अपराध क्या है – अपराध के प्रकार, कारण एवं उपाय : अपराध क्या है, अपराध के प्रकार, आर्थिक अपराध के कारण, बाल अपराध के कारण, किशोर अपराध के कारण, अपराध नियंत्रण के उपाय, भारत में अपराध के कारण आदि प्रश्नों के उत्तर यहाँ दिए गए हैं।
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अपराध क्या है
अपराध (Crime) किसी भी समाज में होने वाली वह गतिविधि या क्रिया है जिसके अंतर्गत कानूनी नियमों का उल्लंघन किया जाता है। साधारण भाषा में कहा जाए तो अपराध वह नकारात्मक प्रक्रिया है जिसके कारण सामाजिक तत्वों का विनाश होता है। अपराध एक बेहद गंभीर समस्या है जिसे कानूनी एवं सामाजिक दृष्टिकोण से गलत कार्य माना जाता है।
किसी भी देश या राज्य में अपराध की घटनाओं में वृद्धि होने से उस देश की शांति व्यवस्था का खंडन होता है। जिसका सीधा परिणाम कानून व्यवस्था एवं समाज के लोगों पर पड़ता है। इसके कारण सामान्य जन-जीवन बुरी तरह प्रभावित होता है। विश्व के सभी देशों ने एकजुट होकर आपराधिक घटनाओं की रोकथाम के लिए विभिन्न प्रकार के कानून लागू किए हैं। अपराधिक घटनाओं को अंजाम देने वाले हर व्यक्ति के लिए उचित दंड की व्यवस्था की गई है।
अपराध के प्रकार (types of crime in hindi)
अपराध को मुख्यतः पांच प्रकार की श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है –
- संज्ञेय अपराध
- असंज्ञेय अपराध
- आर्थिक अपराध
- बाल अपराध
- किशोर अपराध
1. संज्ञेय अपराध
संज्ञेय अपराध की श्रेणी में आने वाले हर अपराध अत्यंत गंभीर होते हैं। इस प्रकार के अपराध करने वाले अपराधियों को प्रदेश की पुलिस बिना किसी वारंट के गिरफ्तार कर सकती है। संज्ञेय अपराध में हत्या, अपहरण, बलात्कार, आतंकवादी गतिविधि आदि जैसे अपराध शामिल हैं। यह अपराध इतने अधिक गंभीर होते हैं कि इसमें दोषियों को फांसी या उम्रकैद तक की सजा दी जा सकती है। संज्ञेय अपराध की श्रेणी में दंड प्रावधान को कुछ इस प्रकार वर्गीकृत किया गया है कि उसमें अपराधी या संदिग्ध व्यक्तियों को बिना किसी वारंट के गिरफ्तार कर लिया जाता है। इसके अलावा संज्ञेय अपराध की श्रेणी में आने वाले अपराधियों को पुलिस बिना मजिस्ट्रेट की आज्ञा के भी गिरफ्तार कर सकती है।
2. असंज्ञेय अपराध
कानून व्यवस्था के अंतर्गत असंज्ञेय अपराध को सामान्य अपराध की श्रेणी में रखा गया है। इस तरह के अपराधों में सामाजिक हानि की संभावना कम होती है। असंज्ञेय अपराधों को संगीन अपराधों की श्रेणी में नहीं गिना जाता है। यह वे अपराध होते हैं जिनके अंतर्गत शराब पीकर झगड़ा करना, मामूली मारपीट या गाली-गलौज करना, छोटी-मोटी चोरियां करना, यातायात के नियमों का उल्लंघन करना आदि अपराध होते हैं। असंज्ञेय अपराध करने वाले दोषियों को लघु अवधि के लिए कारावास एवं जुर्माने जैसे दंड के प्रावधान किए गए हैं।
3. आर्थिक अपराध
जब कोई व्यक्ति निर्धनता के कारण अपराध करता है तो उस अपराध को आर्थिक अपराध कहा जाता है। आर्थिक अपराध में वह अपराध शामिल हैं जो किसी व्यवसायिक या आर्थिक गतिविधि के दौरान किये जाते हैं। जब व्यक्ति अपने परिवार का भरण-पोषण करने में असमर्थ हो जाता है तब वह इस प्रकार के अपराधों की गतिविधियों की ओर बढ़ने लगता है। अधिकतर मामलों में आर्थिक अपराध करने वाले व्यक्तियों का उद्देश्य जनता को नुकसान पहुंचाना नहीं होता वह केवल अपने आर्थिक स्थिति को सुधारने की नियत से इस प्रकार के अपराधों को अंजाम देता है।
4. बाल अपराध
जब किसी बालक या बालिका द्वारा कानून का उल्लंघन या समाज विरोधी कार्य किया जाता है तो उसे बाल अपराध कहा जाता है। कानून के दृष्टिकोण से 8 से 16 वर्ष से कम के आयु के बालकों को बाल अपराध की श्रेणी में रखा जाता है। बाल अपराध के चार मुख्य कारण होते हैं –
- पारिवारिक कारण
- सामाजिक कारण
- आर्थिक कारण
- मनोवैज्ञानिक कारण
पारिवारिक कारण
बाल अपराध के लिए पारिवारिक कारण को प्रमुख कारण माना जाता है। अक्सर कुछ परिवारों की दशा बच्चों के अनुकूल नहीं हो पाती जिसके कारण बच्चों एवं मां बाप के बीच संबंधों में संतुलन नहीं हो पाता। ऐसी अवस्था में अक्सर बच्चे बाल अपराध की ओर आकर्षित हो जाते हैं।
सामाजिक कारण
एक अध्ययन के अनुसार इस बात का खुलासा हुआ है कि यदि बालकों के मानसिक स्वास्थ्य पर विद्यालय, परिवार एवं बुरी संगतों का प्रभाव होता है तो ऐसे में बालक अपराधिक घटनाओं को अंजाम दे सकता है। इन सभी कारणों से बालक की मानसिक स्थिति पर बेहद बुरा प्रभाव पड़ता है जिसके कारण वे बाल अवस्था में ही बड़ी अपराधिक घटनाओं को अंजाम देते हैं।
आर्थिक कारण
जब माता-पिता अपने बालक की आर्थिक जरूरतों को पूरा करने में असमर्थ होते हैं तब इस स्थिति में बच्चे बाल अपराध जैसी घटनाओं को अंजाम देते हैं। इस प्रकार के अपराधों में बच्चे अपनी जिद को पूरा करने के लिए छोटी-मोटी अपराधिक घटनाओं की ओर आकर्षित हो जाते हैं।
मनोवैज्ञानिक कारण
मनोवैज्ञानिक कारण बाल अपराध का एक बेहद दुर्भाग्यपूर्ण कारक माना जाता है। जो बच्चे बौद्धिक दुर्बल एवं मानसिक रोग का शिकार होते हैं उनमें इस समस्या को सबसे अधिक देखा जाता है। इस प्रकार के बच्चों के लिए कानून व्यवस्था में दंड का नहीं बल्कि इलाज का प्रावधान किया गया है।
5. किशोर अपराध के कारण
किशोर अपराध वह अपराध होते हैं जिनमें बच्चे किशोरावस्था में यौन व्यवहार, बाल दुर्व्यवहार एवं नशीली दवाओं का सेवन करने लगते हैं। इसका प्रमुख कारण परिवार की खराब पालन पोषण की व्यवस्था को माना जाता है। इसके अलावा अक्सर किशोर खराब पारिवारिक परिस्थितियों या पारिवारिक हिंसा के कारण भी अपराधिक घटनाओं को अंजाम देने लगते हैं।
अपराध नियंत्रण के उपाय
अपराध नियंत्रण एक ऐसी व्यवस्था है जिसके अंतर्गत देश में होने वाली अपराधिक घटनाओं की रोकथाम के लिए विभिन्न प्रकार की नीतियां बनाई जाती हैं। अपराध नियंत्रण सरकार के द्वारा किया जाने वाला एक ऐसा प्रयास है जिससे अपराध को कुछ हद तक कम करने का लक्ष्य बनाया जाता है। अपराध नियंत्रण के लिए देश की सरकार कई प्रयास करती है जैसे कि:-
- शिक्षा का प्रचार व प्रसार
- आर्थिक उन्नति
- भ्रष्टाचार रोकना
- पूर्ण नशा निषेध
- कानूनी व्यवस्था में बदलाव
1. शिक्षा का प्रचार व प्रसार
भारत सहित कई देश शिक्षा के प्रचार एवं प्रसार को बढ़ावा देने का कार्य कर रहे हैं जिससे लोगों में शिक्षा के प्रति प्रोत्साहन को बढ़ाया जा सके। इसके द्वारा समाज में व्यक्तियों की मानसिकता को बदला जा सकता है। सरकार का मानना है कि लोगों में शिक्षा के प्रति जागरूकता फैलाकर अपराधिक घटनाओं को कम किया जा सकता है।
2. आर्थिक उन्नति
विश्व भर में कई अपराध लोगों की खराब आर्थिक स्थिति के कारण होते हैं। यह एक ऐसा कारक माना जाता है जिसमें व्यक्ति अपने नैतिक मूल्यों का नाश करके अपराध की श्रेणी की ओर बढ़ने लगता है। ऐसे में कई देश की सरकारें व्यक्तिगत रूप से लोगों की आर्थिक उन्नति कर अपराधिक घटनाओं को रोकने का प्रयास करती है।
3. भ्रष्टाचार रोकना
अपराधिक घटनाओं को रोकने के लिए भ्रष्टाचार को खत्म करना एक बेहद अहम प्रयास माना जाता है। इसके अंतर्गत भ्रष्टाचार से संबंधित आपराधिक गतिविधियों को रोका जा सकता है। भ्रष्टाचार के कारण कई लोग अवैध कार्य करने के लिए मजबूर हो जाते है जिसके कारण आपराधिक घटनाओं में वृद्धि होती है।
4. पूर्ण नशा निषेध
नशा एक ऐसा कारक है जो न केवल अपराधिक घटनाओं को बढ़ावा देता है बल्कि इसके कारण देश के युवाओं का भविष्य भी खराब होता है। नशे के कारण विश्व भर में कई अपराधिक घटनाओं का जन्म होता है। इसीलिए विश्व में कई देश नशाबंदी को समर्थन देकर शांति व्यवस्था को बनाए रखने का भरपूर प्रयास करते हैं।
5. कानून व्यवस्था में बदलाव
कानून व्यवस्था को सख्त करने से देश में हो रही अपराधिक घटनाओं को कम किया जा सकता है। यह एक ऐसा उपाय है जिससे आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों में कानून व्यवस्था के प्रति डर की भावना को बढ़ाया जा सकता है। इससे ना केवल अपराधिक घटनाओं को कम किया जा सकता है बल्कि इससे अपराधियों की परिस्थितियों में सुधार भी लाया जा सकता है।
भारत में अपराध के कारण
भारत में अपराधिक घटनाओं के कई कारण हैं जैसे:-
1. कमजोर कानून व्यवस्था
भारत में अपराध का मुख्य कारण पुलिस प्रशासन व कानून व्यवस्था की शिथिलता है। भारत में अपराधी बेखौफ होकर कई बड़े-बड़े अपराधिक घटनाओं को अंजाम देते हैं। भारतीय कानून व्यवस्था में कमियों के कारण कई माफिया पुलिस अधिकारियों पर मानसिक व प्रशासनिक दबाव बनाते हैं जिसके कारण भारत में अपराधिक घटनाओं को बढ़ावा मिलता है। भारत के अधिकांश अपराधियों में पुलिस प्रशासन व कानून के प्रति भय नहीं रहा है जिसके कारण यह अपराधी बेखौफ होकर बड़ी-बड़ी अपराधिक घटनाओं को अंजाम देते हैं।
2. बेरोजगारी
भारत में तेजी से बढ़ती जनसंख्या के कारण बेरोजगारी की समस्या का उदय हुआ है, जिसके कारण अपराधों की संख्या में भी वृद्धि हुई है। बेरोजगारी कई अपराधों का मूल कारण रही है। बेरोजगारी की समस्या से जूझ रहे लोग अक्सर अवैध कार्यों की शुरुआत करते हैं जो आगे चलकर उन्हें एक अपराधी बना देती है। केवल इतना ही नहीं बेरोजगारी के कारण देश में भ्रष्टाचार जैसी समस्या को भी बढ़ावा मिला है। अक्सर लोग नौकरी का झांसा देकर कई लोगों से मोटी रकम वसूलते हैं जिसके कारण देश में भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलता है।
3. लोगों का निजी स्वार्थ
व्यक्तियों के निजी स्वार्थ को किसी भी अपराधिक घटना का प्राथमिक कारण माना जाता है। अक्सर लोग अपने निजी स्वार्थ के लिए विभिन्न प्रकार के अपराध करते हैं जैसे चोरी करना, ठगी करना, अपहरण करना आदि।
4. संस्कारों का अभाव
भारत की नई पीढ़ी में देश की संस्कृति एवं सभ्यता के प्रति जागरूकता में भारी कमी हुई है जिसके फलस्वरूप युवाओं में नैतिकता का स्तर कम हुआ है। इसके कारण देश के युवा समाज में बढ़ती अपराधिक घटनाओं के प्रति रुचि नहीं लेते। अच्छे संस्कारों के अभाव के कारण अक्सर युवावस्था में लोग पथ भ्रष्ट कर जाते हैं, जिसके कारण जाने अनजाने में या जानबूझकर भी वे कई अपराधिक घटनाओं में शामिल हो जाते हैं।
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