अहोम विद्रोह : अहोम विद्रोह तात्कालिक आसाम में हुआ था जहाँ आहोम लोगों का राज्य था। यह विद्रोह अंग्रेजों के विरुद्ध हुआ था।
- 1824 में ईस्ट इंडिया कम्पनी (अंग्रेज) का बर्मा से युद्ध हुआ था जिसे प्रथम बर्मा युद्ध के नाम से जाना जाता है।
- इस युद्ध के दौरान अंग्रेज सेना आहोम होकर भेजी गयी थी। ब्रिटिश सेना द्वारा आहोम के राजा एवं सरदारों को आश्वस्त किया गया था कि बर्मा से युद्ध खत्म होते ही सेना उनके द्वारा कर चुकाने पर वापस लौट जाएगी।
- लेकिन अंग्रेजी सेना ने ऐसा नहीं किया और वो अपने वादे से मुकर गए।
- असम के अहोम वंश के उत्तराधिकारियों ने इसे नापसंद किया और ईस्ट इण्डिया कंपनी से असम छोड़कर जाने के लिए कहा।
- कंपनी द्वारा न मानने पर 1828 ई० में अहोम सरदारों द्वारा राजपरिवार के कुँवर गोमधर को राजा घोषित कर, अहोम विद्रोह का बिगुल फूँक दिया गया और रंगपुर पर चढ़ाई कर दी, जोकि अंग्रेजों द्वारा विफल कर दिया गया।
- 1830 ई० में फिर से आहोम लोगों ने कुंवर रूपचन्द्र कुमार को राजा बना के विद्रोह दुबारा शुरू किया परन्तु यह भी विफल रहा।
- फलस्वरूप अहोम राजा पियाली बरफूकन एवं जीवनराम को मृत्यु की सजा और कई लोगों को 14 वर्ष का राज्य से निर्वासित कर दिया गया।
- 1833 ई० में इलाके में शान्ति कायम रखने के लिए ईस्ट इंडिया कम्पनी ने उत्तरी आसाम की बागडोर पुरन्दर सिंह नरेंद्र को दे दी।
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