सिंधु घाटी सभ्यता शिल्प तथा उद्योग धन्धे

सिंधु घाटी सभ्यता शिल्प तथा उद्योग धन्धे : सिंधु घाटी सभ्यता शिल्प तथा उद्योग धन्धे में कताई-बुनाई, आभूषण, बर्तन और औजार आदि कई वस्तुओं का निर्माण किया करते थे। यातायात के लिए बैलगाड़ी और भैंसागाड़ी का प्रयोग कर देश-विदेश से व्यापार किया करते थे।

सिंधु घाटी सभ्यता या हड़प्पा सभ्यता के लोग कृषि और पशुपालन के साथ-साथ शिल्प कला तथा उद्योग धन्धों में भी बढ़ चढ़कर-रूचि लिया करते थे।

सिंधु घाटी सभ्यता या हड़प्पा सभ्यता के शिल्प कला तथा उद्योग धन्धे —

  • खुदाई में कताई-बुनाई के उपकरण तकली, सुई आदि प्राप्त हुए हैं जिससे ज्ञात होता है कि सैंधव वासियों का कपड़ा बुनना एक प्रमुख व्यवसाय था। सूती वस्त्रों के अवशेष भी यहीं से प्राप्त हुए हैं जिससे यह ज्ञात होता है कि विश्व में सर्वप्रथम कपास की खेती यहीं शुरू हुई थी।
  • भारत में चाँदी का प्रयोग सर्वप्रथम सिंधु सभ्यता में ही मिलता है।
  • सिंधु सभ्यता के निवासी धातु निर्माण, बर्तन निर्माण, आभूषण निर्माण, औजार और उपकरण निर्माण आदि उद्योग किया करते थे। साथ ही परिवहन उद्योग से परिचित थे।
  • यहाँ के निवासी बढ़ईगिरी का भी व्यवसाय किया करते थे लकड़ी की वस्तुओं के साक्ष्य मिलने से इस बात की पुष्टि होती है।
  • इस सभ्यता में कुम्हार के चाक का प्रचलन भी बहुतायत में होता था क्योंकि इस सभ्यता के प्राप्त मृद्भाण्ड (मिट्टी के बर्तन) चमकीले और चिकने थे।
  • चाक पर मिट्टी के बर्तन बनाना, खिलोने, मुद्रा, आभूषण और उपकरण आदि का निर्माण करना कुछ अन्य इस सभ्यता के प्रमुख धन्धे थे।

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