गोगाजी – राजस्थान के लोकदेवता : राजस्थान के लोकदेवता गोगाजी ( Gogaji ) को गोगाजी चौहान और ‘जाहर वीर’ के नाम से भी जाना जाता है। गोगाजी चौहान से जुड़े विभिन्न प्रश्नों के उत्तर प्रतियोगी परीक्षाओं की दृष्टि से यहाँ दिए गए हैं।
- गोगाजी का जन्म ग्यारहवीं शताब्दी में चुरू जिले के ददरेवा नामक स्थान पर हुआ था।
- गोगाजी के पिता का नाम पैवटसिंह और माता का नाम बाछलदे था।
- गोगाजी का जन्म एक चौहान वंश में हुआ था और गोगाजी के पिता ददरेवा के शासक थे।
- गोगाजी की पत्नी का नाम मेनल था जिनका नाम कहीं कहीं केमलदे भी मिलता है।
- गोगाजी के जन्म की जानकारी ‘गोगाजी पीर रा छंद’, ‘गोगापेडी’ व ‘गोगागी चहुँचाण री निसाणी’ नामक ग्रन्थों में मिलती है।
- गोगाजी को सांपों के देवता, गोगापीर, जाहरवीर, नागराज आदि उपनामों से भी जाना जाता है।
- गोगाजी ने अपने मौसेरे भाँईयों अर्जन-सर्जन से गायों की रक्षा करते हुए अपने प्राण त्याग दिये थे।
- गोगाजी की मृत्यु के बाद इनकी पत्नी मेनल सती हुई थी।
- गोगा जी को सांपों का जहर नहीं चढ़ता था इसलिये कविराज सूर्यमल्ल मित्रण ने इन्हें ‘जाहिरपीर’ कहा है।
- किसान अपने हल पर गोगाजी के नाम की राखी नौ गाँठें देकर बांधते हैं जिसे गोगाराखड़ी कहते हैं।
- गोगाजी के दो मुख्य पूज्य स्थल हैं – ददरेवा (चुरू) एवं गोगामेड़ी (हनुमानगढ़) है।
- ददरेवा को शीर्षमेड़ी कहते हैं क्योंकि यहाँ युद्ध करते समय गोगाजी का सिर गिरा था। यहाँ भाद्रपद कृष्ण नवमी को मेला लगता है।
- गोगामेड़ी / घुरमेडी में गोगाजी का धड़ गिरा था, इसी स्थान पर गोगाजी की समाधि स्थित है। गोगामेडी में समाधि स्थल का निर्माण फिरोजशाह तुगलक ने करवाया था तथा वर्तमान स्वरूप बीकानेर के महाराजा गंगासिंह ने दिया था।
- गेगामेड़ी में भी प्रतिवर्ष भाद्रपद कृष्ण नवमी को मेला लगता है। यहाँ के मंदिर में चायल जाति के मुसलमान पूजा करते हैं।
- गोगाजी का साहित्य :- गोगाजी रा रसावला – इसमें मुसलमानों से लड़ते हुए गोगाजी की वीरता का वर्णन किया है ।
- गोगाजी की पूजा ‘अश्वरोही योद्धा’ के रूप में व सर्प के रूप में की जाती है ।
- गोगाजी का पूजा स्थल ‘खेजड़ी’ के वृक्ष के नीचे होता है जिसमें पत्थर पर साँप की मूर्ति खुदी हुई है।
- गोगामेड़ी में स्थित मंदिर के दरवाजे पर – ‘बिस्मिल्लाह’ लिखा हुआ है।
- गोगाजी को हिन्दू नागराज का अवतार मानकर व मुस्लिम गोगाजी समझकर पूजते हैं।
- गोगाजी की याद में भाद्रपद कृष्ण नवभी को गोगामेडी में विशाल मेला भरता है। इस दिन को लोग गोगानवमी के नाम से पूजते हैं।
- गोजाजी की सवारी :- नीली घोड़ी है जिसे गोगा बाप्पा कहा जाता है।
- गोगाजी को इतिहासकार कर्नल जेम्स टॉड ने ‘फिरोजशाह तुगलक’ तथा दशरथ शर्मा ने ‘महमूद गजनवी’ के समकालीन माना है।
- गोगाजी का शेखावाटी में किया जाने वाला गोगानृत्य आज की काफी प्रसिद्ध है ।
- गोगामेड़ी में गोरखनाथ समाधि स्थल व गोरख तालाब है।
- किलोरियो की ढाणी, सांचौर(जालौर) में स्थित गोगाजी का एक प्रसिद्ध मंदिर है जिसे ‘गोगाजी की ओल्डी’ कहा जाता है।
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