मध्य प्रदेश के प्रमुख त्योहार ( Major Festivals of Madhya Pradesh in hindi ) : मध्य प्रदेश भारत में एक सांस्कृतिक रूप से समृद्ध राज्य है, जहां साल भर कई त्योहार मनाए जाते हैं। होली से लेकर दीवाली तक, मध्य प्रदेश के त्योहारों को बहुत उत्साह और हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। ये त्यौहार राज्य की संस्कृति और परंपराओं का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। वे अपनी आस्था और संस्कृति का जश्न मनाने के लिए लोगों को एक साथ लाते हैं और साथ ही एक दूसरे की मान्यताओं और रीति-रिवाजों के बारे में अधिक जानने का अवसर भी प्रदान करते हैं। इस लेख में, हम मध्य प्रदेश में मनाए जाने वाले कुछ प्रमुख त्योहारों की जानकारी दे रहे हैं।
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मध्य प्रदेश के प्रमुख त्यौहार (Major Festivals of Madhya Pradesh)
प्राचीन काल से ही मध्य प्रदेश की संस्कृति एवं सभ्यता के विकास में पर्व या त्योहारों का एक महत्वपूर्ण स्थान रहा है। माना जाता है कि मध्य प्रदेश में प्रतिवर्ष कई प्रकार के सामाजिक एवं धार्मिक त्योहारों का आयोजन किया जाता है। मध्य प्रदेश में समय-समय पर आयोजित किए जाने वाले इन कार्यक्रमों के माध्यम से इस प्रदेश के नागरिक अपनी संस्कृति एवं सभ्यता को जीवित रखने का सार्थक प्रयास करते हैं। मध्य प्रदेश में विभिन्न प्रकार के उत्सव मनाये जाते हैं जो कुछ इस प्रकार हैं:-
- भगोरिया हाट महोत्सव
- खुजराहो
- अखिल भारतीय कालिदास समारोह
- कुंभ मेला
- मालवा उत्सव
- नागाजी का मेला
- दिवाली
- चेतियागिरी विहार महोत्सव
- तानसेन संगीत समारोह
- पचमढ़ी उत्सव
- ध्रुपद समारोह
- लोकरंग समारोह
- भाई दूज
- गणगौर
- संजा व मामुलिया
- आखातीज
- नीरजा
- घड़ल्या
- दशहरा
- गोवर्धन पूजा
- काकसार
- होली
- गंगा दशमी
- हरेली
भगोरिया हाट महोत्सव (Bhagoria Haat Festival)
भगोरिया हाट महोत्सव मुख्य रूप से मध्य प्रदेश के मालवा क्षेत्र में मनाया जाता है। यह मार्च के माह में भील जनजाति के द्वारा मनाया जाने वाला प्रमुख उत्सव माना जाता है। इस पर्व में विशेष रूप से आदिवासी युवक एवं युवतियों को अपना प्रिय जीवनसाथी चुनने का अवसर मिलता है। भगोरिया हाट महोत्सव के दिन मध्य प्रदेश के एक बड़े क्षेत्र में किसान एवं भील आदिवासी विभिन्न प्रकार के हथियारों के साथ यह उत्सव मनाते हैं। इस दिन अविवाहित युवक एवं युवतियां हाथ में गुलाल लेकर अपने पसंदीदा जीवनसाथी के माथे पर गुलाल लगाते हैं जिसके उत्तर में यह समझा जाता है कि वह दोनों जीवन साथी बनना चाहते हैं। परंतु यदि कोई युवक या युवती को वह रिश्ता मंजूर नहीं होता है तो इस स्थिति में वह अपने साथी के माथे पर गुलाल न लगाकर इसका विरोध भी कर सकते हैं।
खजुराहो उत्सव (Khajuraho Festival)
खजुराहो मध्य प्रदेश के सबसे लोकप्रिय उत्सवों में से एक माना जाता है। कहा जाता है कि यह उत्सव लगभग सात दिनों तक चलता है जिसमें भरतनाट्यम, कत्थक, कुचिपुड़ी, मणिपुरी, कथकली, आदि जैसी कई कलाओं का प्रदर्शन किया जाता है। खजुराहो महोत्सव का आयोजन मुख्य रूप से चित्रगुप्त एवं विश्वनाथ मंदिर के सम्मुख खुले मैदान में किया जाता है। इस मैदान में विभिन्न कलाकार अपने कलाओं के माध्यम से दर्शकों को अपनी संस्कृति एवं सभ्यता का परिचय देते हैं। इस उत्सव के दौरान विश्वनाथ मंदिर को सजाया जाता है जो पर्यटकों के लिए एक आकर्षण का केंद्र होता है। भारतीय प्राचीन मान्यताओं के अनुसार इस दिन विश्वनाथ मंदिर के रचनाकारों को श्रद्धांजलि भी अर्पित की जाती है।
अखिल भारतीय कालिदास समारोह (All India Kalidas Festival)
अखिल भारतीय कालिदास समारोह का आयोजन मुख्य रूप से मध्यप्रदेश के उज्जैन नामक क्षेत्र में किया जाता है। यह समारोह भारत के महान कवि कालिदास के सम्मान में आयोजित किया जाता है जिसमें देश के बड़े-बड़े साहित्यकार भाग लेते हैं। यह आयोजन जनवरी के माह में आयोजित किया जाता है जो लगभग सात दिनों तक चलता है। अखिल भारतीय कालिदास समारोह में भारत के साथ-साथ विश्व भर के प्रसिद्ध लेखक एवं कवि कहानी पढ़ने, कविता पाठ करने एवं सांस्कृतिक प्रदर्शन करने हेतु एकत्रित होते हैं। इसके अलावा इस दिन कई प्रकार के सांस्कृतिक, राजनीतिक एवं सामाजिक नाटकों का भी मंच तैयार किया जाता है जहां स्थानीय लोगों के अलावा देश-विदेश के लोकप्रिय लेखक एवं कवि भाग लेते हैं।
कुंभ मेला (Kumbh Mela)
कुंभ मेले का आयोजन भारत के अन्य राज्यों के साथ-साथ मध्यप्रदेश में भी मुख्य रूप से किया जाता है। कुंभ मेला मध्य प्रदेश का सबसे प्रसिद्ध मेला माना जाता है जो प्रत्येक बारह वर्षों में चार बार आयोजित किया जाता है। कहा जाता है कि मध्य प्रदेश में बहने वाली बेतवा नदी में डुबकी लगाने से मनुष्य के सारे पाप धुल जाते हैं। बेतवा नदी वास्तव में यमुना नदी की सहायक नदी मानी जाती है जिसका उदय विंध्य सीमाओं से होता है। बेतवा नदी को मध्यप्रदेश की गंगा नदी के नाम से भी जाना जाता है। मध्यप्रदेश में कुंभ मेले का आयोजन एक माह तक किया जाता है जहां भारत के साथ-साथ अन्य देशों से भी कई लोग इसमें शामिल होते हैं।
मालवा उत्सव (Malwa Festival)
मालवा उत्सव या त्योहार मध्य प्रदेश के सबसे भव्य त्योहारों में से एक माना जाता है। इसका आयोजन प्रतिवर्ष मई के माह में इंदौर एवं उज्जैन में किया जाता है जिसकी अवधि उज्जैन में 2 दिन एवं इंदौर में 5 दिन की होती है। इस उत्सव में मध्य प्रदेश के निवासी विभिन्न प्रकार के नृत्य एवं संगीत प्रदर्शन का आयोजन करते हैं जो मध्य प्रदेश की प्राचीन सभ्यता का प्रतीक माना जाता है। मालवा उत्सव में भाग लेने के लिए देशभर से कई प्रसिद्ध कलाकार आते हैं जहां वे संगीत, नृत्य, संस्कृति प्रदर्शन, नाटक एवं कला का प्रदर्शन करते हैं। कहा जाता है कि मध्य प्रदेश में आयोजित होने वाले मालवा उत्सव संस्कृति एवं नृत्य का भंडार है जहां विभिन्न संस्कृति एवं परंपरा का समृद्ध सम्मेलन देखने को मिलता है। इसके अलावा मालवा उत्सव में देशभर के प्रसिद्ध कारीगर अपनी हस्तकला से निर्मित वस्तुओं का भी प्रदर्शन करते हैं।
नागाजी का मेला (Nagaji Fair)
नागा जी के मेले का आयोजन मुख्य रूप से मध्य प्रदेश के आदिवासी क्षेत्रों में किया जाता है। इस मेले का आयोजन भारत के महान संत नागजी के सम्मान में किया जाता है। इस मेले में अधिकतर आदिवासी क्षेत्र के लोग भाग लेते हैं जिसमें घरेलू पशुओं का व्यापार किया जाता है। इस मेले का आयोजन प्रति वर्ष नवंबर या दिसंबर माह में मुरैना नामक स्थान में किया जाता है जिसकी अवधि एक माह या उससे अधिक होती है। नागाजी के मेले में मध्य प्रदेश के आदिवासी विभिन्न प्रकार के नृत्य प्रदर्शन करके दर्शकों का मनोरंजन करते हैं। इसके अलावा इस मेले में विभिन्न प्रकार के पारंपरिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाता है जिसमें मुख्य रूप से नृत्य एवं संगीत का प्रदर्शन किया जाता है।
दिवाली (Diwali)
भारत के अन्य राज्यों की भांति मध्य प्रदेश में भी दिवाली का उत्सव बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। माना जाता है कि दिवाली हिंदुओं का सबसे बड़ा एवं लोकप्रिय त्योहार है। यह त्यौहार बुराई पर अच्छाई की जीत, अंधेरे पर प्रकाश एवं अज्ञानता पर ज्ञान की जीत का प्रतीक है। इस दिन मध्य प्रदेश के लगभग सभी क्षेत्रों को प्रकाश से रोशन किया जाता है। भारत में दिवाली के त्यौहार के दिन मुख्य रूप से मां लक्ष्मी की पूजा एवं अर्चना की जाती है। दिवाली के दिन लोग अपने घरों में दीपक जलाकर, आतिशबाजी करके एवं मिठाईयां बांटकर खुशियां मनाते हैं।
चेतियागिरी विहार महोत्सव (Chetiyagiri Vihara Festival)
चेतियागिरी विहार महोत्सव मध्य प्रदेश के आकर्षक उत्सवों में से एक माना जाता है। इस महोत्सव में सैकड़ों बौद्ध भिक्षु एवं तीर्थयात्री भाग लेते हैं। इस उत्सव का आयोजन नवंबर माह के अंत में सांची नामक स्थान में किया जाता है। कहा जाता है कि प्रत्येक वर्ष चेतियागिरी विहार महोत्सव में प्राचीन बौद्ध अवशेषों का प्रदर्शन किया जाता है जो इस महोत्सव का प्रमुख केंद्र होता है।
तानसेन संगीत समारोह (Tansen Music Festival)
तानसेन संगीत समारोह को मध्य प्रदेश में एक उत्सव की तरह मनाया जाता है जिसका आयोजन भारत के प्रसिद्ध संगीतकार उस्ताद तानसेन को श्रद्धांजलि देने के लिए किया जाता है। कहा जाता है कि तानसेन अकबर के दरबार के प्रमुख संगीतकार थे जिन्हें अकबर ने अपने नौ रत्नों में भी शामिल किया था। इस समारोह में देशभर के प्रसिद्ध संगीतकार भाग लेते हैं जहां संगीत के साथ-साथ नृत्य का भी प्रदर्शन किया जाता है। तानसेन संगीत समारोह का आयोजन दिसंबर के माह में ग्वालियर के बेहट गांव किया जाता है जिसकी अवधि लगभग चार दिनों की होती है।
पचमढ़ी उत्सव (Pachmarhi Festival)
पचमढ़ी उत्सव मध्य प्रदेश के प्रमुख उत्सवों में से एक माना जाता है। इस उत्सव में विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है जहां मध्य प्रदेश के साथ-साथ देश के अन्य क्षेत्रों की कला प्रदर्शनी लगाई जाती है। इस उत्सव में भारत के साथ-साथ अन्य देशों के कलाकारों को भी शामिल किया जाता है। कहा जाता है कि पंचमढ़ी उत्सव के माध्यम से देश की सभ्यता एवं सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने का प्रयास किया जाता है। इसके अलावा इस उत्सव में देश के कुशल कारीगरों के उत्पादों को भी प्रदर्शित किया जाता है। मध्य प्रदेश में पंचमढ़ी उत्सव का आयोजन दिसंबर के माह में किया जाता है जिसकी अवधि लगभग पांच से छह दिनों तक की होती है। पचमढ़ी उत्सव को प्रदर्शनी या सांस्कृतिक महोत्सव के नाम से भी जाना जाता है।
ध्रुपद समारोह (Dhrupad Ceremony)
ध्रुपद समारोह का आयोजन प्रतिवर्ष मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में किया जाता है। इस समारोह में भारत के साथ-साथ विश्व भर के मशहूर गायक भाग लेते हैं। ध्रुपद समारोह में मुख्य रूप से ध्रुपद शैली को केंद्र बनाकर गीत गाए जाते हैं। यह एक प्रकार का भक्ति संगीत होता है जिसमें मुख्य रुप से ध्रुपद घराने से संबंधित व्यक्ति भाग लेते हैं। इसके अलावा ध्रुपद समारोह में विभिन्न प्रकार के गायकी के द्वारा दर्शकों को आकर्षित भी किया जाता है जिसमें मध्य प्रदेश की सभ्यता एवं संस्कृति का प्रदर्शन किया जाता है।
लोकरंग समारोह (Lokrang Festival)
लोकरंग समारोह को मध्य प्रदेश में किसी उत्सव की तरह मनाया जाता है। इस समारोह में मध्य प्रदेश के आदिवासी लोक-कला अकादमी के माध्यम से लोक नृत्य प्रदर्शन करते हैं। लोकरंग समारोह का आयोजन मुख्य रूप से जनवरी माह में भोपाल में किया जाता है जिसकी अवधि लगभग चार से पांच दिनों तक की होती है। इस दिन एक प्रकार का मंच तैयार किया जाता है जिसमें संगीत, लोक नृत्य एवं जातीय नृत्य को विभिन्न रूपों में प्रदर्शित किया जाता है। इसके अलावा लोकरंग समारोह में मध्य प्रदेश में निवास करने वाले सभी आदिवासी अपने द्वारा बनाए गए हस्तशिल्प के सुंदर संग्रह की भी प्रदर्शनी करते हैं। लोकरंग समारोह का उद्देश्य मध्य प्रदेश की प्राचीन सभ्यता एवं परंपरा को पुनर्जीवित करना होता है।
भाई दूज (Bhai Dooj)
भाई दूज वह पर्व है जिसे दिवाली के बाद मनाया जाता है। यह उत्सव मध्य प्रदेश के साथ-साथ भारत के अन्य प्रदेशों में भी मनाया जाता है। इस दिन सभी बहनें अपने भाइयों को हल्दी, चावल एवं कुमकुम से तिलक करते हैं। माना जाता है कि इस दिन सभी भाई अपने बहनों की रक्षा का वचन देते हैं। पुरानी अवधारणाओं के अनुसार, जब यमराज अपनी बहन यमुना (नदी) के घर गए थे तब उनकी बहन ने इसी दिन अपने भाई से टीका करने के उपलक्ष्य में एक वचन की मांग की थी जिसमें उन्होंने यह मांगा था कि आज के दिन जो भी भाई अपनी बहन से टीका कराएगा तो इस के उपलक्ष्य में उसके उम्र का एक दिन बढ़ जाएगा। इसीलिए भारत में प्रतिवर्ष सभी बहनें इस पर्व को मनाती हैं।
गणगौर (Gangaur)
गणगौर मध्य प्रदेश के साथ-साथ उत्तर प्रदेश एवं राजस्थान का भी एक प्रमुख उत्सव माना जाता है। इस दिन अविवाहित लड़कियां मुख्य रूप से महादेव (शिव जी) एवं माता पार्वती (गौरी) की पूजा अर्चना करती हैं। इस दिन पूजन के दौरान रेणुका की गौर बनाकर उस पर सिंदूर, चूड़ी एवं महावर चढ़ाने का विशेष प्रावधान है। माना जाता है कि गणगौर पर्व के दिन कुंवारी लड़कियां अपने मनपसंद वर की प्राप्ति करने की कामना करती हैं। इसके अलावा विवाहित महिलाएं मुख्य रूप से चैत्र शुक्ल तृतीया पर गणगौर पूजन करके अपने पति की लंबी आयु की भी प्रार्थना करती हैं।
संजा व मामुलिया (Sanja and Mamuliya)
संजा व मामुलिया वह पर्व है जो मध्य प्रदेश में मुख्य रूप से मनाया जाता है। यह उत्सव लगभग 16 दिनों तक चलता है जिसमें अविवाहित लड़कियां प्रतिदिन दीवार पर नई-नई आकृतियां बनाकर गीत गाती हैं। इस पर्व में कुंवारी लड़कियां किसी वृक्ष की टहनी को विभिन्न रंगों से रंग कर उसमें फूलों की माला सजाती हैं एवं गीत गाते हुए उस वृक्ष की टहनी को किसी नदी या जलाशय में विसर्जित कर देती हैं।
आखातीज (Akhatij)
आखातीज मध्य प्रदेश के प्रमुख त्योहारों में से एक माना जाता है जिसे वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि के दिन मनाया जाता है। यह कुंवारी लड़कियों का प्रमुख त्यौहार माना जाता है। इस दिन अविवाहित लड़कियां मुख्य रूप से मां लक्ष्मी की पूजा अर्चना करती हैं। यह दिन शुभ कार्यों की शुरुआत करने के लिए बहुत ही शुभ माना जाता है। कहा जाता है कि अक्षय तृतीया के दिन ही मां गंगा स्वर्ग से पृथ्वी पर अवतरित हुईं थी। प्राचीन मान्यताओं के अनुसार इस दिन गंगा नदी में डुबकी लगाने से मनुष्य के सारे पाप नष्ट हो जाते हैं। भारत के कई क्षेत्रों में अक्षय तृतीया के दिन को माता अन्नपूर्णा के जन्म दिवस के रूप में भी मनाया जाता है।
नीरजा (Neerja)
नीरजा पर्व मध्य प्रदेश के प्रमुख उत्सव में से एक माना जाता है। इस त्यौहार की अवधि 9 दिनों की होती है जिसमें विवाहित महिलाएं मां दुर्गा की पूजा एवं उपासना करती हैं, यह त्यौहार दशहरे के पहले मनाया जाता है। मध्य प्रदेश के मालवा क्षेत्र में नीरजा पर्व को विशेष रूप से मनाया जाता है।
घड़ल्या त्यौहार (Ghadalya festival)
मध्य प्रदेश के अधिकांश क्षेत्रों में घड़ल्या त्यौहार को नीरजा पर्व के दौरान मनाया जाता है। इस पर्व में अविवाहित युवतियों के समूह में से किसी एक लड़की के सिर पर एक छिद्रयुक्त घड़ा रखा जाता है जिसके ऊपर दीपक जलाया जाता है। इस दिन यह लड़कियां गांव में मौजूद सभी घरों में जाकर अनाज एवं धन एकत्रित करती है। इसके बाद वह सभी लड़कियां मां दुर्गा एवं मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करती हैं।
दशहरा (Dussehra)
दशहरा त्योहार मध्य प्रदेश के साथ-साथ भारत के अधिकांश क्षेत्रों के प्रमुख त्योहारों में से एक है। कहा जाता है कि इसी दिन श्री राम ने रावण का वध करके बुराई पर अच्छाई की जीत को स्थापित किया था। यह त्यौहार मुख्य रूप से नवरात्रि के दसवें दिन भगवान श्री राम की विजय के उपलक्ष में मनाया जाता है। मध्य प्रदेश के साथ-साथ भारत के अधिकांश क्षेत्रों में रावण, मेघनाथ एवं कुंभकरण का पुतला बनाकर इन्हें जलाया जाता है। इसके अलावा नवरात्रि के सभी नौ दिनों में भव्य रामलीला का आयोजन भी किया जाता है।
गोवर्धन पूजा (Govardhan Puja)
गोवर्धन पूजा को मध्य प्रदेश में एक उत्सव की तरह मनाया जाता है। यह पर्व दिवाली के दूसरे दिन मनाया जाता है। कहा जाता है कि इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने ब्रज वासियों को मूसलाधार वर्षा से संरक्षित करने के लिए लगभग 7 दिनों तक गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठा कर रखा था। भारत के अधिकांश क्षेत्रों में गोवर्धन पूजा को अन्नकूट उत्सव के नाम से भी जाना जाता है। गोवर्धन पूजा करने के लिए महिलाएं गोबर से पर्वत एवं बैलों की आकृति बनाकर उसकी पूजा करती हैं। इसके अलावा मध्य प्रदेश के निवासी इस अवसर पर चंद्रावली नामक कथा गीत भी गाते हैं।
काकसार (Kaksar)
काकसार त्यौहार मध्य प्रदेश के अबुझमाड़िया आदिवासियों का प्रमुख त्यौहार माना जाता है। इस दिन इस विशेष वर्ग के लोग दूसरे ग्रामीण क्षेत्रों में नृत्य का आयोजन करते हैं। माना जाता है कि इस दिन अबुझमाड़िया आदिवासियों की महिलाएं व्रत धारण करके महालक्ष्मी की पूजा करती हैं। काकसार पर्व के दिन युवक एवं युवतियां स्थानीय क्षेत्रों में एकत्रित होकर रात भर नृत्य करके गीत गाते हैं। इसके अलावा इस दिन अविवाहित युवक एवं युवतियां अपने मनपसंद जीवनसाथी का चुनाव भी करते हैं।
होली (Holi)
होली मध्य प्रदेश के साथ-साथ भारत का भी एक प्रमुख त्योहार माना जाता है। इस दिन सभी लोग एक दूसरे को अलग-अलग रंग लगाकर एवं मिठाईयां बांटकर खुशियां मनाते हैं। प्राचीन धारणाओं के अनुसार, इस दिन हिरण्यकश्यप की बहन होलिका प्रह्लाद को लेकर आग में बैठी थी जिसके कारण होलिका की मृत्यु हुई थी जिसके बाद प्रतिवर्ष इस दिन को होली के रूप में मनाया जाता है।
गंगा दशमी (Ganga Dashami)
गंगा दशमी मध्य प्रदेश के आदिवासियों का प्रमुख त्योहार माना जाता है। इस दिन मध्य प्रदेश के निवासी अपनी-अपनी पत्नियों के साथ गंगा तट पर पहुंचकर मां गंगा की पूजा अर्चना करते हैं। यह त्यौहार ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। गंगा दशमी मध्य प्रदेश के साथ-साथ भारत के अन्य राज्यों में भी मनाया जाता है। कहा जाता है कि इस दिन मां गंगा पृथ्वी पर अवतरित हुईं थी जिसके कारण प्रतिवर्ष इस दिन को गंगा दशमी के पर्व के रूप में मनाया जाता है।
हरेली (Hareli)
हरेली त्यौहार किसानों का विशेष पर्व माना जाता है। इस दिन सभी किसान कृषि उपयोग में आने वाले सभी उपकरणों की विशेष रूप से पूजा करते हैं। हरेली को श्रावण माह के अमावस्या के दिन मनाया जाता है। यह त्यौहार मध्य प्रदेश के मंडला एवं मालवा क्षेत्र में आषाढ़ के महीने में मनाया जाता है। मध्य प्रदेश में हरेली पर्व को हर्यागोधा के नाम से भी जाना जाता है।
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