लोकसभा और राज्यसभा में अंतर ( राज्यसभा और लोकसभा में अंतर )

लोकसभा और राज्यसभा में अंतर

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लोकसभा किसे कहते हैं

लोकसभा भारत की द्विसदनीय संसद का निचला सदन होता है जिसमें उच्चतम सदन राज्यसभा होता है। यह संवैधानिक रूप से देश के नागरिकों का सदन माना जाता है। वर्तमान समय में लोकसभा में कुल सदस्यों की संख्या 545 है। प्रत्येक सदस्य अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करते हैं। लोकसभा के सदस्यों का चुनाव देश के नागरिकों द्वारा सरल बहुमत प्रणाली के माध्यम से किया जाता है जिनका कार्यकाल सामान्य रूप से 5 वर्षों तक होता है। हालांकि इस अवधि को विघटित भी किया जा सकता है। इसके अलावा 5 वर्ष की अवधि पूरी हो जाने के बाद भी राष्ट्रपति द्वारा केंद्रीय मंत्री परिषद की सलाह पर वह अपनी सीटों पर बने रह सकते हैं।

लोकसभा के प्रमुख कार्य

लोकसभा के कार्यों को विभिन्न श्रेणियों में विभाजित किया गया है जो कुछ इस प्रकार हैं:-

  • विधायी कार्य
  • विविध कार्य
  • वित्तीय कार्य
  • संशोधन संबंधी कार्य
  • कार्यपालिका पर नियंत्रण
  • निर्वाचन संबंधी कार्य

विधायी कार्य

  • संसद के विधायी प्रस्तावों को पारित करना संसद के मूलभूत कार्य में से एक माना जाता है। सभी विधायी प्रस्ताव विधायकों के रूप में संसद के सम्मुख प्रस्तुत करने होते हैं।
  • संसद का कार्य देश के नागरिकों के सामाजिक एवं भौतिक कल्याण हेतु विभिन्न प्रकार के कानूनों का निर्माण करना होता है।
  • साधारण विधेयक संसद के दोनों सदनों में से किसी में भी प्रस्तुत किया जा सकता है परंतु यह दोनों सदनों के द्वारा पारित होना बेहद अनिवार्य होता है।
  • संसद समवर्ती सूची एवं संघ सूची के विषय पर कानून का निर्माण कर सकती है।

विविध कार्य

  • लोकसभा उच्चतम न्यायालय एवं उच्च न्यायालयों के न्यायाधीश को उनके असंवैधानिक या किसी अनैतिक व्यवहार के आधार पर उन्हें पद से हटाने का प्रस्ताव रख सकती है।
  • लोकसभा के द्वारा देश के राष्ट्रपति पर महाभियोग चलाया जा सकता है।
  • लोकसभा सदन मुख्य निर्वाचन आयुक्त एवं महा लेखा परीक्षक को हटाए जाने का प्रस्ताव रख सकते हैं।
  • लोकसभा द्वारा विभिन्न शासकीय विभागों द्वारा निर्माण किए गए नियम एवं कानूनों को स्वीकृति प्रदान की जाती है।

वित्तीय कार्य

  • भारतीय संविधान के अंतर्गत वित्त विधेयक का प्रस्ताव केवल लोकसभा द्वारा रखा जा सकता है।
  • लोकसभा को वित्त विधेयक 14 दिनों के भीतर वापस भेजना बेहद अनिवार्य होता है।
  • वित्त विधेयक को लोकसभा से पारित होने के बाद इसे राज्यसभा की स्वीकृति के लिए प्रेषित किया जाता है।
  • वित्त विधेयक को लोकसभा एवं राज्यसभा दोनों सदनों से पारित किया जाना अनिवार्य होता है।

संशोधन संबंधी कार्य

  • भारतीय संविधान में संशोधन संबंधी सभी विधेयक लोकसभा के साथ-साथ किसी भी सदन में प्रस्तावित किया जा सकता है।
  • लोकसभा मुख्य रूप से राज्यसभा के साथ मिलकर भारतीय संविधान में संशोधन कर सकती है।

कार्यपालिका पर नियंत्रण

  • लोकसभा का प्रशासन चलाने वाली कार्यपालिका पर पूर्ण रूप से नियंत्रण होता है।
  • भारतीय संविधान के अंतर्गत लोकसभा को यह स्वीकृति प्रदान की गई है कि वह केंद्र एवं राज्य सरकार के द्वारा किए गए क्रिया-कलापों एवं योजनाओं पर पूर्ण निगरानी रखे।
  • लोकसभा विभिन्न प्रकार की विधियों के माध्यम से कार्यपालिका पर अपना पूर्ण नियंत्रण रख सकती है।
  • किन्ही कारणों से यदि कार्यपालिका लोकसभा का विश्वास प्राप्त करने में असमर्थ होती है तो इस अवस्था में उसे त्याग पत्र देने की घोषणा करनी पड़ती है।

निर्वाचन संबंधी कार्य

  • भारतीय संविधान ने लोकसभा को चुनाव संबंधी विशेष शक्तियां प्रदान की हैं जिसका उपयोग समय-समय पर निर्वाचन संबंधी कार्यों में किया जाता है।
  • भारतीय संविधान के अंतर्गत लोकसभा एवं राज्यसभा उपराष्ट्रपति का चुनाव एवं निर्वाचन कर सकते हैं।
  • लोकसभा राज्यसभा एवं राज्य के विधानसभा से गठित होकर देश के राष्ट्रपति का निर्वाचन कर सकती हैं।

लोकसभा का महत्व

भारतीय संविधान में लोकसभा को कुछ शक्तियां प्रदान की गयी हैं जिसके कारण यह देश में प्रभावशील तरीके से कार्य कर सकता है। यह देश में कार्यपालिका का चुनाव करने का कार्य करता है जिसका नेतृत्व स्वयं देश के प्रधानमंत्री द्वारा किया जाता है। लोकसभा के पास केंद्र सरकार के विरुद्ध प्रस्ताव पेश करने की क्षमता होती है जिसे पारित भी किया जा सकता है। इसके अलावा लोकसभा संवैधानिक रूप से देश के नागरिकों का सदन माना जाता है जिसमें नागरिकों के हित के लिए अनेकों कार्यों को प्रस्तावित किया जाता है।

 

राज्यसभा किसे कहते हैं

भारतीय संविधान के अंतर्गत राज्य सभा को राज्यों का परिषद कहा जाता है एवं यह भारत की द्विसदनीय संसद का ऊपरी सदन होता है। राज्यसभा को राज्य परिषद के नाम से भी जाना जाता है जिसमें अधिक से अधिक 250 सदस्यों की उपस्थिति होती है। इन सदस्यों में 12 सदस्यों का चुनाव स्वयं देश के राष्ट्रपति के द्वारा किया जाता है जो विज्ञान, कला, साहित्य, समाज सेवा आदि के क्षेत्रों में विशेष ज्ञान रखते हैं। इसके अलावा राज्यसभा निर्वाचन की विधि का भी अनुसरण करती है जिसके माध्यम से विधान सभा के सदस्यों का चुनाव अप्रत्यक्ष रूप से किया जाता है। राज्यसभा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का प्रतिनिधित्व करती है।

राज्यसभा के प्रमुख कार्य

लोकसभा की भांति राज्यसभा भी विधि निर्माण संबंधी कार्यों में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। भारतीय संविधान के अंतर्गत लोकसभा एवं राज्यसभा को एक समान शक्तियां प्रदान की गई हैं। राज्यसभा मुख्य रूप से लोकसभा के साथ मिलकर कानून का निर्माण एवं बदलाव करके संविधान में संशोधन करने का कार्य करती हैं। यह संसद का एक महत्वपूर्ण अंग माना जाता है जिसकी अनुमति के बिना किसी भी प्रकार के विधेयक कानून का निर्माण नहीं किया जा सकता है। राज्यसभा भारत के संविधान के अनुच्छेद 312 के तहत अखिल भारतीय सेवाओं को प्रस्तावित कर सकती हैं। इसके अलावा यह अनुच्छेद 249 के अंतर्गत राज्य सूची के किसी महत्वपूर्ण विषय को राष्ट्रीय रूप से घोषित भी कर सकती हैं। राज्यसभा लोकसभा के साथ मिलकर आपसी सहमति से महाभियोग की प्रक्रिया में भाग ले सकती हैं एवं यह राष्ट्रपति तथा उपराष्ट्रपति के निर्वाचन कार्यों में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

राज्यसभा का महत्व

राज्यसभा का गठन देश के सभी राज्यों के पक्ष को मजबूती देने हेतु किया गया है। यह लोकसभा के द्वारा लिए गए निर्णयों की जांच करने एवं सरकार के द्वारा लिए गए फैसलों पर रोक लगाने में भी सहायता करती हैं। केवल इतना ही नहीं यह निर्वाचित सदस्य राष्ट्रपति के निर्वाचन मंडल का एक महत्वपूर्ण अंग भी मानी जाती हैं। यदि किसी राज्य में आपातकाल की स्थिति एक माह या उससे अधिक होती है तो इस दौरान राज्यसभा का अनुमोदन कराया जाना बेहद अनिवार्य होता है। राज्यसभा में उपराष्ट्रपति को पद से हटाने का प्रस्ताव रखा जा सकता है। इसके अलावा राज्यसभा राष्ट्रपति के महाभियोग एवं उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों के साथ-साथ अन्य संवैधानिक पदाधिकारियों को भी पद से हटाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

 

लोकसभा और राज्यसभा में अंतर

लोकसभा और राज्यसभा में निम्नलिखित अंतर होते हैं (Difference between Lok Sabha and Rajya Sabha in hindi) :-

  • भारतीय संविधान के अंतर्गत लोकसभा की चर्चा अनुच्छेद 81 में की गई है जबकि राज्यसभा का वर्णन अनुच्छेद 80 में देखने को मिलता है।
  • लोकसभा को लोकप्रिय या चर्चित सदन के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि लोकसभा में जनता प्रत्यक्ष रूप से अपने प्रतिनिधि का चुनाव करती है जबकि राज्यसभा में जनता अप्रत्यक्ष रूप से प्रतिनिधि का चुनाव करती है।
  • लोकसभा का कार्यकाल 5 वर्ष का होता है जबकि राज्यसभा का कार्यकाल अस्थाई होता है परंतु राज्यसभा के सदस्यों का कार्यकाल 6 वर्ष तक होता है।
  • लोकसभा का विघटन संभव होता है अर्थात इसके कार्यकाल की अवधि को घटाया जा सकता है जिसके कारण इसे अस्थाई या निम्न सदन भी कहा जाता है परंतु राज्यसभा का विघटन संभव नहीं होता है जिसके कारण से इसे स्थाई या उच्च सदन भी कहा जाता है।
  • लोकसभा में बहुमत के आधार पर देश के राष्ट्रपति का चुनाव किया जाता है जिसके कारण इस सदन को प्रथम सदन भी कहा जाता है परंतु राज्यसभा के बहुमत के आधार पर देश के राष्ट्रपति का चुनाव नहीं किया जा सकता है जिसके कारण इसे द्वितीय सदन के नाम से भी जाना जाता है।
  • लोकसभा को युवाओं का सदन भी कहा जाता है क्योंकि इसका चुनाव लड़ने के लिए कम से कम आयु 25 वर्ष होती है जबकि राज्यसभा को लोकसभा की तुलना में वृद्धों का सदन कहा जाता है क्योंकि इसका चुनाव लड़ने के लिए कम से कम 30 वर्ष की आयु होना अनिवार्य होता है।
  • लोकसभा का मुख्य अधिकारी अध्यक्ष (Speaker) एवं उपाध्यक्ष (Deputy Speaker) होते हैं जबकि राज्यसभा के मुख्य अधिकारी सभापति (Chairman) एवं उपसभापति (Deputy Chairman) होते हैं।
  •  लोकसभा में अधिकतर सदस्यों की संख्या 552 होती है जबकि राज्यसभा में अधिकतर सदस्यों की संख्या 250 होती है। वर्तमान समय में लोकसभा में कुल 545 सदस्यों की उपस्थिति है एवं राज्यसभा में कुल 245 सदस्य हैं।
  • लोकसभा में देश के राष्ट्रपति अनुच्छेद 331 के तहत 2 एंग्लो इंडियन (Anglo Indians) को मनोनीत कर सकते हैं जबकि राज्यसभा में देश के राष्ट्रपति अनुच्छेद 80 (क) के तहत 12 सदस्यों को मनोनीत कर सकते हैं जो विज्ञान, कला, सहित आदि के क्षेत्रों में संपूर्ण ज्ञान रखते हैं।

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