सिंधु घाटी सभ्यता की नगर योजना का वर्णन करें : सिंधु घाटी सभ्यता की नगर योजना ही सिंधु सभ्यता की सबसे बड़ी विशेषता थी। जालनुमा सड़कें व गालियाँ, सुनियोजित जल निकास प्रणाली एवं पक्की ईंटों का प्रयोग आदि कई विशेषताएँ सिंधु सभ्यता में देखने को मिलती हैं। सिंधु घाटी सभ्यता को हड़प्पा सभ्यता के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि इस सभ्यता का सर्वप्रथम अवशेष हड़प्पा से ही प्राप्त हुआ था।
सिंधु घाटी सभ्यता या हड़प्पा सभ्यता की नगर योजना का वर्णन करें ?
सिंधु घाटी सभ्यता या हड़प्पा सभ्यता की नगर योजना का वर्णन निम्नवत है –
- सिंधु घाटी सभ्यता या हड़प्पा सभ्यता में नगर की सड़कें एवं मकान सुनियोजित ढंग से बनाये जाते थे। मकान बनाने के लिए पक्की ईंटों का प्रयोग किया जाता था।
- सिंधु घाटी की ईंटें एक निश्चित अनुपात में बनाई जाती थीं। अधिकांशतः ईंटें आयताकार आकर की होती थीं। ईंट की लम्बाई, चौड़ाई और मोटाई का अनुपात 4 : 2 : 1 था।
- नगर को दो भागों में विभाजित किया गया था, एक भाग छोटा लेकिन ऊंचाई पर बना होता था तो नगर का दूसरा भाग कहीं अधिक बड़ा परन्तु नीचे बनाया गया था। ऊँचें भाग को दुर्ग और निचले भाग को निचला शहर का नाम दिया गया है। दुर्ग को कच्ची ईंटों के चबूतरे पर बनाया जाता था इसलिए यह ऊँचे होते थे।
- दुर्ग को दीवार से घेरा गया था जिसका अर्थ है कि इसे निचले शहर से अलग किया गया था।
- दुर्ग में खाद्य भण्डार गृह, महत्वपूर्ण कार्यशालाएँ, धार्मिक इमारतें तथा जन इमारतें थी। निचले भाग में लोग रहा करते थे।
- हड़प्पा शहरों की सबसे अनूठी विशेषता इसकी जल निकास प्रणाली थी।
- सड़कों तथा गलियों को ग्रिड पद्धति (जालनुमा) में बनाया गया था। सड़कें सीधी थीं और एक-दूसरे को समकोण पर काटती थी।
- ऐसा जान पड़ता है कि पहले नालियों के साथ गालियाँ बनाई गयीं और फिर उनके अगल-बगल मकानों का निर्माण किया गया।
- नालियाँ ईंटों तथा पत्थर से ढकी होती थी। जिनके निर्माण में प्रमुखतः ईंटों और मोर्टार का प्रयोग किया जाता था पर कुछ जगह चुने और जिप्सम का प्रयोग भी मिलता है।
- सिंधु घाटी सभ्यता के दरवाजे और खिड़कियाँ सड़क की तरफ न खुलकर पीछे की तरफ खुलते थे। लेकिन लोथल में ऐसा नहीं मिलता है।
- मकान में स्नानागार प्रमुखतः गली अथवा सड़क के नजदीक बनाया जाता था।
- मोहनजोदड़ो में एक विशाल स्नानागार मिला है जोकि 11.88 मीटर (39 फीट) लम्बा, 7.01 मीटर (23 फीट) चौड़ा और 2.43 मीटर (8 फीट) गहरा था। संभवतः इस स्नानागार का प्रयोग आनुष्ठानिक स्नान के लिए होता था।
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