वर्ण और अक्षर में अंतर (अक्षर और वर्ण में अंतर)

वर्ण और अक्षर में अंतर (अक्षर और वर्ण में अंतर)

वर्ण और अक्षर में अंतर ( अक्षर और वर्ण में अंतर ) : वर्ण किसे कहते हैं, वर्ण के भेद, अक्षर किसे कहते हैं, हिंदी वर्णमाला में अक्षरों की संख्या, अक्षर का स्वरूप आदि महत्वपूर्ण प्रश्नों के उत्तर यहाँ दिए गए हैं। difference between letters and alphabets in hindi.

वर्ण किसे कहते हैं

वर्ण ध्वनि के वह मौलिक एवं सूक्ष्म रूप होते हैं जिन्हें किसी भी प्रकार से विभाजित नहीं किया जा सकता है। विश्व भर में मौजूद सभी भाषाओं की अपनी एक वर्णमाला होती है जिसके आधार पर भाषा का साहित्य निर्भर होता है। वर्ण मुख्य रूप से भाषा के सभी अक्षरों का एक समूह होता है। हिंदी भाषा में मौजूद सभी वर्णों के क्रमबद्ध समूह को वर्णमाला के नाम से जाना जाता है। जिस प्रकार अंग्रेजी भाषा में A, B, C, D के कुल 26 अक्षरों को वर्णमाला (Alphabet) के रूप में परिभाषित किया जाता है ठीक उसी प्रकार हिंदी भाषा में कघ, के कुल 52 अक्षरों को भी हिंदी भाषा के वर्णमाला के रूप में जाना जाता है।

वर्ण के भेद

हिंदी वर्णमाला में कुल 52 वर्ण होते हैं जिनमें 29 व्यंजन (Consonant) एवं 13 स्वर (Vowel) होते हैं। उच्चारण के दृष्टिकोण से देखा जाए तो प्रयोग के आधार पर वर्णों के दो भेद होते हैं पहला व्यंजन वर्ण एवं दूसरा स्वर वर्ण। जिसमें व्यंजन की कुल संख्या 43 एवं स्वर की कुल संख्या 10 होती है।

व्यंजन वर्ण

यदि किसी अन्य स्वर की सहायता से वर्णों का उच्चारण किया जाता है तो उन्हें व्यंजन वर्ण के नाम से जाना जाता है। व्यंजन वर्ण का उच्चारण मुख्य रूप से स्वर वर्ण की सहायता से किया जाता है। व्यंजन वर्ण का उपयोग उन ध्वनियों के माध्यम से किया जाता है जिनके उच्चारण हेतु किसी स्वर की आवश्यकता होती है। व्यंजन वर्ण की विशेषता यह है कि इसमें ध्वनियों का उच्चारण करते समय व्यक्ति के मुख के भीतर किसी ना किसी विशेष शब्द के कारण वायु का अवरोध होता है। इसके अलावा व्यंजन वर्ण के उच्चारण के दौरान किसी व्यक्ति की जीभा मुंह के ऊपर वाले हिस्से से टकराती है जिसके कारण उष्ण हवा बाहर निकलती है।

व्यंजन वर्ण के उदाहरण

क, ख, ग, च, छ, त, थ, द आदि व्यंजन वर्ण के उदाहरण हैं।

  • क्+अ = क
  • ख् +अ = ख
  • ग्+अ = ग
  • प् + अ = प

उपर्युक्त सभी व्यंजन वर्ण होते हैं जिनके हर एक व्यंजन में ‘अ’ (स्वर) की ध्वनि निहित होती है। माना जाता है कि मूल व्यंजन वर्णों की कुल संख्या 33 होती है। i

व्यंजन वर्ण के भेद

व्यंजन वर्ण के कुल तीन भेद होते हैं जो कुछ इस प्रकार हैं:-

  • स्पर्श व्यंजन (Mutes)
  • ऊष्म व्यंजन (Sibilants)
  • अंतःस्थ व्यंजन (Semi-vowels)
  • संयुक्त व्यंजन (Consonant Combination)
स्पर्श व्यंजन (Mutes)

जिन व्यंजनों का उच्चारण करने के दौरान जीभ का स्पर्श मुख के भीतर विभिन्न स्थानों पर होता है तो इस प्रकार के व्यंजनों को स्पर्श व्यंजन के नाम से जाना जाता है। साधारण शब्दों में कहा जाए तो यह वो व्यंजन होते हैं जो होंठ, दांत, कंठ, तालु आदि के स्पर्श से बोले जाते हैं। स्पर्श व्यंजन को स्पर्शी व्यंजन या वर्गीय व्यंजन भी कहा जाता है। स्पर्श व्यंजन मुख्य रूप से 5 वर्गों में विभाजित होते हैं जिनके प्रत्येक वर्ग का नाम उनके प्रथम वर्ण के आधार पर रखा गया है। स्पर्श व्यंजनों की संख्या कुल 25 होती है।

ऊष्म व्यंजन (Sibilants)

जिन व्यंजनों का उच्चारण करते समय हवा मुंह के विभिन्न अंगों से टकराती हुई बाहर की तरफ निकलते हुए एक प्रकार की गर्मी उत्पन्न करती है तो उसे उष्म व्यंजन के नाम से जाना जाता है। इसका उच्चारण करने के दौरान मुख के भीतर घर्षण के कारण सांस में एक प्रकार की गर्मी उत्पन्न होती है। उष्म व्यंजन की कुल संख्या 4 होती है जैसे श, स, ष और ह।

अंतस्थ व्यंजन (Semi-vowels)

जिन व्यंजनों का उच्चारण करने के दौरान जीभ मुंह के भीतरी भागों को सामान्य रूप से स्पर्श करता है तो उसे अंतस्थ व्यंजन के नाम से जाना जाता है। इनका उच्चारण व्यंजनों एवं स्वरों के बीच स्थित होता है। अंतस्थ व्यंजन का उच्चारण करते समय जीभ, दांत, होंठ एवं तालु आपस में परस्पर टकराते हैं परंतु वह पूर्ण रूप से स्पर्श नहीं होते हैं। अंतस्थ व्यंजनों की कुल संख्या 4 होती है जैसे र, य, व एवं ल।

संयुक्त व्यंजन (Consonant Combination)

जिस व्यंजन का निर्माण दो या दो से अधिक व्यंजनों से मिलकर होता है उन्हें संयुक्त व्यंजन के नाम से जाना जाता है। संयुक्त व्यंजन में विशेष रूप से पहला व्यंजन स्वर रहित होता है एवं दूसरा व्यंजन इसके विपरीत स्वर सहित होता है। इसके साथ ही इसमें मुख्य रूप से स्वर वर्ण ‘अ’ का भी संबंध होता है जैसे:-

  • त्र = त् + र् + अ
  • क्ष = क् + ष् + ह् + अ
  • श्र = श् + र् + अ
  • ज्ञ = ग् + य् + अ

स्वर वर्ण

स्वर वर्ण वह होते हैं जिनके उच्चारण के लिए किसी भी प्रकार के वर्ण की आवश्यकता नहीं होती है अर्थात यह बिना किसी वर्णों की सहायता से उच्चारित किए जाते हैं। स्वर वर्ण का उच्चारण करने हेतु मुख्य रूप से कंठ एवं तालु का प्रयोग होता है। आसान शब्दों में कहा जाए तो स्वतंत्र रूप से बोले जाने वाले वर्णों को स्वर वर्ण कहा जाता है। हिंदी भाषा में स्वर की संख्या कुल 11 होती है जो कुछ इस प्रकार हैं – अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ। इसमें ऋ को अर्ध स्वर माना जाता है।

स्वर वर्ण के दो प्रकार होते हैं जैसे:-

  • मूल स्वर
  • संयुक्त स्वर
स्वर वर्ण के प्रकार
मूल स्वर

वह स्वर वर्ण जो स्वतंत्र रूप के होते हैं उन्हें मूल स्वर के नाम से जाना जाता है। मूल स्वर के मुख्य रूप से तीन प्रकार होते हैं:-

  • दीर्घ स्वर
  • ह्रस्व स्वर
  • प्लुत स्वर

दीर्घ स्वर

दीर्घ स्वर वह होते हैं जिनके उच्चारण में अधिक समय लगता है। यह दो समान या भिन्न वर्णों के योग से बनते हैं जिसके कारण इनका उच्चारण करने में लगभग दोगुना समय लगता है। दीर्घ स्वर की कुल संख्या 7 होती है जैसे –

आ, ई, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ।

  • आ = अ + अ
  • ई = इ + इ
  • ऊ = उ + उ
  • ए = अ + इ
  • ऐ = अ + ए
  • ओ = अ + उ
  • औ = अ + ओ

ह्रस्व स्वर

हास्य स्वर वह वर्ण होते हैं जिनके उच्चारण में कम से कम समय लगता है। इनकी कुल संख्या 4 होती है जैसे – अ, आ, उ, ऋ। इन सभी स्वर के उच्चारण में बेहद कम समय लगता है।

प्लुत स्वर

प्लुत स्वर को त्रिमात्रिक स्वर के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि इस प्रकार के स्वर वर्णों के उच्चारण में अधिक से अधिक समय लगता है। प्लुत स्वर वर्णों का उच्चारण करने में दीर्घ स्वर वर्णों से लगभग तीन गुना अधिक समय लगता है। प्लुत स्वर को दर्शाने हेतु (ऽ) चिह्न का प्रयोग किया जाता है। इसका उपयोग किसी शब्द को गहन भाव से कहने अथवा किसी को पुकारने के लिए किया जाता है जैसे –  सुनोऽऽ, ओऽम् आदि। हिंदी भाषा में प्लुत स्वर का उपयोग कम से कम किया जाता है क्योंकि यह वास्तव में एक संस्कृत भाषा का स्वरूप है। इसका अधिकतर उपयोग संस्कृत भाषा एवं वैदिक भाषा में किया जाता है।

संयुक्त स्वर

वह स्वर जिनका निर्माण दो या दो से अधिक स्वरों से मिलकर होता है उन्हें संयुक्त स्वर के नाम से जाना जाता है। संयुक्त स्वर के पहले भाग में ह्रस्व स्वर एवं दूसरे भाग में दीर्घ स्वर होता है। इस प्रकार के स्वर का उच्चारण करने में समानत: अधिक बल लगता है। संयुक्त स्वर की कुल संख्या दो होती है जैसे –

  • औ = अ +ओ
  • ऐ = अ +ए
स्वर वर्ण के उदाहरण

हिंदी वर्णमाला में एक स्वर एक अक्षर होता है जो स्वतंत्र भाव से ध्वनि का प्रतिनिधित्व करता है। हिंदी भाषा में कुल 11 स्वर के वर्ण होते हैं जैसे अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ आदि।

 

अक्षर किसे कहते हैं

अक्षर वह अपरिवर्तनशील तत्व होता है जो ना कभी घट सकता है और ना ही कभी नष्ट हो सकता है। इसका प्रयोग मुख्य रूप से शब्दांश के लिए किया जाता है। हिंदी वर्णमाला में वर्ण के लिए अक्षर का प्रयोग किया जाता है। अक्षर के माध्यम से ही किसी लिपि को व्यक्त किया जाता है। इसके अलावा ध्वनियों की संगठित इकाई को भी अक्षर कहा जाता है क्योंकि इसका उच्चारण तत्काल भाव से किया जा सकता है। यह किसी भी भाषा की वह मूलभूत उच्चारणात्मक इकाई होती है जिसका प्रयोग वर्ण – चिह्नों के रूप में किया जाता है। इसके अलावा शब्दों के निर्माण में अक्षरों की एक महत्वपूर्ण भूमिका होती है क्योंकि इसके संयोजन से ही शब्दों की रचना संभव होती है।

हिंदी वर्णमाला में अक्षरों की संख्या

हिंदी वर्णमाला में कुल 52 अक्षर होते हैं जो कुछ इस प्रकार हैं:-

अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ, क ख ग घ ङ, च छ ज झ ञ, ट ठ ड ढ ण, त थ द ध न, प फ ब भ म, य र ल व, श ष स ह, क्ष, त्र, ज्ञ, श्र, ड़, ढ़, (ँ) और (:)।

अक्षर का स्वरूप

किसी भी शब्द में अक्षर के स्वरूप को निर्धारित करने में मुख्य रूप से 2 प्रकार के तत्व शामिल होते हैं जैसे:-

  • शीर्ष ध्वनि
  • गह्वर ध्वनि
शीर्ष ध्वनि

जिन शब्दों के मुख्य भाग में ध्वनि अधिक मुखर या प्रबल होती है तो उन्हें शीर्ष ध्वनि कहा जाता है। अधिकतर शीर्ष ध्वनि स्वर वर्ण के होते हैं क्योंकि यह व्यंजन वर्णों की तुलना में अधिक मुखर होते हैं।

गह्वर ध्वनि

जिन शब्दों के अंश या भाग कम मुखर या अस्पष्ट होते हैं तो उन्हें गह्वर ध्वनि की श्रेणी में रखा जाता है। यह मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं पूर्व गह्वर एवं पश्च गह्वर। उदाहरण के लिए ‘साज’ एक शब्द है जिसमें आ- पूर्व गह्वर है एवं ज- पश्च गह्वर है।

 

वर्ण और अक्षर में अंतर

वर्ण और अक्षर में निम्नलिखित अंतर होते हैं:-

  • वर्ण वह मूल ध्वनि होती है जिसका किसी भी प्रकार से खंडन नहीं किया जा सकता है जबकि अक्षर स्थिर एवं अविनाशी होता है जिसका किसी भी अवस्था में नाश नहीं किया जा सकता है।
  • वर्ण बोला जाने वाला छोटे से छोटा अंश होता है जबकि अक्षर समझा जाने वाला छोटे से छोटा अंश होता है।
  • वर्ण अक्षर का वह स्वरूप होता है जिसे लिखा एवं पढ़ा जा सकता है परंतु अक्षर केवल ध्वनि को निरूपित करता है।
  • वर्ण केवल ध्वनि का सूचक होता है जबकि अक्षर में एक या एक से अधिक ध्वनियाँ निहित होती हैं।
  • वर्ण में स्वरों एवं व्यंजनों का समावेश होता है जबकि अक्षर में स्वर एवं व्यंजन का समावेश नहीं होता है।

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