प्लास्टिक प्रदूषण क्या है - प्रभाव, कारण और निवारण

प्लास्टिक प्रदूषण क्या है – प्रभाव, कारण और निवारण

प्लास्टिक प्रदूषण क्या है : प्लास्टिक प्रदूषण क्या है, प्लास्टिक प्रदूषण के कारण और निवारण, प्लास्टिक प्रदूषण के प्रभाव, प्लास्टिक प्रदूषण से कौन-कौन सी बीमारी होती हैं आदि प्रश्नों के उत्तर यहाँ दिए गए हैं। प्लास्टिक पर निबंध 800 शब्दों में।

प्लास्टिक प्रदूषण क्या है

प्लास्टिक से निर्मित उत्पादों के अपशिष्ट को प्लास्टिक प्रदुषण कहते हैं। प्लास्टिक प्रदुषण मुख्यतः प्लास्टिक के कचरे से पैदा होता है। प्लास्टिक सिंथेटिक या अर्ध-सिंथेटिक सामग्रियों की एक विस्तृत श्रृंखला होती है जो मुख्य घटक के रूप में पॉलिमर का उपयोग करते हैं। प्लास्टिक एक नॉन-बायोडिग्रेडेबल (Non-Biodegradable) पदार्थ है जिसका अपघटन बहुत लम्बे समय तक नहीं होता है, जिसके कारण वातावरण दूषित होता है। प्लास्टिक को सड़ने में 400 साल या उससे भी ज्यादा समय लगता है।

आज के समय में प्लास्टिक सबसे अधिक इस्तेमाल में लाया जाने वाला पदार्थ है। प्लास्टिक से बने उत्पादों से उत्पन्न कचरे के कारण प्लास्टिक प्रदूषण जैसी समस्या की उत्पत्ति हुई है। प्लास्टिक एक ऐसा पदार्थ है जो प्राकृतिक रूप से विघटित नहीं होता जिसके कारण यह प्रदूषण का एक कारण बनता है।

प्लास्टिक प्रदूषण के कारण

प्लास्टिक प्रदूषण के प्रमुख कारण (reasons of plastic pollution) निम्नलिखित हैं –

  • प्लास्टिक से बनी वस्तुओं के अत्यधिक उपयोग करने से प्लास्टिक प्रदूषण जैसी गंभीर समस्या की उत्पत्ति हुई है। आज के समय में प्लास्टिक का उपयोग किसी न किसी रूप में लगभग हर घर में किया जाता है। जिसके कारण प्लास्टिक के कचरे में तेजी से वृद्धि हुई है।
  • प्लास्टिक एक नॉन-बायोडिग्रेडेबल (Non-Biodegradable) पदार्थ है जो सैकड़ों वर्षों तक पृथ्वी की सतह पर रहकर वातावरण को नुकसान पहुंचाता है। प्लास्टिक भूमि एवं जल में विघटित नहीं हो पाता जिसके कारण मानव एवं जीव-जंतु की जीवन शैली बुरी तरह प्रभावित होती है।
  • प्लास्टिक नदियों एवं झीलों में किसी न किसी रूप में पहुंच जाता है जिससे वह ढेरों टॉक्सिक रिलीज करता है। इस क्रिया से जल दूषित हो जाता है एवं इसका दुष्प्रभाव जीव-जंतु, मानव, भूमि एवं पर्यावरण आदि सभी पर पड़ता है।

प्लास्टिक प्रदूषण के प्रभाव

प्लास्टिक प्रदूषण के कुछ प्रमुख प्रभाव (effects of plastic pollution in hindi) निम्नवत हैं –

  • प्लास्टिक प्रदूषण का वातावरण पर बेहद बुरा प्रभाव पड़ता है, जैसा कि हमने आपको ऊपर बताया कि प्लास्टिक एक नॉन-बायोडिग्रेडेबल पदार्थ है जो वातावरण को बेहद प्रभावित करता है। प्लास्टिक में हानिकारक रसायन मौजूद होते हैं जिनके कारण प्रकृति को कई प्रकार से नुकसान पहुंचता है।
  • प्लास्टिक भूजल प्रदूषण का भी कारण बनता है यह जमीन के अंदर मौजूद पानी को भी प्रदूषित करता है और प्लास्टिक में मौजूद घातक रसायन पानी में मिल जाते हैं जोकि विभिन्न बीमारियों के जनक बनते हैं। कई जहरीले रसायनों का उपयोग करके कृत्रिम रूप से प्लास्टिक बनाया जाता है जो किसी भी प्रकार से लाभदायक नहीं होता है।
  • प्लास्टिक प्रदूषण मृदा को भी बेहद प्रभावित करता है जिससे मृदा की उर्वरक क्षमता में कमी आती है। प्लास्टिक कई हजार वर्षों तक जमीन की सतह पर रह कर उसे दूषित करता है जिससे मिट्टी की उर्वरक शक्ति धीरे-धीरे नष्ट हो जाती है।
  • प्लास्टिक प्रदूषण का वायुमंडल पर भी नकारात्मक प्रभाव देखा गया है। प्लास्टिक के कचरे में अधिकतर ऐसे पदार्थ होते हैं जिनके जलने से हवा में जहरीली गैसों का रिसाव होता है और जिसके कारण वायु प्रदूषित होती है। प्लास्टिक से निकलने वाला धुआं शुद्ध वातावरण को दूषित कर देता है जिसके कारण कई प्रकार की जानलेवा बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।
  • प्लास्टिक प्रदूषण समुद्री जीवों पर बेहद बुरा प्रभाव पड़ता है, दरअसल प्लास्टिक से बने छोटे-बड़े उत्पाद कचरे के रूप में पानी के द्वारा समुद्र एवं महासागरों में मिल जाते हैं। समुद्र में मौजूद जीव प्लास्टिक के कचड़े को भोजन समझकर खा जाते हैं इसके कारण मछलियां, कछुए एवं अन्य समुद्री जीवों की मृत्यु हो जाती है। प्लास्टिक प्रदूषण कम से कम 700 समुद्री प्रजातियों को प्रभावित करता है और कुछ अनुमान बताते हैं कि हर साल कम से कम 100 मिलियन समुद्री स्तनधारी इससे मारे जाते हैं।
  • प्लास्टिक प्रदूषण के कारण पशुओं के स्वास्थ्य को गंभीर नुकसान पहुंचता है। अकसर आवारा पशु भोजन की तलाश में कचरे की ओर जाते हैं जहां प्लास्टिक की थैलियों में बचा कुचा भोजन पड़ा रहता है। वे पशु भोजन के साथ-साथ प्लास्टिक के बैग एवं थैलियां भी निगल जाते हैं जिसके कारण प्लास्टिक उनकी आंतों में फंस जाता है और अंततः उनकी मृत्यु हो जाती है।
  • प्लास्टिक प्रदूषण मानव जाति के लिए बेहद घातक सिद्ध होता है। वर्तमान में प्लास्टिक का उपयोग लगभग हर घर में किसी ना किसी रूप में किया जाता है। वैज्ञानिकों के अनुसार, प्लास्टिक के बर्तन में गर्म खाद्य पदार्थ रखने से प्लास्टिक के कण खाद्य पदार्थ में मिल जाते हैं जिसके कारण कैंसर जैसी घातक बीमारी होने का खतरा बढ़ जाता है।

प्लास्टिक प्रदूषण के निवारण

प्लास्टिक प्रदूषण के निवारण या प्लास्टिक प्रदूषण के निस्तारण के तरीके निम्नलिखित हैं –

  • प्लास्टिक प्रदूषण को रोकने के लिए प्लास्टिक से बने उत्पादों के इस्तेमाल को बंद कर देना चाहिए। प्लास्टिक के बैग, डिस्पोजल क्रॉकरी, पैकेट रैपर, पॉलीथिन एवं अन्य वस्तुएं वातावरण को कई प्रकार से हानि पहुंचाती हैं। प्लास्टिक के उत्पादों के उपयोग को रोककर कपड़े की थैलियों का उपयोग करना चाहिए जिससे प्लास्टिक प्रदूषण को कम करने में बहुत सहायता मिलेगी। सिंगल-यूज प्लास्टिक कचरे के आंकड़े बताते हैं कि हर साल 380 मिलियन टन सिंगल-यूज प्लास्टिक (या कुल प्लास्टिक उत्पादन का 50%) बनाया जाता है। इसलिए सिंगल यूज़ प्लास्टिक जैसे डिस्पोजल क्रॉकरी, पैकेट की पैकिंग, पॉलीथिन आदि जिनको केवल एक ही बार इस्तेमाल किया जा सकता है उनका प्रयोग बंद होना बेहद जरुरी है।
  • स्वच्छता अभियान चलाकर प्लास्टिक प्रदूषण के रोकथाम में काफी मदद मिलेगी। इसके अलावा लोगों में प्लास्टिक के कचरे के प्रति जागरूकता अभियान भी चलाना चाहिए जिससे लोगों में प्लास्टिक के उपयोग को लेकर एक नकारात्मक प्रभाव डाला जा सके और वह स्वयं ही कम से कम प्लास्टिक का उपयोग करें।
  • दुनिया भर में प्लास्टिक के उत्पादन पर नियंत्रण करके प्लास्टिक के प्रदूषण को रोका जा सकता है। प्लास्टिक के उत्पादों की मांग को नियमित कर विश्व स्तर पर प्लास्टिक के इस्तेमाल पर नियंत्रण पाया जा सकता है जिसके परिणाम स्वरूप प्लास्टिक प्रदूषण को धीरे-धीरे खत्म किया जा सकता है।
  • प्लास्टिक के उत्पादों का पुनरुपयोग करने से प्लास्टिक प्रदूषण को रोका जा सकता है। प्लास्टिक का पुनरुपयोग करने से प्लास्टिक कचरे को दोबारा से काम में लाया जा सकता है जिसकी सहायता से प्लास्टिक प्रदूषण को बढ़ने से रोकने में बहुत मदद मिलेगी।

प्लास्टिक प्रदूषण से कौन-कौन सी बीमारी होती हैं

हार्मोन से संबंधित कैंसर, बांझपन और न्यूरोडेवलपमेंट डिसऑर्डर जैसे एडीएचडी और ऑटिज्म आदि प्रमुख बीमारियां प्लास्टिक के कारण होती हैं, साथ ही प्लास्टिक में मौजूद जहरीले पदार्थ और भी कई बीमारियों के कारण बनते हैं।

  • प्लास्टिक प्रदूषण से कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी का खतरा होता है। प्लास्टिक में मौजूद रसायन मानव शरीर के लिए अत्यंत विषैले एवं हानिकारक होते हैं। प्लास्टिक में कैडमियम, पारा आदि जैसे रसायन का मिश्रण होता है जिससे मानव शरीर के सीधे संपर्क में आने से कैंसर जैसी बीमारी का खतरा बढ़ जाता है।
  • वैज्ञानिकों के अनुसार प्लास्टिक में पाए जाने वाले टॉक्सिन के कारण अस्थमा जैसी बीमारी की समस्या उत्पन्न होती है। प्लास्टिक के धुएं के सीधे संपर्क में आने से सांस लेने में तकलीफ की समस्या उत्पन्न होती है जो आगे चलकर अस्थमा जैसी बीमारी का कारण बनती है।

पढ़ें – पारिस्थितिकी तंत्र (Ecosystem) की परिभाषा