खादर और बांगर का संबंध किस मृदा से है?

खादर और बांगर का संबंध किस मृदा से है?

खादर और बांगर का संबंध किस मृदा से है : खादर और बांगर का संबंध किस मृदा से है? बांगर मिट्टी किसे कहते हैं, खादर मिट्टी क्या है, बांगर और खादर में अंतर आदि प्रश्नों के उत्तर यहाँ दिए गए हैं।

खादर और बांगर का संबंध किस मृदा से है?

खादर और बांगर का संबंध मुख्य रूप से जलोढ़ मृदा से होता है। यह मृदा की उर्वरक क्षमता को दर्शाने का कार्य करते हैं। भारत में पाई जाने वाली मिट्टियों में जलोढ़ मिट्टी को सर्वाधिक उपजाऊ मिट्टी माना जाता है। पुराने जलोढ़ मृदा को बांगर एवं नवीन मृदा को खादर कहा जाता है। माना जाता है कि खादर मृदा बांगर मृदा की तुलना में अधिक उपजाऊ होती है क्योंकि यह अधिकतर नदियों के समीपवर्ती क्षेत्रों में पाई जाती है। नदियों के समीप होने के कारण खादर मिट्टी में नमी बरकरार रहती है जिससे उस पर खेती करना आसान हो जाता है। जलोढ़ मिट्टी पूरे भारत में मुख्य रूप से फैली हुई है। यह देश की अत्यंत महत्वपूर्ण मृदा मानी जाती है क्योंकि यह मृदा हिमालय से निकलने वाली तीन विशाल नदियों गंगा, ब्रह्मपुत्र एवं सिंधु नदी के माध्यम से कई बड़े क्षेत्रों में फैली हुई है। जलोढ़ मृदा भारत के राजस्थान एवं गुजरात जैसे राज्यों में भी पाई जाती है।

बांगर मिट्टी किसे कहते हैं

बांगर मिट्टी, मिट्टी का वह भाग होता है जहां बाढ़ का पानी नहीं पहुंच पाता। इस प्रकार की मिट्टी में चूना कंकड़ अधिक मात्रा में पाए जाते हैं। यह नई जलोढ़ मृदा की तुलना में कम उपजाऊ होते हैं। इस प्रकार की मिट्टी में क्षार की मात्रा अधिक होती है जिसके कारण उस भूमि के क्षेत्र में उर्वरक क्षमता की कमी आ जाती है। बांगर मिट्टी में मुख्य रूप से नमी की कमी होती है जिसके कारण उस पर फसल उगाना बेहद मुश्किल होता है। बांगर मिट्टी को पुरानी जलोढ़ मिट्टी के नाम से भी जाना जाता है। बांगर मिट्टी में रेत एवं कंकर अधिक मात्रा में पाए जाते हैं। यह किसी मैदान का ऊपरी भाग होता है जिसका निर्माण मध्य एवं ऊपरी प्लास्टोसीन काल में हुआ था। विशेषज्ञों के अनुसार बांगर मिट्टी लवणीय या क्षारीय होती है। माना जाता है कि फसल हेतु भूमि की अधिक सिंचाई करने के कारण उस मिट्टी पर एक नमकीन परत आ जाती है जिसके कारण वह मिट्टी बांगर मृदा कहलाती है।

खादर मिट्टी क्या है

खादर मिट्टी भूमि के उस भू-भाग को कहा जाता है जहां प्रतिवर्ष नियमित रूप से नदियों का पानी बाढ़ के रूप में पहुंचता रहता है। इसके कारण मिट्टी का वह भू-भाग सदैव नवीन रहता है जिसे खादर मिट्टी के नाम से जाना जाता है। खादर मिट्टी में नवीन मिट्टी की मिलावट होने के कारण उस भूमि की उर्वरक क्षमता में निरंतर वृद्धि होती रहती है। खादर मिट्टी का अधिकतर भू-भाग सदैव पोषक तत्वों से भरपूर रहता है जिसके कारण उसकी उर्वरक क्षमता बांगर मिट्टी की तुलना में अधिक हो जाती है। अधिकतर मामलों में यह देखा गया है कि खादर मिट्टी हिमालय से निकलने वाली नदियों के साथ बह कर आती है जिसके कारण मिट्टी मुख्य रूप से उपजाऊ हो जाती है।

खादर मिट्टी का निर्माण मुख्य रूप से जलोढ़ मिट्टी एवं नदियों के पानी के कारण होता है। यह बांगर मिट्टी की तुलना में कम क्षारीय होते हैं। दरअसल बाढ़ के तेज बहाव के कारण भूमि के एक बड़े भू-भाग में खादर मिट्टी का निर्माण होता है। इस प्रकार की मिट्टी में कैल्शियम की बेहद कम मात्रा पाई जाती है जिससे भूमि की उर्वरक क्षमता को बढ़ावा मिलता है।

बांगर और खादर में अंतर

बांगर और खादर मिट्टी में कई प्रकार के अंतर देखे गए हैं जो कुछ इस प्रकार हैं:-

बांगर मिट्टी

  • बांगर मिट्टी भूमि का वह ऊपरी भाग होता है जहां तक बाढ़ का पानी नहीं पहुंच पाता। इसी कारण भूमि के उस भाग में उर्वरक क्षमता की कमी होती है।
  • बांगर मिट्टी में कैल्शियम की अधिक मात्रा पाई जाती है।
  • बांगर मिट्टी में मिट्टी के कण अधिक मोटे होते हैं जिसके कारण भूमि की नमी में गिरावट आती है।
  • बांगर मिट्टी की उर्वरक क्षमता खादर मिट्टी की तुलना में बेहद कम होती है।
  • बांगर मिट्टी में मुख्य रूप से कंकड़ एवं कैलशियम कार्बोनेट के गुण पाए जाते हैं।
  • अधिकांश क्षेत्रों में बांगर मिट्टी नदी से दूर या ऊंचे स्तर के मैदानों में पाए जाते हैं।
  • बांगर मिट्टी पूर्ण रूप से अम्लीय होती है जिसके कारण उस पर खेती करना बेहद मुश्किल होता है। इस प्रकार की मिट्टी अपेक्षाकृत कम उपजाऊ मृदा मानी जाती है।

खादर मिट्टी

  • खादर मिट्टी जलोढ़ मैदान का वह निचला भाग होता है जहां नदियों का पानी बाढ़ के रूप में आसानी से पहुंच जाता है।
  • खादर मिट्टी का निर्माण नवीन तलछट के माध्यम से होता है।
  • खादर मिट्टी कि उर्वरक क्षमता बांगर मिट्टी की तुलना में अधिक होती है जिसके कारण वह मिट्टी फसल उगाने के लिए बेहतर मानी जाती है।
  • खादर मिट्टी में तलछट का जमावड़ा सभी क्षेत्रों में एक समान नहीं होता जिसके कारण उस भू-भाग में कई भौतिक लक्षण पाए जाते हैं।
  • खादर मिट्टी रेतीली एवं बारिक होती है जिसके कारण इस पर खेती करना आसान होता है। इसके अलावा खादर मिट्टी में कंकड़ एवं कैल्शियम कार्बोनेट की मात्रा भी बांगर मिट्टी की तुलना में कम होती है।
  • खादर मिट्टी नदी के समीपवर्ती क्षेत्रों एवं बाढ़ निर्मित मैदानों में पाई जाती है।

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