Today’s Current Affairs in Hindi | 15 फरवरी 2025 (हिंदी करंट अफेयर्स), 15 फरवरी 2025 के current affairs today in hindi.
15 फरवरी 2025 डेली करेंट अफेयर्स
- अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 10 फरवरी 2025 को एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए, जिससे पेपर स्ट्रॉ को बढ़ावा देने वाली संघीय नीतियां समाप्त कर दी गईं। ट्रंप ने पेपर स्ट्रॉ को अप्रभावी बताते हुए कहा कि ये जल्दी टूट जाते हैं और उपयोग में असुविधाजनक हैं। इस फैसले के तहत संघीय एजेंसियों द्वारा पेपर स्ट्रॉ की खरीद तुरंत रोक दी गई और 45 दिनों में इन्हें पूरी तरह समाप्त करने की योजना बनाने का निर्देश दिया गया। ट्रंप प्रशासन उपभोक्ताओं की पसंद को प्राथमिकता देने के पक्ष में है, जबकि पर्यावरणविदों का तर्क है कि प्लास्टिक स्ट्रॉ की वापसी समुद्री प्रदूषण और प्लास्टिक कचरे को बढ़ा सकती है। 2010 के दशक के अंत में प्लास्टिक स्ट्रॉ के पर्यावरणीय खतरे को देखते हुए कई अमेरिकी शहरों और कंपनियों ने इन पर प्रतिबंध लगाया था, लेकिन पेपर स्ट्रॉ की टिकाऊ क्षमता पर हमेशा बहस बनी रही। ट्रंप के इस फैसले को लेकर मिली-जुली प्रतिक्रियाएं आई हैं—प्लास्टिक उद्योग और कुछ उपभोक्ताओं ने इसका समर्थन किया, जबकि पर्यावरणविदों ने चिंता जताई। यह निर्णय पर्यावरणीय नीतियों और उपभोक्ता सुविधा के बीच बहस को फिर से तेज कर सकता है।
- हरियाणा सरकार ने मिट्टी की सेहत सुधारने और सतत कृषि को बढ़ावा देने के लिए ‘हर खेत-स्वस्थ खेत’ अभियान शुरू किया है। इस पहल के तहत अगले 3-4 वर्षों में हर एकड़ कृषि भूमि से मिट्टी के नमूने लेकर किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड दिए जाएंगे, जिससे वे उर्वरता और पोषक तत्व प्रबंधन को बेहतर समझ सकें। अब तक 70 लाख नमूने लिए जा चुके हैं, जिनमें से 55 लाख का विश्लेषण कर 86 लाख से अधिक मृदा स्वास्थ्य कार्ड जारी किए गए हैं। राज्य में 17 स्थायी और 54 लघु मिट्टी परीक्षण प्रयोगशालाएँ बनाई गई हैं, साथ ही 240 स्कूल-कॉलेजों में लघु प्रयोगशालाएँ स्थापित की गई हैं, जहाँ छात्र भी परीक्षण कार्य में भाग लेते हैं। 2022 में लॉन्च हुए ‘हर खेत-स्वस्थ खेत’ पोर्टल से किसानों को डिजिटल रूप में मिट्टी परीक्षण डेटा मिलता है। इस योजना को 2022 में स्कॉच गोल्ड मेडल भी मिला। सरकार ने सिरसा और करनाल में प्रयोगशालाएँ बनाकर कीटनाशक अवशेषों की निगरानी शुरू की है और 2023-24 में 3,640 नमूनों का विश्लेषण किया गया। इस अभियान का मुख्य लक्ष्य वैज्ञानिक तरीके से मिट्टी की उर्वरता बनाए रखना और किसानों को उन्नत कृषि तकनीक अपनाने में सहायता करना है।
- अरुण शौरी की नई पुस्तक ‘द न्यू आइकन: सावरकर एंड द फैक्ट्स’ 31 जनवरी 2024 को प्रकाशित हुई, जिसमें विनायक दामोदर सावरकर की विरासत पर गहन विश्लेषण किया गया है। यह पुस्तक उनकी 1997 की कृति ‘वर्शिपिंग फॉल्स गॉड्स’ की तरह स्थापित ऐतिहासिक धारणाओं को चुनौती देती है। शौरी ने इसमें सावरकर के महात्मा गांधी की हत्या में कथित भूमिका पर विस्तृत साक्ष्यों के आधार पर प्रकाश डाला है। वे सावरकर के अदालत में दिए गए बयानों को “पूरी तरह मनगढ़ंत” बताते हैं और गोडसे से उनकी विचारधारा के संबंध को उजागर करते हैं। यह पुस्तक गांधी जी की पुण्यतिथि 30 जनवरी को प्रकाशित होने वाली थी, लेकिन सावरकर समर्थकों के विरोध के कारण इसे 31 जनवरी तक स्थगित किया गया। चूंकि सावरकर को कोई राजनीतिक संरक्षण प्राप्त नहीं है, यह पुस्तक राष्ट्रीय विमर्श को और अधिक प्रभावित कर सकती है। शौरी का यह साहसिक विश्लेषण सावरकर को भारतीय राजनीति के सबसे विवादास्पद विषयों में ला खड़ा करता है, जिससे इस पुस्तक पर तीखी बहस की संभावना बढ़ गई है।
- दिसंबर 2024 में भारत की औद्योगिक उत्पादन वृद्धि घटकर 3.2% रह गई, जो नवंबर में 5% थी। यह गिरावट मुख्य रूप से विनिर्माण क्षेत्र की सुस्ती के कारण हुई, जो केवल 3% बढ़ा, जबकि दिसंबर 2023 में यह 4.6% था। खनन क्षेत्र की वृद्धि भी 2.6% तक सीमित रही, जो पिछले साल 5.2% थी। हालांकि, बिजली उत्पादन ने 6.2% की मजबूती दिखाई, जो दिसंबर 2023 में मात्र 1.2% थी। औद्योगिक मंदी का प्रभाव विभिन्न क्षेत्रों पर असमान रूप से पड़ा—पूंजीगत वस्तुओं में 10.3% की वृद्धि हुई, उपभोक्ता टिकाऊ वस्तुएं 8.3% बढ़ीं, जबकि उपभोक्ता गैर-टिकाऊ वस्तुओं में 7.6% की तेज गिरावट दर्ज की गई। अप्रैल-दिसंबर 2024 के दौरान संचयी IIP वृद्धि 4% रही, जो पिछले साल 6.3% थी। 2024-25 में भारत की आर्थिक वृद्धि दर 6.4% रहने का अनुमान है, जो पिछले चार वर्षों में सबसे धीमी होगी। इस गिरावट के पीछे आधार प्रभाव और निजी निवेश की कमजोरी जैसे कारण बताए जा रहे हैं। हालांकि, सरकारी बुनियादी ढांचा निवेश और बढ़ती उपभोक्ता मांग से औद्योगिक उत्पादन को स्थिर बनाए रखने की उम्मीद की जा रही है, जिससे आने वाले महीनों में सुधार संभव है।
- पीएम सूर्या घर मुफ्त बिजली योजना (PMSGMBY) अपनी पहली वर्षगांठ मना रही है, जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 13 फरवरी 2024 को शुरू किया था। इस योजना का लक्ष्य मार्च 2027 तक 1 करोड़ घरों में सौर रूफटॉप पैनल स्थापित करना है, जिससे बिजली लागत घटेगी और नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा मिलेगा। अब तक 8.46 लाख घरों में पैनल लगाए जा चुके हैं, और मासिक स्थापना दर 70,000 तक पहुंच गई है। सरकार ने 5.54 लाख परिवारों को ₹4,308.66 करोड़ की वित्तीय सहायता दी है, जिससे लाभार्थियों को औसतन ₹77,800 की सब्सिडी मिल रही है। 45% लाभार्थियों को बिजली बिल नहीं देना पड़ रहा। इस योजना से सरकार को हर साल ₹75,000 करोड़ की बिजली लागत में बचत होगी और देश में 30 गीगावाट सौर ऊर्जा जोड़ी जाएगी। पर्यावरणीय लाभ के रूप में 1,000 बिलियन यूनिट ऊर्जा उत्पादन और 720 मिलियन टन CO₂ उत्सर्जन में कमी होगी। इससे 17 लाख नए रोजगार भी सृजित होंगे। इसके तहत प्रत्येक जिले में एक मॉडल सौर गांव स्थापित करने की योजना है, जिसके लिए ₹800 करोड़ का बजट रखा गया है। यह पहल भारत को ऊर्जा आत्मनिर्भर और पर्यावरण-अनुकूल बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की फरवरी 2025 में फ्रांस यात्रा भारत-फ्रांस संबंधों को मजबूत करने की दिशा में एक अहम कदम रही। इस दौरान उन्होंने राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के साथ तीसरे अंतरराष्ट्रीय कृत्रिम बुद्धिमत्ता शिखर सम्मेलन की सह-अध्यक्षता की, जिसमें जिम्मेदार AI विकास और ओपन-सोर्स तकनीकों पर जोर दिया गया। मार्सिले में भारतीय वाणिज्य दूतावास का उद्घाटन हुआ, जिससे व्यापार, शिक्षा और सांस्कृतिक संबंधों को बढ़ावा मिलेगा। पीएम मोदी ने मज़ार्ग युद्ध कब्रिस्तान में प्रथम और द्वितीय विश्व युद्ध में शहीद भारतीय सैनिकों को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने कैदारेच में स्थित अंतरराष्ट्रीय थर्मोन्यूक्लियर प्रायोगिक रिएक्टर (ITER) का दौरा किया, जहाँ भारत महत्वपूर्ण भागीदार है। इसके अलावा, भारत और फ्रांस के बीच छोटे मॉड्यूलर परमाणु रिएक्टरों पर सहयोग की घोषणा हुई, जिससे स्वच्छ ऊर्जा क्षेत्र में प्रगति होगी। पीएम मोदी और मैक्रों ने 14वें भारत-फ्रांस सीईओ फोरम में भी भाग लिया, जहां रक्षा, एयरोस्पेस, नवाचार और बुनियादी ढांचे में निवेश के अवसरों पर चर्चा हुई। यह यात्रा रणनीतिक सहयोग, व्यापार, विज्ञान और तकनीकी साझेदारी को नई ऊंचाइयों तक ले गई, जिससे भारत के वैश्विक प्रभाव को मजबूती मिली।
- भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने बैंकिंग प्रणाली में ₹2.5 लाख करोड़ की तरलता डालने का फैसला किया है, जिसे वेरिएबल रेट रेपो (VRR) नीलामी के जरिए संचालित किया जाएगा। यह कदम विदेशी मुद्रा बाजार हस्तक्षेप, राजकोषीय बहिर्वाह और आर्थिक परिस्थितियों के कारण आई तरलता की कमी को दूर करने के लिए उठाया गया है। RBI की दैनिक VRR नीलामियों में उधार ली गई राशि अगले कार्यदिवस पर वापस करनी होगी, जिससे लचीला तरलता प्रबंधन सुनिश्चित होगा। इसके अलावा, RBI ने रेपो रेट में 25 बेसिस पॉइंट की कटौती कर इसे 6.25% कर दिया है और बॉन्ड खरीद को ₹40,000 करोड़ तक बढ़ाया है, जिससे वित्तीय प्रणाली को और अधिक समर्थन मिलेगा। साथ ही, लिक्विडिटी कवरेज रेशियो (LCR) और परियोजना वित्तपोषण से जुड़े नियमों को 31 मार्च 2026 तक स्थगित कर दिया गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि तरलता की कमी बनी रहती है, तो RBI ओपन मार्केट ऑपरेशंस (OMO) या विदेशी मुद्रा स्वैप (फॉरेक्स स्वैप) जैसे अतिरिक्त उपाय अपना सकता है। यह पहल बैंकिंग क्षेत्र की स्थिरता बनाए रखने, ऋण प्रवाह को सुचारू रखने और आर्थिक विकास को गति देने में मदद करेगी।
- भारत पहली बार अंतर्राष्ट्रीय प्रशासनिक विज्ञान संस्थान (IIAS) के वार्षिक सम्मेलन की मेजबानी कर रहा है। ”IIAS-DARPG इंडिया कॉन्फ्रेंस 2025” का आयोजन 10-14 फरवरी 2025 तक नई दिल्ली में किया जा रहा है, जिसमें 55 से अधिक देशों के विशेषज्ञ प्रशासनिक सुधार, शासन और नीति नवाचारों पर चर्चा कर रहे हैं। इस सम्मेलन की थीम ”अगली पीढ़ी के प्रशासनिक सुधार – नागरिकों को सशक्त बनाना और अंतिम व्यक्ति तक पहुंचना” है। इसका उद्घाटन 11 फरवरी को केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने किया। यह आयोजन ”IIAS और भारत सरकार के प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग (DARPG)” द्वारा संयुक्त रूप से किया गया है। सम्मेलन में ”IIAS अध्यक्ष रा’एद मोहम्मद बेनशम्स और DARPG सचिव वी. श्रीनिवास” जैसे प्रमुख व्यक्तित्व भाग ले रहे हैं। इस मंच पर ”शासन में तकनीकी नवाचार, अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और लोक प्रशासन सुधारों” पर विचार-विमर्श किया जा रहा है। ”IIAS, 1930 में स्थापित, ब्रुसेल्स (बेल्जियम) में स्थित एक वैश्विक संस्था” है, जो शासन सुधारों को बढ़ावा देती है। वहीं, ”DARPG, भारत सरकार की प्रमुख एजेंसी” है, जो प्रशासनिक सुधारों और लोक शिकायतों के समाधान पर कार्य करती है। यह सम्मेलन ”भारत की वैश्विक प्रशासनिक नेतृत्व में बढ़ती भूमिका को दर्शाता है”।
- तुलसी गैबार्ड ने इतिहास रचते हुए अमेरिका की राष्ट्रीय खुफिया निदेशक (DNI) के रूप में शपथ ली, जिससे वह इस पद पर पहुंचने वाली पहली हिंदू और दूसरी महिला बनीं। सीनेट में 52-48 वोटों से पुष्टि के बाद उन्होंने यह पद संभाला। गैबार्ड पूर्व डेमोक्रेटिक कांग्रेसवुमन, इराक युद्ध की अनुभवी और 2020 की राष्ट्रपति उम्मीदवार रही हैं। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 2024 चुनाव जीतने के बाद उन्हें नियुक्त किया। अमेरिकी नेशनल गार्ड में सेवा देने वाली गैबार्ड को भारत-अमेरिका संबंधों का प्रबल समर्थक माना जाता है और उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात कर संबंधों को मजबूत किया। उन्होंने 2013 से 2021 तक हवाई से कांग्रेसवुमन के रूप में सेवा दी और 2022 में डेमोक्रेटिक पार्टी छोड़ दी। विवादों में भी रही हैं—उन पर रूस समर्थक होने, सीरिया में असद से मिलने, यूक्रेन युद्ध पर अमेरिकी हस्तक्षेप का विरोध करने और एडवर्ड स्नोडेन का समर्थन करने के आरोप लगे हैं। उनके खुफिया अनुभव की कमी पर भी सवाल उठाए गए हैं। भारत से उनके गहरे संबंध रहे हैं—मोदी सरकार का समर्थन किया, पुलवामा हमले के बाद भारत के आतंकवाद विरोधी रुख को सराहा और हिंदू रीति-रिवाज से विवाह किया।
- जनवरी 2025 में भारत की खुदरा मुद्रास्फीति घटकर 4.31% रह गई, जो पिछले पांच महीनों में सबसे निचला स्तर है। दिसंबर 2024 में यह 5.22% थी। मुख्य रूप से खाद्य कीमतों, खासकर सब्जियों की कीमतों में गिरावट से यह राहत मिली, क्योंकि ताजा सर्दियों की फसलें बाजार में आईं। खाद्य मुद्रास्फीति 8.39% से घटकर 6.02% हो गई, जबकि सब्जियों की महंगाई दर दिसंबर के 26.6% से गिरकर 11.35% रह गई। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने आर्थिक विकास को समर्थन देने के लिए रेपो रेट 25 बेसिस पॉइंट घटाकर 6.25% कर दिया, जो पांच वर्षों में पहली कटौती है। कम मुद्रास्फीति से उपभोक्ताओं को आवश्यक वस्तुओं की स्थिर कीमतों से राहत मिलेगी, व्यापारियों को कच्चे माल की कम लागत का फायदा होगा, और आर्थिक गतिविधि को प्रोत्साहन मिलेगा। हालांकि, वैश्विक वस्तुओं की कीमतों में उतार-चढ़ाव, रुपये का अवमूल्यन और मौसम की अनिश्चितता आगे जोखिम पैदा कर सकते हैं। अक्टूबर 2024 में मुद्रास्फीति 6.2% के उच्चतम स्तर पर थी, लेकिन हाल के महीनों में नीतिगत उपायों और आपूर्ति में सुधार से इसमें गिरावट आई है। आने वाले समय में नीति-निर्माताओं को मुद्रास्फीति नियंत्रण और आर्थिक वृद्धि के बीच संतुलन बनाना होगा।
- आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी 2025 का आयोजन 19 फरवरी से 9 मार्च तक पाकिस्तान और दुबई में होगा, जिसमें भारत के पूर्व सलामी बल्लेबाज शिखर धवन को आधिकारिक ब्रांड एंबेसडर बनाया गया है। धवन चैंपियंस ट्रॉफी में भारत के सबसे ज्यादा रन (701) बनाने वाले खिलाड़ी हैं और 2013 व 2017 में ‘गोल्डन बैट’ जीत चुके हैं। उनके साथ पाकिस्तान के सरफराज अहमद, ऑस्ट्रेलिया के शेन वॉटसन और न्यूजीलैंड के टिम साउदी भी एंबेसडर होंगे। धवन इस भूमिका में प्रशंसकों को टूर्नामेंट से जुड़ी खास जानकारी देंगे और अपने अनुभव साझा करेंगे। सरफराज 2017 में पाकिस्तान को खिताबी जीत दिलाने वाले कप्तान थे, जबकि वॉटसन और साउदी अपने खेल के अनुभव और रणनीतिक समझ से टूर्नामेंट में नई ऊर्जा जोड़ेंगे। धवन की निरंतरता और बड़े मैचों में प्रदर्शन ने उन्हें चैंपियंस ट्रॉफी के सबसे प्रतिष्ठित खिलाड़ियों में शामिल कर दिया है, जिससे उनकी यह भूमिका और भी खास बन जाती है।
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पेरिस में हुए एआई एक्शन समिट में घोषणा की कि भारत अगला ग्लोबल एआई समिट आयोजित करेगा। इस समिट में पीएम मोदी और फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने एआई के जिम्मेदार विकास और वैश्विक सहयोग पर चर्चा की। पीएम मोदी ने “एआई फाउंडेशन” और “काउंसिल फॉर सस्टेनेबल एआई” जैसी पहलों का स्वागत किया, जो नैतिक और समावेशी एआई विकास को बढ़ावा देंगी। भारत अपने स्वदेशी बड़े भाषा मॉडल (LLM) का निर्माण कर रहा है, जो इसकी बहुभाषी और सांस्कृतिक विविधता को ध्यान में रखेगा। पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप के तहत स्टार्टअप्स और शोधकर्ताओं के लिए किफायती कंप्यूटिंग संसाधन उपलब्ध कराए जा रहे हैं। पीएम मोदी ने ग्लोबल पार्टनरशिप फॉर एआई (GPAI) में विकासशील देशों की भागीदारी बढ़ाने की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने आश्वासन दिया कि एआई का विकास हमेशा मानव बुद्धिमत्ता और जिम्मेदारी के तहत होगा, जिससे इसका उपयोग नैतिक रूप से किया जा सके। पेरिस में आयोजित इस समिट में दुनियाभर के नेताओं और विशेषज्ञों ने एआई के भविष्य और उसकी जिम्मेदार तैनाती पर चर्चा की। पीएम मोदी ने इसे वैश्विक सहयोग को मजबूत करने और एआई के नैतिक उपयोग को सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया।
- स्वीडिश रक्षा कंपनी साब (Saab) ने हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के साथ 13 फरवरी 2025 को एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए, जिसके तहत उन्नत इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर लेज़र वार्निंग सिस्टम-310 (LWS-310) का घरेलू निर्माण किया जाएगा। इस समझौते का उद्देश्य भारत की रक्षा आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देना और ‘मेक इन इंडिया’ पहल को मजबूत करना है। इस साझेदारी के तहत, साब HAL को मेंटेनेंस ट्रांसफर ऑफ टेक्नोलॉजी (ToT) प्रदान करेगा, जिससे भारत में इस अत्याधुनिक प्रणाली का निर्माण और रखरखाव संभव होगा। LWS-310 प्रणाली लेज़र-आधारित खतरों का तेजी से पता लगाकर लड़ाकू वाहनों को बचाने में मदद करती है और सैन्य संपत्तियों की सुरक्षा को बढ़ाती है। यह साझेदारी साब और HAL के लंबे रक्षा सहयोग का हिस्सा है, जो 2005 से चला आ रहा है और विभिन्न रक्षा प्रणालियों के विकास में योगदान दे चुका है। साब इंडिया के चेयरमैन मैट्स पाल्मबर्ग के अनुसार, यह समझौता भारत की रक्षा निर्माण क्षमताओं को सुदृढ़ करेगा, आयात पर निर्भरता घटाएगा और स्थानीय उत्पादन को प्रोत्साहित करेगा। इसके परिणामस्वरूप, उन्नत रक्षा तकनीक के क्षेत्र में नए रोजगार और तकनीकी विशेषज्ञता के अवसर भी उत्पन्न होंगे।
- भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने Zulia Investments को AU स्मॉल फाइनेंस बैंक में अपनी हिस्सेदारी 7% तक बढ़ाने की अनुमति दी है। Zulia Investments, Temasek Holdings की सहायक कंपनी है और वर्तमान में बैंक में 1.37% हिस्सेदारी रखती है। यह निवेश भारत के वित्तीय क्षेत्र में वैश्विक रुचि को दर्शाता है। जयपुर स्थित AU स्मॉल फाइनेंस बैंक भारत का सबसे बड़ा स्मॉल फाइनेंस बैंक है, जो रिटेल और MSME सेक्टर को वित्तीय सेवाएं प्रदान करता है। बैंक के 21 राज्यों और 4 केंद्र शासित प्रदेशों में 2,400 टचप्वाइंट हैं और इसमें 49,000 कर्मचारी कार्यरत हैं। वित्त वर्ष 2024-25 की तीसरी तिमाही में बैंक का डिपॉज़िट बेस ₹1.12 लाख करोड़, लोन पोर्टफोलियो ₹1.08 लाख करोड़ और कुल बैलेंस शीट ₹1.43 लाख करोड़ रही। AU स्मॉल फाइनेंस बैंक ने सितंबर 2024 में यूनिवर्सल बैंक बनने के लिए RBI को आवेदन दिया है, जिसके लिए न्यूनतम नेट वर्थ ₹1,000 करोड़, पांच वर्षों का संतोषजनक प्रदर्शन और NPA अनुपात मानकों का पालन जरूरी है। RBI की स्वीकृति से AU बैंक की विस्तार योजनाओं को गति मिलेगी और यह भारतीय बैंकिंग सेक्टर में अपनी स्थिति और मजबूत कर सकेगा।
- ब्लूमबर्ग की 2025 एशिया के सबसे अमीर परिवारों की रैंकिंग में मुकेश अंबानी और उनका परिवार शीर्ष स्थान पर बना हुआ है, जो उनकी आर्थिक श्रेष्ठता को दर्शाता है। इस सूची में एशिया के प्रमुख व्यावसायिक परिवारों की पीढ़ीगत संपत्ति को मान्यता दी गई है। भारत की औद्योगिक ताकत को दर्शाते हुए, शीर्ष 20 में 6 भारतीय परिवार शामिल हैं—अंबानी, मिस्त्री, जिंदल, बिड़ला, बजाज और हिंदुजा। रिलायंस इंडस्ट्रीज तेल शोधन से लेकर प्रौद्योगिकी, हरित ऊर्जा और वित्तीय सेवाओं तक विस्तृत व्यवसाय संचालित करती है, जहां अंबानी परिवार की अगली पीढ़ी भी सक्रिय भूमिका निभा रही है। मिस्त्री परिवार टाटा समूह में प्रमुख शेयरधारक है, जबकि जिंदल समूह ने इस्पात, ऊर्जा और सीमेंट उद्योग में अपनी स्थिति मजबूत की है। बिड़ला समूह 19वीं सदी से वित्तीय और औद्योगिक क्षेत्रों में अग्रणी बना हुआ है, वहीं बजाज समूह ने ऑटोमोबाइल से लेकर विद्युत उपकरणों तक अपना व्यवसाय बढ़ाया है। हिंदुजा समूह ने व्यापार और बैंकिंग से शुरुआत कर ऊर्जा, वित्त और स्वास्थ्य सेवा में वैश्विक विस्तार किया है। इस सूची में भारतीय परिवारों की मजबूत उपस्थिति देश की औद्योगिक क्षमता और वैश्विक बाजार में बढ़ते प्रभाव को दर्शाती है।
- चीन के फुजियान प्रांत में वैज्ञानिकों ने जुरासिक युग (लगभग 149 मिलियन वर्ष पूर्व) के दो पक्षी जीवाश्म खोजे, जिससे पक्षी विकासक्रम की मौजूदा धारणाएँ बदल सकती हैं। शोध “नेचर” पत्रिका में प्रकाशित हुआ और पाया गया कि उस समय तक पक्षियों में काफी विविधता थी। सबसे महत्वपूर्ण खोज ‘Baminornis zhenghensis’ है, जो अब तक का सबसे पुराना ज्ञात छोटा-पूंछ वाला पक्षी साबित हुआ। इसमें आधुनिक पक्षियों की तरह पिगोस्टाइल था, लेकिन हाथों की संरचना गैर-एवियलन डायनासोर जैसी थी। यह खोज दर्शाती है कि छोटे-पूंछ वाले पक्षी पहले सोची गई तुलना में 20 मिलियन वर्ष पहले विकसित हो चुके थे। वंशानुक्रमीय विश्लेषण के अनुसार, यह ‘Archaeopteryx’ के निकट संबंधी था। दिलचस्प रूप से, नया अध्ययन ‘Archaeopteryx’ को पक्षियों की बजाय deinonychosaurian डायनासोर मानने का सुझाव देता है। यदि यह मान्यता स्वीकार की जाए, तो ‘Baminornis zhenghensis’ पहला परिभाषित जुरासिक पक्षी बन जाता है। दूसरा जीवाश्म केवल एक फर्कुला (wishbone) का था, जिससे संकेत मिलता है कि यह क्रेटेशियस युग के ‘Ornithuromorpha’ पक्षियों से संबंधित हो सकता है, लेकिन सीमित प्रमाणों के कारण इसकी नई प्रजाति नामित नहीं की गई। यह खोज जुरासिक युग में पक्षियों की अप्रत्याशित विविधता को उजागर करती है और उनके विकासक्रम की समझ को और परिष्कृत करती है।