यमुना नदी प्रदूषण के कारण ( yamuna nadi pradushan ke karan ) : यमुना नदी गंगा नदी की एक प्रमुख सहायक नदी है जो उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के निम्न हिमालय के मसूरी रेंज में बंदरपूंछ चोटी के पास यमुनोत्री ग्लेशियर से निकलती है जिसकी सहायक नदियां चंबल, सिंध, बेतवा एवं केन नदी है। यमुना नदी की कुल लंबाई 1376 किमी है जो उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा और दिल्ली से बहती हुई उत्तर प्रदेश के प्रयागराज के संगम नामक स्थान पर गंगा नदी में मिल जाती है। यमुना नदी में लखवाड़-व्यासी बांध (उत्तराखंड) व ताजेवाला बैराज बांध (हरियाणा) आदि प्रमुख बांधों का निर्माण किया गया है।
यमुना नदी को वर्तमान में भारत की सबसे प्रदूषित नदी के रूप में देखा जाता है। यमुना नदी इतनी प्रदूषित हो गई है कि इस विषय में प्रसिद्ध रेमन मैगसेसे पुरस्कार से सम्मानित राजेंद्र सिंह कहते है – “ये यमुना नदी नहीं यमुना नाले की कहानी है।”
यमुना नदी के प्रदूषण की स्थिति अत्यंत खतरनाक होती जा रही है इसके प्रदूषण का प्रमुख कारण औद्योगिक प्रदूषण, बिना उपचार के कारखानों से निकले दूषित पानी को सीधे नदी में डाल देना, यमुना के किनारे बसी हुई आबादी मल-मूत्र और गंदगी का नदी में रिसाव आदि कारण यमुना नदी के प्रदूषण का कारण है। यमुना अपने पूरे सफर के दौरान सबसे ज्यादा दिल्ली, आगरा और मथुरा के क्षेत्रों में प्रदूषित होती है। What are the causes of Yamuna river pollution in hindi.
यमुना नदी प्रदूषण के कारण (Causes of Yamuna river pollution in hindi) –
- यमुना नदी हरियाणा से दिल्ली की ओर प्रवेश करती है जहाँ उसे हरियाणा में यमुना के किनारे सोनीपत में कई उद्योग है। इन उद्योगों में अमोनिया का उपयोग उर्वरकों, प्लास्टिक और रंजक का उत्पादन किया जाता है जो यमुना नदी में मिलकर नदी को बुरी तरीके से प्रभावित कर उसे प्रदूषित कर देता है।
- यमुना के स्वच्छ जल के साथ जब सीवेज या औद्योगिक कचरे की प्रवाहित गंदगी मिला दी जाती है तो वह नदी के जल को न पीने योग्य रखती है और न ही किसी अन्य कार्य करने योग्य बदले में यह केवल नदी प्रदूषण का कारण बनते है।
- यमुना नदी में उद्योगों से निकलता अमोनिया जल में घुलित ऑक्सीजन की मात्रा को कम कर देता है क्योंकि यह नाइट्रोजन के ऑक्सीकृत रूपों में बदल देती है और यही कारण है की यह बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड को भी बढ़ाती है।
- यमुना नदी के प्रदूषण का कारण घाटों में मरने वाली हजारों मछलियां और कछुओं की मौत है। जलीय जीवों के मरने का कारण यमुना में प्रदूषण बढ़ने से पानी में घुलनशील ऑक्सीजन की मात्रा में कमी होना है।
- यमुना नदी के प्रदूषण का कारण मथुरा रिफाइनरी भी है जहाँ से पेट्रोलियम बेस्ड हाइड्रोकार्बन (तैलीय पदार्थ) का रिसाव यमुना नदी में होता है। एक शोध के अनुसार इन तैलीय पदार्थों से नदी के पानी में एक प्रकार की परत जम गई है जिससे उस पानी को उपयोग करने वाले लोगों और जलीय जीवों को भारी नुकसान हो रहा है।
- यमुना नदी के प्रदूषण का सबसे बड़ा जिम्मेदार दिल्ली शहर को माना जाता है। दिल्ली में यमुना के तट पर लगभग 65,000 झुग्गी-झोपड़ियां में 3-4 लाख की जनसंख्या निवास करती है। इन क्षेत्रों से लगभग 600 टन कचरा, प्लास्टिक की थैलियाँ और अन्य घरेलू गंदगी होती है जो यमुना नदी के प्रदूषण का कारण है।
यमुना नदी प्रदूषण को रोकने के उपाय –
सर्वोच्च न्यायालय हरियाणा द्वारा यमुना जल प्रदूषण को रोकने के प्रयास किए जा रहे है जिसमें दिल्ली जल बोर्ड द्वारा दायर एक तत्काल याचिका पर सुनवाई कर रहा था। इनका उद्देश्य प्रदूषित तत्वों को यमुना नदी में बहने से रोकना और नदी को प्रदूषण से बचाना है।
सर्वोच्च न्यायालय द्वारा यह निर्देशित किया गया था कि कॉमन एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट और सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स की स्थापना के माध्यम से यह तय किया गया था की राज्य सरकार ऐसे शहरों, कस्बों और गावों को स्थिति सुधारने की प्राथमिकता देगी जिनके द्वारा औद्योगिक प्रदूषकों एवं सीवर की गंदगी को सीधे नदियों और जल निकायों में प्रवाहित किया जाता है।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) द्वारा सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशानुसार ऐसी रिपोर्ट प्रस्तुत की जिसमे सीवेज के उपचार स्थापित न किए जाने वाले संयंत्र शामिल थे। उनका उद्देश्य सीवेज को नदी में प्रवाहित न किया जाना और नदी को प्रदूषण रहित करना था।
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