मुद्रास्फीति के कारण और परिणाम, Inflation मुद्रा स्फीति क्या है, मुद्रा स्फीति के प्रभाव, मुद्रास्फीति नियंत्रण हेतु उपाय आदि प्रश्नों के उत्तर यहाँ दिए गए हैं। मुद्रा स्फीति का कारण नोट्स इन हिंदी ( Reasons for Inflation Notes in Hindi )
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मुद्रा स्फीति ( inflation ) क्या होता है
किसी भी देश में जब मांग एवं आपूर्ति में असंतुलन की स्थिति पैदा हो जाती है, तब सभी वस्तुओं एवं सेवाओं की कीमतों में वृद्धि हो जाती है। इस कारण बढ़ी हुई कीमतों को मुद्रास्फीति कहते हैं। देश की अर्थव्यवस्था के लिए अत्यधिक मुद्रास्फीति हानिकारक होती है परंतु 2-3 फीसदी मुद्रास्फीति दर अर्थव्यवस्था के लिए उचित मानी जाती है। भारत देश में मुद्रास्फीति की गणना दो मूल सूची पर आधारित होती है उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) एवं थोक मूल्य सूचकांक (WPI)।
मुद्रास्फीति का कारण ( cause of inflation in hindi )
किसी भी देश में मुद्रास्फीति मुख्यतः दो ही कारणों से होती है :-
- लागतजनित कारक (Cost-Push Factor)
- मांगजनित कारक (Demand-Pull Factor)
लागत जनित कारक
यदि भूमि, श्रम, पूंजी, कच्चा माल आदि के उत्पादन की लागत में वृद्धि होती है तो वस्तुओं की कीमतों में भी बढ़ोतरी होती है, इसको लागत जनित मुद्रास्फीति कहते हैं।
मांग जनित कारक
यदि देश की मांग के अनुसार वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि होती है तो इसे मांग जनित मुद्रास्फीति कहते हैं।
मुद्रा स्फीति के प्रभाव ( effects of inflation in hindi )
- मुद्रास्फीति में वृद्धि होने से निश्चित आय के वर्ग के लोगों पर प्रभाव पड़ता है जैसे बैंक कर्मचारी, अध्यापक, सरकारी कर्मचारी, श्रमिक आदि। मुद्रास्फीति के कारण सेवाओं तथा वस्तुओं की कीमतें बढ़ जाती हैं जिसका निश्चित आय के वर्ग के लोगों के जीवन पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।
- मुद्रास्फीति के कारण कृषक वर्ग के लोगों को लाभ मिलता है। दरअसल, फसल के उत्पादन के दौरान उत्पादों की कीमतें बढ़ जाती हैं जिसके कारण कृषक वर्ग के लोगों पर इसका अनुकूल प्रभाव पड़ता है।
- मुद्रास्फीति होने से निवेश कर्ताओं के एक वर्ग को फायदा एवं दूसरे वर्ग को नुकसान पहुंचता है। जो निवेशकर्ता संयुक्त पूंजी कंपनियों में हिस्सेदारी खरीदते हैं उन्हें फायदा पहुंचता है वही जो निवेशकर्ता सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश करते हैं उन्हें नुकसान पहुंचता है।
- मुद्रास्फीति के कारण ऋणी को लाभ एवं ऋण दाता को नुकसान पहुंचता है। दरअसल, जब ऋण दाता किसी को रकम उधार में देता है तो मुद्रास्फीति के कारण उसके रकम का मूल्य घट जाता है जिससे ऋणी को लाभ मिलता है।
- भारतीय अर्थशास्त्रियों का मानना है कि मुद्रास्फीति दर में वृद्धि होने से नीति निर्माताओं के लिए अर्थव्यवस्था को मंदी से बाहर निकालना और भी कठिन हो जाता है।
- मुद्रास्फीति का बचत पर काफी प्रभाव पड़ता है क्योंकि मुद्रास्फीति के कारण उत्पादों पर किए जाने वाले खर्च में वृद्धि होती है जिससे बचत की संभावनाओं में कमी आती है।
- मुद्रास्फीति के कारण करों के भार में सार्वजनिक रूप से वृद्धि होती है। दरअसल, मुद्रास्फीति होने से देश की सरकार के खर्चों में बढ़ोतरी होती है जिसके कारण सरकार अपने खर्चों की पूर्ति के लिए नए-नए कर लगाती है एवं पुराने करों में भी वृद्धि करती है।
- मुद्रास्फीति का भुगतान संतुलन पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ता है। मुद्रास्फीति के दौरान वस्तुओं एवं सेवाओं के मूल्यों में वृद्धि होती है जिसके कारण देश के नागरिकों के निर्यात महंगे हो जाते हैं। इस कारण निर्यात में कमी हो जाती है जिसके कारण भुगतान संतुलन प्रतिकूल हो जाता है।
- मुद्रास्फीति के कारण देश में भ्रष्टाचार बढ़ जाता है। दरअसल, मुद्रास्फीति के दौरान सरकारी कर्मचारी एवं व्यापारी वर्ग के लोग मुनाफाखोरी, जमाखोरी, मिलावट आदि का प्रयोग उत्पादन को बेचने में करते हैं जिसके कारण व्यक्तियों की नैतिक मूल्यों का पतन होता है।
मुद्रास्फीति नियंत्रण हेतु उपाय ( Measures to control inflation in hindi)
- केंद्र सरकार को उत्पादन को प्रोत्साहित कर खाद्य पदार्थों की उपलब्धता को बढ़ाना चाहिए जिससे मूल्यों में सुधार आ सके।
- देश की सरकार को अनिवार्य वस्तुओं जैसे दाल, चावल, प्याज, गेहूं आदि के मूल्यों में अस्थिरता को नियंत्रित करने की प्रक्रिया को तेज करना चाहिए।
- अनिवार्य वस्तु अधिनियम के अंतर्गत प्याज, खाद्य तेल, दाल आदि भंडार को बढ़ावा देना चाहिए जिससे कि उत्पादन के मूल्यों एवं उपलब्धता में सुधार हो सके।
- मुद्रास्फीति के दौरान केंद्र सरकार को उच्चतर मूल्य की घोषणा करनी चाहिए।