क्लस्टर कंप्यूटिंग क्या होता है (What is cluster computing in hindi)

क्लस्टर कंप्यूटिंग क्या होता है, प्रकार, लाभ और हानि

क्लस्टर कंप्यूटिंग क्या होता है (What is cluster computing in hindi), क्लस्टर कंप्यूटिंग के प्रकार (Types of cluster computing in hindi), क्लस्टर कंप्यूटिंग के लाभ और हानि आदि प्रश्नों के उत्तर निचे दिए गए हैं।

क्लस्टर कंप्यूटिंग क्या होता है (What is cluster computing in hindi)

एक ही कंप्यूटर नेटवर्क (LAN) पर एक से अधिक कम्प्यूटरों का जुड़ा होना क्लस्टर कंप्यूटिंग कहलाता है। क्लस्टर में जुड़े हर कम्प्यूटर को नोड कहा जाता है। तकनीकी भाषा में एक समान प्रकार के ऑब्जेक्ट्स का किसी एक समूह में जुड़े होने को क्लस्टर कंप्यूटिंग कहते हैं। क्लस्टर कंप्यूटिंग में जुड़े सारे कंप्यूटर एक ही मशीन के रूप में कार्य करते हैं जिस कारण इसकी पॉवर, कार्य करने की स्पीड और परफॉरमेंस एक सामान्य डेस्कटॉप कंप्यूटर या लैपटॉप की तुलना में कई गुना अधिक होती है। क्लस्टर कंप्यूटिंग में नोड अलग-अलग होकर भी सामूहिक रूप से कार्य करते हैं। कंप्यूटर क्लस्टर प्रत्येक नोड को एक ही समय पर एक ही कार्य प्रदान करता हैं।

कंप्यूटर क्लस्टर अक्सर बिज़नेस हाउस द्वारा लागत प्रभावी high performance computing (HPC) और high availability (HA) के लिए उपयोग किए जाते हैं। कंप्यूटर क्लस्टर का लाभ यह है कि यदि कंप्यूटर क्लस्टर में एक भी नोड ख़राब हो जाता है, तो अन्य नोड्स निर्बाध कार्य करते रहते हैं। कंप्यूटर क्लस्टर में आपस में जुड़े अलग-अलग नोड की कॉन्फ़िगरेशन अलग-अलग हो सकती है।

एक सामान्य डेस्कटॉप कंप्यूटर की तुलना में, एक कंप्यूटर क्लस्टर तेजी से डाटा प्रोसेसिंग स्पीड, बड़ी डाटा स्टोरेज, बेहतर डेटा प्रामाणिकता, अधिक विश्वसनीयता और संसाधनों की व्यापक उपलब्धता प्रदान करता है। कंप्यूटर क्लस्टर आमतौर पर विशिष्ट कार्यों के लिए बने होते हैं, जैसे लोड संतुलन, उच्च उपलब्धता, उच्च प्रदर्शन या बड़े पैमाने पर डाटा का प्रसंस्करण आदि। एक मेनफ्रेम कंप्यूटर की तुलना में, क्लस्टर कंप्यूटर द्वारा बिजली खपत और प्रोसेसिंग स्पीड अधिक लागत प्रभावी (cost effective) है।

क्लस्टर कंप्यूटिंग को दो भागों में विभाजित किया गया है –

1. ओपन क्लस्टर (Open Cluster)

ओपन क्लस्टर में कंप्यूटर को आईपी एड्रेस (IP Address) की जरूरत होती है। आईपी को इंटरनेट के द्वारा एक्सेस किया जाता है। जिस कारण हैकिंग और वायरस का खतरा बना रहता है।

2. क्लोज क्लस्टर (Close Cluster)

क्लोज क्लस्टर में गेटवे नोड के पीछे छुपाया जाता है यह क्लस्टर का सुरक्षित भाग होता है।

क्लस्टर कंप्यूटिंग के प्रकार (Types of cluster computing in hindi)

  1. लोड बैलेंसिंग (Load Balancing Cluster)
  2. हाई अवेलेबिलिटी क्लस्टर (High Availability Cluster)
  3. हाई परफॉरमेंस क्लस्टर (High Performance Cluster)

1. लोड बैलेंसिंग क्लस्टर (Load Balancing cluster)

लोड बैलेंसिंग क्लस्टर विशेषता यह है की यह एक नोड (कंप्यूटर) के ऊपर प्रोसेसिंग का लोड नहीं आने देता है। किसी एक नोड पर प्रोसेसिंग का लोड बढ़ने पर कुछ लोड को अन्य नोड पर ट्रांसफर कर दिया जाता है यानि की नोड की किसी एक नोड की एक निश्चित क्षमता से अधिक कार्य दूसरे नोड को ट्रांसफर कर दिया जाता है जिससे एक ही नोड पर जरुरत से ज्यादा दबाव नहीं पड़ता है और कंप्यूटर की प्रोसेसिंग गति भी सही रहती है।

उदाहरण के लिए 5 नोड वाले किसी क्लस्टर कंप्यूटर में यदि किसी एक नोड पर 100 का लोड आ गया हो और बाकि नोड पर कोई लोड न हो अर्थात 0 का लोड है तो लोड बैलेंसिंग क्लस्टर द्वारा 100 के लोड को अन्य 0 लोड वाले नोड में बाँट दिया जाता है।

2. हाई अवेलेबिलिटी क्लस्टर (High Availability Cluster)

हाई अवेलेबिलिटी क्लस्टर महत्वपूर्ण कार्यों जैसे डेटाबेस, ईकामर्स वेबसाइटों और लेनदेन प्रसंस्करण (बैंक, ऑनलाइन पेमेंट गेटवे आदि) प्रणालियों के लिए उपयोग किए जाते हैं। हाई अवेलेबिलिटी क्लस्टर में सभी नोड (कंप्यूटर या होस्ट) एक ही शेयर्ड होस्टिंग स्टोरेज से जुड़े होते हैं ताकि एक नोड के विफल (failover) होने पर दूसरा नोड बिना किसी डाउनटाइम के कार्य को जारी रखता है। हाई अवेलबिलिटी क्लस्टर में डाटा को हमेशा अवेलेबल रखा जाता है और इसमें डेटा के रीड होने पर ध्यान दिया जाता है।

3. हाई परफॉरमेंस क्लस्टर (High Performance Cluster)

हाई परफॉरमेंस क्लस्टर वे होते हैं जो हाई स्पीड पर डेटा की प्रोसेसिंग करने और जटिल गणना करने की क्षमता रखते हैं। सर्च इंजन (गूगल, याहू आदि) Research labs, आयल एंड गैस कम्पनी , Artificial intelligence आदि में प्रयोग किया जाता है।

क्लस्टर कंप्यूटिंग के लाभ (Benefits of cluster computing in hindi)

  • क्लस्टर कंप्यूटिंग में एक से अधिक कंप्यूटर जुड़े होते हैं जिससे प्रोसेसिंग स्पीड, डाटा स्टोरेज काफी अधिक होती है।
  • क्लस्टर कंप्यूटिंग की स्पीड को सुपर कंप्यूटर के बराबर मापा जा सकता है।
  • क्लस्टर कंप्यूटिंग द्वारा किसी एक नोड में खराबी आने पर उसके कार्य को दूसरे नोड में बांटकर कार्य को जारी रखा जाता है जिससे डाउन टाइम नहीं होता हैं।
  • क्लस्टर कंप्यूटिंग में कंप्यूटिंग को बेहतर बनाने के लिए नोड को और भी ज्यादा बढ़ाया जा सकता है और जरुरत न होने पर नोड्स को घटाया भी जा सकता है। नोड की क्षमता को भी कम-ज्यादा किया जा सकता है।

क्लस्टर कंप्यूटिंग के नुकसान (Disadvantages of cluster computing in hindi)

  • क्लस्टर कंप्यूटिंग के पूरे सेटअप को करने के लिए बहुत अधिक खर्चा करना पड़ता है।
  • क्लस्टर कंप्यूटिंग के हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर अधिक होने से इसकी लागत बढ़ जाती है।
  • कंप्यूटिंग को सेटअप करने के लिए सर्वर और हार्डवेयर के ज्यादा होने से इसका रख-रखाव बहुत ही जटिल हो जाता है।

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