बाल गंगाधर तिलक का जीवन परिचय : बाल गंगाधर तिलक (अंग्रेजी : Bal Gangadhar Tilak) को लोकमान्य के नाम से भी जाना जाता है। बाल गंगाधर तिलक को भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का जनक भी कहा जाता है। बहुमुखी प्रतिभा के धनी तिलक एक समाज सुधारक, स्वतंत्रता सेनानी, राष्ट्रीय नेता के साथ-साथ भारतीय इतिहास, संस्कृत, हिन्दू धर्म, गणित, और खगोल विज्ञान जैसे विषयों के विद्वान भी थे। Bal Gangadhar Tilak Biography in hindi.
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बाल गंगाधर तिलक जीवन परिचय (Bal Gangadhar Tilak Biography in hindi)
बालगंगाधर तिलक का जन्म 13 जुलाई 1856 में महाराष्ट्र के रत्नागिरी में हुआ था। बालगंगाधर तिलक के पिता नाम गंगाधर रामचंद्र तिलक था जो संस्कृत के विद्वान और प्रख्यात शिक्षक थे और माता का नाम पार्वती बाई गंगाधर था। 1871 में उनका विवाह तपिबाई नामक कन्या से हुआ जो की बाद में सत्यभामा के नाम से जानी गई।
बाल गंगाधर तिलक की शिक्षा
तिलक के पिता का स्थानांतरण रत्नागिरी से पुणे होने के कारण उनके जीवन में इस तबादले से बहुत परिवर्तन आया। तिलक का दाखिला पुणे के एंग्लो-वर्नाकुलर स्कूल में हुआ, उन्हें इस समय कुछ जाने माने शिक्षकों से शिक्षा प्राप्त हुई। पुणे आने के कुछ समय बाद महज 16 वर्ष की उम्र में उनकी माता का देहांत हो गया और कुछ समय पश्चात उनके पिता का भी देहांत हो गया। माता-पिता का साया न होने पर भी तिलक निराश नहीं हुए और अपने जीवन में आगे बड़े। तिलक एक प्रभावशाली छात्र थे उनको शुरुआत से ही गणित विषय से विशेष लगाओ था। स्कूली शिक्षा पूरी होने के बाद उन्होंने वर्ष 1877 में पुणे के डेक्कन कॉलेज से संस्कृत और गणित विषय की डिग्री हासिल की। उन्होंने मुंबई के सरकारी लॉ कॉलेज से एलएलबी की पढ़ाई की और वर्ष 1879 में एक और डिग्री हासिल की। आधुनिक शिक्षा प्राप्त करने वाले पहली पीढ़ी के भारतीय युवाओं में से तिलक एक थे।
अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद तिलक पुणे के एक निजी स्कूल में गणित और अंग्रेजी विषयों के शिक्षक भी रहे। स्कूल में अन्य शिक्षकों से मतभेद और असहमति के चलते उन्होंने वर्ष 1880 में पढ़ाना छोड़ दिया। तिलक ने अंग्रेजी शिक्षा प्रणाली की आलोचना की और ब्रिटिश विद्यार्थियों की तुलना में भारतीय विद्यार्थियों के दोगला व्यवहार का जमकर विरोध किया। तिलक ने भारतीय संस्कृति के आदर्शों के प्रति लोगों को जागरूक किया और विद्यार्थियों को एक नई दिशा प्रदान करने का प्रयास किया।
जन्म | 13 जुलाई 1856 |
मृत्यु | o1 अगस्त 1920 |
पिता | गंगाधर रामचंद्र तिलक |
माता | पार्वती बाई गंगाधर |
बाल गंगाधर तिलक द्वारा राष्ट्रवादी शिक्षा का प्रचलन
तिलक ने भारतीय छात्रों के बीच राष्ट्रवादी शिक्षा को प्रेरित करते हुए देश के युवाओं को उच्च और अच्छी गुणवत्ता की शिक्षा प्रदान करने का प्रयास किया और उन्होंने अपने कॉलेज के बैचमेट्स और महान समाज सुधारक गोपाल गणेश आगरकर और विष्णु शास्त्री चिपुलंकर के साथ मिलकर “डेक्कन एजुकेशन सोसाइटी” की स्थापना की।
बाल गंगाधर तिलक द्वारा केसरी और मराठा का प्रकाशन
वर्ष 1881 में भारतीय संघर्षों और परेशानियों को देखते हुए लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने लोगों को जागरूक करने और उनके अंदर स्वशासन की भावना जागृत करने के लिए दो साप्ताहिक पत्रिकाओं ‘केसरी और मराठा’ की शुरुआत की। यह दोनों समाचार पत्रिकाएं लोगों के बीच जागरूकता का माध्यम बनी और काफी प्रचलित रही।
बाल गंगाधर तिलक का राजनीतिक जीवन व जेल यात्रा
1890 में बाल गंगाधर तिलक भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हुए, इसके बाद उन्होंने उदारवादी विचारों के खिलाफ कड़ा विरोध करना शुरू कर दिया। बाल गंगाधर तिलक का कहना था की ब्रिटिश सरकार के खिलाफ एक सरल संवैधानिक आंदोलन करना व्यर्थ है, वह इसके लिए एक सशक्त विद्रोह चाहते थे। इसके बाद पार्टी ने उन्हें गोपाल कृष्ण गोखले जो कांग्रेस के प्रमुख नेता थे उनके खिलाफ खड़ा कर दिया। तिलक ने बंगाल विभाजन के समय स्वदेशी आंदोलनों और विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार का भी समर्थन किया। तिलक और कांग्रेस पार्टी की विचारधारा में अंतर होने के कारण उन्हें कांग्रेस के चरमपंथी विंग के रूप में जाना गया, लेकिन इस समय उनका समर्थन बंगाल के राष्ट्रवादी बिपिन चंद्र पाल और पंजाब के लाला लाजपत राय ने किया था। लोकमान्य तिलक ने अपने अखबारों के माध्यम से ब्रिटिश सरकार का जमकर विरोध किया और उन्होंने चापेकर बंधुओ को प्रेरित किया। जिसके चलते 22 जून, 1897 में कमिश्नर रैंड औरो लेफ्टिनेंट आयर्स्ट की हत्या कर दी गई और तिलक को हत्या के लिए उकसाने के आरोप में 6 साल के लिए जेल में डाला गया और “देश निकाला” का दंड दिया गया। 1908 से 1914 के बीच उनको मांडले के जेल में भी भेजा गया और जेल में रहते हुए उन्होंने ‘श्रीमद भगवत गीता रहस्य’ नामक किताब लिखी। तिलक एक समाज सुधारक भी थे उन्होंने अपने जीवन में समाज में फैली कुप्रथाओं का भी विरोध किया और महिलाओं की शिक्षा और उनके विकास पर भी जोर दिया।
लोकमान्य तिलक के द्वारा किए गए मुख्य कार्य
- 1880 में पुणे में न्यू इंग्लिश स्कूल की स्थापना।
- 1885 में पुणे में फर्ग्युसन कॉलेज की स्थापना।
- 1893 में ओरायन नामक किताब का प्रकाशन।
- ‘सार्वजानिक गणेश उत्सव’ और ‘शिव जयंती उत्सव’ शुरू किया।
- 1903 में दि आर्टिक होम इन द वेदाज नामक पुस्तक का प्रकाशन।
- हिंदी भाषा को “राष्ट्रभाषा” का दर्जा देने की बात भी सर्वप्रथम तिलक ने ही की थी।
बाल गंगाधर तिलक द्वारा 28 अप्रैल, 1916 “होमरूल लीग” की स्थापना
वर्ष 1915 में जब तिलक भारत वापस लौटे तो उन्होंने देखा की प्रथम विश्व युद्ध के चलते राजनीतिक स्तिथि तेजी से बदल रही थी उस दौरान तिलक के प्रशंसकों में उनकी रिहाई की खुशी की लहर दौड़ रही थी। बाद में तिलक फिर से कांग्रेस में शामिल हो गए और और उन्होंने एकजुट होकर ऐनी बेसेंट, मुहम्मद अली जिन्ना, युसूफ बैपटिस्टा के साथ मिलकर 28 अप्रैल, वर्ष 1916 में होमरूल लीग की स्थापना की, जिसमें उन्होंने प्रशासनिक सुधार और भाषाई प्रांतों की स्थापना की मांग की।
बाल गंगाधर तिलक की मृत्यु
13 अप्रैल 1919 के “जलियांवाला बाग हत्याकांड” की घटना का बाल गंगाधर तिलक पर बहुत गहरा असर पड़ा था, उसके बाद उनका स्वास्थ्य खराब रहने लगा और वह मधुमेह नामक बीमारी से ग्रसित हो गए, जिसके बाद o1 अगस्त 1920 को उनका देहांत हो गया। उनकी शव यात्रा में लाखों लोगों की भीड़ उमड़ी थी।
तिलक के देहांत के बाद उनके सम्मान पर पुणे में तिलक म्यूजियम, “तिलक रंगा मंदिर” नाम का थिएटर ऑडिटोरियम बनवाए गए है। भारत सरकार ने 2007 में उनके स्मरण में सिक्का भी जारी किया था।
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Hme inse ye sikh milti h ki ham apne desh ke liy kurban ho
पारिवारिक परिचय संक्षिप्त है,विस्तार से होना चाहिए।