चित्रपट संगीत और शास्त्रीय संगीत में क्या अंतर है

चित्रपट संगीत और शास्त्रीय संगीत में क्या अंतर है

चित्रपट संगीत और शास्त्रीय संगीत में क्या अंतर है ( शास्त्रीय संगीत और चित्रपट संगीत में अंतर ) : चित्रपट संगीत किसे कहते हैं, शास्त्रीय संगीत किसे कहते हैं, भारतीय शास्त्रीय संगीत के प्रमुख स्वर आदि महत्वपूर्ण प्रश्नों के उत्तर यहाँ दिए गए हैं।

चित्रपट संगीत किसे कहते हैं

चित्रपट संगीत वह संगीत होता है जिसमें चित्र या कला के माध्यम से संगीत की गहराई को दर्शाया जाता है। इसमें मुख्य रूप से मनोरंजकता एवं आनंद प्राप्ति के लिए एक चित्रमय संगीत का आयोजन किया जाता है जिसके माध्यम से दर्शकों को संगीत का भरपूर आनंद प्राप्त हो सके। चित्रपट संगीत को फिल्मी गीत के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि इसका अधिकतर प्रयोग फिल्म जगत में किया जाता है। यह वास्तव में वह संगीत होते हैं जिनका उपयोग फिल्मों या किसी मंच पर होता है।

चित्रपट संगीत की शुरुआत 19वीं सदी के अंत से ही प्रारंभ हो गई थी। इस प्रकार के संगीत में एक संगीतकार अपनी कल्पना शक्ति से किसी घटना एवं स्थिति को स्वर-सज्जा के माध्यम से अभिव्यक्त करता है। विभिन्न स्थानों में चित्रपट संगीत को आधुनिक संगीत के रूप में भी परिभाषित किया जाता है क्योंकि यह वह संगीत होता है जिसकी रचना दर्शकों के मनोरंजन को ध्यान में रखकर की जाती है। इसके अलावा चित्रपट संगीत में मनोरंजकता के साथ-साथ चपलता के भी गुण निहित होते हैं।

 

शास्त्रीय संगीत किसे कहते हैं

शास्त्रीय संगीत वह संगीत होता है जिसमें शब्दों की तुलना में सुर, ताल एवं ध्वनि कि अधिक प्रधानता होती है। इस प्रकार के संगीत में गीत को शब्दों के भावार्थ की अपेक्षा अधिक महत्व दिया जाता है। विश्व भर में शास्त्रीय संगीत को ‘क्लासिकल म्यूजिक’ (Classical Music) के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि इसमें सुर की अधिक प्रधानता होती है। शास्त्रीय संगीत किसी देश या राज्य के इतिहास को दर्शाने का कार्य करता है। भारत में शास्त्रीय संगीत का उद्गम उत्तर भारत से हुआ था। माना जाता है कि शास्त्रीय संगीत हिंदू एवं मुस्लिम दोनों ही धर्मों में प्राचीन काल से ही प्रचलित है जिसमें हिंदू के संगीतकारों को पंडित एवं मुस्लिम के संगीतकारों को उस्ताद के नाम से संबोधित किया जाता है।

प्राचीन काल में शास्त्रीय संगीत का आयोजन केवल राजा के दरबारों में किया जाता था। जिसके बाद शास्त्रीय संगीत की लोकप्रियता में वृद्धि होने के कारण इसका आयोजन मंदिरों में भी किया जाने लगा। माना जाता है कि यह संगीत भक्ति आंदोलन एवं सूफी आंदोलन के दौरान पूरे देश में प्रसिद्ध हुआ था।

भारतीय शास्त्रीय संगीत के प्रमुख स्वर

भारत में शास्त्रीय संगीत के मुख्य रूप से 7 स्वर होते हैं जैसे:-

  • सा (षडज)
  • रे (ऋषभ)
  • गा (गांधार)
  • मा (माध्यम)
  • पा(पंचम)
  • धा (धैवत)
  • नी (निषाद)

 

चित्रपट संगीत और शास्त्रीय संगीत में अंतर

चित्रपट संगीत और शास्त्रीय संगीत में निम्नलिखित अंतर देखे जा सकते हैं:-

  • चित्रपट संगीत में चित्र, गायकी एवं गायन को अधिक प्रधानता होती है जबकि शास्त्रीय संगीत में रागों की अधिक प्रधानता होती है।
  • चित्रपट संगीत का संबंध मुख्य रूप से फिल्मी जगत या फिल्मी संगीत से होता है जबकि शास्त्रीय संगीत का संबंध किसी देश की संस्कृति या सभ्यता से होता है।
  • चित्रपट संगीत में संगीत के नियम अव्यवस्थित रूप से होते हैं जबकि शास्त्रीय संगीत के नियम कड़े एवं व्यवस्थित होते हैं।
  • चित्रपट संगीत में गीत की गरिमा कम होती है परंतु शास्त्रीय संगीत में संगीत की गरिमा अधिक होती है।
  • चित्रपट संगीत में उपयोग में लाए जाने वाले शब्दों एवं अर्थों का एक समान अर्थ होता है जबकि शास्त्रीय संगीत में उपयोग में लाए जाने वाले शब्द एवं अर्थ में भिन्नता होती है। इसके अलावा शास्त्रीय संगीत में ध्वनि के उतार-चढ़ाव का भी अधिक महत्व होता है।
  • चित्रपट संगीत में शब्दों की गंभीरता का अभाव रहता है क्योंकि इसमें चपलता पाई जाती है परंतु शास्त्रीय संगीत में शब्दों की गंभीरता अधिक होती है क्योंकि इसका स्थाई भाव गंभीर होता है।
  • चित्रपट संगीत की शुरुआत फिल्म जगत के माध्यम से हुई थी जबकि शास्त्रीय संगीत की शुरुआत भरत मुनि द्वारा रचित भरत नाट्य शास्त्र के माध्यम से हुई थी जिसका प्रमाण लिखित रूप से मिलता है।
  • चित्रपट संगीत को बेहद सरलता से सीखा जा सकता है क्योंकि इसमें संगीत में पारंगत होने के लिए किसी विशेष दक्षता की आवश्यकता नहीं होती है परंतु शास्त्रीय संगीत को सीखना एक कठिन कार्य होता है क्योंकि इसमें संगीत में पारंगत होने के लिए सतत प्रयास एवं विशेष दक्षता की आवश्यकता पड़ती है।
  • चित्रपट संगीत में पाश्चात्य वाद्य यंत्रों का प्रयोग संभव होता है परंतु शास्त्रीय संगीत में केवल भारतीय वाद्य यंत्रों का ही प्रयोग किया जाता है।
  • चित्रपट संगीत का आनंद कोई भी व्यक्ति आसानी से उठा सकता है परंतु शास्त्रीय संगीत का आनंद केवल संगीत ध्वनि विषय साधना का जानकार व्यक्ति ही उठा सकता है।
  • चित्रपट संगीत में दर्शकों के मनोरंजन पर अधिक ध्यान केंद्रित किया जाता है जबकि शास्त्रीय संगीत में सुर, ताल आदि पर विशेष ध्यान केंद्रित किया जाता है।