वन और जंगल में अंतर (Difference Between Forest and Jungle in hindi) : वन किसे कहते हैं? (What is Forest in hindi), वन का महत्व, भारत में वनों के प्रकार, जंगल किसे कहते हैं? (what is the Jungle in hindi), जंगल का महत्व, जंगल के प्रकार आदि महत्वपूर्ण प्रश्नों के उत्तर यहाँ दिए गए हैं।
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वन किसे कहते हैं (What is Forest in hindi)
वन वह क्षेत्र होता है जहां छोटे-छोटे पेड़-पौधों की संख्या सर्वाधिक होती है। इसके साथ ही वनों में कुछ पेड़-पौधे ऐसे भी पाए जाते हैं जिनका घनत्व जंगल की तुलना में लगभग बराबर ही होता है परंतु इसका क्षेत्र जंगलों की तुलना में छोटा होता है। आमतौर पर वनों में जंगली जानवरों एवं जंगली पेड़ों की संख्या बेहद कम होती है क्योंकि अधिकांश वनों का निर्माण पौधारोपण के माध्यम से किया जाता है जिसे समय-समय पर वन विभाग द्वारा संरक्षित भी किया जाता है। इसके अलावा वनों में केवल कुछ ही प्रजाति के जानवरों को रखे जाने की व्यवस्था की जाती है जिसकी निगरानी वन विभाग द्वारा समय-समय पर की जाती है।
वन का महत्व (Importance of Forest in hindi)
पर्यावरण वैज्ञानिकों के अनुसार वन पृथ्वी के वातावरण में ऑक्सीजन की पूर्ति करने के साथ-साथ विभिन्न प्रकार के प्रदूषणों को भी कम करने में सहायता प्रदान करते हैं। वन जनजातीय आबादी के जीवन का एकमात्र आधार माने जाते हैं क्योंकि इसके माध्यम से जानवरों को पर्याप्त भोजन प्राप्त होता है। केवल इतना ही नहीं यह वनों पर आश्रित लोगों के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण होते हैं। इसके अलावा वन के कई अन्य महत्व भी होते हैं जो कुछ इस प्रकार हैं:-
- यूंतो वनों का क्षेत्रफल जंगलों की तुलना में छोटा होता है परंतु यह पृथ्वी के वातावरण को संतुलित रखने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार एक परिपक्व वन पृथ्वी के वातावरण को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन प्रदान करता है जिसके कारण वातावरण की शुद्धता के स्तर में वृद्धि होती है।
- वन मुख्य रूप से वर्षा को नियंत्रित करने का कार्य करते हैं जिसके कारण प्रतिवर्ष समय पर मानसून का आगमन संभव होता है। माना जाता है कि मानसून का सर्वाधिक प्रभाव क्षेत्रीय कृषकों पर पड़ता है क्योंकि अधिकतर किसान वर्ग के लोग वर्षा पर ही आश्रित रहते हैं। समय पर वर्षा होने से उनकी फसलों के उत्पादन में वृद्धि होती है।
- देश के किसी बड़े भू-भाग पर वनों को संरक्षित करने से भूमि के कटाव की समस्या एवं बाढ़ पर नियंत्रण होता है। दरअसल, वन में मौजूद पेड़-पौधे मृदा को तेज पानी के बहाव से बचाने का कार्य करते हैं जिससे भूमि कटाव जैसी समस्या से बचाव होता है। इसके साथ ही यह बाढ़ पर नियंत्रण भी रखते हैं।
- वन पृथ्वी के वातावरण में विभिन्न प्रकार के प्रदूषण के स्तर को कम करके उसे नियंत्रित करने का कार्य करते हैं। वनों के द्वारा वायु की गुणवत्ता में सुधार होता है जिससे वायु प्रदूषण के स्तर में गिरावट आती है। इसके अलावा यह मठमैले पानी को छानकर शुद्ध जल को प्रवाहित करने में सहायता प्रदान करते हैं जिसके कारण जल प्रदूषण का स्तर कम होता है।
- वनों के माध्यम से विभिन्न प्रकार की लकड़ी के उत्पादों को प्राप्त किया जाता है जिससे कागज, रबर, चंदन, वनस्पतिक औषधि आदि के निर्माण कार्य किए जाते हैं। इसके अलावा यह जनजातीय आबादी के लिए पर्याप्त लकड़ी, भोजन, फल एवं आयुर्वेदिक दवा जैसे जरूरी संसाधनों की भी उचित व्यवस्था करते हैं।
भारत में वनों के प्रकार (Types of Forests in India in hindi)
भारत में विभिन्न प्रकार के वन पाए जाते हैं जिसके कारण देश की जलवायु कई प्रकार से प्रभावित होती है। भारत में पाए जाने वाले वन कुछ इस प्रकार हैं:-
- सदाबहार वन (evergreen forest)
- शंकुधारी वन (coniferous forest)
- आर्द्र सदाबहार वन (moist evergreen forest)
- शुष्क सदाबहार वन (dry mangrove forest)
- अर्द्ध सदाबहार वन (semi-evergreen forest)
- कांटेदार वन (thorn forest)
- नम पर्णपाती वन (moist deciduous forest)
- मैंग्रोव वन (Mangrove Forest)
सदाबहार वन (Evergreen Forest)
सदाबहार वन वह होते हैं जो बारहों मास हरे-भरे रहते हैं। इन्हें विषुवतीय सदाबहार तराई वन के नाम से भी जाना जाता है। यह मुख्य रूप से भूमध्यरेखीय क्षेत्रों में स्थित होते हैं। भारत में इन्हें पश्चिमी घाट पूर्वोत्तर एवं अंडमान निकोबार द्वीप समूह में स्थित उच्च वर्षा वाले इलाकों में पाया जाता है। सदाबहार वनों की विशेषता यह है कि इनमें मॉनसून कई महीनों तक रहता है जिसके कारण इनमें मौजूद पेड़-पौधे तेजी से विकसित होते हैं। इसके अलावा इस प्रकार के वन में वृक्ष एक दूसरे से चिपके हुए रहते हैं एवं वह वृक्ष एक प्रकार के छत का निर्माण करते हैं जिसके कारण धरातल तक सूर्य का प्रकाश पर्याप्त मात्रा में नहीं पहुंच पाता है। यही कारण है कि वनों में छोटे पौधों का विकास अत्यधिक मात्रा में नहीं हो पाता है। इस प्रकार के वनों में ऑर्किड्स (orchids) तथा फर्न (fern) अत्यधिक मात्रा में पाए जाते हैं एवं इनमें मौजूद वृक्षों की छाल अधिकतर काई (Moss) से लिपटी हुई रहती है। सदाबहार वनों में जीव-जंतु एवं कीटों की संख्या अधिक होती है।
सदाबहार वनों की प्रमुख प्रजातियां (Major Species of Evergreen Forests)
- देवदार के पेड़ (pine trees)
- यव के पेड़ (yew tree)
- सिकोइया (sequoia)
- सरु (cypress) आदि।
शंकुधारी वन (Coniferous Forest)
शंकुधारी वन मुख्य रूप से पर्वतीय क्षेत्रों में पाए जाने वाले वन होते हैं जिसमें ग्रीष्म ऋतु में कम गर्मी एवं शीत ऋतु में अधिक सर्दी होती है। इसके अलावा इनमें पर्याप्त मात्रा में वर्षा भी होती है जिससे जीव-जंतुओं का जीवन बेहद प्रभावित होता है। इस प्रकार के वनों में पाए जाने वाले वृक्ष सामान्यतः लंबे व सीधे होते हैं एवं इनकी पत्तियां अन्य पेड़ों की पत्तियों की तुलना में अधिक नुकीली होती हैं। इसके अलावा शंकुधारी वन में पाए जाने वाले पेड़ों की शाखाएं धरती की ओर झुकी हुई रहती हैं जिसके कारण इन पर बर्फबारी का कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ता है।
शंकुधारी वनों की प्रमुख प्रजातियां (Major Species of Coniferous Forests)
- ब्लैक स्प्रूस (black spruce)
- रेडवुड (redwood)
- व्हाइट पाइन (white pine)
- शुगर पाइन (sugar pine)
- पोंडरोसा पाइन (ponderosa pine)
- जेफरी पाइन (jeffrey pine) आदि।
आर्द्र सदाबहार वन (Moist Evergreen Forest)
आर्द्र सदाबहार वन मुख्य रूप से अंडमान निकोबार दीप समूह, पश्चिमी घाट एवं उत्तर पूर्वी क्षेत्रों के साथ-साथ दक्षिणी भारत में भी पाए जाते हैं। इस प्रकार के वन में प्रतिवर्ष लगभग 200 सेमी. से अधिक वर्षा होती है जिसके कारण यहां का सामान्य तापमान लगभग 22 डिग्री सेल्सियस से अधिक होता है। आर्द्र सदाबहार वन में पाए जाने वाले वृक्षों का आकार सीधा व लंबा होता है एवं इनकी जड़ें त्रिपदीय आकार की होती हैं जिसके कारण या तेज तूफान में भी स्थिर बने रहते हैं। इसके अलावा इस प्रकार के वन में पाए जाने वाले वृक्षों की लंबाई 60 मीटर या उससे अधिक होती है। ऐसे वनों में वृक्षों से पत्ते गिरने, फूल गिरने एवं फल लगने का कोई भी निश्चित समय नहीं होता है। यह वन बारहों मास हरे भरे रहते हैं जिसके कारण इन्हें आर्द्र सदाबहार वन कहा जाता है।
आर्द्र सदाबहार वन की प्रमुख प्रजातियां (Major Species of Moist Evergreen Forest)
- कटहल के पेड़ (jackfruit tree)
- सुपारी के पेड़ (areca nut tree)
- आम के पेड़ (mango tree)
- जामुन के पेड़ (berry trees)
- रोजवुड (Rosewood)
- ईबोनी (ebony)
- ऐनी (Anne) आदि।
शुष्क सदाबहार वन (Dry Mangrove Forest)
शुष्क सदाबहार वन मुख्य रूप से उत्तर दिशा में शिवालिक पहाड़ियों एवं हिमालय की तलहटी से लगभग 1000 मीटर की ऊंचाई पर पाए जाते हैं। यह भारत में दक्षिण में आंध्र प्रदेश एवं कर्नाटक के तटीय इलाकों में पाए जाते हैं। इस प्रकार के वन की जलवायु सामान्यतः शुष्क मानसून, दीर्घकालीन ग्रीष्म ऋतु एवं भीषण सर्दी की होती है। शुष्क सदाबहार वन में पाए जाने वाले वृक्ष मुख्य रूप से सुगंधित फूलों एवं कठोर पत्तेदार होते हैं जिसमें कुछ पर्णपाती वृक्ष भी शामिल होते हैं।
शुष्क सदाबहार वन की प्रमुख प्रजातियां (Major Species of Dry Evergreen Forest)
- जैतून का पेड़ (olive tree)
- अनार का पेड़ (pomegranate tree)
- ओलिएंडर का पेड़ (oleander tree) आदि।
अर्द्ध सदाबहार वन (Semi-Evergreen Forest)
अर्द्ध सदाबहार वन भारत के पश्चिमी तट, अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह एवं पूर्वी हिमालयी क्षेत्रों में पाए जाते हैं। इस प्रकार के वनों में आर्द्र पर्णपाती वनों का मिश्रण पाया जाता है। ऐसे वन मुख्य रूप से घने होते हैं एवं इनमें विभिन्न प्रकार के वृक्ष पाए जाते हैं। अर्द्ध सदाबहार वन कम वर्षा वाले भू-भागों में भी मौजूद होते हैं।
अर्द्ध सदाबहार वनों की प्रमुख प्रजातियां (Major Species of Semi-Evergreen Forests)
- सफेद देवदार के पेड़ (white pine tree)
- होली के पेड़ (holly tree)
- कैल के पेड़ (Kale tree) आदि।
कांटेदार वन (Thorn Forest)
कांटेदार वन मुख्य रूप से शुष्क क्षेत्रों में पाए जाते हैं जहां वार्षिक वर्षा लगभग 50 सेमी या उससे भी कम होती है। यह दक्षिण पश्चिमी पंजाब, राजस्थान, मध्य प्रदेश, हरियाणा, उत्तर प्रदेश के अर्द्ध शुष्क क्षेत्रों में पाए जाते हैं। इस प्रकार के वन की मृदा काली मिट्टी से संबंधित होती है। कांटेदार वन में पाए जाने वाले वृक्षों की ऊंचाई सामान्यतः 10 मीटर से कम होती है एवं इनमें विभिन्न प्रकार के घास एवं झाड़ियों की प्रजातियां पाई जाती हैं।
कांटेदार वनों की प्रमुख प्रजातियां (Major Species of Thorn Forests)
- बबूल के पेड़ (acacia tree)
- बेर के पेड़ (plum tree)
- खजूर के पेड़ (palm tree)
- नीम के पेड़ (azadirachta indica )
- कोकोस के पेड़ (cocos tree) आदि।
नम पर्णपाती वन (Moist Deciduous Forest)
नम पर्णपाती वन भारत के उत्तर पूर्वी क्षेत्रों, पश्चिमी घाट के पूर्वी ढलानों, हिमालय की तलहटी एवं उड़ीसा जैसे क्षेत्रों में पाए जाते हैं। इस प्रकार के वन में प्रतिवर्ष 100-200 सेमी के बीच वर्षा होती है। नम पर्णपाती वन में पाए जाने वाले वृक्षों की शाखाएं अति विस्तृत होती है तथा यह वृक्ष गर्मियों एवं सर्दियों के मौसम में अपने पत्ते गिरा देते हैं जिस पर मार्च से अप्रैल माह के बीच नई पत्तियां आती है। ऐसे वनों में घनिष्ठता अधिक होती है।
नम पर्णपाती वनों की प्रमुख प्रजातियां (Major Species of Moist Deciduous Forests)
- साल के पेड़ (Sal tree)
- शीशम के पेड़ (rosewood tree)
- आंवले के पेड़ (gooseberry tree)
- महुआ का पेड़ (mahua tree)
- सागौन का पेड़ (teak tree)
- चंदन का पेड़ (sandalwood tree) आदि।
मैंग्रोव वन (Mangrove Forest)
मैंग्रोव वन मुख्य रूप से नदियों के डेल्टा तथा तटों के किनारे पाए जाते हैं। इस प्रकार के वनों को तटीय वन एवं दलदली वन के नाम से भी जाना जाता है। यह भारत में गंगा, ब्रह्मपुत्र एवं अंडमान निकोबार द्वीप समूह के डेल्टा क्षेत्रों में सर्वाधिक मात्रा में पाए जाते हैं। मैंग्रोव वन में सीमित संख्या में ही पौधे होते हैं। ऐसे वनों में मौजूद वृक्ष नदियों द्वारा बहकर आई हुई मृदा के कारण अधिक वृद्धि करते हैं।
मैंग्रोव वनों की प्रमुख प्रजातियां (Major Species of Mangrove Forests)
- मैंग्रोव खजूर (mangrove date palm)
- ताड़ के पेड़ (Palm trees)
- बुलेटवुड (bullet wood) आदि।
जंगल किसे कहते हैं (what is the Jungle in hindi)
जंगल वह क्षेत्र होता है जहां अनेकों प्रकार के वृक्ष, वनस्पति, पौधे आदि पाए जाते हैं। आमतौर पर जंगल का क्षेत्र वनों की तुलना में अधिक होता है। कुछ विशेषज्ञों के अनुसार एक जंगल का क्षेत्रफल कई वनों के क्षेत्रफल के बराबर होता है। एक विशाल जंगल में कई प्रकार के पेड़-पौधे, जंगली जानवर एवं विभिन्न प्रजातियों के जीव-जंतुओं की बहुतायत होती है। यह पृथ्वी के पारिस्थितिक तंत्र का एक महत्वपूर्ण अंग माने जाते हैं। जंगल में विशेष रूप से कई प्रकार की वनस्पतियाँ स्वयं उग जाती हैं जिसका उपयोग विभिन्न प्रकार की औषधियों के निर्माण कार्य में किया जाता है। यह जीवन का एक बड़ा स्रोत माने जाते हैं। इसके अलावा यह पृथ्वी की जलवायु को एक सम्मान बनाए रखने में एक महत्वपूर्ण भूमिका भी निभाते हैं।
जंगल का महत्व (Importance of Jungle in hindi)
बीते कई दशकों से जंगलों को संरक्षित करने एवं अधिक से अधिक वृक्षों का विकास करने की प्रक्रिया पर विशेष रूप से ध्यान केंद्रित किया जाता रहा है क्योंकि यह पृथ्वी के वायुमंडल के लिए अत्यंत आवश्यक माने जाते हैं। इसके अलावा जंगल को सुरक्षित करने के कई अन्य प्रमुख कारण भी है जो कुछ इस प्रकार हैं:-
- वातावरण नियंत्रण (climate control)
- वायुमंडल का शुद्धिकरण (purification of the atmosphere)
- आजीविका का साधन (means of livelihood)
- पशु एवं पक्षियों के लिए प्राकृतिक आवास (Natural habitat for animals and birds)
वातावरण नियंत्रण (Climate Control)
जंगल में मौजूद वृक्ष एवं मिट्टी वायुमंडलीय तापमान को वाष्पीकरण की प्रक्रिया के द्वारा विनियमित करने का कार्य करते हैं जिसके कारण जलवायु का स्तर स्थिर रहता है। एक विशाल जंगल के भीतर अन्य क्षेत्रों की तुलना में तापमान कम अर्थात ठंडा रहता है। इसमें मौजूद पेड़-पौधे हरियाली को व्यापक रूप से संरक्षित करने का कार्य करते हैं जिससे वातावरण नियंत्रण की प्रक्रिया में सहायता होती है।
वायुमंडल का शुद्धिकरण (Purification of the Atmosphere)
माना जाता है कि जंगल में मौजूद भारी संख्या में पेड़-पौधे वायुमंडल का शुद्धिकरण करने में एक विशेष भूमिका निभाते हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार पेड़-पौधे प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया के द्वारा कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करके वायुमंडल में पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन को उत्सर्जित करने का कार्य करते हैं जिससे वायुमंडल में शुद्ध हवा प्रवाहित होती है। दरअसल, पेड़-पौधों की पत्तियों की सतह पर एक प्रकार का छिद्र पाया जाता है जिसे स्टोमा (stoma) या स्टोमेटा (stomata) के नाम से जाना जाता है। यह छिद्र कार्बन डाइऑक्साइड को पत्तियों की सतह से भीतर की ओर प्रवेश करने में मदद करता है। इस प्रक्रिया के माध्यम से कार्बन डाइऑक्साइड ऑक्सीजन में परिवर्तित होकर बाहर निकलती है जिससे वायुमंडल का शुद्धिकरण होता है।
आजीविका का साधन (Means of Livelihood)
जंगल विश्व भर के सैकड़ों लोगों का प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से आजीविका का साधन माना जाता है। वर्तमान समय में भी जंगल में पाए जाने वाले कई प्राकृतिक संसाधनों के माध्यम से आदिवासी प्रजातियों का जनजीवन प्रभावित होता है। इसके अलावा जंगल में मौजूद पेड़ों की सहायता से कागज, ईंधन, खाद आदि वस्तुओं की भी उचित व्यवस्था की जाती है। इसीलिए समय-समय पर जंगलों का संरक्षण करने हेतु केंद्रीय एवं राजकीय प्रशासन प्रत्यक्ष रूप से कार्य करते रहते हैं।
पशु एवं पक्षियों के लिए प्राकृतिक आवास (Natural Habitat for Animals and Birds)
एक विशाल जंगल को विभिन्न प्रकार के पशु एवं पक्षियों का एक प्राकृतिक आवास माना जाता है। इसमें जानवरों की कई प्रजातियां निवास करती हैं जिसकी सहायता से जैव विविधताओं को बनाए रखने में सहायता मिलती है। इसके साथ ही जंगल में जंगली जानवरों एवं पक्षियों के लिए एक स्वस्थ वातावरण भी होता है जिससे यह जानवर एवं पशु-पक्षी आसानी से अपना जीवन यापन करते हैं। भारतीय पशु कल्याण बोर्ड के अनुसार जंगल पशुओं के लिए एक बेहतर साधन होता है।
जंगल के प्रकार (Types of Jungle in hindi)
जंगल के मुख्य रूप से दो प्रकार होते हैं:-
- प्राकृतिक जंगल (Natural Jungle)
- अप्राकृतिक जंगल (Unnatural Jungle/park)
प्राकृतिक जंगल (Natural Jungle)
प्राकृतिक जंगल वह होते हैं जिनका निर्माण स्वयं प्रकृति के माध्यम से होता है। इस प्रकार के जंगलों का क्षेत्रफल अत्यधिक होता है एवं इनमें मुख्य रूप से पशु-पक्षियों की कई महत्वपूर्ण प्रजातियां पाई जाती हैं। प्राकृतिक जंगल मुख्य रूप से पर्वतीय क्षेत्रों पर स्थित होते हैं। भारत में लगभग 72 मिलियन हेक्टर के भू-भाग में जंगल के क्षेत्र फैले हुए हैं। इसके अलावा विश्व का सबसे विशाल जंगल अमेज़न (Amazon) एवं कांगो (Congo) को माना जाता है जो कई अरब एकड़ में फैला हुआ है। अमेज़न जंगल इतना विशाल है कि यह लगभग 9 देशों की सीमाओं को छूता है।
अप्राकृतिक जंगल (Unnatural Jungle/Park)
अप्राकृतिक जंगल वह होते हैं जिनका निर्माण मानव द्वारा पशु एवं पक्षियों की विभिन्न प्रजातियों का संरक्षण करने हेतु किया जाता है। इसके अलावा इसमें प्राकृतिक सुंदरता को ध्यान में रखते हुए कुछ विशेष प्रकार के परिवर्तन भी किए जाते हैं। अप्राकृतिक जंगलों का क्षेत्रफल सामान्य जंगलों से छोटा होता है। इस प्रकार के जंगलों में पर्यटकों को लुभाने की अपार संभावनाएं होती हैं। इसके साथ ही इस प्रकार के जंगलों में वानस्पतिक औषधियों एवं खेती के लिए एक विशेष स्थान होता है जिसकी सहायता से कई प्रकार की दवाओं का निर्माण किया जाता है।
वन और जंगल में अंतर (Difference Between Forest and Jungle in hindi)
वन और जंगल में निम्नलिखित अंतर होते हैं:-
- वन का क्षेत्रफल छोटा होता है जबकि जंगल का क्षेत्रफल विशाल या बड़ा होता है।
- वन में सूर्य का प्रकाश लगभग सभी क्षेत्रों में पर्याप्त मात्रा में पहुंचता है जबकि अत्यधिक घने होने के कारण जंगलों के अधिकतर क्षेत्रों में सूर्य का प्रकाश पर्याप्त मात्रा में नहीं पहुंच पाता है।
- वन शब्द की उत्पत्ति फ्रांसीसी शब्द से हुई है जबकि जंगल शब्द वास्तव में संस्कृत के शब्द ‘जांगला’ से लिया गया है।
- वन आमतौर पर केवल पर्वतीय क्षेत्रों में ही पाए जाते हैं जबकि जंगल विश्व भर में मौजूद होते हैं।
- विश्व भर में मौजूद सभी देश के पास अपना-अपना एक वन होता है जिसके कुछ नियम होते हैं जबकि जंगलों पर किसी भी प्रकार का नियम लागू नहीं होता है।