पादप कोशिका और जंतु कोशिका में अंतर

पादप कोशिका और जंतु कोशिका में अंतर

पादप कोशिका और जंतु कोशिका में अंतर (जंतु कोशिका और पादप कोशिका में अंतर) : पादप कोशिका किसे कहते हैं, पादप कोशिका की संरचना, पादप कोशिका की विशेषताएं, जंतु कोशिका किसे कहते हैं, जंतु कोशिका की संरचना, जंतु कोशिका की विशेषताएं आदि महत्वपूर्ण प्रश्नों के उत्तर दिए गए हैं। difference between plant cell and animal cell in hindi.

पादप कोशिका किसे कहते हैं

पादप कोशिका मुख्य रूप से पेड़ पौधों में पाए जाने वाली कोशिका होती है। यह कोशिका अन्य जीव-जंतुओं से अलग होती है। पादप कोशिका पेड़ पौधों में मुख्य ऊतक का निर्माण करती है एवं इनकी संरचना करने वाली कोशिकाओं को पैरेन्काइमा कोशिका के नाम से जाना जाता है। पैरेन्काइमा कोशिका वह जीवित कोशिका होते हैं जो पेड़ या पौधों में प्रकाश संश्लेषण एवं फ्लोएम लोडिंग जैसे जरूरी कार्यों को करने में सक्षम होती हैं। पादप कोशिका सभी पौधों में प्रचुर मात्रा में पाई जाती हैं। यह पौधों के जीवित कोशिकाओं में लगभग 80% तक पाई जाती हैं। पादप कोशिकाओं की खोज इंग्लैंड के प्रसिद्ध वैज्ञानिक रॉबर्ट हुक ने वर्ष 1665 में की थी। दरअसल, रॉबर्ट हुक ने पादप कोशिका की खोज बोतल के कॉर्क का अध्ययन करने के दौरान किया था जिसमें उन्होंने कॉर्क की मृत कोशिकाओं को सूक्ष्मदर्शी से देखा था। इस घटना के बाद उन्होंने पाया की पेड़ पौधों में मुख्य रूप से पादप कोशिका की उपस्थिति होती है। पादप कोशिका पौधों को विकसित करने हेतु एक संरचनात्मक ढांचा प्रदान करता है जिससे पौधों का विकास होता है।

पादप कोशिका की संरचना

वैज्ञानिकों ने पादप कोशिकाओं को तीन वर्गों में विभाजित किया है जो कुछ इस प्रकार हैं:-

  • कोशिका भित्ति
  • जीव द्रव्य
  • रिक्तिका या रसधानियाँ

कोशिका भित्ति

कोशिका भित्ति वास्तव में पादप कोशिका की वह निर्जीव संरचना है जो मुख्य रूप से सैलूलोज से निर्मित होती है एवं यह पादप कोशिकाओं को हर तरफ से घेरे हुए रहती है। कोशिका भित्ति का प्रमुख कार्य कोशिकाओं की संरचना को बेहतर ढंग से करना एवं उसे दृढ़ता प्रदान करना होता है। इसके अलावा कोशिका भित्ति पौधों में खाद्य पदार्थों का परिवहन भी सुचारू रूप से करता है जिससे पौधों को विकसित होने में सहायता प्राप्त होती है।

जीव द्रव्य

जीव द्रव्य तंतु पेड़ अथवा पौधों में पायी जाने वाली वह कोशिका संधि होती है जो कोशिकाओं के मध्य सूक्ष्म कोशिका द्रव्य के संबंध को स्थापित करती है। आसान शब्दों में कहा जाए तो कोशिका झिल्ली के अंदर पाए जाने वाले सभी पदार्थों को जीवद्रव (जीव द्रव्य) के नाम से जाना जाता है। यह मुख्य रूप से सभी कोशिकाओं के अंदर मौजूद होता है। जीवद्रव वास्तव में एक जेलीनुमा, रवेदार एवं एक तरल पदार्थ होता है जो पारदर्शी एवं चिपचिपा होता है। जीवद्रव की संरचना कार्बनिक पदार्थों, अकार्बनिक पदार्थ एवं जल के माध्यम से होती है।

रिक्तिका या रसधानियां

पादप कोशिकाओं की कोशिका द्रव में अनेकों रिक्त स्थान पाए जाते हैं एवं इन्हीं रिक्त स्थानों को रितिका या रसधानीया के नाम से जाना जाता है। इसका प्रमुख कार्य कोशिका रस को स्फीत बनाए रखना एवं जल, भोजन एवं अन्य पदार्थों का भंडार करना होता है। यह पेड़ पौधों में पाए जाने वाले फूलों के रंग को लाल तथा नीला रंग प्रदान करता है क्योंकि इसमें एन्थोसाइनिन जैसे पदार्थ पाए जाते हैं। इसके अलावा रिक्तिका के चारों ओर एक प्रकार की झिल्ली भी पाई जाती है जिसे रिक्तिका कला के नाम से जाना जाता है।

पादप कोशिका की विशेषताएं

पादप कोशिकाओं की विशेषताएं कुछ इस प्रकार हैं:-

  • पादप कोशिका का प्रमुख कार्य प्रकाश संश्लेषण करना होता है। प्रकाश संश्लेषण के माध्यम से पेड़ पौधे अपना भोजन तैयार करते हैं। इस क्रिया में पादप कोशिका में पाए जाने वाले क्लोरोप्लास्ट की अहम भूमिका होती है। यह मुख्य रूप से सूर्य के प्रकाश से कार्बन डाइऑक्साइड एवं पानी का उपयोग करके पेड़ अथवा पौधों को भोजन तैयार करने में मदद करते हैं।
  • पादप कोशिका सभी पेड़ या पौधों की मूल इकाई होती है। इसके अलावा पादप कोशिका में अन्य कोशिकाओं की तुलना में एक बड़ा रिक्त स्थान भी होता है जिसे रिक्तिका के नाम से जाना जाता है।
  • पादप कोशिका पेड़ पौधों की महत्वपूर्ण कोशिका मानी जाती है क्योंकि यह कोशिकाएं यूकैरियोटिक कोशिकाएं होती है अर्थात उनके पास एक झिल्ली नुमा नाभिक एवं अंगक मौजूद होता है।
  • पादप कोशिकाओं में मुख्य रूप से हरितलवक की उपस्थिति होती है जिसके माध्यम से अन्य कोशिकाओं को पादप कोशिकाओं से आसानी से अलग किया जा सकता है।

जंतु कोशिका किसे कहते हैं

जंतु कोशिकाएं मुख्य रूप से जीव जंतु में पाए जाने वाली एक महत्वपूर्ण कोशिका होती है जो रासायनिक ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में परिवर्तित करने में सक्षम होती हैं। जीव जंतुओं में कई प्रकार की कोशिकाएं पायी जाती हैं जिनका प्रमुख अंग जंतु कोशिका होता है। जंतु कोशिका वास्तव में ऊतकों की एक आधारभूत एवं महत्वपूर्ण कार्यात्मक इकाई मानी जाती है। इसमें यूकेरियोटिक कोशिकाएं भी पाई जाती हैं जिसमें एक नाभिक एवं कई विशिष्ट अंग मौजूद होते हैं। जिस प्रकार मानव शरीर में कई प्रकार की कोशिकाएं पाई जाती हैं ठीक उसी प्रकार जंतुओं में भी कई प्रकार की कोशिकाएं मौजूद होती हैं।

जंतु कोशिका की संरचना

जीव वैज्ञानिकों ने जंतु कोशिका की संरचना को कई वर्गों में विभाजित किया है जो कुछ इस प्रकार हैं:-

  • तंत्रिका कोशिकाएं
  • उपकला कोशिकाएं
  • रक्त कोशिकाएं
  • मांसपेशियों की कोशिकाएं
  • अस्थि कोशिकाएं
  • वसा कोशिकाएं

तंत्रिका कोशिकाएं

जंतु कोशिकाएं दो प्रकार की तंत्रिका कोशिकाएं ऊतकों का निर्माण करती हैं पहली न्यूरॉन्स कोशिकाएँ (Neurons cells) एवं दूसरी ग्लायल कोशिकाएँ (Glial cells)। न्यूरॉन्स कोशिकाएं वह कोशिकाएं होती हैं जो मुख्य रूप से तंत्रिका आवेगों को गुणसूत्र के संयोजक के माध्यम से उन्हें प्रसारित करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यह न्यूरॉन्स के मध्य या न्यूरॉन एवं एक अन्य मांसपेशी कोशिका के मध्य संबंध को स्थापित करती हैं। जबकि ग्लायल कोशिकाएं तंत्रिका आवेगों को संचालित नहीं करती बल्कि वह न्यूरॉन्स के सहयोग से उसकी सुरक्षा करती हैं।

उपकला कोशिकाएं

उपकला कोशिकाएं मुख्य रूप से जंतुओं के जरूरी अंगों की सतह पर पाई जाने वाली वह कोशिकाएं होती हैं जो उपकला ऊतकों का निर्माण करती है। यह जिस अंग में भी उपस्थित होती हैं उनमें किसी न किसी प्रकार की विशेषताएं अवश्य पाई जाती हैं। जैसे पोषक तत्वों के अवशोषण हेतु सभी जंतुओं की छोटी आंत में उपकला कोशिकाओं में माइक्रोविली (Microvilli) होती है जो सतह क्षेत्र को विकसित करने में बेहद मददगार साबित होती है।

रक्त कोशिकाएं

जंतुओं में पाई जाने वाली रक्त कोशिकाएं मुख्य रूप से तीन प्रकार की होती हैं:-

  • लाल रक्त कोशिकाएं
  • श्वेत रक्त कोशिकाएं
  • प्लेटलेट्स

इन सभी कोशिकाओं में लाल रक्त कोशिकाएं सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती हैं क्योंकि यह जंतुओं के शरीर में पाई जाने वाली एकमात्र ऐसी कोशिका होती है जिसमें कोई भी नाभिक मौजूद नहीं होता है। यह सभी कोशिकाएं मुख्य रूप से रक्त के माध्यम से संचालित होती हैं। लाल रक्त कोशिकाएं मुख्य रूप से ऑक्सीजन एवं कार्बन डाइऑक्साइड को प्रवाहित करती हैं एवं स्वतंत्र कोशिकाएं प्रतिरक्षा प्रणाली को सुचारू रूप से कार्य करने में सहायता प्रदान करती हैं। इसके अलावा श्वेत रक्त कोशिकाएं रक्त परिसंचरण प्रणाली को बनाए रखने के लिए रक्त में थक्का बनाने जैसे महत्वपूर्ण कार्य करते हैं।

मांसपेशियों की कोशिकाएं

जंतुओं में मांसपेशियों की कोशिकाएं मुख्य रूप से तीन प्रकार की होती हैं:-

  • चिकनी मांसपेशी कोशिका
  • हृदय कोशिका
  • धारीदार मांसपेशी कोशिका

यह तीनों कोशिकाएं रासायनिक ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में परिवर्तित करके उसे ग्रहण करने में सक्षम मानी जाती हैं। सभी जंतुओं में इन कोशिकाओं की संरचना विभिन्न प्रकार से होती है क्योंकि यह उनके द्वारा निर्मित ऊतकों पर निर्भर होता है। चिकनी मांसपेशी का आकार लंबवत होता है एवं हृदय की पेशियों में धारियां बनी होती हैं। इसके अलावा हृदय पेशियों में संकुचन होता है।

अस्थि कोशिकाएं

जंतुओं में पाई जाने वाली अस्थि कोशिकाएं हड्डियों को विकसित करने एवं क्षरण करने के लिए बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती हैं। यह मुख्य रूप से तीन प्रकार की होती हैं:-

  • ऑस्टियोक्लास्ट (Osteoclasts)
  • ऑस्टियोसाइट्स (Osteocytes)
  • ऑस्टियोब्लास्ट (Osteoblasts)

यह जंतुओं में वह कठोर अंग होती हैं जो कंकाल का निर्माण करती है। यह पूरे शरीर को संचालित करने के साथ-साथ शरीर के विभिन्न अंगों की रक्षा करने में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। इसके अलावा यह शरीर में लाल रक्त कोशिका एवं श्वेत रक्त कोशिकाओं के निर्माण करने का भी कार्य करती हैं।

वसा कोशिकाएं

जंतुओं में पाए जाने वाले वसा कोशिका का आकार अन्य सभी कोशिकाओं से बड़ा होता है जो शरीर की ऊर्जा को वसायुक्त अम्ल (Fatty acids) के रूप में संग्रहीत करके प्रोटीन एवं हार्मोन को स्रावित करने का कार्य करती है। वसा का शाब्दिक अर्थ चिकनाई होता है जो मुख्य रूप से शरीर को सक्रिय बनाए रखने में मदद करती है। इसे मांस एवं वनस्पति समूह दोनों प्रकार से प्राप्त किया जा सकता है। यह शरीर को क्रियाशील बनाए रखने एवं शक्ति प्रदान करने हेतु शक्तिदायक ईंधन के रूप में कार्य करती है।

जंतु कोशिका की विशेषताएं

जंतु कोशिकाओं की विशेषताएं कुछ इस प्रकार हैं:-

  • जंतु कोशिका में अन्य सभी कोशिकाओं की संख्या में वृद्धि करने की क्षमता होती है।
  • जंतु कोशिका का आकार अनियमित होता है। आमतौर पर इसका आकार 10 से 30 माइक्रोमीटर होता है जो आकार के दृष्टिकोण से बेहद छोटा होता है।
  • जंतु कोशिका जटिल कार्बोहाइड्रेट ग्लाइकोजन को ऊर्जा के रूप में संग्रहित कर सकती है।
  • जंतु कोशिका में पाए जाने वाले स्टेम कोशिकाओं में विभेदन करने की क्षमता होती है।
  • जंतु कोशिका में केवल कोशिका झिल्ली की उपस्थिति होती है।
  • जंतु कोशिकाओं में मुख्य रूप से सिलिया पाए जाते हैं जो सेल्यूलर लोकोमोशन में सहायता प्रदान करते हैं। इसके अलावा इसमें लाइसोसोम भी होता है जिसमें एंजाइम की उपस्थिति होती है और जो शरीर को सेलुलर अणुओं को पचाने में सहायता प्रदान करते हैं।
  • जंतु कोशिका में लवक की उपस्थिति नहीं होती है
  • जंतु कोशिका में छोटे-छोटे रिक्त स्थान यानी रिक्तिका होते हैं।

पादप कोशिका और जंतु कोशिका में अंतर (difference between plant cell and animal cell in hindi)

पादप कोशिका और जंतु कोशिका में निम्नलिखित अंतर होते हैं:-

  • पादप कोशिका में मुख्य रूप से हरितलवक पाया जाता है जबकि जंतु कोशिका में हरितलवक नहीं पाया जाता है।
  • पादप कोशिका में कोशिका भित्ति की उपस्थिति होती है परंतु जंतु कोशिका में कोशिका भित्ति की उपस्थिति नहीं होती है।
  • पादप कोशिका में सैंटरोसोम नहीं पाया जाता जबकि जंतु कोशिका में सैंटरोसोम पाया जाता है।
  • पादप कोशिकाओं में रिक्तिकाएं संख्या में कम एवं आकार में बड़ी होती हैं जबकि जंतु कोशिका में रिक्तिकाएं संख्या में अधिक एवं आकार में छोटी होती है।
  • पादप कोशिका में केंद्रक परिधि की ओर होता है परंतु जंतु कोशिका में केंद्रक अधिकांश मामलों में मध्य में होता है।

पढ़ें –