Today’s Current Affairs in Hindi | 27 अप्रैल 2025 (हिंदी करंट अफेयर्स), 27 अप्रैल 2025 के current affairs today in hindi.
27 अप्रैल 2025 डेली करेंट अफेयर्स
- पुणे स्थित फिल्म एंड टेलीविज़न इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एफटीआईआई) को केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय द्वारा “डीम्ड टू बी यूनिवर्सिटी” का दर्जा मिल गया है, जिससे यह सिनेमा और टेलीविज़न अध्ययन के क्षेत्र में शैक्षणिक स्वायत्तता और लचीलापन प्राप्त करेगा। एफटीआईआई की स्थापना 1960 में हुई थी और यह भारतीय सिनेमा शिक्षा का एक प्रमुख केंद्र बन चुका है, जहाँ से नसीरुद्दीन शाह, शबाना आज़मी जैसे कई प्रसिद्ध कलाकार निकले हैं। संस्थान को यह दर्जा विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) की सिफारिश पर मिला है, और इससे एफटीआईआई को अब डिग्री प्रदान करने, नए पाठ्यक्रम शुरू करने और अनुसंधान को बढ़ावा देने की स्वतंत्रता मिलेगी। पहले यह संस्थान केवल पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा और प्रमाणपत्र प्रदान करता था, अब यह औपचारिक डिग्री कार्यक्रमों की पेशकश करेगा। यह बदलाव एफटीआईआई को एक विश्वस्तरीय विश्वविद्यालय के रूप में विकसित होने का अवसर देगा। संस्थान का वैश्विक सिनेमा में योगदान महत्वपूर्ण है और इस नई मान्यता से इसकी प्रतिष्ठा और मजबूत होगी।
- सिमिलीपाल, ओडिशा को 24 अप्रैल 2025 को राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा मिला है, जो अब भारत का 107वां राष्ट्रीय उद्यान बन गया है। यह ओडिशा में भितरकनिका के बाद दूसरा राष्ट्रीय उद्यान है। सिमिलीपाल का क्षेत्रफल 845.70 वर्ग किलोमीटर है और यह 11 रेंजों में बांटा गया है। इस क्षेत्र में 55 स्तनधारी, 361 पक्षी, 62 सरीसृप और 21 उभयचर प्रजातियाँ पाई जाती हैं। यह भारत के प्रमुख टाइगर रिज़र्व्स में से एक भी है। पहले यहां छह गांव थे, जिनमें से चार को सफलतापूर्वक स्थानांतरित कर दिया गया, जबकि बाकुआ गांव को राष्ट्रीय उद्यान से बाहर रखा गया है। सिमिलीपाल को 1980 में राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा प्राप्त करने का प्रस्ताव दिया गया था, और 2025 में इसे यह मान्यता मिली। इस निर्णय से ओडिशा सरकार के वन्यजीव संरक्षण प्रयासों को बल मिलेगा और राष्ट्रीय स्तर पर सिमिलीपाल की जैव विविधता को पहचान मिलेगी। इस कदम को मुख्यमंत्री मोहन चरण मांझी ने “विकसित ओडिशा” और “विकसित भारत” की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया।
- रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL) के बोर्ड ने अनंत अंबानी को कंपनी का कार्यकारी निदेशक नियुक्त करने की मंजूरी दी है। उनकी नियुक्ति 1 मई 2025 से प्रभावी होगी और यह पांच वर्षों तक जारी रहेगी। अनंत अंबानी, अंबानी परिवार के पहले सदस्य होंगे जो RIL में कार्यकारी भूमिका संभालेंगे। इससे पहले, वे कंपनी के गैर-कार्यकारी निदेशक थे। उन्होंने ब्राउन विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री प्राप्त की है और अगस्त 2022 से RIL के ऊर्जा वर्टिकल के प्रमुख के रूप में कार्यरत हैं। वे हरित ऊर्जा और स्थिरता पहलों में भी सक्रिय रूप से शामिल हैं। अनंत अंबानी की नियुक्ति RIL के नेतृत्व में पीढ़ीगत बदलाव का संकेत देती है, क्योंकि इससे पहले ईशा और आकाश अंबानी को 2023 में गैर-कार्यकारी निदेशक के रूप में नियुक्त किया गया था। अनंत अंबानी की बोर्ड सदस्यता जियो प्लेटफॉर्म्स, रिलायंस रिटेल वेंचर्स, रिलायंस न्यू एनर्जी और रिलायंस फाउंडेशन जैसी कंपनियों में भी है। यह कदम कंपनी के भविष्य के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
- चीन ने हाल ही में एक नया हाइड्रोजन बम विकसित किया है जो पारंपरिक यूरेनियम या प्लूटोनियम के बिना काम करता है और मैग्नीशियम हाइड्राइड-आधारित फ्यूजन तकनीक का उपयोग करता है। इस तकनीक में जड़त्वीय संपीड़न संलयन और चुंबकीय संपीड़न जैसे वैकल्पिक प्रज्वलन प्रणालियों का इस्तेमाल होता है, जिससे हाइड्रोजन समस्थानिक बिना रेडियोधर्मी अवशेष के संलयित होते हैं। यह विकास अंतरराष्ट्रीय कानूनों और वैश्विक सुरक्षा के लिए बड़ी चुनौती बन गया है क्योंकि मौजूदा संधियाँ, जैसे एनपीटी और सीटीबीटी, इन नए हथियारों को ठीक से परिभाषित नहीं कर पातीं। संलयन ईंधनों पर नियंत्रण कम होने और तकनीकों के द्वैध उपयोग के कारण इनके दुरुपयोग और प्रसार का खतरा बढ़ गया है। छोटे, शक्तिशाली और गैर-रेडियोधर्मी हथियारों का गुप्त हमलों या तस्करी में प्रयोग करना आसान हो सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार, वैश्विक संधियों को अद्यतन करना और परमाणु हथियारों की नई परिभाषा तय करना ज़रूरी है। साथ ही, एक नया सत्यापन निकाय स्थापित करने की भी सिफारिश की गई है। भारत के लिए भी यह आवश्यक हो गया है कि वह अपनी रणनीति को बदले और गैर-विकिरणीय विस्फोटों व संलयन-आधारित खतरों का पता लगाने के लिए नई तकनीकों में निवेश करे।
- भारत ने चिकित्सा विज्ञान में बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए BRIC-inStem और CMC वेल्लोर के सहयोग से हीमोफीलिया के लिए पहला मानव जीन थेरेपी परीक्षण सफलतापूर्वक शुरू किया है। केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने इस परियोजना की समीक्षा करते हुए जैव प्रौद्योगिकी को केवल विज्ञान नहीं, बल्कि आर्थिक वृद्धि और स्वास्थ्य सेवा सुधार का रणनीतिक स्तंभ बताया। उन्होंने बेंगलुरु स्थित BRIC-inStem संस्थान का दौरा कर नैदानिक परीक्षणों और अनुसंधान कार्यों का निरीक्षण किया। भारत का बायोटेक सेक्टर पिछले दशक में 16 गुना बढ़कर 2024 में $165.7 बिलियन तक पहुँच चुका है और 2030 तक $300 बिलियन का लक्ष्य है। BIO-E3 जैसी नीतियों और स्टार्टअप्स के बढ़ते योगदान से यह क्षेत्र मजबूत हो रहा है, जहां 10 साल पहले 50 स्टार्टअप थे, अब 10,000 से ज्यादा हैं। BRIC के नवाचारों में एंटी-वायरल मास्क और किसान कवच जैसे उत्पाद शामिल हैं। बायोसेफ्टी लेवल III प्रयोगशाला और CReATE सेंटर जैसी नई सुविधाएं स्वास्थ्य अनुसंधान को नई दिशा दे रही हैं। मंत्री ने MD-PhD कार्यक्रम शुरू करने और अनुसंधान कार्यों की राष्ट्रीय दृश्यता बढ़ाने पर जोर दिया। जैव प्रौद्योगिकी अब भारत के राष्ट्र निर्माण और भविष्य की आर्थिक रणनीति का अहम हिस्सा बन चुकी है।
- भारत ने आंतरिक जल परिवहन क्षेत्र में बड़ी उपलब्धि हासिल की है। वित्त वर्ष 2024–25 में भारत ने 145.5 मिलियन टन कार्गो परिवहन किया, जो 2013–14 में केवल 18.1 मिलियन टन था, और इस दौरान 20.86% की वार्षिक वृद्धि दर रही। पिछले वर्ष की तुलना में इसमें 9.34% की बढ़ोतरी हुई। मुख्य रूप से कोयला, लौह अयस्क, बालू और फ्लाई ऐश जैसे सामानों का परिवहन हुआ, जो कुल कार्गो का 68% है। राष्ट्रीय जलमार्गों की संख्या 5 से बढ़कर 111 हो गई है और परिचालित लंबाई 4,894 किलोमीटर तक पहुँच गई है। वाराणसी, हल्दिया, पांडु और जोगीघोपा जैसे स्थानों पर मल्टी-मॉडल टर्मिनल विकसित किए गए हैं। डिजिटल और हरित तकनीकों जैसे LADIS, RIS, PANI, और हाइब्रिड इलेक्ट्रिक व हाइड्रोजन जलयानों का उपयोग बढ़ा है। 2023–24 में 1.61 करोड़ यात्रियों ने जलमार्गों का उपयोग किया। सरकार ने जलवाहक योजना के तहत 35% लागत प्रतिपूर्ति और टन भार कर प्रणाली लागू करने जैसे नीतिगत उपाय किए हैं। निजी निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए नए नियम लाए गए हैं और भारत-बांग्लादेश प्रोटोकॉल मार्ग पर सफल परीक्षण हुए हैं। 140 से अधिक सार्वजनिक उपक्रमों को भी इस अभियान से जोड़ा गया है।
- नासा ने क्वांटम ग्रैविटी ग्रैडियोमीटर पाथफाइंडर (QGGPf) नामक एक कॉम्पैक्ट और अत्यधिक संवेदनशील क्वांटम सेंसर विकसित किया है, जो पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र को पहले से कहीं अधिक सटीकता से माप सकेगा। केवल 125 किलोग्राम वजनी यह सेंसर पारंपरिक तकनीक से दस गुना अधिक संवेदनशील है और अंतरिक्ष में कम लागत पर लॉन्च किया जा सकता है। QGGPf अल्ट्रा-कोल्ड परमाणुओं का उपयोग कर गुरुत्वाकर्षण बलों में बेहद सूक्ष्म परिवर्तनों को मापता है, जिससे सतह के नीचे पानी का प्रवाह, चट्टानों का स्थानांतरण, भूकंप क्षेत्र और खनिज भंडार जैसी जानकारियाँ प्राप्त हो सकती हैं। नासा इसे निजी कंपनियों और शैक्षणिक संस्थानों के सहयोग से विकसित कर रहा है और इस दशक के अंत तक इसका अंतरिक्ष परीक्षण करने की योजना है। पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र में मामूली अंतर भी महत्वपूर्ण सूचनाएँ छिपाए हुए हैं, जैसे जलाशय, तेल भंडार और जलवायु परिवर्तन से जुड़ी बर्फ की परतों में बदलाव। QGGPf से तैयार अत्यंत स्पष्ट और विस्तृत गुरुत्वाकर्षण मानचित्र न केवल पृथ्वी बल्कि अन्य ग्रहों और चंद्रमाओं की आंतरिक संरचना को समझने, जलवायु परिवर्तन की निगरानी, सामान्य सापेक्षता सिद्धांत के परीक्षण और रक्षा तथा नेविगेशन तकनीकों को बेहतर बनाने में मदद करेंगे।
- भारत ने हाइपरसोनिक हथियारों के विकास में बड़ी सफलता हासिल की है। 25 अप्रैल 2025 को DRDO की रक्षा अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशाला (DRDL) ने हैदराबाद स्थित स्क्रामजेट कनेक्ट टेस्ट फैसिलिटी में सक्रिय शीतलित स्क्रामजेट सबस्केल कम्बस्टर का 1,000 सेकंड से अधिक का सफल ग्राउंड टेस्ट पूरा किया। इससे पहले जनवरी 2025 में इसका 120 सेकंड का परीक्षण हुआ था। स्क्रामजेट इंजन एक वायुप्रदत्त प्रणोदन प्रणाली है जो सुपरसोनिक गति पर दहन बनाए रखती है और वायुमंडलीय ऑक्सीजन का उपयोग करती है, जिससे ऑनबोर्ड ऑक्सीडाइज़र की आवश्यकता कम होती है। यह तकनीक माक 5+ की गति से उड़ने वाली हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइलों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। यह परीक्षण स्क्रामजेट कम्बस्टर और नई परीक्षण सुविधा के डिज़ाइन व प्रदर्शन को प्रमाणित करता है और भविष्य में पूर्ण आकार के उड़ान-योग्य कम्बस्टर के परीक्षण का रास्ता खोलता है। इस सफलता ने स्वदेशी हाइपरसोनिक मिसाइल विकास को मजबूत आधार दिया है और DRDO, उद्योग व शिक्षण संस्थानों के सफल सहयोग को भी दर्शाया है। इससे भारत की अगली पीढ़ी की उच्च गति मिसाइल क्षमताओं में बढ़ोतरी होगी और राष्ट्रीय रक्षा प्रणाली को मजबूती मिलेगी।
- वैश्वीकरण के इस दौर में मुक्त व्यापार समझौतों (FTAs) को देशों के बीच आर्थिक सहयोग बढ़ाने का साधन माना गया है, लेकिन इनकी बढ़ती संख्या ने “स्पैगेटी बाउल परिघटना” जैसी जटिल समस्या को जन्म दिया है। 1995 में अर्थशास्त्री जगदीश भगवती ने इस अवधारणा को प्रस्तुत करते हुए बताया कि कैसे विभिन्न FTAs के उलझे नियम वैश्विक व्यापार को सरल बनाने के बजाय उसे कठिन बना रहे हैं। अलग-अलग समझौतों के अलग-अलग उत्पत्ति नियम (Rules of Origin – ROO) होने से उत्पादकों को विरोधाभासी मानकों का पालन करना पड़ता है, जिससे लेनदेन लागत बढ़ती है और छोटे व मध्यम व्यवसाय (SMEs) FTAs का कम उपयोग करते हैं। एशिया में ASEAN, चीन-ASEAN और भारत-ASEAN जैसे कई FTAs के कारण व्यापार नियमों में भारी जटिलता देखी जाती है, जबकि लैटिन अमेरिका में MERCOSUR और NAFTA (अब USMCA) जैसे समझौते भी यही चुनौती पेश करते हैं। विशेषज्ञ इस समस्या के समाधान के लिए उत्पत्ति नियमों के सामंजस्य, मेगा-क्षेत्रीय समझौतों (जैसे RCEP, CPTPP) को अपनाने और WTO के माध्यम से बहुपक्षीय व्यापार वार्ताओं को मजबूत करने का सुझाव देते हैं ताकि वैश्विक व्यापार को सरल और प्रभावी बनाया जा सके।
- भारत और फ्रांस 28 अप्रैल 2025 को ₹63,000 करोड़ के सरकार से सरकार (G-to-G) समझौते के तहत 26 राफेल-नेवल (राफेल-एम) लड़ाकू विमानों की खरीद को अंतिम रूप देंगे। इस सौदे में 22 सिंगल-सीटर और 4 ट्विन-सीटर ट्रेनर विमान शामिल हैं। राफेल-एम जेट्स को भारतीय नौसेना के आईएनएस विक्रमादित्य और आईएनएस विक्रांत विमानवाहक पोतों पर तैनात किया जाएगा, जहां ये स्की-जंप टेक-ऑफ और अरेस्टर हुक लैंडिंग तकनीक का उपयोग करेंगे। इन विमानों को मिग-29के के अनुसार बने लिफ्ट में फिट करने के लिए कुछ संशोधन भी किए जाएंगे। डिलीवरी सौदे के हस्ताक्षर के 3.5 वर्षों के भीतर शुरू होगी और पूरी डिलीवरी 6.5 वर्षों में पूरी हो जाएगी। यह सौदा भारत की समुद्री स्ट्राइक और फ्लीट एयर डिफेंस क्षमताओं को मजबूती देगा और स्वदेशी ट्विन इंजन डेक-बेस्ड फाइटर (TEDBF) के आने तक परिचालन जरूरतों को पूरा करेगा। सौदे पर हस्ताक्षर भारत में फ्रांस के राजदूत थियरी माथू और भारतीय रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह की मौजूदगी में होंगे। इस अवसर पर कुछ अतिरिक्त सरकारी-से-व्यवसाय (G-to-B) समझौते भी किए जाएंगे। फ्रांसीसी रक्षा मंत्री की यात्रा स्थगित होने के बावजूद समझौता समय पर पूरा किया जाएगा।
- कैलाश मानसरोवर यात्रा एक पवित्र वार्षिक तीर्थयात्रा है, जो हिंदू, बौद्ध, जैन और बोन धर्म के अनुयायियों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है। माउंट कैलाश की परिक्रमा और मानसरोवर झील में स्नान का धार्मिक महत्व है। COVID-19 और सीमा तनावों के कारण यह यात्रा 2020 में स्थगित कर दी गई थी, लेकिन पांच वर्षों बाद विदेश मंत्रालय ने 26 अप्रैल 2025 को इसके पुनः आरंभ की घोषणा की। जून से अगस्त 2025 के बीच 750 तीर्थयात्रियों को लिपुलेख दर्रा (उत्तराखंड) और नाथू ला दर्रा (सिक्किम) मार्गों से यात्रा की अनुमति दी जाएगी। पंजीकरण प्रक्रिया पूरी तरह ऑनलाइन है और निष्पक्ष चयन सुनिश्चित किया गया है। यात्रा का उद्देश्य धार्मिक आस्था को सुदृढ़ करना, भारत-चीन सांस्कृतिक संबंधों को बढ़ावा देना और सीमावर्ती इलाकों में विकास को प्रोत्साहित करना है। हालांकि, सुरक्षा, पर्यावरणीय प्रभाव और कूटनीतिक संवेदनशीलता जैसी चुनौतियाँ भी मौजूद हैं। यात्रा के सुचारू संचालन के लिए चिकित्सीय सुरक्षा, पर्यावरण संरक्षण, सतत आधारभूत संरचना और तीर्थयात्रियों को प्रशिक्षण देने जैसे उपायों की योजना बनाई गई है, ताकि यह यात्रा सुरक्षित, पर्यावरण अनुकूल और सफल बन सके।
- मुंबई की फिल्म निर्माता पायल कपाड़िया को फ्रांसीसी सरकार ने प्रतिष्ठित ‘ऑफिसियर डां ल’ऑर्ड्रे देस आर्ट्स एट देस लेट्र्स’ पुरस्कार से सम्मानित किया है। यह सम्मान मुंबई में फ्रांसीसी वाणिज्य दूतावास में आयोजित एक समारोह में प्रदान किया गया, जहां उन्होंने स्वतंत्र सिनेमा के लिए फ्रांसीसी समर्थन की सराहना की। कपाड़िया ने इंडी सिनेमा से वैश्विक मंच तक अपनी खास पहचान बनाई है। उनकी शॉर्ट फिल्म ‘आफ्टरनून क्लाउड्स’ 2017 में कान्स फिल्म महोत्सव में प्रदर्शित हुई थी, और उनकी डेब्यू फीचर डॉक्यूमेंट्री ‘ए नाइट ऑफ नोइंग नथिंग’ को गोल्डन आई अवार्ड मिला। 2024 में उनकी फिल्म ‘ऑल वी इमैजिन ऐज़ लाइट’ ने 77वें कान्स फिल्म महोत्सव में ग्रैंड प्रिक्स जीतकर इतिहास रच दिया, जिससे वह मुख्य प्रतियोगिता में यह पुरस्कार जीतने वाली पहली भारतीय निर्देशक बन गईं। इस फिल्म को गोल्डन ग्लोब के लिए भी नामांकित किया गया और ऑस्कर की अंतर्राष्ट्रीय श्रेणी के लिए फ्रांस की आधिकारिक प्रविष्टि के रूप में शॉर्टलिस्ट किया गया। कपाड़िया अब उन विशिष्ट भारतीय कलाकारों की सूची में शामिल हो गई हैं, जिनमें अमिताभ बच्चन, शाहरुख़ ख़ान, दीपिका पादुकोण और लता मंगेशकर जैसे नाम शामिल हैं।
- भारत सरकार 2023 से परमाणु क्षेत्र में विदेशी निवेश के ढांचे की समीक्षा कर रही है। भारत की परमाणु ऊर्जा उत्पादन क्षमता अभी लगभग 8 GW है, जो कुल विद्युत क्षमता का केवल 2% है। स्वच्छ ऊर्जा की जरूरतों को पूरा करने के लिए परमाणु ऊर्जा का विस्तार जरूरी हो गया है, क्योंकि सौर और पवन ऊर्जा रात की मांगों को पूरा नहीं कर सकती। सरकार अब परमाणु ऊर्जा परियोजनाओं में 49% तक विदेशी स्वामित्व की अनुमति देने की योजना बना रही है, हालांकि इसके लिए सरकारी मंजूरी अनिवार्य होगी। नागरिक परमाणु क्षति कानून, 2010 और परमाणु ऊर्जा अधिनियम, 1960 में संशोधन कर दायित्व नियमों को सरल बनाया जाएगा, जिससे निजी और विदेशी कंपनियां संयंत्रों का निर्माण, स्वामित्व और संचालन कर सकेंगी। प्रस्ताव जल्द ही कैबिनेट में रखा जाएगा और जुलाई 2025 के मानसून सत्र में संसद में पेश किया जाएगा। भारत का लक्ष्य 2047 तक परमाणु क्षमता को 8 GW से बढ़ाकर 100 GW करना है। वेस्टिंगहाउस, GE-हिटाची, EDF और रोसाटोम जैसी विदेशी कंपनियां और रिलायंस, टाटा पावर, अदानी पावर, वेदांता जैसी भारतीय कंपनियां इस क्षेत्र में रुचि दिखा रही हैं। घरेलू कंपनियां लगभग $26 बिलियन का निवेश करने की योजना बना रही हैं।