सिंधु घाटी सभ्यता का सामाजिक जीवन : सिंधु घाटी सभ्यता का सामाजिक जीवन सुखी तथा सुविधापूर्ण था। सिंधु सभ्यता का सामाजिक जीवन का मुख्य आधार परिवार था। सिंधु वासियों में अमीर-गरीब में कोई भेदभाव नहीं था।
सिंधु सभ्यता का सामाजिक जीवन
सिंधु सभ्यता या हड़प्पा सभ्यता का सामाजिक जीवन निम्नवत था —
- सैन्धव वासियों (सिंधु वासियों) का परिवार मातृसत्तात्मक होता था इस बात का अनुमान बहुत संख्या में खुदाई से प्राप्त नारी मूर्तियों से होता है।
- हड्डपा की खुदाई में छोटे और बड़े घर आस-पास मिले हैं जिससे यह प्रमाणित होता है कि गरीब तथा अमीर में कोई भेदभाव नहीं था।
- सिंधु सभ्यता का समाज व्यवसाय के आधार पर कई वर्गों में बँटा हुआ था जैसे – व्यापारी, पुरोहित, शिल्पकार और श्रमिक आदि।
- मिट्टी, सोने, चाँदी और ताँबे आदि से बने बर्तनों का प्रयोग होता था।
- कृषि के लिए धातु एवं पाषाण (पत्थर) से बने औजार एवं उपकरणों का प्रयोग किया जाता था।
- सैन्धव वासी शाकाहारी और माँसाहारी दोनों प्रकार का भोजन ग्रहण किया करते थे। शाकाहारी भोजन के रूप में प्रमुख रूप से गेहूं, चावल, जौ, तिल तथा दालें आदि ग्रहण किया करते थे।
- सिंधु वासी मनोरंजन के लिए शिकार करना, गाना-बजाना, नाचना और जुआ खेलना आदि क्रिया कलाप किया करते थे।
- पासा इस युग का प्रमुख खेल था।
- मछली पकड़ना तथा चिड़ियों का शिकार करना नियमित क्रिया कलाप था। यह क्रिया-कलाप मनोरंजन और भोजन, दोनों के लिए किया जाता था।
- सिंधु घाटी सभ्यता की खुदाई में बहुत सारी छोटी-छोटी टेराकोटा (पक्की मिट्टी) की मूर्तियाँ मिली हैं, संभवतः इनका प्रयोग पूज्य प्रतिमाओं के रूप में होता था या फिर खिलौनों के रूप में। पुरुष और स्त्री दोनों की ही लघु मृण्मूर्तियां (छोटे आकर की मिट्टी की बनी मूर्ति) मिली हैं लेकिन स्त्री की मूर्तियों की संख्या ज्यादा है।
- आभूषण में भुजबन्द, कड़ा, कण्ठहार, हँसुली और कर्णफूल आदि का प्रयोग किया जाता था जोकि सोने, चाँदी, ताँबे, सीप तथा हाथी दाँत आदि के बने होते थे।
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