UPSC Pre CSAT exam paper 2 June 2019 (Answer Key) Paper 2 : UPSC Pre CSAT exam paper 2 June 2019 (Answer Key) IAS CSE exam paper. UPSC Pre CSAT exam paper held on 2 June 2019 in evening shift with Answer Key available here in Hindi.
UPSC IAS CSE Pre CSAT exam paper 2019 (Second Shift)
Exam Paper : Civil Services (Preliminary) Examination, 2019, Indian Forest Service (Preliminary) Examination, 2019 through CS(P) Examination 2019
Exam Organiser : UPSC (Union Public Service Commission)
Exam Date : 2 June 2019
Exam Shift : Second Shift (Evening Shift 2:30 AM to 04:30 AM)
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1. यदि B से आगे (B समेत) अंग्रेज़ी वर्णमाला का प्रत्येक एकातर अक्षर छोटे अक्षरों (लोवर केस) में लिखा जाए।
और शेष अक्षरों को बड़े अक्षरों में लिखा जाए, तो वर्ष के उत्तरार्ध के प्रथम मास को कैसे लिखा जाएगा ?
(a) JuLY
(b) jULy
(c) jUly
(d) jUlY
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2. सुनीता कागज़ के एक पत्रक को तीन टुकड़ों में काटती है। पहले टुकड़े की लंबाई एक अंक वाली तीन विषम अभाज्य संख्याओं के औसत के बराबर है । दूसरे टुकड़े की लंबाई पहले टुकड़े की लंबाई और तीसरे टुकड़े की एक-तिहाई लंबाई के योग के बराबर है। तीसरे टुकड़े की लंबाई अन्य दो टुकड़ों की लंबाइयों के योग के बराबर है। कागज़ के मूल पत्रक की लंबाई कितनी है ?
(a) 13 इकाई
(b) 15 इकाई
(c) 16 इकाई
(d) 30 इकाई
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3. अनुक्रम 1, 5, 7, 3, 5, 7, 4, 3, 5, 7 में, ऐसे कितने 5 हैं। जिनके ठीक पहले 3 नहीं है किन्तु ठीक बाद 7 है ?
(a) 1
(b) 2
(c) 3
(d) कोई नहीं
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4. किसी संयुक्त परिवार में सात सदस्य A, B, C, D, E, F और G हैं, जिनमें तीन महिलाएँ हैं। G विधवा है और D के पिता F की साली/भाभी है । B और D एक ही माता-पिता की संतान हैं और A, B की पुत्री है। C, B का/की रिश्ते में चचेरा/ममेरा/फूफेरा/मौसेरा भाई अथवा चचेरी/ममेरी/फूफेरी/मौसेरी बहन है। E कौन है ?
2. A की दादी/नानी
3. C की चाची/मामी/मौसी/बुआ
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए :
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
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5. किसी घन के प्रत्येक फलक को काले या सफेद रंग से रँगा जा सकता है। उस घन को कितने विभिन्न तरीकों से राँगा जा सकता है ?
(a) 9
(b) 10
(c) 11
(d) 12
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6. समीकरण x + y + z = 6 को कितने त्रिक (x, y, z) संतुष्ट करते हैं, जहाँ x, y और z धनपूर्ण संख्याएँ हैं ?
(a) 4
(b) 5
(c) 9
(d) 10
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7. यदि $ का अर्थ है ‘विभाजित’; @ का अर्थ है ‘गुणित’; # का अर्थ है ‘घटाया गया’; तो 10#5@1$5 का मान क्या है ?
(a) 0
(b) 1
(c) 2
(d) 9
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8. आठ अंकों की एक संख्या 4252746B को 3 से भाग देने पर शेषफल 0 रहता है। B के कितने मान संभव हैं ?
(a) 2
(b) 3
(c) 4
(d) 6
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आगे आने वाले 3 (तीन) प्रश्नांशों के लिए निर्देश :
निम्नलिखित सूचना को पढ़िए और उनके बाद आने वाले तीन प्रश्नांशों के उत्तर दीजिए :
छह विद्यार्थी A, B, C, D, E और F कई परीक्षाओं में बैठे। या तो C का या F का प्राप्तांक अधिकतम है। जब भी C का प्राप्तांक अधिकतम होता है, तब E का प्राप्तांक न्यूनतम होता है । जब भी F का प्राप्तांक अधिकतम होता है, B का प्राप्तांक न्यूनतम होता है।
सभी परीक्षाओं में, उन्हें अलग-अलग अंक प्राप्त होते हैं; D का प्राप्तांक A के प्राप्तांक से अधिक है, लेकिन वे निकट प्रतिस्पर्धी हैं; A का प्राप्तांक B के प्राप्तांक से अधिक है; C का प्राप्तांक A के प्राप्तांक से अधिक है।
9. यदि F योग्यताक्रम में दूसरे स्थान पर आता है, तो B का स्थान क्या है ?
(a) तीसरा
(b) चौथा
(c) पाँचवाँ
(d) छठा
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10. यदि B का प्राप्तांक न्यूनतम हो, तो C का स्थान क्या होगा ?
(a) दूसरा
(b) तीसरा
(c) चौथा
(d) दूसरा या तीसरा
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11. यदि E का योग्यताक्रम तीसरा हो, तो निम्नलिखित में से कौन-सा एक सही है ?
(a) E का प्राप्तांक C के प्राप्तांक से अधिक होगा
(b) C का प्राप्तांक E के प्राप्तांक से अधिक होगा
(c) A का योग्यताक्रम चौथा है।
(d) D का योग्यताक्रम पाँचवाँ है।
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आगे आने वाले 2 (दो) प्रश्नांशों के लिए निर्देश :
निम्नलिखित कथनों, S1 और S2, को पढ़िए और उनके बाद आने वाले दो प्रश्नाशों के उत्तर दीजिए :
S1: सोहन के वज़न का दुगुना, मोहन के वज़न या रोहन के वज़न से कम है।
S2 : रोहन के वज़न का दुगुना, मोहन के वज़न या सोहन के वज़न से अधिक है ।
12. निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा एक सही है ?
(a) मोहन का वज़न अधिकतम है।
(b) सोहन का वज़न अधिकतम है।
(c) रोहन का वज़न अधिकतम है।
(d) किसका वज़न अधिकतम है’ यह निर्धारित नहीं किया जा सकता
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13. निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा एक सही है ?
(a) मोहन का वज़न न्यूनतम है।
(b) सोहन का वज़न न्यूनतम है।
(c) रोहन का वज़न न्यूनतम है।
(d) ‘किसका वज़न न्यूनतम है’ यह निर्धारित नहीं किया जा सकता।
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आगे आने वाले 7 (सात) प्रश्नांशों के लिए निर्देश :
निम्नलिखित पाँच परिच्छेदों को पढ़िए और प्रत्येक परिच्छेद के बाद आने वाले प्रश्नांशों के उत्तर दीजिए । इन प्रश्नांशों के लिए आपके उत्तर केवल संबंधित परिच्छेद पर आधारित होने चाहिए ।
परिच्छेद -1
भारत का आर्थिक पदछाप (फुटप्रिंट), इसकी जनसंख्या को देखते हुए, अभी भी US, यूरोपीय संघ या चीन की तुलना में कम है। अन्य अर्थव्यवस्थाओं से सीखने के लिए इसके पास काफी कुछ है, तथापि इसे उन समाधानों को ही कार्यान्वित करना चाहिए जो इसकी अनूठी परिस्थितियों के अनुरूप हैं। भारत को वर्तमान अधोगामी उपागम की बजाय एक सहयोग आधारित प्रभावी दीर्घकालिक नियामक व्यवस्था की खास तौर पर आवश्यकता है । विनियम वांछित परिणाम लाने का प्रयास करते हैं, तथापि ये किसी न किसी कार्यक्रम को आगे बढ़ाने के लिए राजनीतिक उपकरण के रूप में बार-बार इस्तेमाल किए जाते हैं। प्रायः विनियम रोज़गार और आर्थिक संवृद्धि पर पड़ने वाले असर – या कम प्रतिबंधी विकल्पों – का विचार करने में असफल रह जाते हैं । विनियमों का इस्तेमाल भविष्य में और अधिक व्यापक रूप से साझी होने वाली समृद्धि की कीमत पर स्थानीय बाज़ारों को बचाने में किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त, विनियमों के अनिवार्य रूप से अनेक अनैच्छिक परिणाम होते हैं। आज की अति प्रतियोगी वैश्विक अर्थव्यवस्था में विनियमों को ऐसे “हथियारों के रूप में देखा जाना चाहिए जो अधिकांश नागरिकों के आर्थिक कल्याण को समुन्नत करते हुए लागत के औचित्य के साथ सामाजिक और पर्यावरणीय लाभ लाने का प्रयास करें।
14. उपर्युक्त परिच्छेद से निम्नलिखित में से कौन-सा एक, सर्वाधिक तर्कसंगत, विवेकपूर्ण और निर्णायक निष्कर्ष निकाला जा सकता है ?
(a) एक बेहतर नियामक व्यवस्था भारत को इसकी जनसंख्या के यथा-उपयुक्त, आमाप की अर्थव्यवस्था प्राप्त करने में सहायक होगी।
(b) प्रतियोगी वैश्विक अर्थव्यवस्था में, भारत को विनियमों का युक्तिपूर्वक ही इस्तेमाल करना चाहिए। भारत में विनियम आज की अति प्रतियोगी वैश्विक अर्थव्यवस्था के साथ अपने एकीकरण का समर्थन नहीं करते।
(d) भारत की नियामक व्यवस्था के विकास में रोजगार के सृजन और आर्थिक संवृद्धि के विचार को प्रबल रूप से रखा जाना चाहिए।
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15. उपर्युक्त परिच्छेद के आधार पर निम्नलिखित पूर्वधारणाएँ बनाई गई हैं :
आजकल की वैश्विक अर्थव्यवस्था में,
1. विनियमों का प्रभावी इस्तेमाल स्थानीय बाज़ारों को बचाने के लिए नहीं किया गया है।
2. विनियमों का कार्यान्वयन करते समय सामाजिक एवं पर्यावरणीय सरोकारों की पूरे विश्व में सरकारों द्वारा आमतौर पर उपेक्षा की जाती है।
उपर्युक्त में से कौन-सी पूर्वधारणा/पूर्वधारणाएँ वैध है/हैं ?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2
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परिच्छेद – 2
किसी अध्ययन में, वैज्ञानिकों ने अल्प-पोषित तथा सुपोषित शिशुओं और छोटे बच्चों के सूक्ष्मजीवोमों (माइक्रोबायोम्स) की तुलना की । कुपोषित और स्वस्थ बच्चों के मल के नमूनों से आहार-नली के रोगाणुओं को अलग किया गया। एक ही उम्र के स्वस्थ बच्चों में पाए गए सुविकसित “परिपक्व” सूक्ष्मजीवोम की तुलना में कुपोषित बच्चों में सूक्ष्मजीवोम “अपरिपक्व” और कम विविध पाया गया । कुछ अध्ययनों के अनुसार, माँ के दध के रासायनिक संघटन में एक आपरिवर्तित शर्करा (सायलीलेटेड ओलिगोसैक्कराइड्स) पाई गई है । इसका शिशु द्वारा अपने खुद के पोषण के लिए उपयोग नहीं किया जाता। तथापि, शिशु का सूक्ष्मजीवोम संरचित करने वाले जीवाणु इस शर्करा पर, जो उनके खाद्य की तरह काम आता है, फलते-फूलते हैं। कुपोषित माताओं के दूध में इस शर्करा की मात्रा कम होती है । परिणामस्वरूप, उनके शिशुओं के सूक्ष्मजीवोम परिपक्व होने में विफल हो जाते हैं । इसके परिणामस्वरूप शिशुओं में कुपोषण पाया जाता है।
16. उपर्युक्त परिच्छेद से निम्नलिखित में से कौन-सा एक, सर्वाधिक तर्कसंगत, विवेकपूर्ण और निर्णायक निष्कर्ष निकाला जा सकता है ?
(a) यदि बच्चों में कुपोषण की दशा आहार-नली के जीवाणुओं के कारण होती है, तो इसका उपचार नहीं किया जा सकता।
(b) कुपोषित शिशुओं की आहार-नलियों में परिपक्व सूक्ष्मजीवोम संरोपित किए जाने चाहिए।
(c) कुपोषित माताओं के शिशुओं को माँ के दूध की जगह डेरी का सायलीलेटेड ओलिगोसेक्कराइड्स से प्रबलित दूध पिलाया जाना चाहिए।
(d) पोषण पर आहार-नली के जीवाणुओं के अहानिकर प्रभावों पर अनुसंधान के नीतिगत निहितार्थ हैं।
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17. उपर्युक्त परिच्छेद के आधार पर निम्नलिखित पूर्वधार बनाई गई हैं :
1. अपरिपक्व आहार-नली जीवाणु संघटन के कारण कुपोषण से ग्रस्त बच्चों के उपचार के लिए एक समाधान प्रसंस्कृत जीवाणुयुक्त (प्रोबायोटिक) खाद्य पदार्थ हैं
2. कुपोषित माताओं के शिशुओं में आमतौर पर कुपोषित होने की प्रवृत्ति होती है।
उपर्युक्त में से कौन-सी पूर्वधारणा/पूर्वधारणाएँ वैध हैं/हैं ?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1, और न ही 2
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परिच्छेद – 3
पश्चिमी अंटार्कटिक प्रायद्वीप पर तापमान पिछले पाँच दशकों में भूमंडलीय औसत से लगभग पाँच गुना तेजी से बढ़ हैं । अनुसंधानकर्ताओं को अब पता लगा है कि पिघलते हुए हिमनदों के कारण अंटार्कटिक प्रायद्वीप के तटीय जलों में नितल जीवजात (बेथोस) के बीच कुछ जाति विविधता नष्ट हो रही है, जिसका प्रभाव समग्र समुद्र अधस्तल पारितंत्र पर पड़ रहा है । उनका विश्वास है कि जल में निलंबित अवसाद के बढ़े हुए स्तर ही तटीय क्षेत्र में क्षीयमाण जैव-विविधता का कारण है ।
18. उपर्युक्त परिच्छेद के आधार पर निम्नलिखित पूर्वधारणाएँ बनाई गई हैं :
1. भूमंडलीय तापन के कारण अन्य क्षेत्रों की अपेक्षा हिमनदों के क्षेत्र तेजी से गर्म होते हैं।
2. भूमंडलीय तापन के परिणामस्वरूप कुछ क्षेत्रों में समुद्र अधस्तलीय अवसादन हो सकता है।
3. पिघलते हुए हिमनद कुछ क्षेत्रों में समुद्री जैव-विविधता को कम कर सकते हैं।
उपर्युक्त में से कौन-सी पूर्वधारणा/पूर्वधारणाएँ वैध है/हैं ?
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 3
(c) केवल 2 और 3
(d) 1, 2 और 3
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परिच्छेद – 4
किसी अनुसंधान दल ने उल्लू के एक दीर्घकालीन बसेरे की परीक्षा की उल्लू छोटे स्तनपायी जंतुओं का शिकार करते हैं, और दीर्घकाल में एकत्रित होने वाले उन आहारों के उत्सर्जित अवशिष्टों से हमें पूरी पिछली सहस्राब्दि में छोटे स्तनपायी जंतुओं की बनावट और संरचना की समझ मिलती है । इस अनुसंधान से यह संकेत मिला है कि जब पृथ्वी लगभग 13,000 वर्ष पूर्व तीव्र तापन की अवधि से गुज़री, तब छोटे स्तनपायी जंतुओं का समुदाय स्थिर और प्रतिस्कन्दी बना रहा । किन्तु, उन्नीसवीं शताब्दी के अंतिम चतुर्थांश से पर्यावरण में मानव-कृत कारणों से हुए परिवर्तनों के परिणामस्वरूप जैवमात्रा और ऊर्जा प्रवाह में बहुत बड़ी गिरावट आती गई । ऊर्जा प्रवाह में इस नाटकीय गिरावट का अर्थ यह है। कि आधुनिक पारितंत्रों में उतनी सहजता से अनुकूलन : नहीं हो रहा है जितनी सहजता से अतीत में हुआ करता था।
19. उपर्युक्त परिच्छेद के आधार पर निम्नलिखित पूर्वधारणाएँ बनाई गई हैं :
1. भूमंडलीय तापन बारंबार होने वाली एक प्राकृतिक घटना है।
2. आसन्न भूमंडलीय तापन का छोटे स्तनपायी जंतुओं पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा।
3. पृथ्वी के प्राकृतिक प्रतिस्कंदन में कमी के लिए मनुष्य उत्तरदायी है।
उपर्युक्त में से कौन-सी पूर्वधारणा/पूर्वधारणाएँ वैध है/हैं ?
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 3
(c) केवल 2 और 3
(d) 1, 2 और 3
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परिच्छेद – 5
खाद्य की किस्मों का पूरे विश्व में विलोपन हो रहा है – और यह तेजी से हो रहा है । उदाहरण के लिए, उन्नीसवीं शताब्दी में उगाई जाने वाली सेब की 7,000 किस्मों में से 100 से भी कम बची हैं । फिलिपींस में कभी धान की हज़ारों किस्में फल-फूल रही थीं; किन्तु अब मुश्किल से सौ किस्में तक ही उपजायी जा रही हैं । चीन में मात्र एक शताब्दी पूर्व खेती में प्रयुक्त होने वाली गेहूं की किस्मों में से 90 प्रतिशत किस्में विलुप्त हो चुकी हैं । विगत समय में किसानों ने बहुत परिश्रम से अपने स्थानीय जलवायु और पर्यावरण की विलक्षणताओं के काफी अनुरूप फसलों को उपजाया और विकसित किया । हाल के पिछले वर्षों में, कुछ थोड़ी सी भारी उपज वाली किस्मों पर और खाद्य के प्रौद्योगिकी-चालित उत्पादन तथा वितरण पर हमारी भारी निर्भरता के कारण खाद्य फसलों की विविधता में कमी हो रही है । यदि कोई उत्परिवर्तनकारी फसल रोग या भावी जलवायु परिवर्तन उन कुछ फसल पादपों का संहार कर दे, जिन पर हम अपनी बढ़ती जनसंख्या का पेट भरने के लिए निर्भर हो चुके हैं, तो हमारे लिए उन कुछ किस्मों की घोर आवश्यकता हो सकती है, जिन्हें हमने विलुप्त हो जाने दिया।
20. उपर्युक्त परिच्छेद के आधार पर निम्नलिखित पूर्वधारणाएँ बनाई गई हैं :
1. पादप जातियों के बड़े पैमाने पर विलोपन होने का प्रमुख कारण मनुष्य ही रहे हैं।
2. मुख्यत: स्थानीय रूप से उपजायी जा रही फसलों के उपभोग से फसल विविधता सुनिश्चित होती
3. खाद्य उत्पादन और वितरण की वर्तमान शैली अंततोगत्वा निकट भविष्य में खाद्य की कमी की समस्या की ओर ले जाएगी ।
4. हमारी खाद्य सुरक्षा, स्थानीय रूप से उपजायी जा रही फसलों की किस्मों को बचाए रखने की हमारी योग्यता पर निर्भर हो सकती है।
उपर्युक्त में से कौन-सी पूर्वधारणाएँ वैध हैं ?
(a) 1 और 3
(b) 2 और 4
(c) 2 और 3
(d) 1 और 4
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