रजिया सुल्तान के पतन के कारण ( razia sultan ke patan ke karan ) : रजिया सुल्तान के पतन के कारण बताइए, रजिया सुल्तान के पतन के कारणों पर प्रकाश डालिए, रजिया सुल्तान की असफलता के कारण आदि प्रश्नों के उत्तर यहाँ दिए गए हैं।
रजिया सुल्तान कौन थी ?
रजिया सुल्तान का जन्म 1205 में हुआ था जिन्हें भारत की प्रथम महिला शासक कहा जाता है। रजिया सुल्तान दिल्ली पर नियंत्रण करने वाली पहली मुस्लिम महिला थी जिन्हें दिल्ली का शासन अपने पिता शम्स-उद-दीन इल्तुतमिश से उत्तराधिकार में प्राप्त हुआ था, रजिया सुल्तान ने 1236-1240 तक शासन किया था। रजिया सुल्तान अपने पिता की तरह ही एक श्रेष्ठ प्रशासक, बुद्धिमान एवं बहादुर योद्धा थीं।
अपने पिता इल्तुत्मिश की मृत्यु के बाद रजिया सुल्तान दिल्ली का सिंहासन संभाला एवं वहां की शासक बन गई। इसके पश्चात् राज्य के वजीर निज़ाम-अल-मुल्क जुनेदी ने रजिया सुल्तान के प्रति वफादारी करने से इंकार कर दिया एवं राज्य के कुछ अन्य लोगों के साथ मिलकर रजिया सुल्तान के खिलाफ युद्ध की घोषणा कर दी।
रजिया सुल्तान की उपलब्धियां
रजिया सुल्तान ने अपने कार्यकाल में कई उपलब्धियाँ हासिल की जिससे उनकी चर्चा पूरे देश में होने लगी। रजिया सुल्तान ने प्रदेश में कुओं की खुदाई, गलियों के निर्माण एवं लेन-देन (विनियम) जैसे कार्यों को बढ़ावा दिया जिससे राज्य का कल्याण हुआ।
रजिया सुल्तान ने राज्य में कई विद्यालय, स्थल एवं संस्थाओं इत्यादि के कार्यों को बढ़ावा दिया जिससे शोधकर्ताओं को मुहम्मद एवं कुरान की नीतियों को समझने एवं कार्य करने में काफी मदद मिली।
रजिया सुल्तान ने अपनी समझदारी का परिचय देते हुए अपने क्षेत्र में कई विनियम एवं नियमों को स्थापित किया जिससे राज्य में शांति का माहौल बना रह सके।
रजिया सुल्तान ने अपने कार्यकाल में हिंदुओं की संस्कृति, शिल्पकार एवं विद्वानों के लिए अच्छा योगदान दिया जिससे हिंदुत्व को बढ़ावा मिला।
रजिया सुल्तान ने कई विद्रोहियों का वध किया जिससे रजिया की दृढ़ता एवं शक्ति बढ़ती गयी। 1240 ई. में कबीर खां ने रजिया सुलतान का विद्रोह कर दिया था जिसके जवाब में रजिया सुल्तान ने एक विशाल साहसी सेना की मदद से लाहौर में कबीर खां को पराजित किया एवं उसे बंधी बनाया।
रजिया सुल्तान के पतन के कारण ( Reasons for the fall of Razia Sultan in hindi )
- रजिया सुल्तान के पतन के कई कारण थे जिनमें से सबसे प्रमुख कारण उनका एक स्त्री होना था। दरअसल, मुस्लिम समाज के लोग एक स्त्री द्वारा प्रदेश को शासित होना अपमान समझते थे और इस्लाम भी एक स्त्री का शासक होना अनुचित मानता था। इसके अलावा, सरदारों को रजिया का मुक्त आचरण पसंद नहीं था जिसके कारण राज्य के सरदार भी रजिया के विरोधी बन गए थे। रजिया ने अपने कार्यकाल में पर्दा प्रथा का विरोध किया था जिसके कारण सरदार व आम जनता उनके विरोध में थी।
- रजिया सुल्तान के अंत का कारण उनका असंतोषजनक प्रेम भी था। जलालुद्दीन याकूत एक अफ्रीकन सिद्दी गुलाम था जो एक पड़ोसी देश का निवासी था वह रजिया सुल्तान से एकतरफा प्रेम करता था, परन्तु भटिंडा का प्रशासनिक प्रमुख इख्तियार-उद-अल्तुनिया रजिया के इस प्रेम रिश्ते के खिलाफ था। रजिया एवं अल्तुनिया युवा साथी थे और एक साथ बड़े हुए थे, वह रजिया की खूबसूरती पर मंत्रमुग्ध था और मूल रूप से याकूत के प्रेम के खिलाफ था। अल्तुनिया ने साजिश के तहत याकूत का कत्ल करवा दिया एवं रजिया को अपने पास रख लिया।
- रजिया सुल्तान के पतन का कारण सरदारों का विश्वासघात भी माना जाता है। रजिया को उनके कार्यकाल में सरदारों ने सबसे अधिक विश्वासघात किया जिसके कारण रजिया के शासन का अंत हुआ। रजिया साम्राज्य के कुछ सरदार अल्तुनिया से मिल गए थे जिन्होंने बाद में रजिया के खिलाफ षड्यंत्र में अल्तुनिया का साथ दिया।
- ऐसा कहा जाता है कि पारिवारिक तनाव के कारण रजिया का पतन हुआ। रजिया के भाई उन्हें अपना विरोधी मानते थे और सदैव रजिया के खिलाफ षड्यंत्र रचते थे। रजिया के भाई के षड्यंत्र में कुछ सरदारों ने भी साथ दिया जिसके कारण रजिया को गहरा आघात पहुंचा था।
- रजिया सुल्तान अपने ही राज्य के निवासियों के आचरण से अधिक निरंकुश हो चुकी थी जो उनके लिए बेहद घातक सिद्ध हुई।
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