पल्स रेट और हार्ट रेट के बीच अंतर ( हार्ट रेट और पल्स रेट के बीच अंतर )

पल्स रेट और हार्ट रेट के बीच अंतर

पल्स रेट और हार्ट रेट के बीच अंतर ( हार्ट रेट और पल्स रेट के बीच अंतर ) : पल्स रेट किसे कहते हैं (What is Pulse Rate in hindi), हार्ट रेट किसे कहते हैं (what is heart rate in hindi) एवं पल्स रेट और हार्ट रेट में अंतर (Difference Between Pulse Rate and Heart Rate in hindi) आदि महत्वपूर्ण प्रश्नों के उत्तर यहाँ दिए गए हैं।

पल्स रेट किसे कहते हैं (What is Pulse Rate in hindi)

पल्स रेट वह महत्वपूर्ण पैमाना होता है जो एक मनुष्य के संपूर्ण स्वास्थ्य की जानकारी प्रदान करता है। अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन (AHA- American Heart Association) की एक रिपोर्ट के अनुसार एक सामान्य साइनस पल्स रेट (sinus pulse rate) 60 बीपीएम (BPM)से 100 बीपीएम (BPM )के बीच होता है। यह वास्तव में हार्ट रेट का माप होता है जिसके माध्यम से एक व्यस्क व्यक्ति के हृदय की धड़कन की जानकारी प्राप्त होती है। पल्स रेट को किसी मनुष्य की कलाई के साथ-साथ शरीर के किसी अन्य हिस्से से महसूस किया जा सकता है। यह तेज अथवा धीमी दोनों गति में सुनाई दे सकता है। डॉक्टरों के अनुसार यदि किसी व्यक्ति की पल्स रेट बहुत तेज अथवा बहुत धीमी गति से चलती है तो इस अवस्था में उस व्यक्ति की सेहत को खतरा हो सकता है।

पल्स रेट बढ़ने का मुख्य कारण (Main Reason for Increased Pulse Rate)

डॉक्टरों के अनुसार पल्स रेट बढ़ने के कई कारण हो सकते हैं जैसे:-

  • तनाव (Stress)
  • मोटापा (obesity)
  • धूम्रपान (smoking)
  • अनिद्रा (insomnia)
तनाव (Stress)

तनाव वह मानसिक प्रतिक्रिया होती है जिसमें व्यक्ति की पल्स रेट बढ़ने की अधिक संभावनाएं होती है। आमतौर पर अपर्याप्त नींद के कारण तनाव जैसी स्थिति उत्पन्न होती है जिसके कारण कई प्रकार की शारीरिक समस्याओं की संभावनाएं बढ़ जाती हैं क्योंकि यह दैनिक प्रतिक्रिया पर केंद्रित होता है।

मोटापा (Obesity)

कई शोधकर्ताओं के अनुसार मोटापे की समस्या के कारण व्यक्ति की पल्स रेट पर प्रभाव पड़ता है। दरअसल अधिक वजन होने के कारण शरीर में रक्तचाप का स्तर बढ़ने लगता है जिसके कारण हृदय पर भी इसका प्रभाव पड़ता है। यही कारण है कि लंबे समय से मोटापे की समस्या से जूझ रहे लोगों की पल्स रेट में इजाफा होता है।

धूम्रपान (Smoking)

विश्व भर के डॉक्टरों का मानना है कि अत्यधिक धूम्रपान करने से पल्स रेट के बढ़ने की आशंका अधिक होती है। इसके अलावा यह उच्च रक्तचाप की समस्या को भी बढ़ावा देती हैं। दरअसल, सिगरेट या बीड़ी में निकोटिन (nicotine) की मात्रा पाई जाती है जिसके कारण रक्तचाप के स्तर में वृद्धि होती है। यह व्यक्ति के हृदय के लिए हानिकारक माने जाते हैं। अधिक धूम्रपान करने से व्यक्ति की पल्स रेट में तेजी से वृद्धि होती है जो घातक सिद्ध हो सकती है।

अनिद्रा (Insomnia)

वर्तमान समय में अधिकांश लोग अनिद्रा की समस्या से जूझ रहे हैं जिसके परिणामस्वरूप व्यक्ति की पल्स रेट नकारात्मक रूप से प्रभावित होती है। लंबे समय से पर्याप्त नींद ना देने के कारण अनिद्रा जैसी समस्या विकराल रूप धारण कर लेती है जिसके कारण व्यक्ति के हृदय पर इसका सीधा प्रभाव पड़ता है। कई शोधकर्ताओं के अनुसार यह समस्या 60 वर्ष से अधिक लोगों को अधिक होती है।

पल्स रेट नापने का सही तरीका (Correct Way to Measure Pulse Rate)

डॉक्टरों के अनुसार पल्स रेट को सबसे बेहतर ढंग से महसूस करने के लिए कलाई, गर्दन के किनारे, पैर के ऊपरी हिस्से एवं कोहनी के अंदरूनी हिस्से पर मौजूद पल्स पर अपनी उंगलियां रखकर लगभग 60 सेकंड तक बीट्स (beats) की संख्या को गिनना चाहिए। 6 से 17 वर्ष की आयु के व्यक्तियों के लिए सामान्य पल्स रेट 70- 100 बीट्स (beats) प्रति मिनट होता है एवं 18 वर्ष से अधिक व्यक्तियों का हृदय सामान्य रूप से 60- 100 बीट्स (beats) प्रति मिनट होता है। इस प्रकार किसी भी अवस्था में पल्स रेट को नापा जा सकता है।

पल्स रेट को प्रभावित करने वाले कारक (Factors Affecting Pulse Rate)

एक सामान्य व्यक्ति की पल्स रेट कई प्रकार से प्रभावित होती है जैसे:-

  • शरीर की स्थिति (body position)
  • दवा का उपयोग (uses of drug)
  • हवा का तापमान (air temperature)
  • भावनाएं (emotions)
  • वजन (Weight)
शरीर की स्थिति (Body Position)

कई शोधकर्ताओं के अनुसार यदि कोई व्यक्ति आरामदायक, बैठने एवं लेटने की स्थिति में होता है तो इस अवस्था में उसकी पल्स रेट सामान्य रहती है। परंतु यदि जब वह व्यक्ति 20-30 सेकंड के लिए खड़े होते हैं तो इसके कारण उस व्यक्ति की पल्स रेट में बढ़ावा होता है जो सामान्य रूप से कुछ मिनटों में दोबारा स्थिर हो जाती है परंतु यदि उस व्यक्ति की पल्स रेट कुछ मिनटों के बाद भी स्थिर नहीं होती है तो इस अवस्था में उस व्यक्ति की पल्स रेट को सामान्य नहीं माना जाता है।

दवा का उपयोग (Uses of Drug)

दवा का अधिक उपयोग करने से शरीर की नाड़ी धीमी गति से कार्य करती हैं जिसके कारण पल्स रेट की गति प्रभावित होता है। आमतौर पर कुछ दवाएं एड्रेनालाईन (बीटा ब्लॉकर्स) (adrenaline- beta blockers) को अवरुद्ध करती हैं जिसके कारण यह समस्या उत्पन्न होती है। अत्यधिक दवाओं का प्रयोग करने से व्यक्ति की पल्स रेट में इजाफा होता है।

हवा का तापमान (Air Temperature)

किसी व्यक्ति की पल्स रेट पर तापमान का भी प्रभाव पड़ता है। जब तापमान एवं आर्द्रता में वृद्धि होती है तो इस अवस्था में व्यक्ति का हृदय अधिक रक्त का संचार करता है जिसके कारण व्यक्ति की नाड़ी की दर में वृद्धि होती है। यही कारण है कि हवा के तापमान के कारण पल्स रेट में बढ़ावा होता है।

भावनाएं (Emotions)

डॉक्टरों के अनुसार व्यक्ति की भावनाओं का संबंध पल्स रेट से होता है। यदि कोई व्यक्ति तनाव या चिंता जैसी समस्याओं से जूझ रहा होता है तो इस स्थिति में उसकी पल्स रेट बढ़ने की संभावनाएं अधिक हो जाती हैं। इसके अलावा यह असाधारण रूप से व्यक्ति की अन्य भावनाओं से भी प्रभावित होता है जैसे खुशी या उदासी की भावना।

वजन (Weight)

लंबे समय से मोटापे की समस्या से जूझ रहे लोगों की पल्स रेट में असामान्य रूप से वृद्धि होती है। पल्स रेट शरीर के वजन एवं आकार पर भी निर्भर करता है। अधिक वजन वाले लोगों की पल्स रेट आमतौर पर 80 – 100 के बीच देखी जाती है।

 

हार्ट रेट किसे कहते हैं (what is heart rate in hindi)

हार्ट रेट वह पैरामीटर या पैमाना होता है जिसके माध्यम से किसी व्यक्ति के हृदय की धड़कन को मापा जाता है। साधारण शब्दों में कहा जाए तो समय की प्रत्येक इकाई में होने वाली हृदय की धड़कनों की संख्या को हार्ट रेट के नाम से जाना जाता है। इसे मुख्य रूप से 1 मिनट (60 सेकंड) के रूप में व्यक्त किया जाता है। डॉक्टरों के अनुसार हृदय की दर शरीर के ऑक्सीजन (oxygen) का अवशोषण करने एवं कार्बन डाइऑक्साइड (Carbon dioxide) के उत्सर्जन करने के अनुसार अलग-अलग भी हो सकता है। कुछ अध्ययनों के अनुसार वयस्क लोगों में सामान्य हार्ट रेट 60-100 बीट्स प्रति मिनट के बीच होता है। हार्ट रेट का संबंध सीधे तौर पर व्यक्ति के हृदय से होता है जिसके अचानक बढ़ने से घबराहट, सीने में दर्द, निम्न रक्तचाप, चक्कर आना, कमजोरी होना आदि जैसी समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं। इसके अलावा अचानक हार्ट रेट में वृद्धि हो जाने से कुछ व्यक्तियों को सांस लेने में समस्या भी महसूस हो सकती है।

हार्ट रेट बढ़ने का मुख्य कारण (Main Reason for Increased Heart Rate)

डॉक्टरों के अनुसार हार्ट रेट बढ़ने के कई कारण हो सकते हैं जैसे:-

  • तनाव (Tension/ Stress)
  • अनिद्रा (insomnia)
  • दवा का सेवन (drug use)
  • खान-पान (food and drink)
  • शारीरिक व्यायाम (Physical exercise)
तनाव (Tension/ Stress)

अक्सर देखा जाता है कि लंबे समय से तनाव की समस्या से जूझ रहे लोगों के हार्ट रेट में उतार-चढ़ाव की स्थिति उत्पन्न हो जाती है जिसके कारण उन्हें स्वास्थ्य संबंधी कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। डॉक्टरों के अनुसार तनाव एक सामान्य समस्या है जिसमें व्यक्ति की हार्ट रेट एवं पल्स रेट दोनों ही प्रभावित होती हैं।

अनिद्रा (Insomnia)

डॉक्टरों के अनुसार पर्याप्त नींद न लेने के कारण व्यक्ति की हार्ट रेट नकारात्मक रूप से प्रभावित होती है। आमतौर पर अत्यधिक तनाव की स्थिति से अनिद्रा की समस्या उत्पन्न हो जाती है जिसके कारण हार्ट रेट असामान्य हो जाता है।

दवा का सेवन (Drug Use)

अत्यधिक मात्रा में दवा का सेवन करने से हार्ट रेट में वृद्धि होती है जिसके कारण व्यक्ति का हृदय प्रभावित होता है। यह एक अस्थाई समस्या मानी जाती है। दरअसल अधिक दवाओं का उपयोग करने से हृदय की धड़कन की दर की गति असामान्य हो जाती है जिसके कारण दिल का दौरा एवं स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है।

खानपान (Food and Drink)

डॉक्टरों के अनुसार अत्यधिक मात्रा में तीखा एवं मसालेदार भोजन का सेवन करने से हार्ट रेट में वृद्धि होती है जिसके कारण हृदय से संबंधित कई प्रकार की समस्याएं उत्पन्न होती है। इसके अलावा यदि कोई व्यक्ति कैफीन (caffeine), निकोटीन (निकोटीन) एवं अल्कोहल (alcohol) जैसे मादक पदार्थों का अत्यधिक मात्रा में सेवन करता है तो इसके कारण उस व्यक्ति के दिल की धड़कन में अचानक वृद्धि होती है।

शारीरिक व्यायाम (Physical Exercise)

यदि कोई व्यक्ति शारीरिक व्यायाम से वंचित रहता है तो इस स्थिति में उस व्यक्ति के हार्ट रेट में निरंतर वृद्धि की आशंका होती है जिससे उसके हृदय की सेहत पर भी प्रभाव पड़ता है। अमेरिकन हार्ट इंस्टीट्यूट (American Heart Institute) के अनुसार यदि कोई व्यक्ति प्रत्येक दिन लगभग 30 मिनट तक व्यायाम करता है तो इसके परिणामस्वरूप उसके हृदय की दर बेहतर होती है एवं हृदय संबंधी रोगों की आशंका अन्य लोगों की तुलना में लगभग 45% तक घट जाती है।

 

पल्स रेट और हार्ट रेट में अंतर (Difference Between Pulse Rate and Heart Rate in hindi)

पल्स रेट और हार्ट रेट में निम्नलिखित के अंतर होते हैं:-

  • पल्स रेट वास्तव में ब्लड प्रेशर की दर को मापने का कार्य करते हैं जबकि हार्ट रेट मुख्य रूप से शरीर के हृदय की धड़कन को मापने का कार्य करती है।
  • पल्स रेट में हृदय की प्रत्येक धड़कन को महसूस किया जा सकता है जबकि हार्ट रेट में किसी व्यक्ति के हृदय के धड़कनें की प्रक्रिया को महसूस किया जाता है।
  • पल्स रेट का संबंध व्यक्ति के रक्तचाप से होता है जबकि हार्ट रेट का संबंध व्यक्ति के हृदय के स्वास्थ्य से होता है।

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