WORLD ENVIRONMENT DAY

विश्व पर्यावरण दिवस

WORLD ENVIRONMENT DAY

हर साल 5 जून को विश्व भर में पर्यावरण दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस पर्व का उपयोग करके युनेप  (संयुक्त राष्ट्रपर्यावरण कार्यक्रम) (UNEP – United Nations Environment Programme) विश्व भर में पर्यावरणीय चेतना जगाने की कोशिश करता है। पर्यावरण दिवस को 1972 में मानव पर्यावरण विषय पर स्टोकहोम में हुए संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन की याद में मनाया जाता है। अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण चेतना और पर्यावरण आंदोलन की शुरुआत इसी सम्मेलन से मानी जाती है। इसी सम्मेलन में भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने वह यादगार वक्तव्य दिया था, जिसमें उन्होंने कहा कि गरीबी ही सबसे बड़ा प्रदूषक है। उनका आशय यह था कि विकासशील देशों की पर्यावरणीय समस्याओं का संबंध गरीबी से है, अर्थात, विश्व में संसाधनों और संपत्तियों के असमान वितरण से है। स्टोकहोम सम्मेलन के बाद ही पर्यावरणीय चिंताएं अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर प्रतिष्ठित हो पाई और राष्ट्रीय सरकारों के स्तर पर पर्यावरणीय समस्याओं के निपटारे के लिए प्रयास किया जाने लगा। स्टोकहोम सम्मेलन पर्यावरणीय चेतना लाने के लिए किए गए पिछले एक दशक के छिटपुट व्यक्तिगत और संस्थागत प्रयासों की चरम परिणति थी। याद रहे, कि पर्यावरण आंदोलन का आधार ग्रंथ मानी जानेवाली रेचल कारसन की किताब, साइलेंट स्प्रिंग, का प्रकाशन केवल 10 वर्ष पूर्व 1962 में हुआ था। इस किताब में रेचल कासन ने दर्शाया था कि खेतों में प्रयोग किए जानेवाले डीडीटी जैसे खतरानक कीटनाशक खाद्य-श्रृंखला के जरिए मनुष्य के शरीर में भी प्रवेश कर जाते हैं और उसे भी नुकसान पहुंचाते हैं।

विश्व पर्यावरण दिवस क्यों मनाया जाता है

बड़े पर्यावरण मुद्दें जैसे भोजन की बरबादी और नुकसान, वनों की कटाई, ग्लोबल वार्मिंग का बढ़ना इत्यादि को बताने के लिये विश्व पर्यावरण दिवस वार्षिक उत्सव को मनाने की शुरुआत की गयी थी। पूरे विश्वभर में अभियान में प्रभाव लाने के लिये वर्ष के खास थीम और नारे के अनुसार हर वर्ष के उत्सव की योजना बनायी जाती है।

पर्यावरण दिवस मनाने के पीछे चार उद्देश्य रखे गए हैं। ये हैं –

1. पर्यावरणीय समस्याओं को एक मानवीय चेहरा प्रदान करना।
2. लोगों को टिकाऊ और समतापूर्ण विकास के कर्ताधर्ता बनाना और इसके लिए उनके हाथ में असली सत्ता सौंपना।
3. इस धाराणा को बढ़ावा देना कि पर्यावरणीय समस्याओं के प्रति लोक-अभिरुचियों को बदलने में समुदाय की केद्रीय भूमिका होती है।
4. विभिन्न देशों, उद्योगों, संस्थाओं और व्यक्तियों की साझेदारी को बढ़ावा देना ताकि सभी देश और समुदाय तथा सभी पीढ़ियां सुरक्षित एवं उत्पादनशील पर्यावरण का आनंद उठा सके।

विश्व पर्यावरण दिवस का थीम और नारे

वैश्विक स्तर पर पर्यावरणीय मुद्दों को बताने में बड़ी संख्या में भाग लेने के लिये पूरे विश्वभर में बड़ी संख्या में लोगों को बढ़ावा देने के द्वारा उत्सव को ज्यादा असरदार बनाने के लिये संयुक्त राष्ट्र के द्वारा निर्धारित खास थीम पर हर वर्ष का विश्व पर्यावरण दिवस उत्सव आधारित होता है।

विभिन्न वर्षों के आधार पर दिये गये थीम और नारे यहाँ सूचीबद्ध है:

  • वर्ष 2017 का थीम हैं “लोगों को प्रकृति से जोड़ना “।
  • वर्ष 2016 का थीम था “दुनिया को एक बेहतर जगह बनाने के लिए दौड़ में शामिल हों”।
  • वर्ष 2015 का थीम था “एक विश्व, एक पर्यावरण।”
  • वर्ष 2014 का थीम था “छोटे द्वीप विकसित राज्य होते है” या “एसआइडीएस” और “अपनी आवाज उठाओ, ना कि समुद्र स्तर।”
  • वर्ष 2013 का थीम था “सोचो, खाओ, बचाओ” और नारा था “अपने फूडप्रिंट को घटाओ।”
  • वर्ष 2012 का थीम था “हरित अर्थव्यवस्था: क्यो इसने आपको शामिल किया है?”
  • वर्ष 2011 का थीम था “जंगल: प्रकृति आपकी सेवा में।”
  • वर्ष 2010 का थीम था “बहुत सारी प्रजाति। एक ग्रह। एक भविष्य।”

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