ग्लोबल वार्मिंग क्या है, ग्लोबल वार्मिंग के कारण एवं प्रभाव

ग्लोबल वार्मिंग क्या है, ग्लोबल वार्मिंग के कारण एवं प्रभाव – Global Warming

ग्लोबल वार्मिंग क्या है ? ( What is Global Warming in hindi ) : ग्लोबल वार्मिंग को भूमंडलीय तापमान में वृद्धि या भूमि की सतह के औसत तापमान में वृद्धि के रूप में जाना जाता है। ग्लोबल वार्मिंग का तात्पर्य पृथ्वी में बढ़ते तापमान के कारण मौसम में होने वाले अनिश्चित परिवर्तन से है जिसका कुप्रभाव मनुष्य और अन्य जीवों के साथ-साथ पर्यावरण पर भी पड़ता है। ग्लोबल वार्मिंग के कई कारण होते हैं जो निम्नलिखित हैं –

ग्लोबल वार्मिंग के कारण (Causes of Global Warming in hindi) –

ग्रीन हाउस प्रभाव

ग्रीन हाउस प्रभाव (Green House Effect) को हरित प्रभाव भी कहा जाता है जो एक प्राकृतिक प्रक्रिया है। ग्रीन हाउस प्रभाव पृथ्वी की सतह को गर्मी प्रदान करता है जो पृथ्वी में रहने वाले प्राणियों के लिए जीवन को संभव बनाता है। ग्रीन हाउस में शामिल गैसें जैसे – कार्बन डाई ऑक्साइड, मिथेन एवं जल वाष्प की मात्रा जब आवश्यकता से अधिक बढ़ने लगती है तो यह पृथ्वी में तापमान को आवश्यकता से अधिक बड़ा देता है जिससे मौसम और पृथ्वी में रहने वाले सभी प्राणियों को हानि होती है अतः ग्रीन हाउस प्रभाव ग्लोबल वार्मिंग का प्रमुख कारण है।

वनों का अंधाधुंध कटाई

वर्तमान में वनों की अंधाधुन कटाई ग्लोबल वार्मिंग का प्रमुख कारण बनी हुई है क्योंकि वनों के कटाव से वातावरण में ऑक्सीजन की कमी होती है और हानिकारक गैसों जैसे – कार्बन डाईऑक्साइड, मिथेन आदि की मात्रा बढ़ जाती है, इन गैसों के प्रभाव के कारण भूमंडलीय तापमान में वृद्धि होती है। इसके अलावा वनों की कटाई से मौसम में परिवर्तन आते है जिससे समय पर वर्षा न होने के कारण भी तापमान में वृद्धि से ग्लोबल वार्मिंग की समस्या उत्पन्न होती है।

विभिन्न प्रकार के प्रदूषण

विभिन्न प्रकार के प्रदूषण जैसे – वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, विकिरण प्रदूषण, मृदा प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण आदि प्रदूषणों के कारण पृथ्वी के तापमान में वृद्धि होती है। इन प्रदूषणों के कुप्रभाव से पर्यावरण या वायुमंडल में असंतुलन उत्पन्न होता है जिसके कारण मौसम संबंधी कई समस्याएं जैसे – अत्यधिक गर्मी, बेमौसमी वर्षा आदि समस्याएं उत्पन्न होती है अतः प्रदूषण भी ग्लोबल वार्मिंग का प्रमुख कारण है।

आवश्यकता से अधिक आधुनिकीकरण

आधुनिकीकरण से तात्पर्य परंपरागत समाजों में होने वाले परिवर्तनों से है जिसमें मशीनीकरण, तकनीकीकरण, बड़े-बड़े कारखानों का निर्माण आदि को सम्मिलित किया जाता है। आधुनिकीकरण के कारण विभिन्न प्रकार के उपकरणों का निर्माण किया जा रहा है जिनसे उत्सर्जित कई घातक गैसें वायुमंडल को प्रदूषित करने के साथ-साथ उसे असंतुलित कर देती है। इसी प्रकार इन गैसों के प्रभाव से वायुमंडल के तापमान में भी वृद्धि होती है और इस तापमान में वृद्धि को ही ग्लोबल वार्मिंग कहा जाता है।

जनसंख्या विस्फोट

जनसंख्या विस्फोट जिसे जनसंख्या वृद्धि कहा जाता है ने वर्तमान में कई समस्याओं को जन्म दिया है। जनसंख्या वृद्धि ने विभिन्न मानवीय आवश्यकताओं को जन्म दिया है जिसके कारण मनुष्य ने प्रकृति का दोहन करना आरम्भ दिया। प्रकृति के विभिन्न संसाधनों के दोहन ने न केवल प्रकृति को बल्कि पृथ्वी में रहने वाले सभी जीवों के लिए विभिन्न समस्याएं उत्पन्न की है और इन समस्याओं में एक समस्या है ग्लोबल वार्मिंग जो इन सभी क्रियाओं का दुष्परिणाम है।

ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव (Effects of global warming) –

  1. ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव से कई जीवों और पशुओं की प्रजाति विलुप्त हो गई है इसके अलावा इसके प्रभाव से जीवों की कुछ ऐसी प्रजातियां है जो ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव से विलुप्त होने वाली हैं।
  2. ग्लोबल वार्मिंग के कारण जल स्तर में आवश्यकता से अधिक वृद्धि होने के कारण बाढ़ व सुनामी जैसी प्राकृतिक आपदाएं होने की संभावनाएं होती है। ग्लोबल वार्मिंग के कारण तापमान अधिक हो जाता है जिसके कारण बड़े-बड़े ग्लेशियर पिघलने लगते है और इन्हीं कारणों से जल स्तर बढ़ जाता है।
  3. ग्लोबल वार्मिंग का हर उम्र के व्यक्तियों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है जिससे वे किसी न किसी रोग से ग्रस्त होते जा रहे है और शुद्ध वायु के अभाव में व्यक्ति खुले आसमान के नीचे भी घुटन का जीवन व्यतीत कर रहा है।
  4. ग्लोबल वार्मिंग पृथ्वी की सतह में तापमान में वृद्धि का परिणाम है अतः अत्यधिक तापमान होने के कारण गर्मी अधिक लगती है जिससे त्वचा व अन्य शारीरिक एवं मानसिक रोग उत्पन्न होते है। तापमान में वृद्धि के कारण रेगिस्तान का विस्तार होता है जिससे वहां रहने वाले प्राणियों की मृत्यु भी हो जाती है।

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