देवनारायण जी - राजस्थान के लोक देवता

देवनारायण जी – राजस्थान के लोक देवता

देवनारायण जी राजस्थान के लोक देवता : राजस्थान के लोक देवता देवनारायण जी ( Devnarayan ji ) को राजस्थान के साथ-साथ गुजरात, मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश के कई क्षेत्रों में पूजा जाता है। देवनारायण जी को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है। (rajasthan ke lok devta notes hindi me)

  • देवनारायण जी का जन्म 1243 ई. में माघ शुक्ल षष्ठी को गोठा दंडावण आसींद (भीलवाडा) में हुआ था और देवनारायण जी के बचपन का नाम उदयसिंह था।
  • देवनारायण जी के पिता ‘सवाईभोज’ भिनाय (अजमेर) के शासक थे और माता का नाम ‘सेदू’ तथा पत्नी का नाम ‘पीपलदे’ था।
  • देवनारायण जी बगड़ावत नागवंश के गुर्जर थे और ये गुर्जर जाति के लोकदेवता हैं। लोग इन्हें भगवान विष्णु का अवतार मानाते हैं।
  • देवनारायण जी को तंत्र मंत्र और आर्युवेद का भी ज्ञान था।
  • देवनारायण जी के दादा बाघजी के 24 पुत्र थे जो ‘बगड़ावत’ नाम से प्रसिद्ध हुये थे, भिनाय के शासक दुर्जनासाल से युद्ध करते हुये देवनारायण जी के पिता साहित 23 भाईयों की मृत्यु हुई थी।
  • देवनारायण जी ने अपने पिता की मुत्यु का बदला दुर्जनसाल से युद्ध करके लिया था, इस युद्ध को बगड़ावतों की महाभारत कहा जाता है।
  • देवनारायण जी की फड़ का वाचन गुर्जर भोपों द्वारा वाद्य यंत्र के साथ किया जाता है। यह फड़ राजस्थान के सभी लोक देवताओ की सबसे पुरानी और सबसे लम्बी फड़ है इसलिये इस फड को राजस्थान की महाभारत भी कहा जाता है। इस फड को रात्रि के तीन पहर गाया जाये तब यह फड़ 6 महीने में पूरी होती है।
  • देवनारायण जी की फड़ में इनके पिता जी सहित 24 बगड़ावत भाईयों की वीरता का वर्णन किया गया है।
  • गोठ दंडवता, आसींद (भीलवाड़ा) में देवनारायण जी का प्रमुख मंदिर स्थित है जहाँ पर भाद्र शुक्ल सप्तभी तथा माघ शुक्ल छठ को मेला लगता है।
  • देवधाम जोधपुरिया, निवाई (टोंक) में मांसी, बांडी, खारी नदियों के संगम पर स्थित है यहाँ पर प्रत्येक वर्ष भाद्र शुक्ल सप्तमी को मेला लगता है।
  • मेवाड के महाराणा राणा सांगा ने देवडूंगरी पहाड़ी (चितौड़गढ़) में देवनारायण जी के मंदिर का निर्माण करवाया था। एक अन्य मंदिर देवमाली ब्यावर (अजमेर) में भी स्थित है।
  • देवनारायण जी के मंदिरो में मूर्ति की जगह बड़ी ईटों की पूजा की जाती है और फिर नीम की पत्तियों से छाछ राबड़ी का प्रसाद चढाया जाता है।
  • गुर्जरों में देव जी की बहुत मान्यता है। देवनारायण जी के नाम से गुपर लोग सोने-चाँदी के आभूषण गले में पहनते हैं।
  • माघ शुक्ल छठ (जन्म तिथि) और भाद्र शुक्ल सप्तभी (मृत्यु तिथि) के दिन गुर्जर समूदाय के लोग दुध नहीं जमाते हैं।
  • देवजी री पड़, बात देवजी बगड़ावत री, देवनारायण का मारवाड़ी ख्याल, बगड़ावत प्रमुख ग्रंथ हैं।
  • देवनारायण जी पर तथा उनकी फड़ पर भारत सरकार द्वारा 5 रुपए का एक टिकट जारी किया गया है।
  • देवनारायण जी की मृत्यु भद्रपद शुक्ल सप्तमी को देहमाली ब्यावर (अजमेर) में हुई थी।

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