प्रबंध काव्य और मुक्तक काव्य परिभाषा, उदाहरण, अंतर

प्रबंध काव्य और मुक्तक काव्य परिभाषा, उदाहरण, अंतर

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प्रबंध काव्य क्या है (प्रबंध काव्य की परिभाषा)

प्रबंध काव्य वह काव्य होता है जिसमें एक कथा का सूत्र विभिन्न छंदों के माध्यम से जुड़ा हुआ रहता है। इसमें कथा काव्य की शुरुआत से अंत तक क्रमबद्ध रूप से चलता रहता है। प्रबंध काव्य में मुख्य रूप से किसी एक व्यक्ति के संपूर्ण जीवन चरित्र का वर्णन किया जाता है। इसमें जीवन से जुड़ी घटनाएं एवं कहानी काव्य के रूप में चलती रहती हैं। प्रबंध काव्य की रचना मध्यकालीन संस्कृत साहित्य की एक विधा के माध्यम से हुई थी। इसमें इतिहास के प्रसिद्ध व्यक्तियों की जीवनी का वर्णन किया जाता है। प्रबंध काव्य में एक विशेष कथा होती है जिसका वर्णन छंदों के माध्यम से किया जाता है। इन शब्दों का आपस में संबंध होता है जिससे छंद का अर्थ समझने मैं आसानी होती है।

प्रबंध काव्य की विशेषताएं

प्रबंध काव्य में मुख्य रूप से कथा का क्रम बना रहता है एवं इसमें गौण कथाएं भी सम्मिलित होते हैं। प्रबंध काव्य के दो मुख्य भेद होते हैं –

  1. महाकाव्य
  2. खंडकाव्य

प्रबंध काव्य के उदाहरण

रामचरितमानस को प्रबंध काव्य के प्रमुख उदाहरण के रूप में जाना जा सकता है क्योंकि इसमें श्रीराम के जीवन चरित्र के बारे में एवं सभी घटनाओं का क्रमबद्ध तरीके से वर्णन किया गया है।

मुक्तक काव्य क्या है (मुक्तक काव्य की परिभाषा)

जिस काव्य के स्वरूप में एक ही छंद के माध्यम से विचारों एवं भाव की अनुभूति बिना किसी परस्पर या पूर्वापर संबंध से प्रस्तुत किया गया हो उस काव्य को मुक्तक काव्य के नाम से जाना जाता है। मुक्तक काव्य में किसी भी कथा या संदर्भ की आवश्यकता नहीं होती क्योंकि यह पूर्ण स्वतंत्र काव्य रचना होती है। मुक्तक काव्य के प्रत्येक छंद स्वतंत्र एवं पूर्ण होते हैं। मुक्तक काव्य के अंतर्गत कविता, दोहे, पद, गीत आदि आते हैं।

मुक्तक काव्य की विशेषताएं

मुक्तक काव्य की निम्नलिखित विशेषताएं होती हैं:-

  • मुक्तक काव्य में प्रत्येक छंद अपने आप में पूर्ण होता है।
  • मुक्तक काव्य में मुख्य रूप से लोक व्यवहार एवं नैतिक भावनाओं का समावेश होता है।
  • इसमें कथा तत्व का अभाव होता है।
  • मुक्तक काव्य में किसी रस विशेष की गहन अनुभूति विद्यमान होती है।

मुक्तक काव्य के उदाहरण

गेय मुक्तक एवं पाठ्य मुक्तक, मुक्तक काव्य के दो प्रमुख उदाहरण माने जाते हैं। गेय मुक्तक में भाव की प्रधानता होती है जिन्हें सुर एवं लय के साथ गाया जा सकता है। जैसे कबीर, मीरा, तुलसी आदि के पद। पाठ्य मुक्तक वह होते हैं जिनमें विचारों की प्रधानता होती है। इनमें मुख्य रूप से चिंतन या तर्क-वितर्क की प्रधानता भी विद्यमान होती है। जैसे कबीर, रही, बिहारी, देव आदि के दोहे।

प्रबंध काव्य और मुक्तक काव्य में अंतर

प्रबंधकाव्य और महाकाव्य में निम्न प्रकार के अंतर होते हैं:-

  • प्रबंध काव्य का आकार विस्तृत होता है जबकि मुक्तक काव्य का आकार सीमित होता है।
  • प्रबंध काव्य का कथाक्रम होना अनिवार्य होता है परंतु मुक्तक काव्य में किसी भी कथाक्रम की उपस्थिति नहीं होती।
  • प्रबंध काव्य के छंदों में पूर्वापर संबंध देखा जा सकता है परंतु मुक्तक काव्य के छंदों में पूर्वापर संबंध का अभाव रहता है।
  • आचार्य रामचंद्र शुक्ल के अनुसार प्रबंध का एक विस्तृत वनस्थली है जबकि मुक्तक काव्य एक चुनिंदा गुलदस्ता है।
  • प्रबंध काव्य सर्गबद्ध होता है परंतु मुक्तक काव्य सर्गबद्ध नहीं होता।
  • प्रबंध काव्य के छंदों के क्रम को किसी भी परिस्थिति में बदला नहीं जा सकता है जबकि मुक्तक काव्य को छंदों या गीतों के क्रम में बदला जा सकता है।
  • प्रबंध काव्य में किसी महापुरुष के चरित्र के विभिन्न खंडों को प्रदर्शित किया जा सकता है जबकि मुक्तक काव्य में ऐसा नहीं किया जा सकता।
  • प्रबंध काव्य के मुख्य रूप से तीन भेद होते हैं परंतु मुक्तक काव्य के केवल दो ही भेद होते हैं।

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