राज्य और केंद्र शासित प्रदेश में अंतर

राज्य और केंद्र शासित प्रदेश में अंतर

राज्य और केंद्र शासित प्रदेश में अंतर (केंद्र शासित प्रदेश और राज्य में अंतर) : राज्य किसे कहते हैं (राज्य की परिभाषा), राज्य की विशेषताएं, राज्य के प्रमुख कार्य, केंद्र शासित प्रदेश किसे कहते हैं, केंद्र शासित प्रदेश का महत्व आदि महत्वपूर्ण प्रश्नों के उत्तर यहाँ दिए गए हैं।

Table of Contents

राज्य किसे कहते हैं (राज्य की परिभाषा)

राज्य (State) वह संगठित इकाई है जो मुख्य रूप से शासन या सरकार के अधीन होती है। किसी भी देश के विभिन्न क्षेत्रों को राज्यों के रूप में विभाजित किया गया है जिससे देश की कार्यप्रणाली सुचारू रूप से कार्य करती है। देश के प्रत्येक राज्यों में शासन (सरकार) के द्वारा विभिन्न प्रकार के नियमों को लागू किया जाता है जिससे राज्य की सुरक्षा एवं शांति व्यवस्था बनी रहती है। एक बेहतर राज्य ना केवल आंतरिक रूप से नागरिकों की रक्षा करने का दायित्व निभाता है बल्कि बाहरी रूप से भी उनकी रक्षा करने का कार्य करता है। एक राज्य अपने नागरिकों के लिए स्थानीय संविधान का निर्माण करने के साथ-साथ संघीय संविधान एवं स्वतंत्रता को भी स्थापित करता है।

राज्य की विशेषताएं

एक राज्य में निम्नलिखित प्रकार की विशेषताएं देखी जा सकती हैं:-

  • आर्थिक संबंधी कार्य (Economic Affairs)
  • धार्मिक नियंत्रण (Religious Control)
  • भाषा (Language)
  • सांस्कृतिक स्थिति (Cultural Status)
  • भौगोलिक स्थिति (Geographical Situation)
  • आर्थिक स्थिति (Economic Condition)

आर्थिक संबंधी कार्य (Economic Affairs)

एक राज्य की आर्थिक संबंधी समस्याओं को दूर करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका होती है। प्रत्येक राष्ट्र राज्य की आवश्यकतानुसार एक आर्थिक ढांचा तैयार करता है जिसके माध्यम से समाज का नियंत्रण संभव होता है। इसी आर्थिक ढांचे के अनुसार प्रत्येक राष्ट्र की अपनी एक मुद्रा होती है जिसका मूल्यांकन अंतरराष्ट्रीय बाजार में समय के साथ-साथ ऊपर नीचे होता रहता है। इस प्रक्रिया के अनुसार ही राष्ट्र एवं राज्यों को सुचारू रूप से चलाने का प्रयास किया जाता है।

धार्मिक नियंत्रण (Religious Control)

एक राज्य के अंतर्गत धार्मिक नियंत्रण करना बेहद आवश्यक माना जाता है क्योंकि इसके माध्यम से राज्य तथा राष्ट्र की पहचान स्थापित होती है। कई दशकों से समाज पर शासक वर्ग का प्रभुत्व रहा है जिसके कारण पुरानी रीति-रिवाजों एवं मान्यताओं का कानूनी एवं अवैध रूप से पालन किया जाता रहा है। विभिन्न धर्मों की नीतियों में आने वाले बदलाव की प्रक्रिया को रोकने हेतु राज्य का यह कर्तव्य है कि वह धार्मिक नियंत्रण करके सभी नागरिकों में समान रूप से धर्म की स्थापना का अवसर प्रदान करें।

भाषा (Language)

किसी भी देश के राज्य में भाषा का एक महत्वपूर्ण योगदान होता है क्योंकि इसके माध्यम से ही सभी प्रशासनिक कार्यों को संपन्न किया जाता है। कई विशेषज्ञों के अनुसार राज्य भाषा वह होती है जिसमें सभी शासकीय कार्य किए जाते हैं। इसके अलावा राज्य की भाषा नागरिकों के मध्य संपर्क स्थापित करने के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है।

सांस्कृतिक स्थिति (Cultural Status)

किसी भी देश में मौजूद प्रत्येक राज्य की एक पारंपरिक संस्कृति होती है जिसका वह पूर्ण रूप से पालन करता है। इस संस्कृति में समाज के विभिन्न रीति-रिवाजों, धार्मिक मान्यताओं एवं रूढ़ियों का पालन करने की प्रक्रिया की जाती है। किसी भी राज्य की सांस्कृतिक स्थिति प्रबल होने के कारण समाज में प्रेम भाव एवं संस्कृति के प्रति जुड़ाव की संभावनाओं में वृद्धि होती है। यह राज्य में शांति व्यवस्था को बनाए रखने में सहायक होता है।

भौगोलिक स्थिति (Geographical Situation)

किसी राष्ट्र के अंतर्गत आने वाले राज्य की भौगोलिक स्थिति एवं सीमाएं निर्धारित होती हैं जिसके कारण राज्य की सुरक्षा होती है। प्रत्येक राज्य की कार्यप्रणाली अपनी-अपनी सीमाओं में रहकर ही कार्य करती हैं। इसके अलावा राज्य की भौगोलिक स्थिति के अनुसार सामाजिक नियंत्रण के स्वरूप एवं मापदंड में परिवर्तन होते रहता है। यह राष्ट्र के नागरिकों को प्राकृतिक आपदाओं के प्रति जागरूक करता है।

आर्थिक स्थिति (Economic Condition)

किसी भी राज्य की आर्थिक स्थिति उस राज्य की शक्ति को दर्शाती है। एक राज्य की आर्थिक स्थिति का संबंध राष्ट्र की अर्थव्यवस्था से होता है। माना जाता है कि यदि किसी राष्ट्र की अर्थव्यवस्था अपने चरम पर होती है तो उस राष्ट्र के नागरिकों का जीवन स्तर उत्तम श्रेणी का होता है। राज्य की आर्थिक स्थिति राष्ट्र की उत्पादकता एवं अप्राकृतिक संसाधनों के स्तर को दर्शाने का कार्य करती है। आर्थिक स्थिति बेहतर होने से नागरिकों के शिक्षा स्तर, रहन-सहन, चिकित्सा व्यवस्था एवं यातायात के साधन बेहतर होते हैं।

राज्य के प्रमुख कार्य

राज्य के प्रमुख कार्यों को मुख्य रूप से दो भागों में विभाजित किया गया है:-

  • आवश्यक कार्य (Essential Functions)
  • ऐच्छिक कार्य (Optional Assignments)

आवश्यक कार्य (Essential Functions)

राज्य के आवश्यक कार्यों को निम्न श्रेणी में रखा गया है:-

  • अंतरराष्ट्रीय संबंध स्थापित करना
  • देश की सीमाओं की रक्षा करना
  • शक्ति की स्थापना करना
  • न्याय प्रणाली को दुरुस्त करना
  • समय पर कर वसूली करना
  • नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करना
अंतरराष्ट्रीय संबंध स्थापित करना

प्रत्येक राज्य का यह दायित्व होता है कि वह अंतरराष्ट्रीय संबंध की प्रक्रिया को सुचारू रूप से बनाए रखने में राष्ट्र की सहायता करे। अंतरराष्ट्रीय संबंध स्थापित करने हेतु प्रत्येक राज्य राष्ट्र में अपने वाणिज्य एवं राजदूतों की नियुक्ति करता है जो अन्य देशों से संबंध को बेहतर बनाए रखने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसी प्रकार देश के सभी राज्य अपने-अपने राजदूतों एवं वाणिज्य दूतों को राज्य का प्रतिनिधित्व करने हेतु अंतरराष्ट्रीय समारोह एवं संगठनों में भेजते हैं। इस प्रक्रिया के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय संबंध को बेहतर बनाने में सहायता मिलती है।

देश की सीमाओं की रक्षा करना

राज्य का सर्वप्रथम कार्य देश की सीमाओं की रक्षा करना होता है जिसके लिए वह जल, थल एवं वायु सेना को आधुनिक हथियारों से सुसज्जित करता है। एक राज्य का कर्तव्य हर परिस्थिति में देश की सीमाओं की रक्षा करने के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय सीमा पर निरंतर निगरानी करना भी होता है। राज्य की विभिन्न सीमाओं की सुरक्षा अलग-अलग बलों के द्वारा की जाती है।

शांति की स्थापना करना

प्रत्येक राज्य का यह कर्तव्य होता है कि वह राज्य के नियमों की रक्षा करके राज्य में शांति व्यवस्था को बनाए रखें। एक राज्य का दायित्व केवल कानून का निर्माण करना ही नहीं होता बल्कि समाज में शांति की स्थापना करना भी होता है। राज्य में शांति व्यवस्था बेहतर होने से विभिन्न परिस्थितियों में समाज की रक्षा होती है। इसके अलावा इससे राज्य में कानून व्यवस्था भी सुचारू रूप से कार्य करती है जिससे नागरिकों का जीवन बेहद प्रभावित होता है।

न्याय प्रणाली को दुरुस्त करना

एक राज्य का मुख्य कार्य न्याय प्रणाली को सभी क्षेत्रों में सही प्रकार से लागू करना होता है। भारतीय न्यायपालिका मुख्य रूप से आम कानून (Common Law) के नियमों के आधार पर बनाई गई है जिसे “आम कानून व्यवस्था” के नाम से भी जाना जाता है। राज्य में न्याय प्रणाली बेहतर होने से नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा होती है जिससे राज्य में कानून व्यवस्था विकसित होती है।

समय पर कर वसूली करना

एक राज्य समय पर कर वसूली करके राष्ट्र के लिए धन को एकत्रित करता है जिससे राज्य एवं प्रजा के प्रमुख कार्य किए जाते हैं। कर वसूली करना राज्य के प्रमुख कार्यों में से एक होता है। इससे राज्य में विभिन्न प्रकार के विकास कार्य किए जाते हैं जैसे सड़क बनाना, पुल बनाना, बिजली की व्यवस्था, बांध बनाना आदि जैसे कार्य किए जाते हैं। इसके अलावा कर वसूली करके राज्य सरकार देश में धन के अभाव को भी कम करने का कार्य करती है।

नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करना

प्रत्येक राज्य का प्रथम कर्तव्य होता है कि वह हर नागरिक के अधिकारों की रक्षा करके समाज में समानता के स्तर को स्थापित करें। यह मुख्य रूप से स्वतंत्रता का अधिकारों, धर्म की स्वतंत्रता का अधिकारों, शोषण के विरुद्ध अधिकारों, शिक्षा का अधिकारों एवं संस्कृति के अधिकारों की रक्षा करता है जिससे नागरिकों का जीवन बेहद प्रभावित होता है।

ऐच्छिक कार्य (Optional Assignments)

राज्य के द्वारा ऐच्छिक कार्यों को करना या ना करना राज्य की इच्छा पर निर्भर करता है। वर्तमान समय में राज्य के द्वारा किए जाने वाले ऐच्छिक कार्यों को निम्न प्रकार की श्रेणियों में विभाजित किया गया है जैसे:-

  • उचित शिक्षा की व्यवस्था करना
  • रोजगार के अवसर को बढ़ावा देना
  • उद्योग-धंधों का विकास करना
  • जनहित सेवाओं की व्यवस्था करना
  • गरीबों एवं वृद्ध की रक्षा करना
  • सामाजिक कुरीतियों का अंत करना
  • उचित चिकित्सा का प्रबंध करना
  • कृषि क्षेत्रों का विकास करना
  • ऐतिहासिक स्थलों की रक्षा करना
उचित शिक्षा की व्यवस्था करना

प्रत्येक राज्य यह प्रयास करता है कि राज्य में शिक्षा का स्तर सभी नागरिकों के लिए समान रूप से लागू हो। शिक्षा प्रणाली प्रत्येक समाज में सदियों से चली आ रही वह सामाजिक प्रक्रिया है जिसके माध्यम से मनुष्य अपने ज्ञान, कला, कौशल एवं शक्तियों का विकास करता है। यह मनुष्य के स्वभाव में परिवर्तन लाता है जिससे वह हर क्षेत्र में सफलता की चरम सीमा तक पहुंच पाता है। इसीलिए राज्य उचित शिक्षा के स्तर को लागू करने का प्रयास करता है।

रोजगार के अवसरों को बढ़ावा देना

प्रत्येक राज्य का यह कर्तव्य होता है कि वह रोजगार के अवसरों को बढ़ावा देने के लिए निरंतर प्रयास करते रहे एवं केंद्र सरकार द्वारा लागू किए जाने वाली सभी योजनाओं की जानकारी युवा समाज तक पहुंचाते रहें। प्रदेश में रोजगार के अवसरों में वृद्धि होने से देश की अर्थव्यवस्था का नव निर्माण होता है जिससे देश की आर्थिक व्यवस्था में सुधार होता है।

उद्योग-धंधों का विकास करना

राज्य में उद्योग-धंधों का विकास करने से प्रति व्यक्ति आय वृद्धि में सहायता मिलती है जिससे एक राष्ट्र में प्रगति की राह प्रशस्त किया जा सकता है। इसे देश एवं प्रदेश में रोजगार की समस्या को कम करने के लिए एक महत्वपूर्ण पहलू माना जाता है। इसके अलावा राज्य में उद्योग-धंधों का विकास होने से नागरिकों के जीवन में भी सुधार आता है।

जनहित सेवाओं की व्यवस्था करना

प्रत्येक राज्य का यह मौलिक कर्तव्य होता है कि वह राज्य में बिजली के तार, रेलवे लाइन, सड़क व्यवस्था, डाक व्यवस्था, इंटरनेट सेवा आदि की उचित व्यवस्था करें जिससे नागरिकों को जीवन यापन करने में किसी भी प्रकार की कठिनाई का सामना ना करना पड़े। इसके अलावा राज्य का यह भी कर्तव्य होता है कि वह ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में पुलों, छायादार वृक्षों, जलाशयों, विश्राम ग्रहों आदि का भी उचित प्रबंध करें।

गरीबों एवं वृद्धों की रक्षा करना

प्रत्येक राज्य का यह दायित्व होता है कि वह गरीबों एवं असहाय वृद्धों को रोजगार देने एवं रहने की उचित व्यवस्था करके उनकी रक्षा करें। आधुनिक समय में देश एवं राज्यों में गरीबों व वृद्धों की संख्या में वृद्धि देखी गई है। राज्य को इनकी सुरक्षा करने हेतु उचित प्रबंध किया जाना चाहिए जिससे इनकी जीविका सकारात्मक रूप से प्रभावित हो सके।

सामाजिक कुरीतियों का अंत करना

राज्य को सामाजिक कुरीतियों का अंत करने हेतु ठोस कदम उठाने चाहिए जिससे धर्म के नाम पर हो रहे शोषण की रोकथाम की जा सके। वर्तमान समय में देखा जाता है कि ग्रामीण क्षेत्रों में पुराने रीति-रिवाजों का पालन करने के लिए कई प्रकार के दबाव बनाए जाते हैं जिससे विभिन्न वर्गों में शोषण की भावना का जन्म होता है। अतः राज्य को सामाजिक कुरीतियों का अंत करने के लिए सख्त नियमों को लागू करना चाहिए।

उचित चिकित्सा का प्रबंध करना

राज्य में उचित चिकित्सा का प्रबंध होने से नागरिकों को स्वास्थ्य संबंधी लाभ मिलता है। राज्य को चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाओं की योजनाओं को स्थापित करने का निरंतर प्रयास करना चाहिए जिससे प्रदेश में स्वास्थ्य का स्तर बेहतर हो सके। इसके अलावा राज्य को चिकित्सालय एवं जल की भी उचित व्यवस्था करनी चाहिए।

कृषि क्षेत्रों का विकास करना

प्रत्येक राज्य का यह कर्तव्य होता है कि वह प्रदेश में कृषि क्षेत्रों का विकास करके देश की अर्थव्यवस्था को बेहतर बनाने में सहायता प्रदान करें। कृषि का सीधा संबंध देश की अर्थव्यवस्था से होता है। प्रतिवर्ष कृषि उत्पादक का स्तर बेहतर होने से देश की अर्थव्यवस्था में सुधार आता है। इसीलिए राज्य को कृषि क्षेत्रों का विकास करने के लिए निरंतर प्रयास करते रहना चाहिए।

ऐतिहासिक स्थलों की रक्षा करना

प्रत्येक राज्य को ऐतिहासिक स्थलों की सुरक्षा करने हेतु नए-नए नियमों को लागू करना चाहिए जिससे वह राज्य अपने प्राथमिक स्त्रोतों का उपभोग अधिक से अधिक कर सके। ऐतिहासिक स्थल देश की प्राचीन संस्कृति के परिचायक होते हैं जिन्हें सुरक्षित रखना बेहद आवश्यक होता है। इसके अलावा ऐतिहासिक स्थलों के माध्यम से देश-विदेश के पर्यटकों को भी आकर्षित किया जा सकता है जिससे राज्य की आय में वृद्धि होती है।

भारत में राज्यों की संख्या

भारत में राज्यों की संख्या कुल 28 है जिनके नाम कुछ इस प्रकार हैं:-

  • महाराष्ट्र
  • मणिपुर
  • राजस्थान
  • पश्चिम बंगाल
  • तेलंगाना
  • त्रिपुरा
  • असम
  • तमिलनाडु
  • केरल
  • मध्य प्रदेश
  • सिक्किम
  • गुजरात
  • आंध्र प्रदेश
  • पंजाब
  • नागालैंड
  • कर्नाटक
  • गोवा
  • हरियाणा
  • मिजोरम
  • मेघालय
  • हिमाचल प्रदेश
  • अरुणाचल प्रदेश
  • छत्तीसगढ़
  • उड़ीसा
  • उत्तर प्रदेश
  • उत्तराखंड
  • बिहार
  • झारखंड

 

केंद्र शासित प्रदेश किसे कहते हैं

केंद्र शासित प्रदेश (union territory) वह प्रदेश होता है जिसका प्रशासन स्वयं देश के राष्ट्रपति द्वारा संचालित किया जाता है। केंद्र शासित प्रदेश में राष्ट्रपति के द्वारा नियुक्त प्रशासन के माध्यम से किसी भी प्रकार का परिवर्तन किया जा सकता है। यह भारत के गणराज्य में एक प्रकार का प्रशासनिक प्रभाग होता है। केंद्र शासित प्रदेश भारत के अन्य राज्यों के विपरीत शासन कर सकता है। यह भारत की केंद्र सरकार द्वारा पूर्ण या आंशिक रूप से शासित संघीय क्षेत्र होता है। इसमें देश का राष्ट्रपति हर केंद्र शासित प्रदेश में एक सरकारी प्रशासन या उप राज्यपाल को नामित करता है।

केंद्र शासित प्रदेश का महत्व

केंद्र शासित प्रदेशों का गठन स्थानीय संस्कृतियों की सुरक्षा करने एवं प्रशासनिक महत्व को बढ़ावा देने के लिए किया गया है। इसके अलावा केंद्र शासित प्रदेश शासन के सभी मामलों से संबंधित राजनीतिक विविधताओं को दूर करने के लिए एवं स्थानीय सुरक्षा करने के दृष्टिकोण से भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। जिन राज्यों के क्षेत्रफल अन्य राज्यों की तुलना में छोटे होते हैं तो उन्हें केंद्र शासित प्रदेश के रूप में परिवर्तित कर दिया जाता है जिससे उसे एक राज्य का दर्जा देना आसान हो जाता है। केंद्र शासित प्रदेश किसी अवस्था में पड़ोसी राज्य का हिस्सा नहीं बन सकते हैं क्योंकि इसकी जनसंख्या नियमित या अन्य राज्यों के मुकाबले कम होती है।

भारत में केंद्र शासित प्रदेशों की संख्या

वर्तमान समय में भारत में कुल 8 केंद्र शासित प्रदेश हैं जिनके नाम कुछ इस प्रकार हैं:-

  1. दिल्ली
  2. चंडीगढ़
  3. पांडुचेरी
  4. जम्मू और कश्मीर
  5. दादरा और नगर हवेली एवं दमन और दीव
  6. लक्षद्वीप
  7. लद्दाख
  8. अंडमान और निकोबार द्वीप समूह

 

राज्य और केंद्र शासित प्रदेश में अंतर

राज्य और केंद्र शासित प्रदेश में निम्नलिखित अंतर होते हैं ( difference between state and union territory in hindi ) :-

  • राज्य पूर्ण रूप से स्वतंत्र होता है जिसमें राज्य की संपूर्ण शक्तियों का निर्वाहन मुख्यमंत्री के द्वारा किया जाता है जबकि केंद्र शासित प्रदेश का नियंत्रण पूर्ण रूप से केंद्र सरकार के द्वारा किया जाता है। हालांकि केंद्र शासित प्रदेश में भी मुख्यमंत्री की उपस्थिति होती है परंतु इसमें अधिकांश शक्तियों का निर्वाहन केवल राष्ट्रपति के द्वारा ही किया जाता है।
  • राज्य की जनसंख्या एवं क्षेत्रफल बड़ा या विशाल होता है जबकि केंद्र शासित प्रदेश की जनसंख्या एवं क्षेत्रफल छोटा होता है।
  • राज्य पूर्ण रूप से अपने क्षेत्र में परिवर्तन करने हेतु स्वतंत्र होता है जबकि केंद्र शासित प्रदेश अपने क्षेत्र में परिवर्तन करने के लिए स्वतंत्र नहीं होता है।
  • राज्य अपनी इच्छानुसार किसी भी अंतरराष्ट्रीय बैंक से धनराशि कर्ज के रूप में ले सकता है परंतु केंद्र शासित प्रदेश किसी भी अंतरराष्ट्रीय बैंक से धनराशि कर्ज के रूप में नहीं ले सकता है।
  • राज्य को अपने क्षेत्र में किसी भी प्रकार का निर्माण कार्य करने के लिए केंद्र सरकार की अनुमति अनिवार्य नहीं होता है, वह स्वतंत्र रूप से अपने क्षेत्र में विकास कार्य कर सकता है परंतु केंद्र शासित प्रदेश को किसी भी प्रकार का निर्माण कार्य कराने से पूर्व केंद्र सरकार से अनुमति लेना अनिवार्य होता है।
  • राज्य के अंतर्गत आने वाले सभी भूमि के दस्तावेज मुख्यमंत्री की देखरेख में रहते हैं जबकि केंद्र शासित प्रदेश के अंतर्गत आने वाली सभी भूमि के दस्तावेज राज्यपाल की देखरेख में रहते हैं।
  • राज्य की पुलिस पर राज्य सरकार का पूर्ण नियंत्रण होता है जबकि केंद्र शासित प्रदेश की पुलिस पर केंद्र सरकार का नियंत्रण होता है।