राजस्थान के प्रमुख संग्रहालय और स्थान : राजस्थान के प्रमुख संग्रहालय और स्थान यहाँ दिए गए हैं, जानें राजस्थान के प्रमुख संग्रहालय कहाँ स्थित हैं। प्रतियोगी परीक्षाओं में आने वाले प्रमुख प्रश्नों के आधार पर कुछ प्रमुख संग्रहालयों की जानकारी यहाँ दी गयी है। राजस्थान के प्रमुख संग्रहालय और स्थल (rajasthan ke pramukh sangrahalaya aur sthan in hindi) निम्नवत हैं –
Table of Contents
राजस्थान के प्रमुख संग्रहालय और स्थान
आहड़ राजकीय संग्रहालय – उदयपुर
आहड़ संग्रहालय में मिट्टी के बर्तनों का एक छोटा और दुर्लभ संग्रह हैं जोकि 1700 ईसा पूर्व के हैं। इस संग्रहालय में 4000 वर्ष पूर्व की सभ्यता के पुरावशेष, लाल-काले मृदभांड, चमकीले लाल रंग के पात्र, कुषाणकालीन टोंटीदार लोटे, मृणमूर्तियाँ, धूपदान, जानवरों के सींग, दीपक आदि रखे गए हैं।
अजमेर सरकारी संग्रहालय / राजपूताना संग्रहालय – अजमेर
अजमेर सरकारी संग्रहालय 1570ई. में अजमेर में निर्मित मुगल किले के अंदर मुख्य केंद्रीय हॉल में अक्टूबर 1908 में खोला गया संग्रहालय है जोकि मुगल सम्राट अकबर के शानदार गढ़वाले महल के भीतर स्थित है। विभिन्न उत्खननों से प्राप्त संग्रह, प्राचीन सिक्के, पत्थर और धातु की मूर्तियां, पत्थर और धातु के शिलालेख, हथियार और शस्त्रागार तथा लघु चित्रकला आदि संग्रहालय गैलरी में प्रदर्शित हैं तथा कुछ संग्रहित भी हैं।
अल्बर्ट हॉल संग्रहालय (सेंट्रल म्यूजियम) – जयपुर
सन् 1876 ई. में प्रिंस ऑफ वेल्स ने इसकी आधारशिला रखी थी, अल्बर्ट हॉल संग्रहालय (सेंट्रल म्यूजियम) का नाम लंदन के अल्बर्ट संग्रहालय के नाम पर रखा गया था। यह राजस्थान का सबसे पुराना संग्रहालय है। यह “भारत-अरबी शैली” में बनाई गयी एक बिल्डिंग है। इसकी डिजाइन सैमुअल स्विंटन जैकब ने की थी तथा यह पब्लिक संग्रहालय के रूप में 1887 में खुला था।
हैंड प्रिंटिंग का संग्रहालय “अनोखी” – जयपुर
अनोखी संग्रहालय हैंड प्रिंटिंग के लिए विख्यात है। अनोखी हस्त छपाई संग्रहालय राजस्थान के आमेर में स्थित एक निजी संग्रहालय है जो हाथ से छपाई की कला को समर्पित है। 2005 में खोला गया यह संग्रहालय अनोखी के संस्थापकों की पहल है, जो ब्लॉक-प्रिंटेड कपड़ों का एक भारतीय खुदरा ब्रांड है।
बागौर की हवेली संग्रहालय – उदयपुर
बागौर की हवेली का निर्माण 1751-1781 ईस्वी के बीच मेवाड़ के तत्कालीन मेवाड़ के शासक के प्रधानमंत्री अमर चंद्र बड़वा की देखरेख में किया गया था। इस हवेली में लगभग 100 से ज्यादा कमरे है जिसमें कई आधुनिक और पुरानी कला वस्तुएं रखी गई है।
भरतपुर महल और संग्रहालय – भरतपुर
भरतपुर महल और संग्रहालय राजस्थान के भरतपुर में लोहागढ़ क़िले के ’कमरा ख़ास’ में एक संग्रहालय है जहाँ भरतपुर की कला, संस्कृति, मूर्तियाँ व सैकड़ों शिल्प व प्राचीन शस्त्र प्रदर्शित किए गए हैं।
गंगा संग्रहालय (राजकीय) – बीकानेर
गंगा संग्रहालय का उद्घाटन 5 नवंबर 1937 को भारत के तत्कालीन गवर्नर-जनरल लॉर्ड लिनलिथगो ने बीकानेर में किया था। यह संग्रहालय पूरे राजस्थान में सर्वाधिक सुरक्षित व लाजवाब संग्रहालय के रूप में वर्णित है।
सरकारी पुरातत्व संग्रहालय – डूंगरपुर
यह संग्रहालय डूंगरपुर के आमझरा गाँव में शहर से 32 कि.मी. दूर स्थित है, इस संग्रहालय में पुरातात्पिक महत्व की सम्पदा को संजोकर रखा गया है।
हवा महल – जयपुर
सन् 1799 ई. में महाराजा सवाई प्रताप सिंह द्वारा बनवाया गया यह महल पाँच मंज़िला है। बाहर की तरफ से हवा महल भगवान कृष्ण के मुकुट जैसा दिखाई देता है। हवा महल संग्रहालय में अद्वितीय मूर्तिकला विरासत संग्रहित है, संग्रहालय में टेराकोटा, पुरावशेष, मछली के हुक, तीर के सिरे, तलवारें, हेलमेट और जयपुर के महाराजाओं की वस्तुएं शामिल हैं।
जयपुर वैक्स म्यूजियम – जयपुर
नाहरगढ़ किले के दायरे में अरावली की तलहटी में, जयपुर वैक्स संग्रहालय स्थित है, यह संग्रहालय एंटरटेनमेंट 7 वेन्चर्स प्राइवेट लिमिटेड द्वारा विकसित किया गया है।
जैसलमेर सरकारी संग्रहालय – जैसलमेर
यह संग्रहालय पुरातत्व और संग्रहालय विभाग द्वारा स्थापित है। सबसे मुख्य यहाँ प्रदर्शित राजस्थान के राज्य पक्षी ’गोडावण’ की ट्रॉफी है। इस संग्रहालय में सिक्के, पांडुलिपियाँ, हथियार और वस्त्र, 12वीं शताब्दी की मूर्तियाँ तथा चित्र सहित कई ऐतिहासिक कलाकृतियों का संग्रह है।
झालावाड़ सरकारी म्यूजियम – झालावाड़
1915 ईस्वी में स्थापित झालावाड़ सरकारी संग्रहालय राजस्थान के सबसे प्राचीन संग्रहालयों में से एक है, इस संग्रहालय में झालाओं की समृद्ध रियासत के सबूत मिलते हैं। इस संग्रहालय में दुर्लभ चित्रों, पांडुलिपियों और प्राचीन मूर्तिशिल्पों का नायाब संग्रह है।
जोधपुर सरकारी संग्रहालय – जोधपुर
जोधपुर राजकीय संग्रहालय उम्मेद बाग के मध्य में स्थित है जिसमें शस्त्रागार, शाही वस्त्र आभूषण, स्थानीय कला और शिल्प, लघु चित्रकारी, शासकों के चित्र, पांडुलिपियां और जैन तीर्थंकरों की छवियों सहित प्राचीन अवशेषों को संग्रहित कर रखा गया है।
महाराव माधो सिंह संग्रहालय – कोटा
महाराव माधो सिंह संग्रहालय गढ़ महल की दीवारों के भीतर स्थित है, महाराव माधो सिंह संग्रहालय कोटा विद्यालय के राजपूत लघु चित्रों का एक शानदार संग्रह है।
प्राचीन संग्रहालय – बीकानेर
जूनागढ़ के भव्य क़िले के इस संग्रहालय में शाही परिधान व शाही साज़-ओ-सामान, जिसमें कारीगरी की पारंपरिक शैली प्रदर्षित की गई हैं को संग्रहित करके रखा गया है। इस संग्रहालय की स्थापना बीकानेर के स्वर्गीय महाराजा नरेंद्र सिंहजी की पुत्री सिद्धि कुमारी ने 2000 में की थी।
शिल्पग्राम – उदयपुर
राजीव गांधी ने वर्ष 1989 में शिल्पग्राम का उद्घाटन किया था। उदयपुर स्थित शिल्पग्राम 70 एकड़ में फैला ग्रामीण कला और शिल्प परिसर एक जीवित संग्रहालय है।
पैलेस म्यूजियम – अलवर
पैलेस संग्रहालय एक सरकारी संग्रहालय है, पैलेस संग्रहालय में कलाकृतियों की एक अद्भुत श्रृंखला प्रदर्शित की गई है जो राजस्थान और विशेष रूप से अलवर के इतिहास के बारे में बताती है।
जैसलमेर वार म्यूजियम – जैसलमेर
जैसलमेर युद्ध संग्रहालय को JWM के नाम से भी जाना जाता है, यह संग्रहालय भारतीय सशस्त्र बलों के बहादुर सैनिकों को श्रद्धांजलि है।
लोंगेवाला वॉर मेमोरियल – जैसलमेर
लोंगेवाला की लड़ाई 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान पश्चिमी क्षेत्र में लड़ी गई प्रमुख निर्णायक लड़ाइयों में से एक थी। यह मेमोरियल हिम्मत और बहादुरी से की गई जंग की प्रेरणादायी कहानी है।
विन्टेज कार कलैक्शन – उदयपुर
15 फरवरी 2000 को, विंटेज और क्लासिक कार संग्रह, द पैलेस उदयपुर को आम जनता के लिए खोला गया था। गार्डन होटल के प्रांगण में विन्टेज (विशिष्ट पुराने वाहन) तथा क्लासिक (उत्तम श्रेणी के वाहन) की कारों का विविध संग्रह उपलब्ध है।
क्रिस्टल गैलेरी – उदयपुर
काँच के झूमर बनाने वाली यू. के. की प्रसिद्ध कम्पनी ‘ऑसलर’ के कट ग्लास की उत्तम दर्जे की क्रिस्टल गैलेरी उदयपुर में मौजूद है, यह सबसे बड़े और महंगे संग्रह में से एक है।
स्कल्पचर पार्क – नाहरगढ़ – जयपुर
अरावली की पहाड़ियों के किनारे पर, ऊँचाई पर बसे नाहरगढ का क़िले में राजस्थान सरकार की पहल पर एक स्कल्पचर पार्क स्थापित किया गया है।
जसवंत थड़ा – जोधपुर
19वीं शताब्दी के अंत में निर्मित श्वेत संगमरमर का आकर्षक स्मारक, नायक जसवंत सिंह को समर्पित है।
मेहरानगढ़ फोर्ट और म्यूज़ियम – जोधपुर
जोधपुर का मेहरानगढ़ का क़िला, एक ऊँची शिला (चट्टान) पर बना है, जो कि आस पास के मैदानी भाग से लगभग 400 फुट की ऊँचाई पर स्थित है। शाही दरबार के जीवन से जुड़ी महत्त्वपूर्ण और बेशक़ीमती वस्तुएं, अवशेष आदि संग्रहण करके इस म्यूज़ियम (संग्रहालय) में सुरक्षित व संरक्षित रखे गए हैं।
चोखेलाव बाग़ और इन्टरप्रिटेशन सैन्टर – जोधपुर
मेहरानगढ़ फोर्ट के साथ ही आगे की ओर ’चोखेलाव बाग’ बना हुआ। यह दो सौ साल पुराना बाग़ है, इस बाग़ को अठाहरवीं शताब्दी के पुराने मारवाड़ के बाग़ बगीचों जैसे मेहरानगढ़ म्यूज़ियम ट्रस्ट द्वारा एक बोटैनिकल म्यूज़ियम के रूप में परिवर्तित कर दिया गया है।
अहिछत्रगढ़, नागौर फोर्ट (क़िला) और म्यूज़ियम (संग्रहालय) – जोधपुर
नागौर शहर में स्थित अहिछत्रगढ़, जिसे ’फोर्ट ऑफ हुडेड कोबरा’ अर्थात ‘नागराज का फण या फन’ कहा गया है, लगभग छत्तीस एकड़ के क्षेत्र में फैला हुआ है। सन् 1985 में इस क़िले को मेहरानगढ़ म्यूज़ियम ट्रस्ट के संरक्षण में दे दिया गया था।
आम्रपाली संग्रहालय – जयपुर
आम्रपाली ज्वेल्स प्राइवेट लिमिटेड के संस्थापकों द्वारा आम्रपाली संग्रहालय जयपुर शहर में स्थित भारतीय आभूषण और कलात्मक वस्तुओं को समर्पित संग्रहालय है।
लोक कला मंडल संग्रहालय – उदयपुर
भारतीय लोक कला मंडल भारत के राजस्थान राज्य के उदयपुर में स्थित एक संग्रहालय है जो राजस्थान, गुजरात और मध्य प्रदेश की लोक कला, संस्कृति, गीतों और त्योहारों का अध्ययन करने और लोक कलाओं, लोक नृत्यों और लोक साहित्य को लोकप्रिय बनाने और प्रचारित करने में कार्यरत है।
राजकीय संग्रहालय – विराटनगर (पूर्व में बैराठ)
राजकीय कला दीर्घा या राज्य संग्रहालय, विराटनगर के नाम से जाना जाने वाला यह संग्रहालय 1987 में संग्रहालयों के क्षेत्र में राज्य के चल रहे प्रयासों के हिस्से के रूप में गणेश-की-डूंगरी के पास खोला गया था। संग्रहालय का संग्रह उन्नीसवीं और बीसवीं शताब्दी के दौरान किए गए पुरातात्विक अन्वेषण और उत्खनन में प्राप्त उत्पाद हैं।
छोटूराम मेमोरियल संग्रहालय – संगरिया (हनुमानगढ़)
सर छोटूराम स्मारक संग्रहालय राजस्थान के हनुमानगढ़ ज़िले के ‘संगरिया’ नामक स्थान पर स्थित है। इसकी स्थापना स्वामी केशवानंद ने थी। इस संग्रहालय में नेपाल से लाई गयी धातु प्रतिमाएं, चीन के बर्तन, तिब्बत के बौद्ध मठों में काम आने वाली वस्तुएं, हाथी के दांत से निर्मित श्रृंगार सामग्री, प्राचीन हथियार, युद्ध में पहने जाने वाले कवच, ताम्र वस्तुएं सहित सैकड़ों प्राचीन और ऐतिहासिक वस्तुएं रखी गयी हैं।
बिड़ला संग्रहालय (बिरला साइंस सेंटर म्यूजियम) – पिलानी (झुंझुनू)
वर्ष 1954 में झुंझुनू जिले के पिलानी में बिड़ला संग्रहालय की स्थापना की गयी थी। बिड़ला संग्रहालय, भारत का पहला विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संग्रहालय है। अब तक यह भारत का एकमात्र निजी प्रायोजित प्रौद्योगिकी संग्रहालय है। संग्रहालय में नवीनतम वैज्ञानिक उपकरण, पदार्थ विज्ञान के मॉडल और चित्रात्मक आरेख, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के कार्यशील मॉडल, विज्ञान के विभिन्न सिद्धांतों को समझाने वाले चार्ट और तस्वीरें प्रदर्शित की गई हैं।
श्री बांगड़ राजकीय संग्रहालय – पाली
“श्री बांगड़ राजकीय संग्रहालय, पाली की आधारशिला 16 अप्रैल 1982 को रखी गई थी। बांगड़ राजकीय संग्रहालय पाली में जैन प्रतिमाओं का संग्रह है 11-12 वीं शताब्दी की तीर्थंकर प्रतिमा, साथ ही रियासतकालीन सिक्के व पाली की टकसाल, इंडो-ससैसियन (मध्ययुगीन), अलाउद्दीन खिलजी, गयासुद्दीन तुगलक, फिरोज शाह तुगलक, मुबारक शाह व शाह आलम शासन काल में चलाए गए सिक्के, सेवाड़ी से प्राप्त कुषाण कालीन विशाल मृणमय पात्र व मामाजी का घोड़ा आदि हैं। यहां सुगाळी माता की काले रंग की प्रतिमा भी आकर्षण का केंद्र है। बांगड़ म्यूजियम में ब्रिटिशकाल में प्रचलित अस्त्र-शस्त्र, बंदूक, देशी तमंचा, तबर, ढाल, तलवार आदि प्रदर्शित हैं। “
राजकीय संग्रहालय – माउण्ट आबू
माउण्ट आबू राजकीय संग्रहालय के मुख्य आकर्षण चित्रकारी, आदिवासी शिल्पकारी और मूर्तियां हैं। यहाँ कुछ जैन कांस्य नक्काशी और अद्वितीय पीतल की कलाकृतियाँ भी हैं जिनकी कलात्मक सुंदरता किसी को भी अचंभित कर देती है। इसमें 6वीं से 12वीं शताब्दी की प्राचीन कलाकृतियों और भव्य मूर्तियों का संग्रह है।
राजकीय संग्रहालय – मंडोर
मंडोर संग्रहालय की स्थापना वर्ष 1968 में राजस्थान सरकार के वास्तुकला एवं संग्रहालय विभाग द्वारा की गई थी। यह संग्रहालय मंडोर उद्यान के जनाना महल में स्थित है।
कोटा संग्रहालय – कोटा
कोटा सरकारी संग्रहालय राजस्थान के कोटा में किशोर सागर के पास बृज विलास पैलेस में स्थित है, इस सरकारी संग्रहालय में कई तरह के पुराने सिक्के, पांडुलिपियाँ और हाड़ौती मूर्तिकला आदि सहित कई प्राचीन वस्तुएं संग्रहीत हैं।
कालीबंगा संग्रहालय – हनुमानगढ़
कालीबंगा संग्रहालय हनुमानगढ़ नगर में स्थित है। कालीबंगा संग्रहालय 1961-69 के बीच की गई हड़प्पा की खुदाई से प्राप्त वस्तुओं को रखने के लिए 1983 में स्थापित किया गया था।
लालगढ़ पैलेस और संग्रहालय – बीकानेर
इस जीवंत महल का डिज़ाइन सर स्विंटन जैकब ने बनाया था और महाराजा गंगा सिंह ने इसका निर्माण करवाया था। यह अपने जालीदार बलुआ पत्थरों के लिए पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। महल में एक संग्रहालय और दुनिया की चौथी सबसे बड़ी निजी लाइब्रेरी भी है।
राजकीय संग्रहालय – चित्तौड़गढ़
मेवाड़ के महाराणा फतेह सिंह (1884 – 1930) द्वारा निर्मित, चित्तौड़गढ़ के फतेह प्रकाश पैलेस का उपयोग 1968 में राजस्थान सरकार द्वारा पुरातत्व और संग्रहालय विभाग के तहत एक सरकारी संग्रहालय स्थापित करने के लिए किया गया था। संग्रहालय की स्थापना राजस्थान के मेवाड़ क्षेत्र की कला और संस्कृति का प्रतिनिधित्व करने के उद्देश्य से की गई थी।
श्री रामचरण प्राच्य विद्या पीठ एवं संग्रहालय – जयपुर
प्राच्य विद्या पीठ एवं संग्रहालय की स्थापना आचार्य रामचरण शर्मा व्याकुल द्वारा 1960 में की गई थी। यह प्राचीन पाण्डुलिपियों की खोज, प्रकाशन, संरक्षण तथा संग्रहण करता है।
महाराजा सवाई मान सिंह द्वितीय संग्रहालय – जयपुर
महाराजा सवाई मानसिंह द्वितीय संग्रहालय में जयपुर के सिटी पैलेस परिसर के भीतर कई इमारतें और प्रांगण शामिल हैं। इसमें स्थित मुबारक महल (स्वागत महल) में शाही पोशाकों और कश्मीरी पश्मीना सहित शानदार शॉलों का संग्रह है। सिटी पैलेस का निर्माण महाराजा सवाई जय सिंह द्वितीय ने 1729 और 1732 के आसपास करवाया था, वर्ष 1959 में सिटी पैलेस के एक हिस्से को परिवर्तित करके महाराजा सवाई मान सिंह द्वितीय संग्रहालय की स्थापना की गई थी।
राजकीय संग्रहालय – झालावाड़
झालावाड़ का सरकारी संग्रहालय गढ़ पैलेस के ठीक बाहर वर्ष 1915 ई. में स्थापित किया गया था। इस संग्रहालय में खूबसूरत पेंटिंग, मूर्तियां और दुर्लभ पांडुलिपियाँ स्थित हैं, जो कि पाँचवीं और सातवीं शताब्दी के शिलालेखों से संबंधित हैं।
पढ़ें – राजस्थान स्थित प्रमुख संग्रहालय एवं उनमें संग्रहित वस्तुएं
⇒ पढ़ें राजस्थान का सामान्य ज्ञान (Topic wise)
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