161. त्वरित मृदा अपरदन के मुख्य कारण हैं
(a) अत्यधिक भूमि-ढलाव
(b) अत्यधिक वर्षा प्रचंडता
(c) कम वनस्पति
(d) उपरोक्त सभी
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162. मृदा एवं जल-संरक्षण की अस्थायी उपायों की संरचना निम्नलिखित पुनरावृत्त-काल को ध्यान में रख कर किया जाता है :
(b) दस वर्ष के लिये
(c) दस वर्ष से अधिक के लिये
(d) पचास वर्ष से अधिक के लिये
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163. एक समान वर्षा की मात्रा वाले बिन्दुओं को मिलाने वाली लाइन कहलाती है
(a) समकाल रेखा
(b) समोच्च रेखा
(c) समवर्षा रेखा
(d) उपरोक्त में से कोई नहीं
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164. हवा-कटाव में मिट्टी के कणों का स्थानान्तरण हो सकता है
(a) केवल निलम्बन द्वारा।
(b) निलम्बन, बल्गन एवं सतही विसर्पण द्वारा।
(c) केवल बल्गन एवं सतही विसर्पण द्वारा।
(d) उपरोक्त में से कोई नहीं।
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165. द्रवीय उछाल के कारण
(a) पानी के वेग में वृद्धि होती है।
(b) पानी की गहराई घट जाती है।
(c) शक्ति ह्रास होता है।
(d) जल-प्रवाह दर बढ़ जाती है।
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166. शूट-उत्प्लाव प्रयोग में आते हैं, निम्न पात पर :
(a) एक मीटर से कम।
(b) तीन मीटर से अधिक और 6 मीटर से कम।
(c) 6 मीटर से अधिक।
(d) 2 मीटर से कम।
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167. ‘स्नाइडर” की विधि से आकलन किया जाता है
(a) विमा रहित जलारेख का।
(b) वितरण जलारेख का।
(c) संशलिस्ट जलारेख का।
(d) उपरोक्त में से कोई नहीं।
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168. भूमि-कटाव के विचार से गली का भाग जो सबसे अधिक क्रियाशील होता है, वह है
(a) खड्ड (गली) की सतह।
(b) खड़ का शिखर (शीर्ष)।
(c) खडु का पिछला भाग।
(d) उपरोक्त में से कोई नहीं।
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169. अवनालिका का बनना निम्न की एक अग्रिम अवस्था है :
(a) अस्फालन अपरदन
(b) पृष्ठ अपरदन
(c) रिल-अपरदन
(d) उपरोक्त में से कोई नहीं
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170. पर्वतीय क्षेत्रों में भूमि-संरक्षण हेतु अंतरमुखी-सीढ़ीदार वेदिकायें अधिक उपयोगी हैं, जहाँ
(a) वर्षा अधिक होती है।
(b) वर्षा कम होती है।
(c) मृदा की गहराई कम है।
(d) उपरोक्त में से कोई नहीं।
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171. एक भूस्थल का ढाल 30 प्रतिशत है। वहाँ पर 3.50 मीटर चौड़ी तथा 1 : 1 ढालू राइज़र वाली समतल सीढ़ीदार वेदिकाओं के लिये ऊर्ध्वाधर अन्तराल होगा
(a) 1 मीटर
(b) 1.50 मीटर
(c) 2.0 मीटर
(d) 3.0 मीटर
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172. एक चार घंटे यूनिट हाइड्रोग्राफ के लिये उस जलागम में प्रभावी वर्षा की तीव्रता होगी
(a) 1 से.मी. प्रति घंटा
(b) 4 से.मी. प्रति घंटा
(c) 0.50 से.मी. प्रति घंटा
(d) 0.25 से.मी. प्रति घंटा
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173. ‘अप्रवाह-गुणांक’ आश्रित है
(a) भूमि-सतह की प्रकृति पर।
(b) भूमि-उपयोग पैटर्न पर।
(c) वर्षा-दर की तेजी पर।
(d) उपरोक्त में से सभी पर।
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174. भूमि-क्षमता वर्गीकरण के आधार पर भूमि को कृषि हेतु सर्वोत्तम होती है, वह है
(a) वर्ग आठ की भूमि
(b) वर्ग एक की भूमि
(c) वर्ग चार की भूमि
(d) वर्ग छः की भूमि
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175. केन्द्रीय मृदा एवं जल-संरक्षण अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान स्थित है
(a) शिमला में।
(b) भुवनेश्वर में।
(c) नई दिल्ली में।
(d) देहरादून में।
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176. साद-प्रति एवं कुल भूमिक्षरण के अनुपात को कहते हैं
(a) द्विशाखन अनुपात
(b) साद-प्रदान अनुपात
(c) क्षरण उत्पत्ति अनुपात
(d) साद एकत्रीकरण अनुपात
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177. ”कॉक्स” का सूत्र ज्ञात करने के लिये प्रयोग किया जाता है
(a) वर्षा गति को।
(b) वर्षा की प्रचंडता को।
(c) समोच्च बन्धों के मध्य ऊर्ध्वाधर अन्तराल को।
(d) जलाशयों के निर्माण में मिट्टी-कार्य के आयतन को।
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178. वायु द्वारा भूक्षरण का अधिकांश भाग जिस रूप में होता है, वह है
(a) सतह सरकना।
(b) प्रलंबन के रूप में।
(c) उछाल के रूप में।
(d) उपरोक्त में से कोई भी नहीं।
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179. सीढ़ीदार उत्प्लाव निम्नलिखित का परिवर्तित रूप है :
(a) ड्रॉप-इन्लेट उत्प्लाव
(b) इनक्लाइन्ड उत्प्लाव
(c) स्ट्रेट-ड्रॉप उत्प्लाव
(d) ओगी उत्प्लाव
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180. अंत-समोच्च विधि ज्ञात करने के लिये प्रयोग की जाती है
(a) समोच्च अन्तराल
(b) औसत वर्षा
(c) जलाशयों का संग्रहण-क्षमता
(d) मृदा-क्षरण की क्षमता
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