ग्रह और तारे किसे कहते हैं एवं ग्रह और तारे में क्या अंतर है

ग्रह और तारे किसे कहते हैं एवं ग्रह और तारे में क्या अंतर है

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ग्रह किसे कहते हैं

ग्रह वह विशाल खगोलीय पिंड होते हैं जो अंतरिक्ष में पृथ्वी के साथ-साथ अपनी धुरी पर स्थिर रहकर गतिमान होते हैं। यह आकार में धरती के बराबर या उससे कई गुना बड़े भी हो सकते हैं। अंतरिक्ष में पृथ्वी के समान कई ग्रह मौजूद होते हैं परंतु उनका वातावरण पृथ्वी से भिन्न होता है। सभी ग्रह नियमित रूप से सूर्य के चारों और कक्षा में स्थित होते हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार सौरमंडल में आठ ग्रह होते हैं बुध, शुक्र, पृथ्वी, मंगल, शनि, यूरेनस एवं नेप्चून। यह सभी ग्रह निरंतर सूर्य एवं तारों के चक्कर लगाते रहते हैं। अंतरिक्ष में मौजूद सभी ग्रहों की एक निश्चित कक्षा होती है तथा यह किसी अन्य ग्रह की कक्षा में प्रवेश नहीं करते हैं। पूरे ब्रह्मांड में पृथ्वी ही एकमात्र ऐसा ग्रह है जिसे जीवन को आश्रय देने वाला ग्रह कहा जाता है। सभी ग्रह का आकार गोलाकार होता है तथा सभी में गुरुत्वाकर्षण बल होता है।

ग्रह के प्रकार

गृह मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं:-

  • आंतरिक ग्रह
  • बाह्य ग्रह

आंतरिक ग्रह

जिन ग्रहों की बाहरी सतह ठोस होती है उन्हें आंतरिक ग्रह कहा जाता है। हमारे सौरमंडल में आंतरिक ग्रहों की संख्या 4 होती है; बुध, पृथ्वी, मंगल एवं शुक्र। आंतरिक ग्रहों को स्थलीय ग्रह या चट्टानी ग्रह के नाम से भी जाना जाता है। इन ग्रहों का निर्माण मुख्य रूप से चट्टानी पदार्थों जैसे कार्बन, सिलीकेट, पानी या चट्टान से होता है।

बाह्य ग्रह

बाह्य ग्रह उन ग्रहों को कहा जाता है जिनकी सतह द्रवीय या गैसीय होती है। इन ग्रहों को गैसीय ग्रह के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि इनमें गैस की मात्रा अधिक होती है। बाह्य ग्रहों का निर्माण मुख्य रूप से हाइड्रोजन एवं हीलियम जैसे गैसीय पदार्थों से होता है। हमारे सौरमंडल में चार प्रकार के बाह्य ग्रह होते हैं शनि, बृहस्पति, वरुण एवं अरुण।

तारे किसे कहते हैं

तारे वह खगोलीय पिंड होते हैं जो स्वयं ही प्रकाश को उत्पन्न करते हैं। हमारे सौरमंडल में मौजूद सभी तारों में स्वयं की ऊष्मा एवं प्रकाश की शक्ति होती है। तारों में भारी मात्रा में हाइड्रोजन की उपस्थिति होती है जो तारों का ईंधन कहलाती है। एक तारे में मुख्य रूप से हाइड्रोजन के चार नाभिक आपस में मिलकर हीलियम के नाभिक का निर्माण करते हैं। इस क्रिया को वैज्ञानिक भाषा में नाभिकीय संलयन की क्रिया कहा जाता है। इस क्रिया में भारी मात्रा में ऊर्जा उत्सर्जित होती है जो मुख्य रूप से तारों के ऊष्मा एवं प्रकाश का स्रोत बनते हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार तारों का जीवन एक निश्चित अवधि तक होता है क्योंकि वैज्ञानिकों का मानना है कि तारों में होने वाली नाभिकीय संलयन की क्रिया हाइड्रोजन की समाप्ति के पश्चात रुक जाएगी एवं इससे तारे अपनी ऊष्मा एवं प्रकाश की शक्ति को खो देंगे।

सौरमंडल में मौजूद तारे का जीवन प्रारंभिक अवस्था में हाइड्रोजन से भरपूर रहता है जिसके कारण उसमें निरंतर नाभिकीय संलयन की क्रिया के माध्यम से ऊष्मा उत्सर्जित होते रहती है। परंतु इसके कारण तारे में हाइड्रोजन की मात्रा निरंतर कम भी होती रहती है जिससे तारे का तापमान धीरे-धीरे कम होता चला जाता है।

तारे की श्रेणियां

वैज्ञानिकों ने रंगो के आधार पर तारों को कई श्रेणियों में विभाजित किया है जो कुछ इस प्रकार हैं:-

  • O (ओ)
  • B (बी)
  • A (ए)
  • M (एम)
  • G (जी)
  • F (एफ)
  • K (के)

O (ओ)

इस प्रकार के तारे का रंग मुख्य रूप से नीला होता है। इसका तापमान ≥ 33,000 K होता है एवं इसके वर्णक्रम में हाइड्रोजन की लकीरें कमजोर होती हैं।

B (बी)

इस प्रकार के तारे का रंग नीला या सफेद होता है। इसका तापमान 10,000 – 33,000 K तक का होता है एवं इसके वर्णक्रम में हाइड्रोजन की लकीरें मध्यम होते हैं।

A (ए)

इस प्रकार के तारे का रंग सफेद या हल्का नीला होता है। इसका तापमान 7,500 – 10,000 K होता है एवं इसके वर्णक्रम में हाइड्रोजन की लकीरें अत्यधिक होती हैं।

M (एम)

इस प्रकार के तारे का रंग गहरा लाल होता है। इसका तापमान ≤ 3,700 K तक का होता है एवं इसके वर्णक्रम में हाइड्रोजन की लकीरें बेहद कमजोर होती हैं।

G (जी)

इसका रंग पीला या हल्का सफेद होता है। इसका तापमान 5,200 – 6,000 K तक का होता है एवं इसके वर्णक्रम में हाइड्रोजन की लकीरें कमजोर होती है।

F (एफ)

इस प्रकार के तारे का रंग पीला या सफेद होता है। इसका तापमान 6,000 – 7,500 K तक होता है एवं इसके वर्णक्रम में हाइड्रोजन की लकीरें मध्यम में होती हैं।

K (के)

इस प्रकार का तारा नारंगी या पीले रंग का होता है। इसका तापमान 3,700 – 5,200 K तक का होता है। इसके वर्णक्रम में हाइड्रोजन की लकीरें बेहद कमजोर होती हैं।

तारे के प्रकार

वैज्ञानिकों के अनुसार तारा मुख्य रूप से दो प्रकार का होता है:-

  • लाल तारा
  • न्यूट्रॉन तारा

लाल तारा

जब किसी तारे की ऊष्मा एवं प्रकाश की शक्ति समाप्त हो जाती है तो उसे लाल तारा या रेड जायंट (Red Giant Star) के नाम से जाना जाता है। माना जाता है कि जब तारे की शक्ति समाप्त हो जाती है तो वह लाल रंग का दिखाई देता है। लाल तारे की बाहरी सतह सदैव विस्तृत होते रहती है जिसके कारण एक निश्चित समय के बाद उसमें एक विस्फोट होता है जिसे सुपरनोवा विस्फोट (Supernova Explosion) के नाम से जाना जाता है। लाल तारा आमतौर पर एक बूढ़ा हो चुका तारा होता है जिसकी उम्र अन्य तारों से कहीं अधिक होती है। सुपरनोवा विस्फोट के बाद यदि लाल तारे के अवशेष का द्रव्यमान सूर्य से 1.44 गुणा कम होता है तो वह तारा श्वेतमान तारे (Dwarf Star) की भांति व्यवहार करता है। परंतु यदि उस तारे के अवशेष का द्रव्यमान सूर्य से 1.44 गुणा अधिक होता है तो वह न्यूट्रॉन तारा कहलाता है।

न्यूट्रॉन तारा

न्यूट्रॉन तारा वह तारा होता है जिसका निर्माण सुपरनोवा घटना के पश्चात गुरुत्वीय पतन के कारण होता है। न्यूट्रॉन तारे का आकार बेहद छोटा एवं द्रव्यमान बहुत अधिक होता है। इन तारों की विशेषता यह होती है कि यह केवल न्यूट्रॉन के द्वारा बने हुए होते हैं। न्यूट्रॉन तारे में नाभिकीय घनत्व होता है जिसके कारण इसमें पानी का घनत्व लगभग 14 गुना अधिक हो जाता है।

न्यूट्रॉन तारा समय के साथ-साथ सिकुड़ता रहता है जिसके कारण तारे का संपूर्ण द्रव्यमान एवं घनत्व एक ही बिंदु पर स्थिर हो जाता है। इसी वजह से न्यूट्रॉन तारे का घनत्व असीमित हो जाता है एवं गुरुत्वाकर्षण बल अत्यधिक बढ़ने लगता है जिसके कारण वह पूरा द्रव्यमान अपने अंदर समेट लेता है।न्यूट्रॉन तारे में गुरुत्वाकर्षण बल की शक्ति इतनी अधिक होती है कि वह प्रकाश को भी अपने अंदर खींच लेता है जिसके कारण इसका रंग काला प्रतीत होता है।

ग्रह और तारे में अंतर

ग्रह और तारे में निम्नलिखित अंतर होते हैं:-

  • ग्रह का कोई अपना प्रकाश नहीं होता वह केवल सूर्य के प्रकाश के कारण चमकते हुए प्रतीत होते हैं जबकि सौरमंडल में मौजूद सभी तारों का अपना प्रकाश होता है।
  • ग्रहों का आकार तारे की तुलना में बेहद छोटा होता है परंतु तारों का आकार विशाल होता है परंतु वह अत्यंत दूर होने के कारण छोटे आकार के दिखाई पड़ते हैं।
  • ग्रह वह आकाशीय पिंड होते हैं जो एक निश्चित कक्षा में निरंतर सूर्य की परिक्रमा करते रहते हैं जबकि तारे सूर्य का चक्कर नहीं लगाते।
  • वैज्ञानिकों के अनुसार ग्रहों की संख्या 9 होती है जबकि तारों की संख्या अनगिनत होती है।
  • दूर से देखे जाने पर तारे टिमटिमाते हुए प्रतीत होते हैं परंतु ग्रह टिमटिमाते नहीं है।