सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत - मुख्य चरण, कारण एवं परिणाम

सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत – मुख्य चरण, कारण एवं परिणाम

सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत, सविनय अवज्ञा आंदोलन क्यों शुरू किया गया, सविनय अवज्ञा आंदोलन के मुख्य चरण, सविनय अवज्ञा आंदोलन के कारणों एवं परिणामों का वर्णन करें, सविनय अवज्ञा आंदोलन का उद्देश्य क्या था, सविनय अवज्ञा आंदोलन के प्रभाव आदि महत्वपूर्ण प्रश्नों के उत्तर यहाँ दिए गए हैं।

सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत

सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत महात्मा गांधी के नेतृत्व में 12 मार्च वर्ष 1930 में की गई थी। महात्मा गांधी ने सविनय अवज्ञा आंदोलन को ब्रिटिश शासन के विरुद्ध एक हथियार के रूप में प्रयोग किया था। इस आंदोलन की शुरुआत महात्मा गांधी के प्रसिद्ध दांडी मार्च के कारण हुई थी। दरअसल 12 मार्च 1930 को साबरमती आश्रम से महात्मा गांधी ने आश्रम के अन्य सदस्यों के साथ मिलकर दांडी मार्च का आयोजन किया था। इस यात्रा में महात्मा गांधी एवं आश्रम के लगभग 78 सदस्यों ने पैदल यात्रा आरंभ की थी। इसके बाद 6 अप्रैल 1930 को दांडी पहुंचने के पश्चात महात्मा गांधी ने ब्रिटिश शासन द्वारा निर्मित नमक कानून का उल्लंघन किया। अंग्रेजी शासन के अनुसार किसी भी भारतीय द्वारा नमक बनाए जाने का कार्य गैरकानूनी माना जाता था क्योंकि नमक पर पूर्ण रूप से अंग्रेजी हुकूमत का एकाधिकार स्थापित था। महात्मा गांधी ने एक मुट्ठी नमक को उठाकर अंग्रेजी सरकार की अवज्ञा की थी। इसी के साथ नमक कानून की अवज्ञा करने की क्रिया को पूरे देश में सविनय अवज्ञा आंदोलन के नाम से जाना जाने लगा।

सविनय अवज्ञा आंदोलन क्यों शुरू किया गया

सविनय अवज्ञा आंदोलन को फरवरी वर्ष 1930 में कांग्रेस कार्यसमिति द्वारा पूर्ण स्वराज प्राप्त करने हेतु आरंभ किया गया था जिसका नेतृत्व महात्मा गांधी ने किया था। माना जाता है कि वर्ष 1930 में पूरे भारत में आर्थिक मंदी का गहरा प्रभाव था जिसके कारण भारतीय जनता एवं ब्रिटिश पूंजीपति वर्ग में काफी असंतोष फैला हुआ था। महात्मा गांधी ने आर्थिक मंदी के प्रभाव का लाभ उठाते हुए सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत की थी। महात्मा गांधी आश्रम के अन्य सहयोगियों के साथ साबरमती आश्रम से लगभग 240 किलोमीटर दूर पद यात्रा करके दांडी तट पर पहुंचे थे सविनय अवज्ञा आंदोलन मुख्य रूप से अंग्रेजी सरकार के खिलाफ किया जाने वाला एक आंदोलन था जिससे भारतीय जनता बेहद प्रभावित हुई। दरअसल ब्रिटिश शासन के द्वारा नमक उत्पादन एवं विक्रय पर बड़ी मात्रा में कर लगाया गया था जिसके कारण भारत के नागरिक इस कानून से मुक्त होना चाहते थे इसीलिए इस आंदोलन की शुरुआत की गई थी।

सविनय अवज्ञा आंदोलन के मुख्य चरण

सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत महात्मा गांधी के नेतृत्व में शुरू किए जाने वाले दांडी यात्रा से हुई थी। महात्मा गांधी के आवाहन पर पूरे देश की जनता ने सविनय अवज्ञा आंदोलन में अपनी भागीदारी सुनिश्चित की थी। सविनय अवज्ञा आंदोलन का उदय कई मुख्य चरणों में हुआ था जो कुछ इस प्रकार हैं:-

  • सविनय अवज्ञा आंदोलन में सर्वप्रथम जनता के द्वारा यह निर्णय लिया गया कि ब्रिटिश सरकार को किसी भी प्रकार का कर नहीं दिया जाएगा। सविनय अवज्ञा आंदोलन के माध्यम से भारतीय नागरिकों ने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ आंदोलन किया था।
  • दांडी यात्रा के दौरान शुरू हुए सविनय अवज्ञा आंदोलन के कारण भारतीय मूल के नागरिकों द्वारा विदेशी वस्त्रों का पूर्ण रूप से विरोध किया गया था। इस दौरान विदेशी वस्त्रों की होली जलाई गई एवं स्वदेशी वस्तुओं को अपनाया जाने लगा जिससे ब्रिटिश सरकार काफी प्रभावित हुई थी।
  • सविनय अवज्ञा आंदोलन के कारण भारतीय विद्यार्थियों द्वारा सरकारी विद्यालयों का मुख्य रूप से बहिष्कार किया गया था। इसके अलावा सभी सरकारी कर्मचारियों को दफ्तरों में जाने से भी रोका गया। यह महात्मा गांधी द्वारा किए जाने वाली एक महत्वपूर्ण पहल थी जिसके माध्यम से ब्रिटिश सरकार का पूर्ण रूप से विरोध किया गया।
  • सविनय अवज्ञा आंदोलन के दौरान सभी सरकारी शराब की दुकानों पर धरना दिया जाने लगा जिससे ब्रिटिश सरकार को भारी नुकसान का सामना करना पड़ा। दरअसल भारतीय नागरिक किसी भी रूप में ब्रिटिश सरकार को कर नहीं देना चाहते थे जिसके कारण आंदोलनकारियों द्वारा यह महत्वपूर्ण कदम उठाया गया था।
  • सविनय अवज्ञा आंदोलन के अंतर्गत उन सभी नियमों एवं कानूनों का उल्लंघन किया गया जो आत्म निर्णय के सिद्धांतों के विरुद्ध माने जाते हैं।

सविनय अवज्ञा आंदोलन के कारणों एवं परिणामों का वर्णन करें

सविनय अवज्ञा आंदोलन के कारण

सविनय अवज्ञा आंदोलन के कई प्रमुख कारण थे जो कुछ इस प्रकार हैं:-

  • वर्ष 1930 के दौरान भारतीय कृषिकों की आर्थिक स्थिति विश्वव्यापी मंदी के कारण बेहद खराब हो चुकी थी जिसके कारण सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत की गई। दरअसल, अंग्रेजी सरकार द्वारा भारतीय मूल के व्यक्तियों से भारी मात्रा में कर चुकाए जाने हेतु दबाव डाला जाता था जिसके कारण भारत के नागरिकों एवं कृषिकों की आर्थिक दशा बेहद खराब हो चुकी थी।
  • सन 1927 में साइमन कमीशन का बहिष्कार किया गया था क्योंकि आयोग में किसी भी भारतीय सदस्य की सदस्यता मौजूद नहीं थी। इसके अलावा ब्रिटिश सरकार ने वर्ष 1928 में जवाहरलाल नेहरू समिति की सूचना को भी ठुकरा दिया था जिसके कारण सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत की गई थी।
  • ब्रिटिश सरकार ने भारतीय मूल के लोगों को औपनिवेशिक स्वराज्य प्रदान करने से इंकार कर दिया था जिसके कारण भारत की जनता में ब्रिटिश सरकार के प्रति निराशा फैल चुकी थी। इस स्थिति में सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत करना अत्यंत आवश्यक हो गया था।
  • वर्ष 1929 में वैश्विक मंदी के कारण भारत की आर्थिक स्थिति बेहद प्रभावित हुई थी जिसके फलस्वरूप भारत में उत्पादों के दामों में भारी वृद्धि हुई थी। इसके कारण भारत की जनता में असंतोष की स्थिति उत्पन्न हो गई थी। इसके अलावा भारत में नौकरशाही में भी तेजी से वृद्धि हुई थी जिसके कारण भारतीय जनता बेहद नकारात्मक रूप से प्रभावित हुई थी।
  • भारत में मजदूर एवं निम्न वर्गीय लोगों की दशा सोचनीय हो गई थी जिसके कारण उनमें साम्यवादी विचारों का उदय हो रहा था। इसके साथ ही क्रांतिकारियों की गतिविधियों में भी वृद्धि हुई थी जिसके कारण महात्मा गांधी बेहद चिंतित अवस्था में थे। महात्मा गांधी को यह भय था कि देश के आंदोलनकारी अहिंसा के मार्ग को छोड़कर हिंसा के मार्ग को ना धारण कर लें। महात्मा गांधी का यह मानना था कि यदि देश की स्वतंत्रता के लिए शांतिपूर्ण ढंग से किसी आंदोलन का आयोजन ना किया गया तो देश में हिंसात्मक क्रांति की संभावनाओं में वृद्धि हो सकती है। इसी कारण महात्मा गांधी ने सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत की थी।
  • वर्ष 1929 में कांग्रेस समिति ने भारत में पूर्ण स्वतंत्रता को स्थापित करने का लक्ष्य रखा था जिसकी प्राप्ति हेतु समय-समय पर आंदोलन करना बेहद अनिवार्य था।

सविनय अवज्ञा आंदोलन के परिणाम

सविनय अवज्ञा आंदोलन ने भारतीय समाज को कई प्रकार से प्रभावित किया था। सविनय अवज्ञा आंदोलन के परिणाम कुछ इस प्रकार हैं:-

  • सविनय अवज्ञा आंदोलन के कारण ब्रिटिश सरकार की नीतियों का खंडन हुआ था जिससे उनकी कार्यप्रणाली बेहद बुरी तरह से प्रभावित हुई थी। सविनय अवज्ञा आंदोलन के माध्यम से स्वतंत्रता आंदोलन की सामाजिक जड़ों को मजबूती मिली थी जिसके कारण भारत को आजादी मिली थी। इसके अलावा इस आंदोलन के कारण सामाजिक आधार का भी विस्तार हुआ जिसके कारण देश के विभिन्न वर्ग के लोगों में देश की आजादी के प्रति जागरूकता फैली।
  • इस आंदोलन के द्वारा महात्मा गांधी ने भारतीय जनता के मानवाधिकारों के प्रति संघर्ष करने के नए मार्ग को प्रशस्त किया। इस आंदोलन के कारण ब्रिटिश सरकार को नशाबंदी एवं करबंदी जैसे कार्य करने पड़े जिससे भारतीय नागरिकों को लाभ मिला।
  • सविनय अवज्ञा आंदोलन में देश की महिलाओं, किसानों, गरीबों एवं निम्न वर्गीय लोगों की बराबर भागीदारी को देखा गया जिससे महात्मा गांधी को भारत का एकीकरण करने में सहायता प्राप्त हुई। इसके अलावा इस आंदोलन ने नारी शक्ति को संचित करने का कार्य भी किया था जिससे उनका सार्वजनिक जीवन में प्रवेश हुआ एवं भारतीय मूल की महिलाओं को विशेष रुप से लाभ मिला।
  • इस आंदोलन के माध्यम से समाज के विभिन्न वर्गों का राजनीतिकरण संभव हो सका। सविनय अवज्ञा आंदोलन के कारण देश की राजनीति पर गहरा प्रभाव पड़ा था।
  • माना जाता है कि सविनय अवज्ञा आंदोलन के कारण ही ब्रिटिश सरकार को 1935 ई को भारत शासन अधिनियम पारित करना पड़ा था। यह सविनय अवज्ञा आंदोलन की प्रमुख उपलब्धि मानी जाती है।
  • सविनय अवज्ञा आंदोलन के कारण भारतीय नागरिकों ने अहिंसा के मार्ग को धारण किया जिससे भारतीयों में आत्म बल की वृद्धि देखी गई।

सविनय अवज्ञा आंदोलन का उद्देश्य क्या था

सविनय अवज्ञा आंदोलन का मुख्य उद्देश्य नमक कर एवं उपनिवेशी शासन का विरोध करना था। इस आंदोलन को दांडी मार्च, नमक सत्याग्रह एवं नमक मार्च के नाम से भी जाना जाता है। महात्मा गांधी इस आंदोलन के माध्यम से देश को ब्रिटिश सरकार से आजादी दिलाना चाहते थे जिसके लिए उन्होंने 11 सूत्रीय निम्नलिखित कार्यों की सूची तत्कालीन वायसराय लॉर्ड इर्विन को प्रेषित की थी:-

  1. महात्मा गांधी सविनय अवज्ञा आंदोलन के माध्यम से विनियम की दर में कमी करना चाहते थे। जिसके लिए उन्होंने मांग रखी कि रूपये का विनिमय दर 1 सीलिंग 4 पेंस के बराबर कर दिया जाए।
  2. सविनय अवज्ञा आंदोलन करने का मुख्य उद्देश्य नमक कर को पूर्णत: समाप्त करना था।
  3. इस आंदोलन के दौरान आंदोलनकारियों द्वारा मदिरा की बिक्री पर रोक लगाई गई जिसका उद्देश्य संपूर्ण मदिरा की बिक्री पर रोक लगाना था।
  4. महात्मा गांधी ने इस आंदोलन के द्वारा सेना के खर्च को लगभग आधा करने की मांग रखी।
  5. सविनय अवज्ञा आंदोलन के माध्यम से भूमि कर का भी मुख्य रूप से विरोध किया गया था।
  6. भारतीय आंदोलनकारियों की मांग थी कि भारत के सभी समुद्री तट भारतीय जहाजों के लिए सुरक्षित कर दिया जाए।
  7. सविनय अवज्ञा आंदोलन का उद्देश्य विदेशी वस्त्रों के आयात पर रोक लगाना था जिससे भारत में स्वदेशी वस्त्रों का प्रसार एवं प्रचार किया जा सके।
  8. महात्मा गांधी ने ब्रिटिश सरकार के समक्ष यह मांग रखी कि सरकारी पद पर तैनात बड़े अधिकारियों का वेतन आधा कर दिया जाए जिससे आर्थिक मंदी की समस्या से जल्द से जल्द छुटकारा पाया जा सके।
  9. सविनय अवज्ञा आंदोलन के माध्यम से भारतीय क्रांतिकारियों ने ब्रिटिश सरकार के समक्ष सभी राजनीतिक कैदियों को आजाद करने एवं उनके ऊपर चल रहे सभी राजनीतिक मामलों को खत्म करने की मांग रखी।
  10. इस आंदोलन के द्वारा भारतीय नागरिकों ने आत्मरक्षा हेतु हथियार रखने के लाइसेंस की भी मांग रखी।
  11. महात्मा गांधी ने सविनय अवज्ञा आंदोलन के माध्यम से ब्रिटिश सरकार द्वारा संचालित गुप्तचर पुलिस को समाप्त करके उस पर जनता के नियंत्रण के अधिकार की मांग की।

सविनय अवज्ञा आंदोलन के प्रभाव

5 मार्च वर्ष 1931 में सविनय अवज्ञा आंदोलन की समाप्ति के बाद महात्मा गांधी ने 3 जनवरी 1932 को इस आंदोलन को पुनः आरंभ कर दिया था। सविनय अवज्ञा आंदोलन के माध्यम से देश के नागरिकों में नव चेतना का संचार हुआ था जिससे राष्ट्रीयता की भावना में वृद्धि हुई। इस आंदोलन ने भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन को व्यापक रूप दिया था जिससे ब्रिटिश सरकार बेहद प्रभावित हुई। महात्मा गांधी के नेतृत्व में हुए इस आंदोलन के कारण भारत के नागरिकों ने भारी मात्रा में स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए संघर्ष किए। इसके अलावा सविनय अवज्ञा आंदोलन ने देश को कई अन्य प्रकार से भी प्रभावित किया था जो कुछ इस प्रकार हैं :-

  • सविनय अवज्ञा आंदोलन के कारण भारतीय नागरिकों के सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक क्षेत्रों पर अनुकूल प्रभाव पड़ा था। इसके कारण देश में स्वदेशी उत्पादों का प्रचार हुआ जिससे देश में आत्मनिर्भरता के कार्यक्रमों को बढ़ावा मिला। माना जाता है कि सविनय अवज्ञा आंदोलन एक जन आंदोलन था जिसमें देश के सभी वर्गों ने अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
  • इस आंदोलन के माध्यम से देश के नागरिकों में राष्ट्रीयता की भावना में वृद्धि हुई थी जिसके फलस्वरूप इस आंदोलन को भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के रूप में जाना जाने लगा।
  • सविनय अवज्ञा आंदोलन का नेतृत्व महात्मा गांधी ने अहिंसा के बल पर किया था जिससे भारतीयों में अहिंसा की शक्ति के प्रति विश्वास और अधिक दृढ़ हो गया।
  • वर्ष 1930 में शुरू हुए इस आंदोलन के कारण भारतीय क्रांतिकारियों की गतिविधियां बेहद प्रभावित हुईं। इसके कारण भारतीय नागरिकों ने हिंसा की तुलना में अहिंसा के मार्ग को अपनाया जिसके कारण देश में हिंसात्मक गतिविधियों के स्तर में कमी हुई।
  • भारत में चल रहे सविनय अवज्ञा आंदोलन को अन्य देशों ने नैतिक सहानुभूति प्रदान की। ब्रिटेन के उदारवादी तत्वों ने सविनय अवज्ञा आंदोलन का समर्थन किया एवं भारत को जल्द से जल्द स्वतंत्रता प्रदान करने हेतु अपने देश की सरकार से आग्रह किया।
  • सविनय अवज्ञा आंदोलन के कारण देश की जनता में महात्मा गांधी के प्रति विश्वास की नई चेतना जागृत हुई जिसके कारण उन्हें पूर्ण विश्वास हुआ कि भारत जल्द ही अंग्रेजों से स्वतंत्रता हासिल कर लेगा। इसके अलावा इस आंदोलन के माध्यम से लोगों के आत्मविश्वास को भी बढ़ावा मिला जिससे आजादी का संकल्प अटल हुआ।
  • इस आंदोलन में भारतीय महिलाओं की भी एक अहम भूमिका रही जिससे भारतीय महिलाओं की सामाजिक स्थिति में सुधार हुआ।
  • सविनय अवज्ञा आंदोलन के कारण देश में कई कारखानों को बंद करके स्वदेशी वस्तुओं के प्रयोग को प्रोत्साहन दिया जाने लगा जिससे ब्रिटिश सरकार को भारी नुकसान का सामना करना पड़ा।
  • इस आंदोलन के कारण संवैधानिक सुधार कार्यों को प्रोत्साहन मिला जिससे कुछ समय बाद ही भारत में 1935 का अधिनियम पारित किया गया।