राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग क्या है - संरचना, कार्य एवं शक्तियां

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग क्या है – संरचना, कार्य एवं शक्तियां

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग क्या है – राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग क्या है, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का गठन कब हुआ, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में कितने सदस्य होते हैं, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की संरचना, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के कार्य एवं शक्तियां, nhrc upsc, national human rights commission upsc notes in hindi आदि प्रश्नों के उत्तर यहाँ दिए गए हैं।

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग क्या है (What is National Human Rights Commission – NHRC)

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC – National Human Rights Commission of India) वह भारतीय संस्था है जिसके माध्यम से देश के सभी नागरिकों के व्यक्तिगत अधिकारों को संरक्षित किया जाता है। यह आयोग मुख्य रूप से भारतीय संविधान द्वारा दिए गए मानवाधिकारों की स्वतंत्र रूप से रक्षा करता है। भारतीय संविधान के अंतर्गत देश के नागरिकों को स्वतंत्रता का अधिकार, समानता का अधिकार, प्रतिनिधि के चुनाव आदि के अधिकार प्रदान किए गए हैं। मानवाधिकार मुख्य रूप से वह अधिकार होते हैं जो जाति, धर्म, राष्ट्रीयता, लिंग, भाषा आदि के क्षेत्रों में सभी व्यक्तियों को समान रूप से अधिकार प्रदान करते हैं। मानवाधिकार सभी क्षेत्रों में समान रूप से हर व्यक्ति को स्वतंत्र रहने की प्रेरणा देते हैं। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग समाज में समानता एवं निष्पक्षता के भाव को प्रकट करता है जिसके कारण नागरिकों का जीवन सकारात्मक रूप से प्रभावित होता है।

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का गठन कब हुआ

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का गठन 12 अक्टूबर, 1993 में किया गया था। यह एक ऐसा सांविधिक निकाय (Statutory body) है जिसका गठन भारतीय मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम 1993 के तहत किया गया है। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का गठन राष्ट्रपति के द्वारा प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में 7 सदस्य समिति की सिफारिशों के आधार पर किया जाता है। इस समिति में लोकसभा अध्यक्ष, राज्यसभा के उपसभापति सांसद के दोनों विपक्ष नेता एवं केंद्रीय गृह मंत्री के साथ-साथ देश के प्रधानमंत्री की भी उपस्थिति होती है।

माना जाता है कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का सिद्धांत पेरिस के मानव अधिकारों के सिद्धांतों पर आधारित है। पेरिस सिद्धांत विश्व भर में स्वतंत्रता के लिए लोकप्रिय माना जाता है जिसके कारण दुनिया भर के लगभग सभी देश पेरिस के सिद्धांत का मूल रूप से पालन करते हैं।

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में कितने सदस्य होते हैं

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग एक बहुसदस्यीय संस्था है जिसमें एक अध्यक्ष एवं सात सदस्य होते हैं, और जिनकी नियुक्ति स्वयं राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। इसमें प्रधानमंत्री के नेतृत्व में गठित सदस्य समिति की मांगों को ध्यान में रखते हुए नियुक्तियां की जाती हैं।

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की संरचना

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की संरचना कई चरणों में की जाती हैं जो कुछ इस प्रकार है:-

  • राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में कुल 7 सदस्यों की मुख्य भूमिका होती है जिनमें एक अध्यक्ष की उपस्थिति होती है। इस प्रकार से आयोग द्वारा लिए गए हर महत्वपूर्ण निर्णय में अध्यक्ष की भी एक अहम भूमिका होती है।
  • राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष एवं सदस्यों का कार्यकाल 3 वर्षों का होता है। इसके अलावा यदि किसी सदस्य की आयु 70 वर्ष पूरी हो जाती है तो उस स्थिति में उनके कार्यकाल को समाप्त कर दिया जाता है। इसके पश्चात राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के सदस्यों एवं अध्यक्ष की पुनः नियुक्ति की जाती है।
  • राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष पद पर सामान्यतः उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति की जा सकती है इसके अलावा इसमें उच्चतम न्यायालय के अन्य न्यायाधीशों की भी नियुक्ति की जाने की संभावना होती है।
  • राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के नियमानुसार एक सदस्य की नियुक्ति उच्चतम न्यायालय से सेवानिवृत्त हो चुके न्यायाधीश या न्यायालय के कार्यरत न्यायाधीश के माध्यम से की जाती है।

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के कार्य एवं शक्तियां

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के कार्य एवं शक्तियां कुछ इस प्रकार हैं:-

  • राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के पास मानव अधिकारों के उल्लंघन से संबंधित सभी न्यायिक मामलों में हस्तक्षेप करने का अधिकार होता है। इसके अलावा मानवाधिकार का उल्लंघन करने से संबंधित सभी मामलों में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग पूरी जांच पड़ताल कर सकता है।
  • यह देश का एकमात्र ऐसा आयोग है जो कभी भी किसी भी कारागार का दौरा कर सकता है एवं कैदियों की मौजूदा स्थिति का निरीक्षण कर सकता है। इसके अलावा राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग कैदियों की स्थिति में सुधार के लिए अपने सुझाव को भी प्रस्तावित कर सकता है।
  • राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग मानव अधिकार से संबंधित क्षेत्र में अनुसंधान का कार्य कर सकता है।
  • यह देश के संविधान एवं कानून के माध्यम से मानव अधिकारों के संरक्षण हेतु उसमें संशोधन की सिफारिश कर सकता है। यह मानव अधिकारों की रक्षा करने के साथ-साथ उनमें बदलाव भी कर सकता है।
  • राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को दीवानी न्यायालय की शक्तियां प्राप्त है जिसके माध्यम से वह किसी भी बंदी को अंतरिम राहत प्रदान करने की सिफारिश कर सकता है।
  • NHRC आयोग देश का सबसे विश्वसनीय आयोग है जो किसी भी हर्जाने एवं मुआवजे के भुगतान की सिफारिश कर सकता है।
  • राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग केंद्र एवं राज्य सरकार को मानव अधिकार का उल्लंघन करने से रोकने का कार्य भी करता है।
  • राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग द्वारा बनाई गई सूचना भारत के राष्ट्रपति के सम्मुख प्रस्तुत की जाती है जिसे संसद के दोनों सदनों में रखा जा सकता है।

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