राजभाषा और राष्ट्रभाषा में अंतर (राष्ट्रभाषा और राजभाषा में अंतर) : राजभाषा क्या है, राजभाषा की विशेषताएं, राष्ट्रभाषा क्या है, राष्ट्रभाषा की विशेषताएं, राजभाषा और राष्ट्रभाषा में अंतर आदि प्रश्नों के उत्तर दिए गए हैं। difference between official language and national language in hindi.
Table of Contents
राजभाषा क्या है ( what is the official language in hindi )
जब किसी प्रदेश की राज्य सरकार के द्वारा सभी प्रशासनिक कार्यों को संपन्न करने हेतु किसी विशेष भाषा को प्रयोग में लाया जाता है तो उसे राजभाषा के नाम से जाना जाता है। राजभाषा मुख्य रूप से वह भाषा होती है जो संपूर्ण प्रदेश के अधिकतर जन-समुदाय लोगों के बीच बोली या समझी जाती है। आसान शब्दों में कहा जाए तो जिस भाषा में कोई राज्य पत्राचार के माध्यम से वार्तालाप करता है उसे राजभाषा कहा जाता है। राजभाषा का शाब्दिक अर्थ राज-काज की भाषा होता है। यह वह भाषा होती है जिसमें देश के सभी राजकीय कार्यों को संपादित किया जाता है। यह किसी देश या राज्य की अधिकारिक भाषा कहलाती है। देश के समस्त राजकीय एवं प्रशासनिक कार्य राजभाषा में ही प्रयुक्त किए जाते हैं। प्राचीन काल में राजभाषा को दरबारी भाषा के नाम से जाना जाता था। केंद्र सरकार ने राजभाषा के एक निश्चित मानक एवं स्वरूप को निर्धारित किया है जिसके साथ किसी भी प्रकार का बदलाव नहीं किया जा सकता। राजभाषा किसी राज्य की जनमानस की भाषा होती है जिसे सामान्य बोलचाल में प्रयोग में लाया जाता है।
वर्ष 1918 में महात्मा गांधी ने हिंदी साहित्य सम्मेलन में राजभाषा को संवैधानिक दर्जा देने की मांग की थी। महात्मा गांधी के अनुसार राजभाषा जनमानस की भाषा है जिसे भारत के अधिकांश लोगों द्वारा बोला एवं समझा जाता है अतः हिंदी भाषा को देश की राजभाषा के रूप में स्वीकृति प्रदान की जानी चाहिए। उनकी इस मांग को ध्यान में रखते हुए 14 सितंबर वर्ष 1949 में संविधान सभा ने हिंदी भाषा को राजभाषा के रूप में स्वीकार किया था। इसके बाद वर्ष 1950 में संविधान के अनुच्छेद 343 (1) के अंतर्गत हिंदी भाषा को देवनागरी लिपि में देश की राजभाषा का दर्जा दिया गया था।
राजभाषा की विशेषताएं
राजभाषा की विशेषताएं कुछ इस प्रकार हैं:-
- देश के क्षेत्रीय भाषा को ही राजभाषा बनाया जाता है।
- यह केंद्र एवं राज्य सरकार की कामकाज की भाषा होती है।
- राजभाषा का उपयोग शिक्षा संबंधी, कर के निर्णय, रेडियो, दूरदर्शन आदि क्षेत्रों में किया जाता है।
- राजभाषा का प्रयोग मुख्य रूप से आयुक्त, आयोग, मंत्रालय, आवंटन, निविदा, प्रशासकीय, विवाचक, उन्मूलन आदि क्षेत्रों में किया जाता है।
- राजभाषा में हिंदी के केवल अभिधा शब्दों का ही उपयोग किया जाता है जिससे भाषा का महत्व बना रहता है।
- राजभाषा का प्रयोग केवल शासन या राज्य तंत्र का कोई व्यक्ति ही कर सकता है।
- प्रशासनिक दृष्टिकोण से राजभाषा का महत्व संपूर्ण राज्य में सामान्य स्तर पर बना रहता है।
- राजभाषा केवल देश के कुछ ही राज्यों तक सीमित होती है।
राष्ट्रभाषा क्या है ( what is national language in hindi )
राष्ट्रभाषा भाषा वह भाषा होती है जो मुख्य रूप से किसी राष्ट्र का प्रतिनिधित्व करती है। यह वो भाषा होती है जो देश के अधिकांश नागरिकों द्वारा बोली एवं समझी जाती है। राष्ट्रभाषा का स्वरूप लगभग राजभाषा की तरह ही होता है परंतु इनमें भिन्नता होती हैं। राष्ट्रभाषा का शाब्दिक अर्थ समस्त राष्ट्र में प्रयुक्त होने वाली भाषा से होता है। यह वह भाषा होती है जो किसी देश के समस्त कार्यों में उपर्युक्त होती है। आसान शब्दों में कहा जाए तो राष्ट्रभाषा वह भाषा होती है जिसे एक देश राष्ट्रभाषा घोषित करता है। यह किसी देश की एकता को सुदृढ़ बनाने का कार्य करती है। यह भाषा आम जनता की भाषा होती है जिसे देश की संविधान सभा द्वारा संवैधानिक दर्जा दिया जाता है। राष्ट्रभाषा किसी देश बहुसंख्यक समाज के द्वारा बोली जाती है। यह संपूर्ण देश में एक समान रूप से लागू होती है। किसी देश की राष्ट्रभाषा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर राष्ट्र का प्रतिनिधित्व करती है जिसमें राष्ट्रीय एकता एवं अंतरराष्ट्रीय संवाद संपर्क की भी आवश्यकता होती है। राष्ट्रभाषा के माध्यम से किसी देश के स्वतंत्र अस्तित्व की सुरक्षा होती है।
भारतीय संविधान में किसी भी भाषा को राष्ट्रभाषा के रूप में परिभाषित नहीं किया गया है। संविधान निर्माण के समय कुछ बुद्धिजीवियों का यह मत था कि अंग्रेजी भाषा को ही राष्ट्रभाषा बनाया जाए जबकि कुछ लोगों का मानना था कि केवल हिंदी भाषा को ही राष्ट्रभाषा का दर्जा दिया जाना चाहिए। परंतु कुछ अन्य लोगों का यह भी मानना था कि भारत के प्रांतीय भाषा में से किसी एक भाषा को राष्ट्रभाषा बनाना चाहिए। भारत देश में लगभग 100 से भी अधिक भाषाएं बोली जाती हैं जिसमें हिंदी, उर्दू, संस्कृत, गुजराती, बंगाली, मराठी, तमिल, तेलुगू आदि भाषाएं प्रमुख हैं। भारत में प्राचीन काल से ही राष्ट्रभाषा को लेकर वाद-विवाद चलता रहता है। परंतु अब तक किसी भी भाषा को राष्ट्रभाषा के रूप में चयनित नहीं किया गया है।
राष्ट्रभाषा की विशेषताएं
राष्ट्रभाषा की विशेषताएं कुछ इस प्रकार हैं:-
- राष्ट्रभाषा मुख्य रूप से देश की जनता को प्रभावित करती है क्योंकि यह आम जनता की बोलचाल की भाषा होती है।
- राष्ट्रभाषा को राजनीतिक संरक्षण प्राप्त होता है।
- किसी भी देश की राष्ट्रभाषा का संबंध उसके इतिहास, संस्कृति एवं साहित्य से होता है।
- राष्ट्रभाषा मुख्य रूप से शिक्षा प्रशासन एवं देश के नागरिकों को प्रभावित करती है।
- किसी भी देश की राष्ट्रभाषा को एक संवैधानिक दर्जा प्राप्त होता है।
- राष्ट्रभाषा देश में शिक्षा एवं समाचार पत्रों की मुख्य भाषा होती है।
- राष्ट्रभाषा में सरलता का भाव होता है जिसके कारण यह आसानी से सीखी एवं समझी जा सकती है।
- राष्ट्रभाषा की लिपि वैज्ञानिक होती है।
राजभाषा और राष्ट्रभाषा में अंतर
राजभाषा और राष्ट्रभाषा में निम्नलिखित अंतर होते हैं:-
- राजभाषा किसी राज्य की विशेष भाषा होती है जिसमें सभी शासकीय कार्य व पत्राचार किया जाता है जबकि राष्ट्रभाषा संपूर्ण राष्ट्र की भाषा होती है जिसे अनिवार्य रूप से पूरे देश में अपनाया जाता है।
- किसी देश में राजभाषा एक या एक से अधिक भी हो सकती है परंतु राष्ट्रभाषा पूरे देश में केवल एक ही होती है।
- राजभाषा किसी देश की वैकल्पिक भाषा भी हो सकती है परंतु राष्ट्रभाषा अनौपचारिक भाषा होती है जिसका कोई अन्य विकल्प नहीं होता है।
- राजभाषा का प्रयोग केवल प्रशासनिक कार्यालयों एवं किसी सीमित क्षेत्र में ही किया जाता है जब की राष्ट्रभाषा का प्रयोग देश के लगभग सभी स्थानों में किया जाता है।
- राजभाषा अंतर्राष्ट्रीय संवाद संपर्क हेतु आवश्यक नहीं होती है जबकि राष्ट्रभाषा राष्ट्रीय एकता एवं अंतर्राष्ट्रीय संवाद संपर्क के लिए बेहद आवश्यक मानी जाती है।
- राजभाषा का चुनाव राष्ट्रीय प्रतीक के रूप में नहीं किया जा सकता जबकि राष्ट्रभाषा का चुनाव राष्ट्रीय प्रतीक के रूप में किया जा सकता है।
- राजभाषा किसी देश के प्रशासक वर्ग की भाषा होती है जबकि राष्ट्रभाषा देश की जनता की भाषा होती है।
- राजभाषा का क्षेत्र सीमित होता है परंतु राष्ट्रभाषा का क्षेत्र असीमित होता है।
क्लिक करें हिंदी व्याकरण पढ़ने लिए |