एस्मा क्या है? आवश्यक सेवा अनुरक्षण कानून एस्मा क्या है? [ESMA Act UPSC Hindi]
एस्मा (ESSENTIAL SERVICES MAINTENANCE ACT, 1968 या आवश्यक सेवा अनुरक्षण कानून) सामान्य जीवन हेतु आवश्यक सेवाओं (इस एक्ट की धारा 2 में उल्लेखित सेवाएं -परिवहन, स्वास्थ्य आदि) को यथापूर्वक बनाए रखने के लिए एक कानून है। इसके अन्तर्गत सरकार सामाजिक क्षेत्र की कुछ महत्वपूर्ण सेवाओं को सुचारू रूप से बनाए रखने हेतु, एक सार्वजनिक घोषणा (समाचार पत्र, रेडियों आदि) के द्वारा इस एक्ट को लागू कर सकती है।
इस एक्ट के लागू हो जाने के उपरान्त इससे प्रभावित होने वाले सभी कर्मचारी हड़ताल नहीं कर सकते, यदि वे ऐसा करते है तो वह अवैध और दण्डनीय है। एक बार में एस्मा को अधिकतम 6 माह के लिए लगाया जा सकता है।
एस्मा के प्रावधान क्या है?
एस्मा एक्ट को कुल 9 धाराओं में बाटा गया है-
धारा 1- इसमें एक्ट का नाम, भारत में कहां-कहां पर लागू किया जा सकता है तथा कितने समय अंतराल के लिए लगाया जा सकता है उल्लेखित किया गया है।
धारा 2- एक्ट की परिभाषा तथा “आवश्यक सेवाओं” की सूची ।
धारा 3- कुछ नियोजनों में हड़ताल को प्रतिबंधित करने की शक्ति- यदि केन्द्र सरकार इस बात से संतुष्ट है कि सार्वजनिक हित में ऐसा करना आवश्यक है तो वह एक आदेश द्वारा इस एक्ट को लागू कर हड़तालों पर प्रतिबंध लगा सकती है।
धारा 4- अवैध हड़तालों हेतु जुर्माना- यदि इस अधिनियम के अन्तर्गत आने वाला कोई व्यक्ति इस एक्ट के लागू होने के बाद हड़ताल शुरू करता है या उसमें भाग लेता है तो वह 6 माह के कारावास या 200 रू0 जुर्माना या दोना से दण्डित होगा।
धारा 5- हड़ताल हेतु उकसाने के लिए दण्ड- कोई भी व्यक्ति जो अन्य व्यक्तियों को हड़ताल के लिए उकसाता है तो वह 1 साल के कारावास या 1000 रू0 जुर्माना या दोनों से दण्डित होगा।
धारा 6- अवैध हड़तालों को वित्तीय सहायता देने के लिए जुर्माना- यदि कोई व्यक्ति एस्मा एक्ट के अन्तर्गत अवैध हड़तालों को वित्तपोषित करता है तो वह 1 साल के कारावास या 1000 रू0 जुर्माना या दोनों से दण्डित होगा।
धारा 7- बिना वारंट के गिरफ्तारी की शक्ति- कोई भी पुलिस अधिकारी बिना वारंट के किसी ऐसे व्यक्ति को गिरफ्तार कर सकता है, जिस पर इस अधिनियम के तहत कोई भी अपराध करने का संदेह है।
धारा 8- अन्य कानूनों को रद्द करने की शक्ति- अधिनियम की इस धारा के अनुसार यदि को अन्य अधिनियम(औद्योगिक विवाद अधिनियम, 1947 आदि) का टकराव इस अधिनियम की किसी धारा से होता है तो एस्मा एक्ट को प्राथमिकता दी जायेगी ।
धारा 9- अधिनियम को निरस्त/ निरसन करने की शक्ति – सरकार कभी भी इस एक्ट को निरस्त कर सकती है। इस तरह के निरसन के बावजूद भी, उक्त एक्ट के तहत की गई किसी भी कार्यवाही को वैध माना जाएगा।
विभिन्न राज्यों में एस्मा की स्थिति
भारत एक विविधताओं का देश है, ऐसे में हर राज्य की अपनी चुनौतियाँ एवं आवश्यकताएँ भी भिन्न है। जिस कारण एस्मा एक्ट एक केन्द्रीय कानून होने के बावजूद इसमें प्रत्येक राज्य को अपने अनुसार बदलाव करने की स्वतंत्रता दी गयी है।
कई राज्य केन्द्रीय कानून को ही सीधे अपनी राज्य में आवश्यकतानुसार लागू कर लेते हैं। परन्तु कई राज्यों ने अपने अनुसार आवश्यक बदलाव कर “आवश्यक सेवाओं” की सूची भी अपने अनुसार परिवर्तित की है –
- राजस्थान एस्मा एक्ट, 1970
- आंध्र प्रदेश एस्मा एक्ट, 1971
- केरल एस्मा एक्ट, 1993
- कर्नाटक एस्मा एक्ट, 1994
एस्मा से केन्द्र व राज्य सरकार को क्या फायदा होता है ?
यद्यपि यह एक बहुत शक्तिशाली कानून है, लेकिन इसका क्रियान्वयन पूरी तरह से राज्य सरकार के विवेक पर आधारित है। सरकार को एक्ट के द्वारा आवश्यक सेवाओं को सुचारू रखने तथा कर्मचारियों के विद्रोह को दबाने में सहायता प्राप्त होती है।
एस्मा एक्ट द्वारा प्रत्येक कर्मचारी में कानून का भय तथा अनुशासित रहने की जवाबदेही बनी रहती है। जिस कारण विपरीत परिस्थितियों में भी राज्य में आवश्यक सेवायें सुचारू कार्य कर सकें। राज्यों द्वारा एस्मा लागू करने के कुछ हालिया विवरण निम्नवत हैं –
- कर्नाटक सरकार द्वारा सफाई कर्मचारियों पर एस्मा एक्ट लगाया गया था।
- दिल्ली सरकार द्वारा वर्ष 2016 में स्वास्थ्य विभाग एवं 2019 में बिजली विभाग के कर्मचारियों की हड़ताल को एस्मा एक्ट द्वारा अवैध घोषित किया गया।
- उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा इसी वर्ष फरवरी में शिक्षा विभाग के कर्मचारियों पर आगामी माह में आने वाली बोर्ड परीक्षाओं का हवाला देते हुए एस्मा एक्ट लगाया गया था।
- वर्ष 2018 में हिमाचल प्रदेश में एंबुलेंस कर्मचारियों की हड़ताल रोकने के लिए एस्मा का प्रयोग किया गया था।
निष्कर्ष
एस्मा एक्ट आवश्यक सेवाओं को निर्बाद्ध रूप से चलाने का एक जरिया है, जिससे प्रतिकूल परिस्थितियों में भी ये सेवाएं प्रभावित न हो एवं आम नागरिक को किसी तरह की असुविधाओं का सामना न करना पड़े। परन्तु इसके कुछ नकारात्मक पहलू भी हैं, हाल ही में दिल्ली में डॉक्टरों द्वारा किए जा रहे आंदोलन जो मरीज के परिजनों द्वारा अभद्र व्यवहार एवं हिंसा के विरूद्ध था को इस एक्ट द्वारा दबाने का प्रयास किया गया।
सरकार इसे एक हथियार की तरह इस्तेमाल करने लगी है, जिससे कर्मचारियों की वैध मांगों को भी दबाना एवं एक शान्तिपूर्ण आंदोलन को कुचलने हेतु प्रयोग किया जाता है। प्रतिकूल परिस्थितियों में तर्कसंगत उपयोग से इसकी उपयोगिता बढेगी एवं एस्मा एक्ट को सही दिशा प्राप्त होगी।
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