उस्ता कला (Usta Art) : उस्ता कला एक विशेष प्रकार की कला है जो मुख्य रूप से ऊंट की खाल पर किया जाता है। यह कला राजस्थान के बीकानेर नामक नगर की विशेषता है जहां पर ऊंट की खाल पर स्वर्ण मीनाकारी एवं मुनव्वर के कार्य किए जाते हैं। माना जाता है कि उस्ता कला देश-विदेश में अत्यंत प्रसिद्ध है। उस्ता कलाकार ऊंट की खाल से निर्मित कुप्पियों पर कलात्मक कार्य करते हैं जो देखने में अत्यंत आकर्षक एवं मनमोहक होते है। यह कला विशेष रुप से मिट्टी की सुराही, आईने, डिब्बे, शीशी आदि पर किया जाता है। माना जाता है कि भारत में वर्ष 1986 को पद्मश्री से सम्मानित प्रसिद्ध कलाकार स्वर्गीय हिसामुद्दीन उस्ता ने इस कला को विकसित किया था, जिन्हें वर्ष 1967 में राष्ट्रीय पुरस्कार से भी विभूषित किया गया था। वर्तमान समय में राजस्थान के बीकानेर नगर में उस्ता कला का कार्य विभिन्न कलाकारों द्वारा संचालित किये जाते है।
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उस्ता कला का स्वर्ण काल
उस्ता कला का स्वर्ण काल – महाराजा अनूप सिंह राठौर के शासनकाल को उस्ता कला का स्वर्ण काल कहा जाता है जो (1669-1698 ई.) तक चला था। कहा जाता है कि उस्ता कला का उद्गम ईरान से हुआ था जो उस्ता कलाकारों के द्वारा भारत के राजस्थान के बीकानेर नामक जिले में लाया गया था। उस्ता कला के कलाकारों को बीकानेर के छठे राजा राय सिंह एवं कर्ण सिंह मुगल दरबार में लाए थे जहां से उस्ता कला का विकास आरंभ हुआ था।
उस्ता कला के प्रमुख कलाकार
उस्ता कला के प्रमुख कलाकार – भारत के राजस्थान नामक राज्य के बीकानेर जिले में उस्ता कला के कई प्रमुख कलाकार मौजूद हैं जैसे:-
- अय्यूब अली उस्ता,
- इब्राहिम शाह मोहम्मद,
- हाशिम,
- मुराद बक्श,
- रहीम,
- इमामुद्दीन,
- रुकनुद्दीन,
- उस्मान
माना जाता है कि राजस्थान में उस्ता कला के कई उम्दा कलाकार मौजूद हैं जो अपनी कलाकृतियों (artefacts) के कारण देश-विदेश में प्रसिद्ध है।
उस्ता कला के प्रसिद्ध कलाकार
उस्ता कला के प्रसिद्ध कलाकार – उस्ता कला के प्रसिद्ध कलाकारों में उस्ता हामिद, रुकनुद्दीन एवं अय्यूब अली उस्ता प्रमुख थे जिन्हें पूरे देश में काफी प्रसिद्धि हासिल हुई थी। उस्ता कला के इन सभी कलाकारों को राजकीय कलाकार के नाम से भी जाना जाता था। उस्ता कला के प्रसिद्ध कलाकार उस्ता हामिद ने बीकानेर के कई राजाओं के महलों में विभिन्न प्रकार की सुंदर आकृतियां बनाई थी। इसी प्रकार रुकनुद्दीन ने राजा अनूप सिंह के शासनकाल में रसिक प्रिया के लगभग 187 चित्र बनाए थे एवं अय्यूब अली उस्ता ने राजा कर्ण सिंह के शासनकाल में भगवान लक्ष्मी नारायण के मंदिर का सुंदर चित्रांकन किया था जिसके कारण इन्हें उस्ता कला के प्रसिद्ध कलाकारों में से एक माना जाता है।
उस्ता कला का दूसरा नाम क्या है
उस्ता कला का दूसरा नाम क्या है – उस्ता कला का दूसरा नाम ऊंट चर्म कला है। जैसा कि हमने आपको ऊपर बताया कि उस्ता कला ऊंट की खाल पर की जाने वाली एक असामान्य कला है जिस पर सोने अथवा चांदी की सहायता से विभिन्न प्रकार की आकृतियां अंकित की जाती है। उस्ता कला राजस्थान की प्रमुख एवं ऐतिहासिक कलाओं में से एक मानी जाती है।
ऊंट की खाल पर चित्रों का अंकन कौन सी शैली की विशेषता है?
ऊंट की खाल पर चित्रों का अंकन बीकानेर शैली कहलाती है जो उस्ता कला की एक विशेषता है।
उस्ता कला पद का प्रयोग किस चित्रकला शैली के सन्दर्भ में किया जाता है?
उस्ता कला पद का प्रयोग बीकानेर शैली के संदर्भ में किया जाता है जिसके अंतर्गत ऊंट की खाल पर विभिन्न प्रकार के चित्रों का अंकन किया जाता है।
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