उत्तराखंड का इतिहास – प्रागैतिहासिक काल : उत्तराखंड राज्य में अनेक स्थानों से प्राप्त हुए पाषाण काल के उपकरण, गुफा, चित्र-शेली, कंकाल, और धातुओं के उपकरणों से प्रागैतिहासिक काल में मानव निवास की पुष्टि हुई हैं।
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उत्तराखंड प्रागैतिहासिक काल
लाखु गुफा
1963 में लाखु उड्यार (Cave) की खोज हुई, जो अल्मोड़ा के बड़ेछीना के पास दलबैंड पर स्थित हैं, यहाँ मानव और पशुओं के चित्र प्राप्त हुए हैं, चित्रों को रंगों से भी सजाया गया हैं।
ग्वारख्या गुफा
चमोली में अलकनंदा नदी के किनारे डुग्री गाँव के पास स्थित इस उड्यार में मानव, भेड़, बारहसिंगा आदि के रंगीन चित्र मिले हैं।
किमनी गाँव
चमोली के पास थराली के पास स्थित इस गाँव के गुफ़ाओं में सफ़ेद रंग से चित्रित हथियार व पशुओं के चित्र मिले हैं।
मलारी गाँव
चमोली में तिब्बत से सटे मलारी गाँव में 2002 में हजारों साल पुराने नर कंकाल (Skeletons), मिट्टी के बर्तन (Clay Pots), जानवरों के अंग (Animal Organ) और 5.2 किलोग्राम का एक सोने का मुखावरण (Mask) मिला। गढ़वाल विश्वविद्यालय के द्वारा सन् 2002 में मलारी गाँव के प्रागैतिहसिक पुरातत्वस्थल (Archeology) की खुदाई कराई गई।
ल्वेथाप
अल्मोड़ा के ल्वेथाप से प्राप्त चित्र में मानव को शिकार करते तथा नृत्य करते हुए दिखाया गया हैं।
हुडली
उत्तरकाशी के हुडली से प्राप्त शैल चित्रों में नील रंग का प्रयोग किया गया हैं।
पेटशाला
अल्मोड़ा के पेटशाला व पुनाकोट गाँव के बीच स्थित कफ्फरकोट से प्राप्त चित्रों में नृत्य करते हुए मानवों की आकृतियाँ प्राप्त हुई हैं।
फलासीमा
अल्मोड़ा के फलसीमा से प्राप्त मानव आकृतियों में योग व नृत्य करते हुए दिखाया गया हैं।
बनकोट
पिथौरागढ़ के बनकोट से 8 ताम्र मानव आकृतियां मिली हैं।
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Sir ab clark and steno ke pepar sath me ho rahe to ab uksssc ka sellebas me Kay kya ayega ku bata sakte ho
Sir uttarakhand ka metter history pdf m mil sakti h
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