंह नगर

इस स्थल का अन्वेषण अलेक्जेन्डर कनिंघम ने चीनी यात्री ह्वेनसांग के यात्रा विवरण के उल्लेख के क्रम में किया। तदुपरान्त भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण द्वारा सन् 1939-40, 1965-66, 1970-71 एवं 2002-03 में यहाँ उत्खनन किया गया। उत्खनन में प्राप्त लगभग छठी-सातवीं शताब्दी के ईटों से निर्मित मन्दिर के अवशेष मुख्य आकर्षण का केन्द्र हैं।

उत्तरकाशी जनपद में स्थित संरक्षित प्राचीन स्मारक

1. उत्खनित पुरास्थल, पुरोला, जनपद – उत्तरकाशी

कमल नदी के किनारे स्थित इस प्राचीन स्थल का उत्खनन हेमवती नंदन बहुगुणा विश्वविद्यालय श्रीनगर-गढ़वाल द्वारा कराया गया। उत्खनन में चित्रित धूसर मृदभाण्ड, शुंग, कुषाण कालीन पुरावशेष एवं कुणिन्द शासकों की मुद्रायें प्राप्त हुईं। मुख्य आकर्षण का केन्द्र उत्खनन में प्राप्त ईंटों से निर्मित प्रथम शताब्दी ई0 की श्येनचित्ति (उड़ते हुए गरूड़ के आकार की वेदिका) है जो तत्कालीन समय की धार्मिक परम्परा को इंगित करती है।

Source – भारतीय पुरातत्तव सर्वेक्षण देहरादून मंडल (उत्तराखण्ड)