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Today’s Current Affairs in Hindi | 06 मई 2025 (हिंदी करंट अफेयर्स)

Today’s Current Affairs in Hindi | 06 मई 2025 (हिंदी करंट अफेयर्स), 06 मई 2025 के current affairs today in hindi.

06 मई 2025 डेली करेंट अफेयर्स

  • प्रधानमंत्री एंथनी एल्बनीज़ ने 2025 के आम चुनावों में लेबर पार्टी का नेतृत्व करते हुए भारी जीत हासिल की और लगातार दूसरी बार प्रधानमंत्री बने। इस जीत के बावजूद वैश्विक स्तर पर एंटी-इनकम्बेंसी लहर चल रही थी। एल्बनीज़ की जीत को पीटर डटन (लिबरल-नेशनल गठबंधन) के नेतृत्व वाली विपक्ष की नीतियों का विरोध माना जा रहा है। उनका प्रचार मुख्य रूप से न्याय और अवसर के बढ़ावे पर केंद्रित था, जिसे जनता का समर्थन मिला। चुनाव के बाद, अंतरराष्ट्रीय नेताओं से सकारात्मक प्रतिक्रियाएं मिलीं। उन्होंने महंगाई, जलवायु परिवर्तन, आवास संकट और स्वास्थ्य सेवाओं जैसे राष्ट्रीय मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया। इसके अलावा, असफल ‘वॉयस जनमत संग्रह’ के बाद स्वदेशी ऑस्ट्रेलियाई समुदाय से संवाद की नई शुरुआत हुई। पहले कार्यकाल में एल्बनीज़ को आर्थिक मंदी और जनता की नाखुशी जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ा था, लेकिन इस बार उनके संयमित और मध्यमार्गी अभियान ने सफलता दिलाई। विपक्षी गठबंधन, जो ‘ट्रंपीयन रणनीति’ पर आधारित था, जनता का विश्वास दोबारा नहीं जीत सका। 2025 के चुनाव में लेबर पार्टी को 86 सीटें मिल सकती हैं, जबकि गठबंधन को 40 सीटों के आसपास अनुमानित किया गया है।
  • सिंगापुर में 3 मई 2025 को हुए ऐतिहासिक आम चुनाव में प्रधानमंत्री लॉरेंस वोंग के नेतृत्व में पीपल्स एक्शन पार्टी (PAP) ने 97 में से 87 सीटें जीतकर जोरदार जीत हासिल की। यह चुनाव वोंग के प्रधानमंत्री बनने के बाद उनकी पहली चुनावी परीक्षा थी, जिसमें उन्हें 65.57% लोकप्रिय वोट मिले—जो 2020 के मुकाबले बढ़त दर्शाता है। यह जीत ऐसे समय में मिली जब देश आर्थिक मंदी, महंगाई और अमेरिका-चीन तनाव जैसी चुनौतियों से जूझ रहा था। कुल 24,29,281 मतदाताओं ने वोट डाला, जबकि विपक्षी वर्कर्स पार्टी ने 10 सीटें बरकरार रखीं। PAP का प्रचार स्थिरता, आर्थिक सुरक्षा और वैश्विक अनिश्चितताओं में मजबूत नेतृत्व पर केंद्रित था। चुनावी मुद्दों में जीवन यापन की लागत, आवास, और विदेशी श्रमिकों की संख्या प्रमुख रहे। आर्थिक मोर्चे पर भी चुनौतियाँ थीं, जैसे कि अप्रैल 2025 में PMI गिरकर 49.6 हो गया, जो उद्योग में संकुचन को दर्शाता है, और अमेरिकी टैरिफ्स ने निर्यात पर असर डाला। चुनाव जीतने के बाद वोंग ने नई कैबिनेट के गठन और आवास, सामर्थ्य व आर्थिक सुधारों को प्राथमिकता देने का वादा किया।
  • हैदराबाद की कंपनी गोल्डसिक्का ने भारत का पहला AI-सक्षम ‘गोल्ड-मेल्टिंग एटीएम’ लॉन्च किया है, जो सोने को खरीदने, बेचने, पिघलाने, किराए पर देने, डिजिटाइज़ करने और उसके बदले तुरंत बैंक ट्रांसफर जैसी सुविधाएं पूरी तरह स्वचालित तरीके से प्रदान करता है। यह मशीन सोने की शुद्धता की जांच कर बाजार दर के अनुसार उसका मूल्य तय करती है और 30 मिनट के भीतर ग्राहक के खाते में राशि भेज देती है। इसमें ऑगमेंटेड रियलिटी की मदद से ग्राहक आभूषणों को वर्चुअली पहनकर देख सकते हैं, जिससे अनुभव और भी आकर्षक बनता है। सुरक्षा के लिए आधार सत्यापन, पहचान पत्र जांच और फोटो रिकॉर्डिंग जैसी AI-आधारित सुविधाएं हैं, जो संदिग्ध लेन-देन की स्थिति में पुलिस को अलर्ट भेजती हैं। इस पहल का उद्देश्य पारंपरिक स्वर्ण लेन-देन को सुरक्षित, तेज़ और डिजिटल बनाना है। कंपनी ने अगले एक साल में भारत और विदेशों में 100-100 नई मशीनें लगाने की योजना बनाई है। गोल्डसिक्का पहले भी 2022 में भारत का पहला रीयल-टाइम गोल्ड एटीएम लॉन्च कर चुकी है और वर्तमान में देश में 14 तथा विदेशों में 3 एटीएम संचालित हो रहे हैं।
  • भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) की 12 सदस्यीय टीम ने 19 अप्रैल 2025 को विश्व की पाँचवीं सबसे ऊँची चोटी माउंट मकालू (8,485 मीटर) को सफलतापूर्वक फतह किया, जो उनके ऐतिहासिक ट्विन पीक अभियान का हिस्सा था। इस अभियान का उद्देश्य नेपाल स्थित दो ऊँची चोटियों—माउंट मकालू और माउंट अन्नपूर्णा—पर चढ़ाई करना था। अभियान का नेतृत्व उप कमांडेंट अनुप कुमार नेगी और उपनेता निहास सुरेश ने किया। टीम दो भागों में बाँटी गई थी और मकालू पर पाँच सदस्य सफलतापूर्वक सुबह 8:15 बजे शिखर पर पहुँचे। माउंट अन्नपूर्णा की टीम 7,940 मीटर तक पहुँची, लेकिन मौसम खराब होने के कारण 150 मीटर पहले रुकना पड़ा। इस सफलता ने ITBP की पर्वतारोहण परंपरा, फिटनेस, सहनशक्ति और पर्यावरणीय प्रतिबद्धता को और मज़बूती दी। अभियान के दौरान 150 किलोग्राम अपघटनीय कचरा भी एकत्र किया गया। अब तक ITBP दुनिया की 14 में से 6 “एट-थाउज़ैंडर” चोटियाँ फतह कर चुकी है, जिसमें माउंट एवरेस्ट, कंचनजंगा और मनास्लु जैसी चोटियाँ शामिल हैं। कुल 229 पर्वत चोटियाँ फतह करने वाली ITBP अब पर्वतारोहण, आपदा प्रतिक्रिया और पर्यावरण संरक्षण में भी अहम भूमिका निभा रही है।
  • भारत ने 4 मई 2025 को कृषि क्षेत्र में ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की, जब वह दुनिया का पहला देश बना जिसने आधिकारिक रूप से दो जीनोम-संपादित चावल की किस्में—DRR Rice 100 (कमला) और Pusa DST Rice 1—लॉन्च कीं। ये किस्में CRISPR-Cas तकनीक से विकसित की गई हैं और जल संरक्षण, जलवायु सहनशीलता और उच्च उत्पादकता जैसे लक्ष्यों को साधती हैं। DRR Rice 100, हैदराबाद स्थित ICAR-IIRR द्वारा विकसित की गई है, जो 130 दिनों में परिपक्व होती है और जल की बचत के साथ ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन भी घटाती है। वहीं, ICAR-IARI, नई दिल्ली द्वारा विकसित Pusa DST Rice 1, नमक-क्षारीय मिट्टी में भी 30% तक अधिक उपज देती है। इस पहल से कुल उपज में 19% वृद्धि, 20% तक ग्रीनहाउस गैस में कटौती और 7,500 मिलियन घन मीटर जल की बचत संभव है। कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने नई दिल्ली में ICAR वैज्ञानिकों को सम्मानित करते हुए इसे “दूसरे हरित क्रांति” की ओर कदम बताया। इस नवाचार से भारत का ₹48,000 करोड़ का बासमती निर्यात और मजबूत होगा और देश को “विश्व का खाद्य भंडार” बनाने की दिशा में नई गति मिलेगी।
  • DRDO ने 3 मई 2025 को मध्य प्रदेश के श्योपुर से अपने स्ट्रैटोस्फेरिक एयरशिप प्लेटफॉर्म का पहला सफल परीक्षण किया, जो ADRDE, आगरा द्वारा विकसित किया गया है। यह एयरशिप लगभग 17 किलोमीटर की ऊँचाई तक पहुँचा और 62 मिनट तक उड़ान में रहा। इस दौरान इसमें एनवेलप प्रेशर कंट्रोल सिस्टम और इमरजेंसी डिफ्लेशन सिस्टम जैसी कई ऑनबोर्ड प्रणालियों का परीक्षण किया गया, जिससे भविष्य के मिशनों के लिए जरूरी डेटा जुटाया गया। यह एयरशिप पृथ्वी का अवलोकन, सीमावर्ती निगरानी, आपदा प्रबंधन, पर्यावरण निगरानी और संचार रिले जैसे कार्यों में उपयोगी होगा। उपग्रहों और ड्रोन की तुलना में यह कम लागत, कम जोखिम और लगातार निगरानी जैसे लाभ प्रदान करता है। इसे भारत की दीर्घकालिक मिशनों और निगरानी क्षमताओं में बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने DRDO को बधाई दी और कहा कि यह भारत की स्वदेशी ISR क्षमताओं को मज़बूती देगा और भारत को उन गिने-चुने देशों की सूची में लाएगा जो इस तकनीक में सक्षम हैं। DRDO प्रमुख डॉ. समीर वी. कामत ने इसे “लाइटर दैन एयर” तकनीक में एक मील का पत्थर बताया।
  • 5 मई 2025 को विश्वभर में ‘विश्व पुर्तगाली भाषा दिवस’ मनाया गया, जिसमें 265 मिलियन से अधिक पुर्तगाली भाषी लोगों की सांस्कृतिक और भाषाई विरासत का उत्सव मनाया गया। यह दिन सबसे पहले 2009 में CPLP द्वारा घोषित किया गया था और 2019 में यूनेस्को ने इसे आधिकारिक मान्यता दी। ब्राज़ील, पुर्तगाल, मोज़ाम्बिक जैसे देशों में इस अवसर पर सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ, साहित्यिक कार्यक्रम, कविता पाठ, पारंपरिक व्यंजनों का आनंद और फादो संगीत व लुसोफोन फिल्मों की प्रस्तुतियाँ हुईं। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने पुर्तगाली भाषा को अंतरराष्ट्रीय संवाद और सांस्कृतिक एकता का सशक्त माध्यम बताया। इस दिवस का उद्देश्य लुसोफोन देशों की भाषाई विविधता का उत्सव मनाना, पुर्तगाली को वैश्विक संवाद की भाषा के रूप में बढ़ावा देना और CPLP सदस्य देशों के बीच एकता को सशक्त बनाना है। यह भाषा दुनिया की सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषाओं में से एक है, खासकर दक्षिणी गोलार्द्ध में। इस दिन ने बहुभाषिकता, सांस्कृतिक पहचान और वैश्विक सहयोग जैसे यूनेस्को के मूल मूल्यों को भी उजागर किया।
  • रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स (RSF) की 2025 की वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स रिपोर्ट बताती है कि दुनियाभर में स्वतंत्र पत्रकारिता गहरे संकट में है और पहली बार इसे “कठिन स्थिति” कहा गया है। इसका कारण आर्थिक अस्थिरता, मीडिया स्वामित्व का संकेंद्रण और राजनीतिक दमन है। भारत की रैंकिंग 2024 के मुकाबले बेहतर होकर 151वीं हुई, लेकिन पत्रकारों पर हमले, राजद्रोह कानूनों का दुरुपयोग और कश्मीर जैसे क्षेत्रों से रिपोर्टिंग में खतरे अब भी बड़े मुद्दे हैं। नॉर्वे लगातार पहले स्थान पर है, जबकि इरीट्रिया और उत्तर कोरिया सबसे नीचे हैं। 180 में से 160 देशों के मीडिया संस्थान आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं, जिससे अमेरिका, अर्जेंटीना और ट्यूनीशिया जैसे देशों की रैंकिंग गिरी है। 92 देशों में सरकारें संपादकीय स्वतंत्रता में हस्तक्षेप कर रही हैं और 21 देशों में मीडिया मालिक खुद रिपोर्टिंग को प्रभावित करते हैं। इज़राइल, फिलिस्तीन, रूस जैसे देशों में राजनीतिक हस्तक्षेप या नियंत्रण बढ़ा है। 46 देशों में मीडिया स्वामित्व कुछ गिने-चुने लोगों के पास होने से विचारों की विविधता को नुकसान हो रहा है। कई सरकारें नए कानूनों के जरिए पत्रकारों पर कानूनी दबाव डाल रही हैं, जिससे जॉर्जिया और जॉर्डन जैसे देशों की रैंकिंग गिरी है।
  • भारत सरकार ने 3 मई 2025 को एक चौंकाने वाले फैसले में डॉ. के.वी. सुब्रमणियन को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) में भारत के कार्यकारी निदेशक पद से उनके कार्यकाल की समाप्ति से छह महीने पहले ही हटा दिया। यह निर्णय कैबिनेट की नियुक्ति समिति द्वारा लिया गया और उनकी सेवाएं 30 अप्रैल 2025 से समाप्त मानी गईं। डॉ. सुब्रमणियन की नियुक्ति 1 नवंबर 2022 को तीन साल के लिए हुई थी, लेकिन अचानक हटाए जाने से IMF में भारत के रुख और संभावित मतभेदों को लेकर अटकलें तेज हो गई हैं। मीडिया सूत्रों के अनुसार, यह फैसला IMF के डेटा मानकों और डॉ. सुब्रमणियन द्वारा आधिकारिक पद पर रहते हुए अपनी किताब “India @ 100” के प्रचार को लेकर हितों के टकराव की आशंकाओं के कारण लिया गया हो सकता है। भारत IMF के कार्यकारी बोर्ड के उस समूह का हिस्सा है जिसमें बांग्लादेश, श्रीलंका और भूटान भी शामिल हैं। डॉ. सुब्रमणियन शिकागो विश्वविद्यालय से पीएच.डी. हैं और 2018 से 2021 तक भारत के मुख्य आर्थिक सलाहकार रह चुके हैं। यह घटना IMF में भारत की भागीदारी, पारदर्शिता और वैश्विक मंचों पर देश के रुख की मुखरता को दर्शाती है।
  • मई 2025 में अंगोला के राष्ट्रपति जोआओ लोरेन्सो ने भारत की राजकीय यात्रा के दौरान द्विपक्षीय संबंधों को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया। इस दौरान आयुर्वेद, कृषि और सांस्कृतिक सहयोग से जुड़े कई महत्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर हुए। पारंपरिक चिकित्सा में ज्ञान, प्रशिक्षण और अनुसंधान के क्षेत्र में साझेदारी बढ़ाने का निर्णय लिया गया, जबकि कृषि तकनीकों और सांस्कृतिक आदान-प्रदान के लिए संयुक्त कार्यक्रम तय किए गए। भारत ने अंगोला को रक्षा उपकरणों की खरीद के लिए 200 मिलियन अमेरिकी डॉलर की ऋण सहायता भी मंजूर की, जो “मेक इन इंडिया” के तहत भारत के रक्षा निर्यात को बढ़ावा देने की नीति का हिस्सा है। इसके अलावा, अंगोला ने अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) की सदस्यता लेकर भारत के नेतृत्व को समर्थन दिया और इसका 123वां सदस्य बना। यह कदम स्वच्छ ऊर्जा और जलवायु परिवर्तन के प्रति अंगोला की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। अंगोला, जो दक्षिण अफ्रीका क्षेत्र का ऊर्जा-सम्पन्न देश है, भारत की अफ्रीका नीति में एक अहम भागीदार बना हुआ है। यह यात्रा दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा और प्रभावशाली कदम साबित हुई।
  • भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच, भारत ने सिंधु जल संधि को निलंबित करते हुए पाकिस्तान को चिनाब नदी से बहने वाले पानी का प्रवाह बगलिहार बांध के जरिए लगभग 90% तक घटा दिया है और जल्द ही झेलम नदी की किशनगंगा परियोजना से पानी रोकने की योजना बना रहा है। यह कदम 3 मई को पाकिस्तान द्वारा किए गए बैलिस्टिक मिसाइल परीक्षण और 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद उठाया गया है। भारत ने जलाशयों की सफाई के आधिकारिक कारण से बगलिहार के स्लूस गेट्स नीचे कर दिए हैं, जिससे पाकिस्तान को पानी की आपूर्ति कम हो गई है। किशनगंगा परियोजना को पाकिस्तान पहले भी अंतरराष्ट्रीय मंचों पर चुनौती दे चुका है। भारत अब पश्चिमी नदियों पर अपने सीमित जल अधिकारों का अधिकतम उपयोग करते हुए पकल डुल, किरु, क्वार और रतले जैसी जलविद्युत परियोजनाएं तेज़ी से पूरा करने में जुटा है। जल शक्ति और गृह मंत्रालय मिलकर रणनीति बना रहे हैं और पाकिस्तानी जहाजों पर बंदरगाह प्रतिबंध भी लगाया गया है। यह भारत की जल कूटनीति में एक सख्त बदलाव को दर्शाता है, जो सैन्य के बजाय रणनीतिक और जल-आधारित दबाव की दिशा में इशारा करता है।

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