प्रोकैरियोटिक और यूकैरियोटिक कोशिका में अंतर

प्रोकैरियोटिक और यूकैरियोटिक कोशिका में अंतर

प्रोकैरियोटिक और यूकैरियोटिक कोशिका में अंतर (प्रोकैरियोटिक तथा यूकैरियोटिक कोशिका में अंतर) : प्रोकैरियोटिक कोशिका (Prokaryotic Cell) किसे कहते हैं, प्रोकैरियोटिक कोशिका (Prokaryotic Cell) के प्रमुख भाग, प्रोकैरियोटिक कोशिका के प्रकार, यूकैरियोटिक कोशिका (Eukaryotic Cell) किसे कहते हैं, यूकैरियोटिक कोशिका के प्रकार आदि प्रश्नों के उत्तर दिए गए हैं।

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प्रोकैरियोटिक कोशिका (Prokaryotic Cell) किसे कहते हैं

प्रोकैरियोटिक कोशिकाएं वह कोशिकाएं होती हैं जो एककोशिकीय जीवों का निर्माण करती हैं। इन कोशिकाओं को बैक्टीरिया एवं आर्किया के नाम से भी जाना जाता है। प्रोकैरियोटिक कोशिका का निर्माण प्रोटीन एवं कार्बोहाइड्रेट के द्वारा होता है। यह कोशिकाएं बेहद सूक्ष्म जीवों का निर्माण करती हैं जिन्हें साधारण आंखों से नहीं देखा जा सकता है। प्रोकैरियोटिक कोशिकाएं पृथ्वी पर मौजूद लगभग सभी तत्वों में उपस्थित होती हैं। कुछ प्रोकैरियोटिक कोशिकाएं मनुष्य के स्वास्थ्य हेतु बेहद उपयोगी होती हैं जबकि कुछ कोशिकाएं मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक भी हो सकती हैं। यह कोशिकाएं मनुष्यों के त्वचा, पेट, मुंह आदि जगहों पर उपस्थित होती हैं। इसके अलावा यह सब्जी, फल, पानी आदि में पाए जाते हैं।

प्रोकैरियोटिक कोशिका (Prokaryotic Cell) के प्रमुख भाग

वैज्ञानिकों ने प्रोकैरियोटिक कोशिका को चार प्रमुख भागों में विभाजित किया गया है:-

  • कोशिका भित्ति (Cell Wall)
  • प्लाज्मा झिल्ली (Plasma Membrane)
  • राइबोसोम (Ribosome)
  • कोशिका द्रव्य (Cytoplasm)

कोशिका भित्ति (Cell Wall)

कोशिका भित्ति प्रोकैरियोटिक कोशिका के अंदर पाई जाने वाली एक सख्त एवं कठोर परत होती है जो कोशिका को एक आकार का रूप देने के साथ-साथ सुरक्षा भी प्रदान करती है। यह कोशिका की आंतरिक सामग्री को बाहरी वातावरण से अलग करने का कार्य करती है। कोशिका भित्ति मुख्य रूप से प्रोकैरियोटिक जीवों, यूकैरियोटिक पौधों एवं कवक में पाए जाते हैं। कोशिका भित्ति का निर्माण पेक्टोज (Pectose), सैलूलोज (Cellulose) एवं अन्य प्रकार के निर्जीव पदार्थों के माध्यम से होता है।

प्लाज्मा झिल्ली (Plasma Membrane)

प्लाज्मा झिल्ली कोशिका को बाहरी एवं आंतरिक भाग में विभाजित करने का कार्य करती है। यह कोशिका की एक पतली बाह्य परत होती है जो कोशिका में अणुओं का परिवहन करती है। इसके अलावा प्लाज्मा झिल्ली कोशिका की संरचना को बेहतर ढंग से बनाए रखने में भी सहायता प्रदान करती है। यह कोशिकाओं में विभिन्न प्रकार के अणुओं की गतिविधियों पर नियंत्रण रखती है।

राइबोसोम (Ribosome)

राइबोसोम प्रोटीन (Ribosome Proteins) एवं आरएनए (RNA) के अंश होते हैं जो अनुवांशिक जानकारी की अभिव्यक्ति एवं अनुवाद की अनुमति प्रदान करते हैं। यह सजीव कोशिका के कोशिका द्रव्य में स्थित अति सूक्ष्म कण होते हैं जो प्रोटीन के संश्लेषण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसके अलावा यह अनुवांशिक पदार्थ जैसे डीएनए (DNA) एवं आरएनए (RNA) के संकेतों को प्रोटीन की श्रृंखला में परिवर्तित करते हैं।

कोशिका द्रव्य (Cytoplasm)

कोशिकाओं में कोशिका झिल्ली के अंदर केंद्रक (Nucleus) को छोड़कर सभी पदार्थों को कोशिका द्रव्य के नाम से जाना जाता है। यह मुख्य रूप से सभी कोशिकाओं के अंदर तथा कोशिका झिल्ली के अंदर और केंद्र झिल्ली के बाहर उपस्थित होता है। यह एक जैलीनुमा, रवेदार, चिपचिपा एवं पारदर्शी पदार्थ होता है। कोशिका द्रव्य की खोज वर्ष 1898 केमिलो गॉल्जी (Camilo Golgi) ने की थी। यह मुख्य रूप से कोशिकाओं के केंद्र के पास चौड़ी नलिकाओं के रूप में पाई जाती हैं।

प्रोकैरियोटिक कोशिका के प्रकार

प्रोकैरियोटिक कोशिका को दो वर्गों में विभाजित किया जा सकता है:-

  • बेसिली (Bacilli)
  • कोकोस (Cocos)

बेसिली (Bacilli)

यह वह जीव होते हैं जो सिलैंडरिकल (Cylindrical) या छड़ी के आकार के होते हैं। बेसिली विभिन्न प्रकार की प्रजातियों में अलग-अलग आकार एवं आकृतियों में पाए जा सकते हैं। यह मुख्य रूप से धनात्मक बैक्टीरिया का एक जीव वैज्ञानिक वंश होते हैं जो स्वतंत्र रूप से रहने वाले एवं परजीवी रोगजनक दोनों प्रकार की प्रजातियों में शामिल होते हैं।

कोकोस (Cocos)

कोकोस वह जीव होते हैं जिनकी कोशिकाएं गोल आकृति की होती हैं। यह वातावरण में बहुत ही प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं।

यह कोशिकाएं बेहद परिवर्तनशील स्वभाव की होती हैं जिसके कारण इसमें विभिन्न प्रकार की आकृतियां एवं एक ही प्रजाति के जीव का आकार भी कई प्रकार से हो सकता है।

प्रोकैरियोटिक कोशिका की विशेषताएं

प्रोकैरियोटिक कोशिकाओं में विभिन्न प्रकार की विशेषताएं होती है जैसे:-

  • प्रोकैरियोटिक कोशिकाओं में केंद्रक की उपस्थिति नहीं होती है बल्कि इसमें केंद्रक (Nucleus) के स्थान पर न्यूक्लाइड (Nuclide) पाया जाता है।
  • यह अल्पविकसित कोशिकाएं होती हैं।
  • प्रोकैरियोटिक कोशिकाओं में मौजूद सभी कोशिकाएं बिना आवरण के होती हैं।
  • इसमें कोशिकांग मुख्यतः नहीं होते हैं।
  • प्रोकैरियोटिक कोशिकाओं का आकार 0.1 से 5.0 परिधि का होता है।

 

यूकैरियोटिक कोशिका (Eukaryotic Cell) किसे कहते हैं

यूकैरियोटिक कोशिकाएं वह कोशिकाएं होती हैं जो पूर्ण रूप से विकसित होती हैं। इस प्रकार के कोशिका में मुख्य रूप से जीवाणु, विषाणु एवं नील-हरित शैवाल को छोड़कर अन्य सभी पौधे एवं जंतुओं में उपस्थित होती हैं। यूकैरियोटिक कोशिकाएं रचना के आधार पर पूर्ण विकसित होती हैं। इस प्रकार की कोशिकाएं दोहरी झिल्ली के आवरण एवं केंद्रक आवरण (Nuclear Envelope) से घिरी हुई रहती हैं जिनमें मुख्य रूप से डीएनए (DNA) एवं हिस्टोन प्रोटीन के संयोजन से निर्मित क्रोमेटिन (Chromatin) तथा केंद्रक (Nucleolus) मौजूद होते हैं।

यूकैरियोटिक कोशिकाएं एक विशेष प्रोकैरियोटिक कोशिकाओं से लगभग 15 गुना अधिक चौड़ी होती हैं एवं इनका आयतन प्रोकैरियोटिक कोशिकाओं से लगभग 1000 गुना अधिक हो सकता है। केंद्रक यूकैरियोटिक कोशिका का एक महत्वपूर्ण अंग माना जाता है जिसमें कोशिका का डीएनए (DNA) मौजूद होता है।

यूकैरियोटिक कोशिका के प्रमुख भाग

वैज्ञानिकों ने यूकैरियोटिक कोशिकाओं को कई भागों में विभाजित किया है जो कुछ इस प्रकार हैं;-

  • कोशिका भित्ति (Cell Wall)
  • केंद्रक (Nucleus)
  • राइबोसोम (Ribosome)
  • प्लाज्मा झिल्ली (Plasma Membrane)
  • अंतर्द्रव्यी जलिका (Endoplasmic Reticulum)
  • कोशिका अंगक (Cytoskeleton)
  • माइट्रोकांड्रिया (Mitrochondria)
  • लाइसोसोम (Lysosome)
  • प्लास्टिड (Plastids)
  • गॉल्जी उपकरण (Golgi Apparatus)

कोशिका भित्ति (Cell Wall)

कोशिका भित्ति मुख्य रूप से पादप कोशिका के बाहर मौजूद होती है जिसकी संरचना कठोर होती है। कोशिका भित्ति कोशिकाओं की आकृति को बेहतर बनाए रखने में सहायता प्रदान करती हैं। इसके अलावा कोशिका भित्ति एक कोशिका से दूसरे कोशिका तक आंतरिक रूप से क्रिया करने में भी मदद करती है। यह एक ऐसी परत होती है जो कोशिका की सुरक्षा करके उसे विभिन्न प्रकार के हमलों से बचाती है।

केंद्रक (Nucleus)

केंद्रक के अंदर संलग्न न्यूक्लियोप्लाज्म (Nucleoplasm) में मुख्य रूप से डीएनए एवं प्रोटीन की मात्रा पाई जाती है। केंद्रक में दो परत होती हैं जिन्हें बाहरी झिल्ली एवं आंतरिक झिल्ली के नाम से जाना जाता है। इसके अलावा राइबोसोम (Ribosome) का निर्माण भी केंद्रक के अंदर ही होता है।

राइबोसोम (Ribosome)

राइबोसोम मुख्य रूप से सभी जीवित कोशिकाओं के भीतर पाए जाते हैं। यह कोशिकाओं के अंदर प्रोटीन संश्लेषण नामक प्रक्रिया में अमीनो एसिड (Amino Acid) के द्वारा प्रोटीन का निर्माण करते हैं। इसीलिए राइबोसोम को प्रोटीन संश्लेषण के लिए मुख्य स्थल माना जाता है। यह प्रोटीन एवं राइबोन्यूक्लिक एसिड (Ribonucleic Acid) से बने होते हैं।

प्लाज्मा झिल्ली (Plasma Membrane)

प्लाज्मा झिल्ली को कोशिका झिल्ली के नाम से भी जाना जाता है जो लिपिड एवं प्रोटीन से बने हुए होते हैं। प्लाज्मा झिल्ली मुख्य रूप से कोशिकाओं को बाहरी वातावरण से अलग करने का कार्य करते हैं। इसमें विशिष्ट एम्बेडेड प्रोटीन की मात्रा पाई जाती है जो कोशिका के अंदर एवं बाहरी पदार्थों के आदान-प्रदान में सहायता करते हैं।

अंतर्द्रव्यी जालिका (Endoplasmic Reticulum)

अंतर्द्रव्यी जालिका सुकेन्द्रिक कोशिकाओं (Eukaryotic cells) में स्थित एक झिल्लीदार कोशिकाओं का एक महत्वपूर्ण अंग होती है। इनकी रचना प्लाज्मा झिल्ली के समरूप ही होती है। यह सुकेंद्रिक कोशिकाओं की यातायात प्रणाली मानी जाती हैं। यह कोशिकाओं की सतह को मुख्य रूप से दो भागों में विभाजित करते हैं पहला ल्यूमिनल (Luminal) एवं दूसरा एक्स्ट्राल्यूमिनल (ExtraLuminal)।

कोशिका अंगक (Cytoskeleton)

कोशिका अंगक मुख्य रूप से साइटोप्लाज्म (Cytoplasm) के अंदर पाई जाती हैं जिनमें कोशिका की आकृति को बेहतर बनाए रखने की क्षमता होती है। इसके अलावा कोशिका अंगक ऑर्गेनेल (Organelle) को अंदर डालने एवं सेल की गति को बढ़ावा देने के लिए माइक्रोट्यूबुल्स (Microtubules), फाइबर (Fiber) एवं माइक्रोफिलामेंट्स (Microfilaments) को भी संचालित करते हैं। यह कोशिकाओं के अंदर क्षेत्र संरचनाओं को विशिष्ट रूप से कार्य करने के लिए प्रोत्साहित करती हैं।

माइटोकांड्रिया (Mitochondria)

माइटोकांड्रिया कोशिका द्रव्य में पाई जाने वाली एक बेहद महत्वपूर्ण रचना होती है जो कोशिका द्रव्य में विस्तारपूर्वक उपस्थित होती हैं। यह मुख्य रूप से सभी प्राणियों एवं उनकी हर प्रकार की कोशिकाओं में मौजूद होती हैं। माइटोकांड्रिया वास्तव में एक दोहरी झिल्ली के आवरण से घिरी हुई रचनाएं होती हैं जिसके कारण इन्हें कोशिकाओं का “पावर हाउस” भी कहा जाता है। यह मुख्य रूप से कोशिकाओं में ऊर्जा को उत्पन्न करने का कार्य करते हैं। माइटोकांड्रिया में एक आंतरिक झिल्ली एवं एक बाहरी झिल्ली होती है। यह कोशिका चयापचय के नियमन में सहायता प्रदान करते हैं।

लाइसोसोम (Lysosome)

जंतु कोशिका के कोशिका द्रव्य में पाए जाने वाले आवरणयुक्त गोलाकार थैलीनुमा अंगाणुओं को लाइसोसोम कहा जाता है। लाइसोसोम में लिपिड (Lipid), कार्बोहाइड्रेट (Carbohydrate), न्यूक्लिक एसिड (Nucleic Acid) एवं प्रोटीन (Protein) को पचाने के लिए हाइड्रोलिटिक एंजाइम्स (Enzymes) होते हैं जिन्हें बेहद शक्तिशाली पाचनकारी एंजाइम भी कहा जाता है। यह अन्तः कोशिकीय पाचन में सहायता प्रदान करते हैं।

प्लास्टिड (Plastids)

प्लास्टिड मुख्य रूप से पौधों में पाए जाने वाली कोशिकाएं होती हैं। यह दोहरी झिल्ली वाली संरचनाएं होती है जो मुख्य रूप से तीन प्रकार के होते हैं। जैसे क्रोमोप्लास्ट (Chromoplast), क्लोरोप्लास्ट (Chloroplast) एवं ल्यूकोप्लास्ट (Leukoplast)। क्रोमोप्लास्ट में कैरोटीन (Carotene) नामक वर्णक पाया जाता है जो पौधों को लाल, नारंगी एवं पीला रंग प्रदान करता है। क्लोरोप्लास्ट में क्लोरोफिल (Chlorophyll) की मात्रा पाई जाती है जिसका उपयोग पेड़ अथवा पौधे प्रकाश संश्लेषण में करते हैं। इसके अलावा ल्यूकोप्लास्ट में वसा (Fat), कार्बोहाइड्रेट (Carbohydrate), प्रोटीन (protein) एवं ऑयल (Oil) को एकत्रित करने की क्षमता होती है। यह आमतौर पर रंगहीन होते हैं।

गॉल्जी उपकरण (Golgi Apparatus)

कोशिकाओं के भीतर कोशिका द्रव्य में केंद्र के समीप जो थैलीनुमा कोशिकांग उपस्थित होते हैं उन्हें गॉल्जी उपकरण के नाम से जाना जाता है। इसकी खोज वर्ष 1898 में कैमिलो गॉल्जी (Camillo Golgi) ने की थी। यह केंद्रक के पास के क्षेत्रों में समानांतर एवं एकाग्र रूप से व्यवस्थित होते हैं। गॉल्जी उपकरण डिस्क की आकृति से निर्मित होते हैं जिन्हें सिस्टर्न (Cistern) भी कहा जाता है। यह ग्लाइकोलिपिड्स (Glycolipids) एवं ग्लाइकोप्रोटीन (Glycoprotein) के निर्माण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

यूकैरियोटिक कोशिका के प्रकार

यूकैरियोटिक कोशिकाएं मुख्य रूप से दो प्रकार की होती है:-

  • पौधों में पाई जाने वाली कोशिकाएं
  • पशुओं में पाई जाने वाली कोशिकाएं

पौधों में पाई जाने वाली कोशिकाएं

पेड़ अथवा पौधों में पाए जाने वाली कोशिकाओं को पादप कोशिका के नाम से जाना जाता है। यह जंतु कोशिका से भिन्न होती हैं।

पशुओं में पाई जाने वाली कोशिकाएं

पशुओं में पाई जाने वाली कोशिकाओं को प्लाज्मा झिल्ली भी कहा जाता है। यह पशुओं में पायी जाने वाली अर्ध-पारगम्य सजीव झिल्ली होती हैं जो बाहरी वातावरण के साथ पारस्परिक क्रिया करती हैं।

यूकैरियोटिक कोशिका की विशेषताएं

यूकैरियोटिक कोशिकाएं एक विशेष प्रकार की कोशिका होती हैं जो पौधों, जानवरों, कवक एवं मनुष्यों के निर्माण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। आसान शब्दों में कहा जाए तो जिनके कोशिका द्रव्य में एक झिल्ली मौजूद होती है उन्हें यूकैरियोटिक कोशिका के नाम से जाना जाता है। यूकैरियोटिक कोशिकाएं लगभग 100 माइक्रोन तक की हो सकती हैं। इनका निर्धारण डीएनए (DNA) नामक अणु में संग्रहीत जानकारी के माध्यम से किया जाता है। यह बेहद सूक्ष्म आकार की होती हैं जिन्हें साधारण आंखों से देखना असंभव होता है अर्थात इन्हें केवल माइक्रोस्कोप (Microscope) के द्वारा ही देखा जा सकता है।

 

प्रोकैरियोटिक और यूकैरियोटिक में अंतर ( Difference Between Prokaryotic and Eukaryotic in hindi )

प्रोकैरियोटिक कोशिकाओं एवं यूकैरियोटिक कोशिका में निम्नलिखित अंतर होते हैं:-

  • प्रोकैरियोटिक कोशिका अर्ध विकसित होती हैं जबकि यूकैरियोटिक कोशिकाएं पूर्ण रूप से विकसित होती हैं।
  • प्रोकैरियोटिक कोशिकाओं में प्रकाश संश्लेषण की क्रिया अर्धसूत्री प्रकार से होती हैं जबकि यूकैरियोटिक कोशिकाओं में प्रकाश संश्लेषण क्लोरोप्लास्ट में होता है।
  • प्रोकैरियोटिक कोशिकाओं में केंद्रिका (Nucleus) एवं सेण्ट्रियोल (Centriole) उपस्थित नहीं होते हैं जबकि यूकैरियोटिक कोशिकाओं में केंद्रिका एवं सेण्ट्रियोल की उपस्थिति होती है।
  • प्रोकैरियोटिक कोशिकाओं में लिंग प्रजनन नहीं पाया जाता है परंतु यूकैरियोटिक कोशिकाओं में लिंग प्रजनन पाया जाता है।
  • प्रोकैरियोटिक कोशिकाओं में राइबोसोम के लगभग 705 प्रकार के पाए जाते हैं जबकि यूकैरियोटिक कोशिकाओं में राइबोसोम लगभग 805 प्रकार के होते हैं।
  • प्रोकैरियोटिक कोशिकाओं में डीएनए (DNA) प्रोटीन के साथ नहीं पाया जाता परंतु यूकैरियोटिक कोशिका में डीएनए (DNA) प्रोटीन के साथ मौजूद होता है।
  • प्रोकैरियोटिक कोशिका में केंद्रक कला नहीं पाया जाता है जबकि यूकैरियोटिक कोशिका में केंद्रक कला पाया जाता है।
  • प्रोकैरियोटिक कोशिकाओं में लवक (Reaper), माइटोकॉन्ड्रिया (Mitrochondria) एवं न्यूक्लियोल्स (Nucleolus) नहीं होते हैं जबकि यूकैरियोटिक कोशिकाओं में लवक, माइटोकॉन्ड्रिया एवं न्यूक्लियोल्स उपस्थित होते हैं।
  • प्रोकैरियोटिक कोशिकाएं मुख्य रूप से केवल जीवाणु एवं नील-हरित शैवालों में पाए जाते हैं जबकि यूकैरियोटिक कोशिकाएं सभी जंतुओं एवं पौधों में पाए जाते हैं।
  • प्रोकैरियोटिक कोशिकाओं की कोशिका भित्ति प्रोटीन (Protein) एवं कार्बोहाइड्रेट (Carbohydrate) से निर्मित होती है जबकि यूकैरियोटिक कोशिका की कोशिका भित्ति सेल्यूलोज (Cellulose) से निर्मित होती हैं।
  • प्रोकैरियोटिक कोशिकाओं में सेंट्रीयोल (Centriole) की उपस्थिति नहीं होती है जबकि यूकैरियोटिक कोशिकाओं में सेंट्रीयोल की उपस्थिति होती है।
  • प्रोकैरियोटिक कोशिकाओं में कशाभिका का केवल एक तंतु होता है परंतु यूकैरियोटिक कोशिकाओं में कशाभिका के कुल 11 तंतु मौजूद होते हैं।
  • प्रोकैरियोटिक कोशिकाओं में श्वसन प्लाज्मा झिल्ली (Plasma Membrane) के माध्यम से होता है जबकि यूकैरियोटिक कोशिका में श्वसन माइट्रोकांड्रिया (Mitrochondria) के माध्यम से होता है।
  • प्रोकैरियोटिक कोशिकाओं में कोशिका का विभाजन असूत्री प्रकार का होता है परंतु यूकैरियोटिक कोशिका में कोशिका का विभाजन समसूत्री प्रकार का होता है।
  • प्रोकैरियोटिक कोशिकाओं में एंडोप्लाज्मिक रेटिकुलम (Reticulum) की उपस्थिति नहीं होती है परंतु यूकैरियोटिक कोशिका में एंडोप्लाज्मिक रेटिकुलम की उपस्थिति होती है।
  • प्रोकैरियोटिक कोशिका में डीएनए (DNA) एकल सूत्र के रूप में मौजूद होता है जबकि यूकैरियोटिक कोशिकाओं में डीएनए दोहरे सूत्र के रूप में मौजूद होता है।
  • प्रोकैरियोटिक कोशिकाओं में लाइसोसोम (Lysosome) अनुपस्थित होते हैं जबकि यूकैरियोटिक कोशिकाओं में लाइसोसोम उपस्थित होते हैं।

पढ़ें – पादप कोशिका और जंतु कोशिका में अंतर

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